अपने डॉग का देखभाल कैसे करें : संपूर्ण जानकारी
सड़कों व गलियों में घूमते देसी नस्ल के कुत्ते जिनकी गिनती हम आवारा पशु की श्रेणी में करते हैं, वही स्थानीय वातावरण व पर्यावरण के लिहाज से पालतू जानवर के रूप में सबसे बेहतर हैं। क्योंकि इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता विदेशी नस्ल के डॉग से ज्यादा अच्छी होती है, लेकिन लोग इन्हें हीन भावना से देखते हैं। जबकि इन वफादारों को अपनाकर घर में जगह दी जा सकती है। इससे इनकी अच्छी देखभाल भी होगी और इस बेजुबान का नाम आवारा जानवरों की लिस्ट से भी कट जाएगा।
सदियों से कुत्ते को इंसान का सबसे वफादार मित्र माना जाता है। यह भी सत्य है कि मानव प्रजाति के साथ घुले मिले यह डॉग जब आक्रामक होते हैं तो इंसान के लिए खतरा बन जाते हैं। ज्यादातर मामलों में यह स्थिति तब आती है जब यह आवारा कुत्तों की श्रेणी में आते हैं। पालतू होने पर इन्हें घर के सदस्य की तरह देखा जाता है, जबकि आवारा होने पर यही कुत्ते घृणा की दृष्टि से देखे जाते हैं। राज्य पशु क्रूरता निवारण समिति की मानें तो स्थानीय पर्यावरण में पालतू होने पर देसी नस्ल के यह कुत्ते विदेशी नस्ल से ज्यादा बेहतर माने जाते हैं। जिस तरह लोग हाईब्रीड और क्रॉस ब्रीडिंग वाले विदेशी कुत्तों को पालना अपनी शान समझते हैं, उसी तरह स्ट्रीट डॉग कहे जाने वाले देसी नस्ल के कुत्तों को भी अच्छी देखभाल व ट्रेंनिंग से बेहतर बनाया जा सकता है।
आवारा कुत्तों को मारना समस्या का समाधान नहीं। नियमों के तहत इन्हें मारा भी नहीं जा सकता। यह अपराध की श्रेणी में आता है। इसलिए समस्या का एक समाधान यह भी है कि कुत्ता पालने के शौकीन लोग स्ट्रीट डॉग को अपनाएं। इससे आवारा कुत्तों की संख्या कम होगी। टीकाकरण से कुत्तों के काटने के बाद होने वाली बीमारियों के खतरों को टाला जा सकता है, लेकिन लोग इसके प्रति जागरूक नहीं हैं। एनजीओ इस काम में मदद कर सकते हैं।
देसी कुत्ते, विदेशी कुत्तों से ज्यादा अच्छे साबित होते हैं। इनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये बुद्धिमान होने के साथ-साथ वफादार भी होते हैं। इनका जीवनकाल विदेशी कुत्तों से ज्यादा होता है और ये हर वातावरण में बड़ी सहजता से ढ़ल जाते हैं। इनकी याद्दाश्त बहुत शार्प होती है, ये किसी को भी एक बार देख लेते हैं तो जल्दी भूलते नहीं हैं। इतना हा नहीं इन्हें विदेशी कुत्तों की अपेक्षा बीमारियां कम होती है और इनकी प्रतिरोधक क्षमता बहुत ज्यादा होती है। इनमें सीखने की छमता भी बहुत ज्यादा होती है। वहीं, विदेशी कुत्ते हर वातावरण में अपने आपको सहज नहीं महसूस कर पाते हैं। साथ ही इनके रखरखाव के लिए भी खास ध्यान रखना पड़ता है।
देसी कुत्तों की खासियत
अगर देसी कुत्तों की बात करें तो लोगों की दिलचस्पी कम होने की वजह से इनकी नस्ल बहुत ज्यादा विकसित नहीं हो पाई। हालांकि रामपुर हाउंड को देशी कुत्तों की सबसे अच्छी नस्ल मानी जाती है। इसके बारे में कहा जाता है कि पहले के राजा महाराजा इस कुत्ते को पालते थे क्योंकि ये न सिर्फ वफादार होता है बल्कि ये काफी लंबा और उंचा होता था। हालांकि ये इकहरे बदन के होते हैं लेकिन फुर्ती में इसका कोई जोड़ नहीं है। ये बहुत तेज दौड़ते हैं और शिकार के लिए इस नस्ल को बहुत अच्छा माना जाता है। ये लंबी छलांग लगाने में भी उस्ताद होते हैं। हालांकि इस नस्ल के कुत्ते अब बहुत कम पाए जाते हैं।
राजपलायम कुत्ता- इस नस्ल के कुत्ते अब लगभग समाप्त होने का हैं। ये रेयरली ही देखने को मिलते हैं। इस नस्ल के कुत्ते बहुत ही वफादार और स्नेही माने जाते हैं।
इंडियन पराई डॉग- देसी कुत्तों में सबसे ज्यादा इसी नस्ल के कुत्ते पाए जाते हैं। इन्हें स्ट्रीट डॉग की नस्ल भी कहते हैं। ये ज्यादातर गलियों और सड़कों पर पाए जाते हैं। इनकी प्रतिरोधक क्षमता बहुत अच्छी मानी जाती है। इनकी खास बात ये है कि इन्हें कहीं भी छोड़ दिया जाए तो ये कुछ दिनों में अपने जगह पर वापस आ जाते हैं।
कन्नी डॉग- इस नस्ल के कुत्तों को काफी चालाक माना जाता है। इनका शरीर काफी गठीला होता है। इन्हें आप अपने रक्षक के तौर पर भी पाल सकते हैं।
कोंबाई डॉग- ये कुत्ते काफी ताकतवर माने जाते हैं। साथ ही ये काफी आक्रामक और खूंखार भी होते हैं। इसके साथ इनमें सक्रियता काफी होती है।
चिप्पी पराई डॉग- ये कुत्ते काफी वफादार माने जाते हैं इसके साथ ये आजाद रहना पसंद करते हैं। इसकी ऊंचाई 65 सेमीमीटर के करीब होती है। इस नस्ल के कुत्ते भी अब बहुत कम संख्या पाए जाते हैं।
हमें देशी कुत्ता ही क्यों पालना चाहिए?
