पशुपालन का महत्व
पशु-पालन एवं इसका वर्गीकरण Animal Husbandry and their classification
भारत में पशुपालन का अत्यधिक महत्व है। भारत के किसान खेती करने के साथ-साथ है पशु पालन भी करते हैं जिससे किसानों की आय में वृद्धि होती है।
पशुपालन कृषि विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत पालतू पशुओं के विभिन्न पक्षों जैसे भोजन, स्वास्थ्य पर जनरल आश्रय आदि का अध्ययन किया जाता है पशु पालन कहलाता है।
पशुओं का वर्गीकरण
उपयोगिता की दृष्टिकोण से फार्म में विविध प्रकार के पशु पाले जाते हैं। इन पशुओं को निम्नलिखित वर्गों में बांटा गया है –
(1) दुधारू पशु – इन पशुओं को फार्म में दूध देने के उद्देश्य से पाला जाता है। इन पशुओं से हमें दूध प्राप्त होता है। दूध का उपयोग आजकल अत्यधिक मात्रा में होता है। जैसे – गाय, भैंस एवं बकरी
(2) मांस के लिए उपयुक्त पशु – इन पशुओं को फार्म में मांस प्राप्त करने के उद्देश्य से पाला जाता है। इन पशुओं के द्वारा हमें मांस प्राप्त होता है। आजकल बाजार में मांस की अत्यधिक मांग है। इसलिए इन पशुओं को पालने से अच्छी आय प्राप्त हो जाती है। जैसे – बकरी, भेड़, भैंस, मुर्गी आदि।
(3) चर्म एवं फर वाले पशु – इन पशुओं को खाल, हड्डी, सींग आदि प्राप्त करने के उद्देश्य से पाला जाता है। इन पशुओं से हमें खाल, हड्डी, सींग आदि प्राप्त हो जाते हैं।
आजकल बाजार में विभिन्न प्रकार के सामान जानवरों की हड्डी, खाल, सींग के द्वारा बनाए जाते हैं।
इसलिए बाजारों में खाल, हड्डी, सींग की अत्यधिक मांग रहती है। इससे पशु पालक को अच्छी आय प्राप्त हो जाती है। जैसे – भेड़, बकरी, गाय, भैंस आदि।
(4) अंडों के लिए उपयोगी पशु – इन पशुओं को फार्म में अंडा प्राप्त करने के उद्देश्य से पाला जाता है। आजकल बाजार में अंडों की अत्यधिक मात्रा में मांग है। इसलिए इन पशुओं को फार्म में पालने से अच्छी मात्रा में अंडे प्राप्त हो जाते हैं जो बाजारों में महंगे बिककर पशु पालक की आय में वृद्धि करते हैं। जैसे – मुर्गी, बत्तख
(5) बोझा ढोने वाले पशु – इन पशुओं को बोझा ढोने के उद्देश्य से पाला जाता है। यदि किसी का सामान एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना होता है तो इन पशुओं की पीठ पर लादकर उस सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेज दिया जाता है। ये पशु काफी मददगार होते हैं। जैसे – बैल, भैंसा, ऊंट, गधा आदि
(6) यातायात के लिए उपयुक्त पशु – इन पशुओं को फार्म में यातायात करने के उद्देश्य से पाला जाता है। इन पशुओं के द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से जाया जा सकता है। ये पशु व्यक्ति को एक स्थान से दूसरे स्थान पर बहुत ही कम समय में पहुंचा देते हैं। जिससे व्यक्ति की समय की बचत होती है। जैसे – घोड़ा, ऊंट आदि।
पशुपालन से लाभ
