हाइड्रोपोनिक चारा : हरा चारा बनाने की नवीनतम विधि
DR. UDAY KUMAR,NIPER,HAZIPUR
भारत देश विश्व का सबसे ज्यादा पशुधन संख्या होनेवाले देश है, जहा 4.8% की दर से पशुधन बढ़ रहा है, और इन पशुधन को चारा की पूर्ति भी करना काफी जरूरी होता है। पशुधन क्षेत्र में हो रहे विकास के लिए पर्याप्त मात्रा मे और पौष्टिक आहार तथा चारे की नियमित आपूर्ति रखना काफी आवश्यक है। पशुधन को चारा की आपूर्ति का मुख्य और सबसे सस्ता स्त्रोत चारा फसलें है। पशुओं के संतुलित आहार में हरे चारे का विशेष महत्व होता है क्योंकि हरा चारा पशुओं के लिए पोषक तत्वों का एक किफायती स्त्रोत है। भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल विश्व के संपूर्ण भू-भाग का मात्र 2 प्रतिशत है जबकि यहॉं पशुओं की संख्या विश्व की संख्या का 15 प्रतिशत है। देश में पशुओं की संख्या अमूमन 450 मिलियन है जिसमें प्रतिवर्ष 10 लाख पशु के हिसाब से बढ़ोत्तरी हो रही है। हमारे देश में पशुओं के लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की हमेशा से ही कमी रही है क्योकिं हमारे देश में लगभग 4 % भूमि में ही चारा उत्पादन का कार्य किया जाता है। जबकि पशुधन की आबादी के हिसाब से 12 से 16 % क्षेत्रफल में चारा उगाने की आवश्यकता है।
इन दिनों पशुओं के लिए हरा चारा की व्यवस्था करना एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है क्योंकि चारे के लिए किसानों के पास कृषि भूमि घटती जा रही है. इन हालात में हाईड्रोपोनिक चारा एक अच्छे विकल्प के रूप में सामने आया है.
हाइड्रोपोनिक चारा : हरा चारा बनाने की आधुनिक विधि
देश में कृषि योग्य भूमि की उपलब्धता दिन प्रति दिन कम होती जा रही है। इस संदर्भ मे हाईड्रोपोनिक पद्धति से हरा चारा का उत्पादन एक अच्छा विकल्प उभरकर सामने आया है ।हाइड्रोपोनिक विधि द्वारा हरे चारे के लिए उपयुक्त अनाज जैसे मक्का, गेहूँ, जौ, बाजरा आदि के बीज की बोनी मिट्टी रहित प्लास्टिक के ट्रे में की जाती है. अंकुरित होने के लगभग 7-8 दिनों में ये हरे पौधों के रूप में बढ़ जाते है. इस दौरान इन्हें लगातार पर्याप्त पानी फुहारों के माध्यम से दिया जाता है. इन पौधों में पोष्टिक तत्वों की मात्रा अधिक होती है इसलिये ये सामान्य हरे चारे से अधिक बेहतर होते हैं. इस विधि से पानी की बचत होती है। साथ ही किसान कम मेहनत में पशुओं के लिए हरा चारे का उत्पादन कर सकता है।
इसके अन्तर्गत कम समय व लागत में बेहतर हरा चारा का उत्पादन किया जाता है। पशुओं के लिए हरा चारा संतुलित एवं पौष्टिक आहार है। अतएव किसानों के समक्ष चारे का प्रबंध करने का सिरदर्द होता है। देश में कुछ हिस्से ऐसे भी हैं जहां वर्षा बहुत कम होती है। ऐसी जगहों पर यह विधि काफी हद तक कारगर साबित हुई है। हरा चारा दूध में पोषकता बढ़ाने के लिए उपयोगी है।
क्या है हाईड्रोपोनिक विधिः