शुक्र है पीएम नरेंद्र मोदी का जिनके कारण आज फिर से देश अपने कुत्तों की ओर रुख कर रहा है, जोकि अपने आप में बहुत ही अच्छी बात है। कुछ महीनों पहले अपने मन की बात कार्यक्रम में उन्होंने देश की सुरक्षा एजेंसियों जैसे नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ( एनसीबी ) से आत्मनिर्भरता के संदेश को आगे ले जाते हुए अपने कुत्तों के दल में विदेशी नस्ल की बजाय देशी नस्ल के कुत्तों का प्रयोग करने का आग्रह किया था। इस सलाह को मानते हुए एनसीबी ने अपनी फौज में देशी कुत्तों को भर्ती करना शुरू कर दिया है, बहुत ही अहम फैसला जिसका अनुकरण देश में कुत्ते पालने वाले सभी नागरिकों को भी करना चाहिए। अल्सातियन और लैब्राडोर जैसी विदेशी नस्लों के कुत्तों के व्यापार में पैसा कमाने का रैकेट चलाया जा रहा है जिसमें नर कुत्तों का समागम उनकी मां अथवा उसकी बहन से ही करा दिया जाता है जिससे पैदा होने वाले पिल्लों को महंगे दामों में बेच जाता है। ऐसा अनाचार प्रजनन नई पीढ़ियों में शारीरिक दुर्बलता को जन्म देता है।
इसके विपरित हमारे घरेलू नस्ल के कुत्ते कई स्थानीय प्रजातियों का मजबूत मिश्रण होते हैं जो एक स्वस्थ, वफादार और प्यार करने वाले साथी के रूप में हमारे साथ रहते हैं।
जहां विदेशी कुत्तों को रोज नहलाना लाना पड़ता है उनको महंगे महंगे बिस्किट खिलाने पड़ते हैं वही देसी कुत्ते को रोज नहलाना नहीं पड़ता है और उस त कोमात्र रोटी खिलाकर भी पाला जा सकता है उसे देसी कुत्ते को पालना महंगा नहीं पड़ता है बहुत सस्ता पड़ता है जबकि विदेशी कुत्ते को पालना एक आदमी को बच्चे को पालने से भी ज्यादा महंगा पड़ता है विदेशी कुत्ते को खरीदना महंगा पड़ता है जबकि देसी कुत्ता बहुत कम दर पर या मुफ्त में भी मिल जाता है विदेशी कुत्ता विदेशी वातावरण के अनुकूल होता है जबकि भारतीय वातावरण के अनुकूल नहीं होता है इसलिए विदेशी कुत्ता यहां पर जल्दी बीमार पड़ जाता है और उसके स्वास्थ्य संबंधी अनेक समस्याएं भी रहती है इसलिए उसका ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है लेकिन देसी कुत्ता यहां के वातावरण में पहले से ही ढला हुआ होता है इसलिए उसे पालना बहुत आसान होता है और बुद्धिमानी की तुलना करें तो देसी कुत्ता भी बहुत बुद्धिमान होता है, देसी कुत्ते को हम घर में खाए जाने वाले रोटी खिलाकर भी उसे आसानी से पाल सकते हैं जबकि विदेशी कुत्ते के लिए महंगे महंगे बिस्किट और अनेक महंगी महंगी चीजें खाने के लिए लाना पड़ता है इसलिए विदेशी कुत्ते को पालना बहुत महंगा पड़ता है.
हमारे प्यारे भारतीय कुत्तों के अलावा दूसरा कोई बेहतर विकल्प नही क्योंकि वे पुराने समय से यहां रह रहे हैं और जलवायु के साथ विकास के विभिन्न चरणों से गुजरे हैं। भारतीय जलवायु की बात करें तो वे सबसे अच्छे हैं।
उनके पास बहुत बाल नहीं हैं इसलिए गर्म मौसम के साथ उन्हें ज्यादा समस्या नहीं है। इनका विदेशी वंशावली नस्लों की तुलना में रखरखाव काफ़ी कम हैं। नतीजतन, वे अपने विदेशी समकक्षों की तुलना में अधिक समय तक जीवित रहते हैं। इसलिए आप अपने जीवन का काफ़ी समय तक उनके साथ बिता सकते है। क्या यह सबसे अच्छी बात नहीं है?
सेंट बर्नार्ड, हस्की आदि भारत की गर्म और आर्द्र जलवायु के लिए उपयुक्त नहीं हैं। वे ठंडे क्षेत्रों से हैं। कल्पना कीजिए कि रूस के एक व्यक्ति के लिए भारत में रहने पर क्या हालत होगी । जब तक वे एक वातानुकूलित कमरे में घर के अंदर नहीं होते तब तक उनके लिए गर्मी असहनीय होती है। यही हाल विदेशी कुत्तों का है। इसके अलावा, भारतीय कुत्ते अन्य नस्लों की तरह ही बुद्धिमान हैं।
लोग विदेशी नस्लों को खरीदते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यह ऊँचे दर्जे का है। वे देसी और लेंडी के रूप में हमारे अपने ही कुत्तों को छोड़ देते हैं। एक आश्चर्य हो सकता है कि अगर कुत्ते देसी हैं तो हम भी तो देसी हुए । लोग भारतीय संस्कृति के बारे में गर्व करते हैं लेकिन जब भारतीय कुत्तों की बात आती है तो उन्हें कुछ अछूत माना जाता है।
यह अधिक दिखावे और स्टेटस की वजह से लोग ज़्यादा करते है , इसका हिस्सा बनने से पहले Google पर पपी (puppy) के बारे में जानने के लिए कुछ समय दें।
इसलिए, लोगों को अपनी पसंद को पूरा करना चाहिए और वही करना चाहिए जो सही हो।
अंत में कुत्ते हमसे बिना शर्त प्यार करते हैं। और यही मनुष्यों द्वारा पारस्परिक होना चाहिए।
एक कुत्ता पालने के बाद कृपया उसे ज़ंजीर से ना बांधे ।अपने इलाके के अन्य आवारा कुत्तों को भी खिलाएं।
ऐसी कौन सी कुत्तों की नस्ल है जिन्हें घर में पालना खतरनाक हो सकता है? और क्यों?