कृषि एवं पशुपालन दोनों व्यवसाय एक दूसरे के पूरक हैं। अतः फार्म पर पशुओं को पालना सुविधाजनक एवं आर्थिक दृष्टि से लाभदायक भी होता है। फार्म पर पशुओं को पालने से निम्नलिखित लाभ होते हैं –
(1) खेतों में उगने वाले खरपतवार पशुओं के द्वारा हरे चारे के रूप में प्रयोग कर लिए जाते हैं।
(2) फार्म में पशुओं के लिए ताजा चारा वर्ष भर उपलब्ध रहता है।
(3) फार्म में पशु अन्य पशुओं से अलग पाले जाते हैं। अतः संक्रमण का खतरा नहीं रहता है।
(4) पशु पालन से मिश्रित खेती को प्रोत्साहन मिलता है।
(5) पशुओं के मल मूत्र को गढ्ढे में डालकर सडा दिया जाता है जिससे उत्तम किस्म की जैविक खाद प्राप्त होती है। जिसको खेती में प्रयोग करके अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है।
(6) पशु पालन के द्वारा हुए नियमित लाभ से कृषि कार्य सुगमता से चलता है।
(7) भोजन के रूप में पशुओं के मांस एवं विभिन्न उत्पादों को प्रयोग किया जा सकता है।
(8) बोझा ढोने एवं कृषि कार्य करने के लिए पशु वर्षभर उपलब्ध रहते हैं।
(9) पशु पालन के द्वारा हमें ताजा दूध प्राप्त होता है।
(10) पशु पालन से ग्रामीण क्षेत्रों के अनेक लोगों को रोजगार प्राप्त होता है।
(11) मुर्गी एवं वतख से काफी मात्रा में अंडे प्राप्त किए जा सकते हैं जिनको बाजार में बेचकर से अच्छी आय प्राप्त हो जाती है।
(12) भार ढोने वाले पशुओं से कृषि कार्य जैसे – हल द्वारा जुताई आदि कार्य करवाए जा सकते हैं जिससे पूंजी की बचत होती है।
(13) पशुपालन से किसानों की आय में वृद्धि होती है।
पशु-पालन से मिलते जुलते कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुओं के होने वाले तीन महत्व लिखिए?
उत्तर – भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुओं के होने वाले महत्व निम्नलिखित हैं –
- पशु भूसा-घास जैसे निम्न कोटि के चारे खाकर मनुष्य जाति के लिए आवश्यक पदार्थ जैसे –दूध, घी, दही, मक्खन, उनतथा मांस जैसे आदि प्रदान करते हैं। जो मानव जाति के लिए अति आवश्यक है।
- प्रत्येक किसान के पास थोड़ी सी भूमि अवश्य होती है। जिसकी बुवाई करने के लिए बैलों का उपयोग किया जाता है। अतः कृषि कार्यों में भी पशुओं का महत्वपूर्ण योगदान है।
- पशुओं से हमें दूध, घी, मांस, हड्डी, ऊन, खाल आदि बहुमूल्य पदार्थ प्राप्त होते हैं। जिनका व्यापार करके हम अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं।
- किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में पशुओं का महत्वपूर्ण योगदान होता है। क्योंकि पशु उस देश की आन-वान और शान होती है।
- पशुओं से हमें मांस, हड्डी, ऊन, खाल आदि बहुमूल्य पदार्थ प्राप्त होते हैं। जिनका व्यापार हम विदेशों में करके विदेशी मुद्रा प्राप्त कर सकते हैं। जो हमारे देश की अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत लाभदायक है।
प्रश्न 2. पशुपालन से होने वाली हानियां लिखिए?