इस विधि में प्लास्टिक की एक ट्रे में जिनकी माप 10 फीट x 3 फीट x 3 इंच होती है। इसमें बाजरा या गेहूं के बीजों को पानी में भिगोकर लगभग 12 घंटे के लिए रख ली जाती है। जिनमें प्रत्येक ट्रे में 4 किलो सूखे बीज डाले जाते हैं। प्रारंभ में जमे बीजों पर लगातार पानी का छिड़काव करते हैं। इस लगतार प्रक्रिया के द्वारा 7 से 8 दिन के अंदर पशुओं को खिलाने योग्य हरा चारे की प्राप्ति होती है। ज्ञात हो कि इस प्रक्रिया के दौरान एक टाइमर एसेंबली का भी प्रयोग किया जाता है। सात दिनों के भीतर लगभग एक किलोग्राम बीज से 7 से 8 किग्रा चारा उत्पादित किया जाता है। एक ट्रे से लगभग दो गाय को खिलाने के लिए पर्याप्त चारा प्राप्त किया जा सकता है। इस प्रकार प्रति गाय के लिए 4 ट्रे से पर्याप्त मात्रा में चारा प्राप्त किया जा सकता है। अर्थात एक किसान यदि 10 गाय हैं तो उसे लगभग 40 ट्रे का प्रबंध करना होगा। मक्का द्वारा प्राप्त किये जाने वाले चारे के लिए एक किलोग्राम के लिए लगभग दो रुपए का खर्चा आता है।
हाइड्रोपोनिक्स तकनीक द्वारा चारा निर्माण
हाइड्रोपोनिक्स तकनीक द्वारा निर्मित हरा चारा अभाव की परिस्थितियों में कम लागत से उत्पादित एक अच्छा विकल्प है। मिट्टी के बिना केवल पानी का उपयोग करके ट्रे में अनाज उगाकर निर्मित चारे को हाइड्रोपोनिक्स चारा कहते हैं। यह चारा 9 दिनों में 20 से 30 सेमी तक बढ़ता है। इस चारे में प्रोटीन और पाचन योग्य ऊर्जा की अधिक मात्रा है।
- हाइड्रोपोनिक्स चारा उत्पादन के लिए बांस, बांस मैट, प्लास्टिक ट्रे, 50% क्षमता वाले शेडनेट,फाॅगर सिस्टम आदि की आवश्यकता है।
- इस सामग्री का उपयोग करके, 72 वर्ग फुट जगह में समायोजित हो ऐसे 25 फीट X 10 फीट X 10 फीट आकार की शेड का आवश्यकता है।
- चारा बनाने के लिए मक्का, गेहूँ, जौ का उपयोग किया जाता है.
- ये अनाज पानी में 10 से 12 घंटे तक भिगोकर रखा जाता है और फिर 24 घंटे के लिए छाया में एक बैग में रखते हैं ।
- इसके बाद एक प्लास्टिक की ट्रे में 1.5 से 2 किलो बीज फैलाते हैं.
- इस तरह से एक दुधारू पशु के लिए 10 ट्रे, इस हिसाब से ट्रे की संख्या निर्धारित की जानी चाहिए ।
- इन प्लास्टिक ट्रे को 7 से 8 दिनों के लिए एक हाइड्रोपोनिक चारा बनाने वाले घर में रखा जाना चाहिए।
- एक इंच के इलेक्ट्रिकल मोटर के साथ एक लेटरल जोड़कर, फाॅगर द्वारा प्रति दो घंटे 5 मिनट के प्रमाण में दिन में 7 से 8 बार पानी दिया जाना चाहिए। प्रति दिन 200 लीटर पानी की आवश्यकता होती है।
- चारा 7 से 8 दिनों के भीतर बढ़ता है। आम तौर पर, 1 किग्रा मक्का से 10 किग्रा हरा चारा तैयार किया जाता है।
हाइड्रोपोनिक चारे के लाभ:
- चारा अभाव की स्थिति में हरा चारा बनाने का अच्छा विकल्प।
- कम जगह, कम पानी, कम समय और कम लागत में पौष्टिक चारे का निर्माण।
- पशु 90% चारे को पचा सकते हैं ।
- चारे के लागत में 40% कमी
- जानवरों की प्रतिरोधक शक्ति में वृद्धि।
- दूध की वसा सामग्री में वृद्धि, दूध का उत्पादन कम से कम 0.5 लीटर तक बढ़ जाता है।
- जानवरों की प्रजनन क्षमता सक्रिय हो जाती है।
- जानवरों के शरीर में प्रोटीन, खनिज, विटामिन की उपलब्धता बढ़ जाती है।