डोबरमैन, पिटबुल नस्ल , कंगाल, मेस्टिफ नस्ल, ककसिउस शेफर्ड, इन सभी नस्ल के कुत्ते घर में नहीं रखने चाहिए | अब आपके सवाल का दूसरा भाग की क्यों नहीं रखना चाहिए | ये सरे ही नस्ल गरम खून की नस्ल है इसलिए इनमे आक्रामकता बहुत ज्यादा होती है | और आक्रमण करने में ये जरा भी देर नहीं लगते हैं और इनकी पकड़ भी बहुत मजबूत होती है | हालाँकि लोग इन्हे रखते हैं लेकिन सही ट्रेनिंग और अनुशाषन की बेहद जरुरत होती है | गरम खून होने की वजह से इनको सुबह शाम काम से काम दो दो घंटा की वर्जिश चाहिए | अर्थात इन्हे सुबह शाम एक एक घंटा आपको दौड़ना होगा | फिर इनके खान पान का खर्चा है | खास कर मेस्टिफ नस्ल और ककसिउस नस्ल के कुत्ते कभी भी पालतू नहीं होते हैं इन्हे हमेशा बांध कर रखना होता है |
घरों में पालने के लिए लाये गये विदेशी नस्ल के डॉग को समुचित देखभाल की आवश्यकता होती है। विशेषकर जर्मन सेफर्ड,कॉमरेरियन,लेब्राडोर तथा डॉगरमैन आदि कुत्तों का रख-रखाव अगर उचित तरीके से नहीं किया जाता है तो ये कभी भी आक्रमक हो उठते हंै। इनसे बचने के लिए उन कुत्तों के भोजन,रहन-सहन पर ध्यान देना निहायत जरुरी हो जाता है।
एनर्जी बर्न के लिए आवश्यक है व्यायाम:जिस प्रकार मनुष्य एक ही स्थान पर रहते-रहते उब जाता है उसी प्रकार ही एक ही स्थान पर डॉग को रखने से वह उब जाता है। उनको स्वस्थ रखने के लिए और ताजगी बनाये रखने के लिए उनको प्रतिदिन सुबह-शाम टहलाना और घुमाना जरुरी है।
लेब्रोडोर जैसे बडे डॉग के एनर्जी बर्न के लिए दिन में दो बार सुबह-शाम पचास मिनट से एक घंटे तक के एक्सरसाईज की आवश्यकता होती है। जिसमें कुत्तों को अधिक दूरी तक घुमाना ,टहलाना या दौड़ाना आदि शामिल है। इस प्रकार के अनेक एक्सरसाईज हैं जो डॉग के शरीर के एक्सेस एनर्जी को बर्न करने में सहायक होते हैं। इसमें लापरवाही बरतने पर ये कुत्ते व्यवहार सम्बंधी परेशानी खडी कर देते हैं।
जैसे-चबाना,खुदाई करना और बेकार ही भौंकते रहना आदि। एक्सरसाईज करते रहने से कुत्तों का एनर्जी बर्न होता रहता है । कुत्तों के शरीर का तापमान सामान्य बना रहता है और कुत्ते भी स्वस्थ रहते हैं।
डॉग को दें बैलेंस्ड डायट: डॉग को स्वस्थ रखने के लिए संतुलित भोजन देते रहना चाहिए। हेल्दी सप्लीमेंट के साथ-साथ मिनरल मिक्सचर की मात्रा पशुचिकित्सक की सलाह से देना जरुरी है।
कुत्ते को दें साफ पानी: विदेशी नस्ल के कुत्ते को स्वस्थ बनाये रखने के लिए मुख्यत:जरुरी है पोषण से भरपूर भोजन,साफ पानी और सुरक्षित व सेफ होम होना चाहिए । उसको भरपूर प्लेटाईम देकर,भरपूर एक्सरसाईज कराकर कुत्ते को स्वस्थ और खुश बनाये रखा जा सकता है।
विदेशी नस्ल के कुत्तों को पालने वाले को चाहिए कि डॉग को भरपूर प्ले टाईम दें। कुत्ते का भरपूर एक्सरसाईज करावें,रख रखाव के लिए समय-समय पर पशुचिकित्सक से सलाह लें । साथ ही निश्चित समय पर टीकाकरण कराते रहें। इनका पालन कर डॉग को खुश और स्वस्थ रखा जा सकता है।
आजकल सभी के घर में कोई न कोई पालतू जानवर जरूर होता है। ये पालतू जानवर घर के साथ-साथ आपके जीवन में भी बदलाव लाते हैं। लेकिन बीते समय में कई लोगों ने खतरनाक डॉग ब्रीड्स को पालना शुरू कर दिए हैं। ऐसे डॉग ब्रीड्स कई बार आपके लिए भी जानलेवा भी साबित हो सकते हैं।
भारत में विदेशी ब्रीड्स पालने का चलन काफी ज्यादा है। ऐसे में कई ब्रीड्स जो दुनिया भर के कई हिस्सों में बैन हैं, उनकी बिक्री भारत में हो जाती है। इस तरह के पालतू कुत्ते आप और आपके बच्चों के लिए खतरा हो सकते हैं। ऐसे में घर के लिए पालतू डॉग चुनते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिससे आप के घर के फ्रेंडली कुत्ता आए।
पालतू डॉग चुनने से पहले ध्यान में रखें ये बातें
अगर आप पालतू डॉग खरीदने जा रहे हैं, तो सबसे पहले इन 6 जरूरी बातों का ध्यान में रखें। उनकी मदद से आप अपने घर के लिए सही पालतू कुत्ता चुन सकेंगे।
डॉग का साइज
हमेशा अपने घर के साइज और जरूरत के हिसाब से पालतू कुत्ता चुनना चाहिए। अगर आप किसी छोटे घर में रहते हैं तो आपको कम एक्टिव डॉग पालना चाहिए। वहीं अगर आपके पास अच्छा स्पेस है, तो आप एक एक्टिव और बड़े आकार के डॉग को चुन सकते हैं।
ब्रीड का चुनाव
आजकल मार्केट में कई तरह की डॉग ब्रीड्स आ रही हैं। लेकिन आपको हमेशा सेफ्टी और जरूरत को ध्यान में रखते हुए ही कुत्ते का ब्रीड का चुनाव करना चाहिए।
डॉग की उम्र
अगर आप कुत्ते को बचपन से पालते हैं, तो ऐसे में वो आप और आपकी फैमिली से ज्यादा अच्छी तरह से परिचित होते हैं। हालांकि कम उम्र के डॉग्स को अधिक देखभाल की जरूरत होती है, पर आप उन्हें आसानी से ट्रेन भी कर सकते हैं। ऐसे में कम उम्र के डॉग आपके परिवार और बच्चों से आसानी से घुल-मिल जाते हैं।
डॉग की हिस्टरी
कई बार हम किसी शेल्टर या फिर किसी मालिक से डॉग खरीदते हैं। ऐसे में हमें उस डॉग की हिस्ट्री के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है। इस तरह के पालतू जानवर कई बार बुरी हालत से गुजरे होते हैं, ऐसे में आपको उनके बारे में पता होना चाहिए।
Energy Level के हिसाब से चुनें डॉग
अगर आपकी Energy Level कम है तो ऐसे में एक्टिव पालतू जानवर आपको ज्यादा पसंद नहीं आएगा। इसलिए हमेशा अपने एनर्जी लेवल के हिसाब से ही डॉग की नस्ल का चुनाव करना चाहिए।
पालतू डॉग की सबसे सुरक्षित नस्लें:
ये डॉग ब्रीड्स घर और बच्चों दोनों के लिए ही बेहद सुरक्षित होते हैं। आप इनमें से किसी भी डॉग ब्रीड् को अपने घर ला सकती हैं।
- परिआह
- भारतीय स्पिट्ज
- लैब्राडोर डॉग
- गोल्डन रिट्रीवर
- पग
- जर्मन शेफर्ड
- बीगल
तो ये थे कुछ ऐसे डॉग ब्रीड्स जो आप और आपके परिवार के लिए बेहद सुरक्षित होते हैं।
पेट्स पालना हम सभी को पसंद होता है। ऐसा देखा गया है कि जिस घर में पेट्स होते हैं, उस घर के बच्चे भावनात्मक रूप से अधिक मजबूत होते हैं। उन्हें दूसरों की केयर करना और दूसरे के इमोशंस की कद्र करना अपने अन्य हम उम्र बच्चों की तुलना में कहीं अधिक आता है। लेकिन घर में डॉग, केट या कोई दूसरा पेट पालने का मतलब होता है एक और बच्चा पालना। क्योंकि पेट्स को बिल्कुल बच्चों की तरह देखभाल और प्यार की जरूरत होती है।
पेट लेने से पहले जरूरी है यह बात जानना
अगर आपके घर में पहले से पेट है तो उसकी ब्रीड यानी नस्ल के बारे में पता लगाकर, उसकी जरूरतों के अनुसार उसकी देखभाल और खान-पान का ध्यान रखें। अगर आप डॉग लाने के बारे में सोच रहे हैं तो हमारा सुझाव है कि आप देसी नस्ल का ही डॉग अडॉप्ट करें। ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इसकी देखभाल करना विदेशी नस्ल के कुत्तों की तुलना में कहीं अधिक आसान होता है।
कम केयर में ज्यादा सेहत
अगर आप देसी नस्ल का डॉग लाते हैं तो आपको उसकी देखभाल के लिए बहुत कम समय देना पड़ता है। क्योंकि उसके लिए यहां के वातावरण में रहना आसान होता है। उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता यहां के वायुमंडल के हिसाब से होती है इसलिए उसे यहां कम बीमारियां होगी। वह बीमार कम होगा तो आपको उसकी देखभाल कम करनी होगी साथ ही आपके बजट पर भी असर नहीं पड़ेगा। क्योंकि आप वेटेरिनरी डॉक्टर के पास चक्कर काटने से बचेंगे।
पेट्स पालने से पहले जरूर जानें ये बातें
ट्रेनिंग जरूर कराएं
अगर आप चाहते हैं कि आपका डॉग या अन्य पेट आपकी बात मानें और उसका व्यवहार अच्छा रहे तो पेट ट्रेनर से उसे तभी कुछ महीने के ट्रेनिंग दिला दें, जब वह 3 से 4 महीने का हो। सिर्फ व्यवहार की ही नहीं आप अपने पेट को खान-पान की ट्रेनिंग भी दें। जब भी अपने पेट को कोई नई चीज खिलानी हो तो पहले उसे उस फूड की स्मेल के साथ फेमिलियर बनाएं फिर कम मात्रा में ही परोसें। ताकि आपको पता चल सके कि आपका पेट इस फूड को पसंद कर रहा है या नहीं।
वॉकिंग होनी चाहिए ऐसी
हेल्दी पेट के पैरंट बनने के लिए आपको यह बात जाननी होगी कि सिर्फ डॉग, पपी, कैट या रेबिट पालने से ही काम नहीं बन जाता। बल्कि उन्हें सेहतमंद रखने के टिप्स जानना भी जरूरी है। आपको पता होना चाहिए कि पेट के लिए रफ सरफेस पर चलना जरूरी होता है। इससे उनके नेल्स नैचरल तरीके से ट्रिम होते रहते हैं।
पर्सनल केयर टिप्स
पेट को नहलाते समय इस बात का ध्यान रखें कि इस दौरान उसके कानों में पानी ना चला जाए। उसके दांतों की देखभाल यानी डेंटल केयर के लिए अपने वेटेरनरी डॉक्टर से जरूर बात करें और इस बारे में टिप्स लें।
जब छोड़ना हो अकेला
अगर आप अपने डॉग को या पेट को घर पर अकेला छोड़कर जा रहे हों तो उसके लिए इंस्ट्रूमेंटल ट्यून या सॉफ्ट म्यूजिक प्ले करके जाएं। आप चाहें तो अपनी रिकॉर्डेड आवाज भी प्ले करके जा सकते हैं। इससे उसे आपके घर में ही होने का अहसास होगा और वह शांत बना रहेगा।
कैसे डॉग की देखभाल करें (Take Care of a Dog)
घर में एक डॉग लेकर आने के पहले जरूरी है कि आप पहले उसकी केयर करने का तरीका सीख लें। आपको उसकी फिजिकल और इमोशनल दोनों ही जरूरतों को पूरा करना होगा। इसका मतलब कि पोषण से भरपूर खाना देना, पीने का साफ पानी देना, शेल्टर या उसे उसका घर देना और एक सेफ होम में रहने का मौका देना शामिल है। इसका मतलब अपने डॉग को भरपूर प्ले टाइम देकर, उसे भरपूर एक्सरसाइज करा के और उसके माइंड को स्टिमुलेशन देकर उसके खुश रहने की पुष्टि करना है। डॉग की देखभाल करना एक बड़ी ज़िम्मेदारी होती है और डॉग पालने का निर्णय लेना, कोई ऐसा कदम नहीं है, जिसे आप बस यूं ही, बिना कुछ सोचे-समझे उठा लें, हालांकि, ये आपके घर में आए इस नए फैमिली मेम्बर के साथ में आपके प्यार और भरोसे के बॉन्ड को बढ़ाने में जरूर मदद
डॉग को फीड करना (Feeding a Dog)
अपने डॉग को हाइ क्वालिटी डॉग फूड फीड करें: उसके फूड के लेबल को पढ़ें।[२] पहले कुछ इंग्रेडिएंट्स को कुछ तरह के मीट, न कि मीट बाई-प्रॉडक्ट या अनाज होना चाहिए। इससे आपको पता चल जाएगा कि फूड केवल पेट भरने वाला नहीं है, बल्कि उसमें हाइ प्रोटीन भी है।
- फूड रिकमेंडेशन के लिए आपके वेटेरिनरीयन से पूछें। आपके वेटेरिनरीयन आपको किसी ऐसे फूड की सलाह दे सकते हैं, जो आपके डॉग के लिए परफेक्ट हो और उनके पास में आपके डॉग को फीड कराए जाने की मात्रा के बारे में भी आपके लिए रिकमेंडेशन रहेंगी।
आपके डॉग को एक रेगुलर शेड्यूल पर फीड करें: रिकमेंड किया जाता है कि आप आपके डॉग को दिन में दो बार फीड कराएं।[३] आपको आपके डॉग को डेली कितना फीड कराना चाहिए, उस मात्रा का पता करें, जो आमतौर पर फूड पैकेज पर दिया रहता है और फिर उस मात्रा को दो से डिवाइड करें। आधे हिस्से को मॉर्निंग में अपने डॉग को खिलाएँ और दूसरे आधे हिस्से को शाम को दें।
- फीड करने का एक स्टेबल रूटीन रखना भी आपको हाउस ट्रेनिंग में मदद कर सकता है। डॉग्स को आमतौर पर खाने के 20 से 30 मिनट के बाद बाथरूम ले जाने की जरूरत पड़ती है।
अपने डॉग को बहुत ज्यादा भी ट्रीट या लोगों का खाना देने से बचें: ऐसा करने से वजन बढ़ने या पालतू जानवरों में स्वास्थ्य से जुड़ी दूसरी समस्याएँ हो सकती हैं। अपने डॉग को केवल ट्रेनिंग के दौरान ही ट्रीट देने के नियम को फॉलो करें। याद रखें कि इसे फॉलो कर पाना शायद मुश्किल हो सकता है, खासतौर से तब, जब अगर आपका डॉग बहुत ही आशा भरी नजरों से आपकी ओर देख रहा हो। हालांकि, आप आपके नियम पर डटे रहें!
- आपके डॉग को ऐसा फूड न खिलाएँ, जो उसके लिए सही न हो। ऐसे कुछ फूड्स हैं, जो न केवल आपके डॉग के लिए खराब होते हैं, बल्कि साथ ही उसकी हैल्थ के लिए नुकसानदेह भी होते हैं। आपके डॉग को चॉकलेट, अवोकाडो, ब्रेड डो, किशमिश, अंगूर, प्याज या जायलेटॉल (xylitol) न दें, जो एक नॉन-कैलोरिक स्वीटनर है।[४]
आपके डॉग को पानी दें: आपके डॉग को सर्वाइव करने के लिए केवल फूड अकेले की जरूरत नहीं होती है। पानी भी उसके लिए ठीक उतना ही जरूरी होता है। आपके डॉग को सारा समय पानी तक पहुँचने की सुविधा दें। इसका मतलब ये नहीं है कि आपको उसे एकदम से बहुत ज्यादा पानी ही देना है, जैसे अगर जब आप आपकी कार में हों, लेकिन आपको कोशिश करना है कि जब भी मुमकिन हो, आप उसके लिए एक बाउल में साफ पीने का पानी रख सकें।
अपने डॉग की हैल्थ का ख्याल रखना (Caring For the Health of a Dog)
सुनिश्चित करें कि आपके वेटेरिनरीयन अच्छे और भरोसे के लायक हैं: अपने डॉग के लिए एक वेटेरिनरीयन चुनने का एक सही तरीका है कि आपको देखना है कि वो आपके सवालों का जवाब सही ढंग से और उचित सलाह दे पा रहा है या नहीं और साथ ही देखें कि वो पैट्स के साथ में भी किस तरह से इंटरेक्ट करता है। आपको आपके डॉग को रेगुलर चेक अप्स के लिए लेकर जाना होगा, इसलिए अगर आपका वेटेरिनरीयन बहुत ज्यादा बिजी रहता है, तो फिर आपको किसी दूसरे की तलाश कर लेना चाहिए। किसी वेटेरिनरीयन के पास एक बार अपने डॉग को ले जाने के बाद भी नए वेटेरिनरीयन को चुनने से न कतराएँ।[५]
- याद रखें कि आपको एक इमरजेंसी वेटेरिनरीयन के बारे में भी पता रहना चाहिए, जो पूरे दिन के 24 घंटे और वीकेंड्स पर भी उपलब्ध हो सके।
- अपने डॉग को वैक्सीन कराएं: आपके वेटेरिनरीयन आपको सलाह देंगे कि आपके एरिया में कौन सी बीमारी कॉमन हैं और उस बीमारी से बचाव के लिए कौन सी वैक्सीन कराने की जरूरत होगी। आमतौर पर, वैक्सीनेशन को रेगुलर बूस्टर इंजेक्शन के साथ में अप टू डेट रखा जाना जरूरी होता है, जो बीमारी के आधार पर या तो सालभर में या तीन-साल में दिए जाने होते हैं।
- ज़्यादातर जगहों में आपको आपके डॉग को रैबीज (rabies) के लिए वैक्सीन कराए जाने की जरूरत होती है। अगर आपके एरिया में कानूनी रूप से ऐसा कराने की जरूरत नहीं भी है, तो भी अच्छा होगा कि आप आपके पैट को (और आपको भी) इस जानलेवा बीमारी से बचाए रखने के लिए इस वैक्सीन को करा लें।
डॉग पर एक आईडी चिप फिट करने के बारे में सोचें: ये एक छोटी सी माइक्रोचिप होती है, इसे उसके कंधे की ब्लेड की स्किन के ऊपर इंजेक्ट किया जाता है। हर एक चिप में एक यूनिक नंबर होता है, जो आपके कांटैक्ट डिटेल के साथ में एक डेटाबेस से जुड़ा होता है। कभी आपके पैट के खोने या चोरी होने के मामले में, चिप को आपके डॉग के साथ में मैच किया जाता है और आपको उसकी ऑनरशिप दी जाती है।
रेगुलर पैरासाइट प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट्स (parasite preventative treatments) यूज करें: बेसिक वर्मिंग ट्रीटमेंट से डॉग को रेगुलरली राउंडवर्म जैसे वर्म्स के खिलाफ ट्रीट किया जाना जरूरी होता है। इसे कितनी बार किया जाना चाहिए, ये आपके डॉग की लाइफ़स्टाइल पर डिपेंड करता है। जंगली कुत्तों के मुक़ाबले घर में रहने वाले डॉग को वर्म्स होने का खतरा कम रहता है और आपको उसे कितनी बार डिवर्म किया जाना चाहिए, ये भी आपके वेटेरिनरीयन आपको सलाह देंगे। एक कम रिस्क वाले डॉग को साल में केवल दो या तीन बार ही राउंड वर्मिंग ट्रीटमेंट लेने की जरूरत होगी, जबकि हाइ रिस्क वाले डॉग को हर महीने इस ट्रीटमेंट को लेना होगा।
- साथ ही हार्टवर्म (heartworm) जैसे खतरों के बारे में विचार करें।
- साथ ही एक फ़्ली प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट्स (flea preventative treatments) यूज करने के बारे में सोचें और साथ ही अगर आपके एरिया में टिक हैं, तो एक ऐसे प्रॉडक्ट का यूज करें, जो टिक को खत्म कर सके।
अपने डॉग की डीसेक्सिंग (desexing) के बारे में सोचें: ये कुछ खास हैल्थ डिसऑर्डर, जैसे कि फ़ीमेल में स्तन कैंसर (अगर सेकंड सीजन के पहले न्यूटरिंग परफ़ोर्म की जाए) और पायोमेट्र (pyometra, गर्भाशय में पस) और मेल में अग्रेसन और प्रोस्टेटिक बीमारी के रिस्क को कम करता है। साथ ही इससे काफी दूसरे अच्छे काम भी होते हैं, जैसे कि ये एक्सीडेंटल ब्रीडिंग और पैट की ओवरपॉपुलेशन की समस्या को भी खत्म कर देता है।[७]
- इस बात को समझें कि डिसेक्स डॉग को कुछ हैल्थ प्रॉब्लम्स का रिस्क ज्यादा होता है। जैसे, आपके डिसेक्स डॉग को कुछ खास टाइप के कैंसर थाइरोइड की परेशानी का, साथ ही कार्डिएक परेशानियों को रिस्क ज्यादा हो जाता है। इसके बारे में बहुत सावधानी के साथ विचार करें.
पैट हैल्थ इंश्योरेंस कराएं: अगर आपको वेटेरिनरी ट्रीटमेंट के ऊपर होने वाले खर्च को संभालने में मुश्किल हो रही है, तो एक पैट इंश्योरेंस पॉलिसी ले लें। मंथली प्रीमियम के बदले में, अगर पैट कभी बीमार हो जाता है, तो इंश्योरेंस कंपनी एक सीमा तक शामिल खर्च की ज़िम्मेदारी उठाएगी। पॉलिसी का असली नेचर और उसमें कवर होने वाली अमाउंट की सीमा अलग हो सकती है।
- थोड़ा सोच-विचार करें। डिसाइड करें कि आप प्रीमियम के लिए हर महीने कितना खर्च तक कर सकते हैं और अलग-अलग कंपनी के बारे में जानकारी इकट्ठी करके पता करें कि वो कितने अमाउंट को कवर करती हैं।
अपने डॉग को ग्रूम करना (Grooming a Dog)
अपने डॉग को ब्रश करें: ब्रशिंग की फ्रीक्वेन्सी काफी हद तक अलग होगी, जो इस बात पर डिपेंड करेगी कि आपके पास में कौन सा डॉग है और वो कितना शेड करता (यानि उसके कितने बाल झड़ते हैं) है। डॉग को रेगुलरली ब्रश करना, उसके बालों का झड़ना कम करने में मदद करेगा और आपको भी आपके डॉग की बॉडी को देखकर उसकी स्थिति का जायजा लेने का मौका भी मिल जाएगा। आपका मकसद है कि आपको आपके डॉग के कोट को अच्छी कंडीशन में और गांठ से मुक्त रखना है। इसलिए आपको नॉट्स को हटाने और उलझन को सुलझाने के लिए कंघी और ब्रश के कोंबिनेशन का यूज करने की जरूरत पड़ेगी।
- अगर आपके डॉग के बाल बहुत ज्यादा झड़ते हैं, तो पैट स्टोर्स और सुपरमार्केट में इनके बालों का झड़ना रोकने वाले शैम्पू मिलते हैं। बाल झड़ने वाले डॉग को तब तक हफ्ते में एक बार नहलाएँ, जब तक कि उसके बालों का गिरना कम नहीं हो जाता।
अपने डॉग के कोट को साफ रखें: गंदे कोट्स की वजह से सेकंडरी स्किन इन्फेक्शन हो सकता है, इसलिए अगर ये नेचुरली गंदे हो जाते हैं, तो अपने डॉग को माइल्ड डॉग शैम्पू से नहलाने के लिए तैयार रहें। ज़्यादातर डॉग्स को हर महीने में एक या ज्यादा बार नहाने की जरूरत होती है, लेकिन ये उसकी ब्रीड और एक्टिविटी के हिसाब से अलग भी हो सकता है।[८]
- इस बात को समझें कि आपके डॉग का कोट बढ़ेगा भी और उसे ड्रोग ग्रूमर से ट्रिम भी कराना होगा। अगर फर बहुत लंबे हो जाते हैं, तो ये डॉग को उँगलियों के बीच में इरिटेट कर सकते हैं या फिर उन्हें सही तरीके से देखने से रोक सकता है। इसके साथ ही, डॉग अपने साथ में कचरे और घास जैसी गंदगी भी जमा कर लेते हैं, जिसकी वजह से भी उसे डिस्कम्फ़र्ट हो सकता है।
अपने डॉग ने नाखूनों को ट्रिम करते रहें: आपके लिए अपने डॉग के नेल्स को ट्रिम करना शायद थोड़ा मुश्किल लग सकता है, लेकिन फिर भी उसके पंजों को हेल्दी रखने के लिए ऐसा करना जरूरी होता है। इसे धीमे से और स्थिर रूप से करके, नाखून के अंदर के उस हिस्से को कट लगने से रोकने की कोशिश करें, जो उसकी स्किन से जुड़ा है। जल्दी से काटने की वजह से आपका डॉग आगे जाकर उसके नाखूनों को ट्रिम करने से रोकने लग जाएगा।
- अपने डॉग के लिए नाखून काटने को अच्छी चीजों के साथ में जोड़ दें। ट्रिम करने के बाद अपने डॉग को एक ट्रीट दें या फिर उसे पार्क तक ले जाएँ। आप चाहे जो भी करें, लेकिन फिर भी अपने डॉग के नेल्स को काटना चाहे कितना भी मुश्किल क्यों न लगे, लेकिन आप रेगुलरली ऐसा करना न छोड़ें।
अपने डॉग को एक्सरसाइज कराना, सोशलाइज करना और उसके साथ खेलना (Exercising, Socializing, and Playing With Your Dog)
अपने डॉग को भरपूर एक्सरसाइज कराएं: आपके पास मौजूद डॉग को उसके लिए जरूरी सही मात्रा में एक्सरसाइज कराएं। एक छोटे डॉग के लिए बॉल पकड़ने या दौड़ने जैसे खेल सही रहेंगे, जबकि लेब्रेडोर जैसे बड़े डॉग के लिए एनर्जी बर्न करने के लिए दिन में दो बार कम से कम 30 से 45 मिनट की लंबी वॉक की जरूरत पड़ेगी। हो सकता है कि आपके पास में एक ऐसा डॉग हो, जिसे बहुत ज्यादा एक्सरसाइज कराने की जरूरत हो और जो कभी भी न थकता हो, जैसे कि टैरीज (terriers) अक्सर थके बिना सारा दिन दौड़ते रहने की क्षमता रखते हैं।[९]
- ऐसी कई सारी एक्सरसाइज हैं, जो एक्सेस एनर्जी को बर्न करने में मदद करती हैं, जिस पर अगर ध्यान न दिया जाए, तो ये व्यवहार संबंधी परेशानी खड़ी कर सकती है, जैसे कि चबाना, खुदाई करना या फिर बेकार ही भौंकना।
- अपने डॉग को वॉक कराने का ध्यान रखें। आपके डॉग को एक दिन में कम से कम दो बार थोड़ी वॉक या फिर एक बार ज्यादा वॉक कराने की जरूरत होती है। इन वॉक की लंबाई, आपके पास में मौजूद डॉग के टाइप के आधार पर बदल भी सकती है।
- कोई भी नहीं चाहता कि उसका डॉग भाग जाए। अगर आपके घर में बड़ा यार्ड है और आप आपके डॉग को वहाँ अकेले रहने देते हैं, तो अपने यार्ड में बाड़ी लगाने की पुष्टि कर लें, ताकि वो बाहर न भाग पाए। ध्यान रखें कि बाड़ी की ऊंचाई इतनी ज्यादा होना चाहिए, ताकि वो उस पर से कूदकर भागने न पाए।
रिवार्ड वाली ट्रेनिंग के साथ में अपने डॉग के मन को उलझाए रखें: ठीक इन्सानों की तरह ही, डॉग भी बोर होते हैं। डॉग को खुश रखने के लिए, उसे मेंटल स्टिमुलेशन की जरूरत पड़ती है। ये स्टिमुलेशन अनुशासन सिखाने की ट्रेनिंग की तरह भी हो सकती है। जरूरी है कि आप आपके डॉग को बैठना, रुकना और बुलाए जाने पर आप तक आना सिखाएँ।
- ज़्यादातर डॉग को ट्रेनिंग के दौरान मिलने वाली सीधी अटेन्शन बहुत पसंद होती है और ये सेशन आपके डॉग को आपके साथ में बॉन्ड बनाने में मदद करते हैं। अगर आप रिवार्ड-बेस्ड ट्रेनिंग यूज करते हैं, जिसमें सही बिहेवियर के लिए रिवार्ड दिया जाता है और किसी भी तरह की पनिशमेंट नहीं इस्तेमाल होती है, तो ट्रेनिंग से होने वाला अनुभव बेहद खुशनुमा होगा और आपके डॉग के लिए पॉज़िटिव भी होगा।[१०]
- आपके डॉग के ध्यान लगा पाने की सीमा के आधार पर, उसे दिन में दो बार करीब 10 से 20 मिनट के लिए ट्रेन करें। हमेशा हर एक सेशन को पॉज़िटिव नॉट पर ही खत्म करने की कोशिश करें।
- जब भी आपका डॉग किसी कमांड को पूरा करे, तब उसे एक रिवार्ड दें। आप चाहें तो छोटी ट्रीट्स (ध्यान में रखते हुए कि आपको आपके डॉग को ज्यादा भी फीड नहीं कराना है) दे सकते हैं, या आप जब आपका डॉग किसी काम को सही तरीके से करता है, तब उसे बस प्यार के साथ में शॉवर करा सकते हैं। रिवार्ड की चॉइस इस बात पर निर्भर करती है कि आपके डॉग को किस चीज से ज्यादा खुशी और मोटिवेशन मिलती है।
अपने डॉग को सोशलाइज करें: डॉग को अच्छे से बढ़े एडल्ट की तरह बनने के लिए अच्छी तरह से सोशलाइज किए जाने की जरूरत होती है। बस अपने डॉग की उम्र के कुछ ही हफ्तों से उसे जितना हो सके, उतने अलग-अलग लोगों, नजरों, आवाजों और खुशबू से अवगत कराएं। उसे जो कुछ भी इन 18 हफ्तों के दौरान (जब सोशलाइज कराने का समय पूरा हो जाता है) दिखता है, उससे उस पर बहुत प्रभाव पड़ता है और साथ ही आगे जाकर उसे इससे डर लगना भी कम हो जाता है।
- अगर आपका डॉग आपको उसकी एडल्ट एज में ही मिला है, तो भी उसे अलग अनुभव के साथ में अवगत कराएं। कोशिश करें कि आपके डॉग को बहुत ज्यादा भी न सिखाएँ और उसे उतना न घबरा दें कि वो अनकम्फ़र्टेबल ही हो जाए। अपने डॉग को किसी डराने वाली चीज से अवगत कराने में काफी धैर्य की जरूरत पड़ती है, लेकिन उसे इतना दूरी से ही अवगत कराएं, ताकि आपका डॉग इससे घबरा न उठे। उसके शांत बिहेवियर के लिए उसे रिवार्ड करें और समय के साथ, उस चीज को नजदीक लाते जाएँ, ऐसा करते हुए उसे रिवार्ड भी करते जाएँ, ताकि आपके डॉग का उस चीज के साथ में एक पॉज़िटिव एशोसिएशन हो जाए।
डॉग को खेलने दें और उस ब्रीड के लिए नॉर्मल बिहेवियर दर्शाने दें: जैसे, महक से खिंचने वाले डॉग, जैसे कि एक बैसेट (Bassets) और ब्लडहौंड्स (Bloodhounds) को सेंट को फॉलो करना पसंद होता है। अपने डॉग को उसके आसपास के माहौल की महक लेने का मौका देने का ध्यान रखें। आप चाहें तो इसे एक गेम में भी बदल सकते हैं, जिसमें आप कहीं पर खुशबू फैलाकर और आपके डॉग को उसे फॉलो करने दे सकते हैं।
अपने डॉग को रिस्पेक्ट और प्यार के साथ ट्रीट करना (Treating Your Dog With Respect and Love)
अपने डॉग को रजिस्टर करें और उसके कॉलर पर टैग्स लगाएँ: ये आपके डॉग के गलती से को जाने के मामले में उसे वापस आपके घर तक आने की पुष्टि करने में मदद करेगा। डॉग की ऑनरशिप के मामले में अलग-अलग एरिया के नियम अलग-अलग होते हैं। लोकल एनिल शेल्टर या वेटेरिनरीयन के पास में आपको आपके डॉग को रजिस्टर करने के लिए जरूरी सभी चीजों की लिस्ट मिल जाएगी और साथ ही आपके डॉग को हमेशा कॉलर पहनना और टैग लगाए रहने की जरूरत हो या नहीं की जानकारी भी मिल जाएगी। इस बात का ध्यान रखें कि कुछ शहरों में पिट बुल्स के जैसी “खतरनाक” और कुछ खास तरह के गार्डनिंग ब्रीड को पालने की भी अनुमति नहीं होती है.
अपने डॉग को सम्मान के साथ में ट्रीट करें: उसे कभी भी फिजिकल फोर्स से पनिश न करें या न ही डॉग को किसी दूसरे तरीके से नुकसान पहुंचाएँ। इसमें अपने डॉग को “साइको” या “किलर” के जैसे अजीब नाम देने की बजाय, उसे एक रिस्पेक्टफुल नेम देना शामिल है, जिससे वो कहीं अपने नाम की ही तरह काम करने की कोशिश न करने लग जाए।
- अगर डॉग ठीक से व्यवहार नहीं करता है, तो पहले हमेशा पता करें कि आखिर हुआ क्या और फिर खुद से सवाल करें कि आपके एक्शन या इनेक्शन किस तरह से उसके ऐसे बर्ताव के पीछे की वजह बने।
एक बार का ध्यान रखें कि आपके डॉग की भी कुछ जरूरतें हो सकती हैं, जिन्हें पूरा किया जाना जरूरी होगा: जैसे, आपके डॉग को शायद घर को या खुद को गंदा किए बिना रेगुलरली बाथरूम जाने का मौका दिया जाना चाहिए। डॉग को कई घंटों के लिए बिना ह्यूमन कांटैक्ट के या फिर उसे खुद को रिलीफ़ करने का मौका दिए बिना बंद रखना इंसानियत के खिलाफ होता है।
सुनिश्चित करें कि आपके डॉग के पास में सोने के लिए कम्फ़र्टेबल जगह है और उसे बहुत ज्यादा टेम्परेचर पर नहीं छोड़ा जा रहा है: डॉग को गरम या ठंडे मौसम में दिनभर के लिए, बिना किसी प्रोटेक्शन के घर के बाहर छोड़ना, उसे नुकसान पहुंचा सकता या मार भी सकता है। अच्छा होगा कि आप ऐसे मौसम में आपके डॉग को अंदर ही रखें, लेकिन अगर आप नहीं कर सकते हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप आपके डॉग को अच्छा डॉग हाउस और भरपूर पानी का एक्सेस प्रदान कर रहे हैं.
अपने डॉग के साथ में म्युच्युअल लव और रिस्पेक्ट के साथ एक बॉन्ड बनाएँ: अगर आप आपके डॉग को सही तरीके से ट्रीट करेंगे, तो वो आपको हमेशा प्यार करेगा। अपने डॉग के साथ में टाइम स्पेंड करें, उसकी पर्सनेलिटी को और उसे किस चीज में खुशी मिलती है, जानने की कोशिश करें। आप आपके डॉग के साथ में जितना समय बिताएँगे, आपकी लाइफ भी उसके साथ में उतनी ही मजेदार बन जाएगी।
- आप चाहे कुछ भी करें, अपने डॉग कोकभी भी मारें या और किसी तरह से अब्यूस न करें। डॉग को कुछ करने के बाद उस पर चिल्लाना, उसके लिए सबसे बेकार पनिशमेंट होती है। ये भूल जाते हैं और इन्हें समझ भी नहीं आता कि उन पर आखिर किस वजह से चिल्लाया गया था।
सलाह
- डॉग के लिए सही खाने के बारे में जानकारी पाने के लिए हमेशा FDA की वैबसाइट चेक करते रहा करें।
- अगर आपका डॉग कभी बेहद अग्रेसिव हो जाता है, तो उस तक आराम से और बहुत सावधानी के साथ जाएँ। अपने डॉग को पीछे से अप्रोच न करें, क्योंकि डॉग इसे शायद अग्रेसन के संकेत की तरह समझ लेता है और आपको काट सकता है।
- अगर आपका डॉग हमेशा से धीरे मूव कर रहा है, तो आपको आपके वेटेरिनरीयन को कॉल कर लेना चाहिए। हो सकता है कि उसे चोट लगी हो या वो बीमार हो।
- अपने डॉग के लिए एक अच्छा लीडर बनने के लिए, आपको खेलने की बाउंड्री सेट करना चाहिए। जब भी आप खींचातानी का कोई गेम खेलें, तब आपको ही खेल को रोकना चाहिए, ताकि उसे पता चले कि नियम किस के चलेंगे।
- कुछ डॉग लोगों से जरा डर के रहते हैं या नेचुरली अलर्ट होते हैं, इसलिए आपको शायद एक हार्नेस या मजल की जरूरत भी हो सकती है। अगर आप रेगुलर मजल नहीं यूज करना चाहते हैं, तो इसके दूसरे ऑप्शन भी मौजूद हैं।
चेतावनी
- अपने डॉग के बिहेवियर के ऊपर ध्यान दें। डॉग अक्सर आपको संकेत देते हैं कि कुछ ठीक नहीं है। अगर आपको आपके डॉग के बिहेवियर में या एक्शन में कोई चेंज नजर आता है, तो ये चिंता की बात है, अपने डॉग को वेटेरिनरीयन के पास चेक कराने ले जाएँ।
- डॉग को कभी भी मारें नहीं! ये निर्दयी कृत्य होता है और इससे आपका डॉग आप से घबरा जाएगा। बल्कि, ट्रीट्स को पीछे खींचकर अपनी असहमति को स्पष्ट करने की जरूरत होगी। बल्कि, अच्छे बिहेवियर को प्रमोट करने के लिए पॉज़िटिव रीएंफोर्समेंट यूज करें।
चीजें जिनकी आपको आवश्यकता होगी
- डॉग
- डॉग बेड या ब्लैंकेट
- डॉग फूड
- पानी
- खाना और पानी के लिए बाउल
- वेटेरिनरीयन ट्रीटमेंट्स, जैसे कि वैक्सीनेशन
- डॉग ब्रश या कंघी
- डॉग शैम्पू
- डॉग ट्रेनिंग बुक या मैनुअल
- डॉग ट्रीट्स
- लीश और कॉलर
——Dr.Nirbhay Kumar Singh
Assistant Professor
Dept. of Veterinary Anatomy
Bihar Veterinary College
Patna