उत्तर – पशुपालन से होने वाली हानियां निम्नलिखित हैं –
- पशुओं में अत्यंत हानिकारक संक्रामक बीमारियां होती हैं। जिसके कारण फार्म पर एक पशु के बीमार होने से फार्म के सभी पशुओं में संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है।
- जो व्यक्ति पशु-पालन करते हैं उन व्यक्तियों को पशुओं की देखभाल करने के लिए सुबह-शाम अधिक समय देना पड़ता है। जिससे वह व्यक्ति सुबह-शाम के समय कहीं पर अभी आ-जा नहीं सकता है।
- पशुओं में बाहरी परजीवी जैसे – जू, किलनी व कुटकी अधिक लगते हैं। पशुओं को इन परजीवियों से बचाने के लिए डॉक्टर से सलाह लेनी पड़ती है। जिससे किसान को खर्चा अधिक आ जाता है।
- गांव के किसान खेती करने के साथ-साथ है पशु-पालन भी करते हैं। पशुओं में अत्यंत हानिकारक बीमारियां होती हैं जिसका किसान को ज्ञात भी नहीं हो पाता है, क्योंकि किसान अशिक्षित होते हैं। जिससे पशुओं की थोड़ी ही समय में मौत हो जाती है और किसान को पता भी नहीं चल पाता है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में वैटेनरी डॉक्टरों के अभाव के कारण यदि कोई पशु बीमार होता है तो उसका समय पर इलाज नहीं हो पाता है जिससे पशु की मौत हो जाती है।
- ग्रामीण किसानों के पास पर्याप्त जगह नहीं होती है। जिसकी वजह से किसानों के पास उचित पशु-फार्म नहीं हो पाते हैं। जिसके कारण किसान पशुओं को कहीं पर भी बांध देते हैं। जिससे पशु घुटन सी महसूस करते हैं।
- ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के पास उचित चारागाह उपलब्ध नहीं होते हैं। जिसके कारण पशुओं को हरा चारा नहीं मिल पाता है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के पास उचित फार्म एवं उचित चारागाह उपलब्ध न होने के कारण किसान सुबह के समय पशुओं का दूध निकालकर पशुओं को फार्म या बाडे से बाहर चरने के लिए ऐसे ही निकाल देते हैं। जिससे कभी-कभी पशु गुम हो जाते हैं। जिसके कारण पशुपालकों को पशुओं को ढूंढने में अत्यंत परेशानियों का सामना करना पड़ता है और कभी-कभी तो पशु मिलते भी नहीं है।
- ग्रामीण पशु-पालकों के पास अच्छी नस्ल के पशु उपलब्ध नहीं होते हैं। जिससे पशुपालकों को पशुओं की देखभाल करने में मेहनत उतनी ही लगती है, लेकिन दूध कम प्राप्त होता है।
- पशुपालकों के पास पशुओं को खिलाने के लिए अच्छा हरा चारा उपलब्ध नहीं होता है। जिससे पशु अत्यंत कमजोर होते हैं। जिसके कारण पशु बहुत जल्द बीमार होते हैं और पशु कमजोर होने के कारण उस रोग को सहन नहीं कर पाता है। यदि पशु का सही समय पर इलाज नहीं हो पाता है, तो पशु जल्दी मर जाता है।
प्रश्न 3. पशुओं को जिस जगह पर बांधा जाता है उस जगह को क्या कहते हैं?
उत्तर – पशुओं को जिस जगह पर बांधा जाता है उस जगह को पशु फार्म या बाडा या डेरी फार्म कहते हैं।
प्रश्न 4. भारत में पशुओं की दशा के दो कारण लिखिए?
उत्तर – भारत में पशुओं की दशा के कारण निम्नलिखित हैं –
- वैटेनरी डॉक्टरों के अभाव के कारण पशुओं का सही समय पर इलाज नहीं हो पाता है। जिसके कारण पशु मर जाते हैं।
- पशुपालकों के पास उचित चारागाह उपलब्ध नहीं है। पशुओं को हरा चारा नहीं मिल पाता है। जिसके कारण पशु अत्यंत कमजोर होते हैं।
- भारतीय पशुपालकों के पास अच्छी व्यवस्था वाले पशु फार्म उपलब्ध नहीं है।
- भारत के पशु-पालक अत्यंत अशिक्षित होते हैं। जिसके कारण उन्हें पशुओं की बीमारियां तथा देखभाल करने का कोई भी ज्ञान नहीं होता है। जिसके कारण पशुओं की दशा अधिक हो रही है।
- भारतीय पशुपालक पशु-पालन तो करते हैं लेकिन उनकी देखरेख अच्छे से नहीं करते हैं। जिसके कारण पशु बीमार अधिक रहता है।
प्रश्न 5. पशुपालन का महत्व लिखिए?
उत्तर – भारतीय किसान खेती करने के साथ-साथ पशुपालन भी करते हैं। भारतीय किसान खेती करने के साथ-साथ 2 – 3 पशुओं को तो पालता ही पालता है। भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुओं का महत्वपूर्ण योगदान है। पशुओं से हमें अत्यंत बहुमूल्य पदार्थ जैसे – दूध, घी, मांस, खाल, हड्डी, दही आदि प्राप्त होते हैं। जिनका उपयोग मानव जीवन में अत्यंत आवश्यक है।
पशुओं से प्राप्त पदार्थ का व्यापार करके हमें नगदी आय प्राप्त होती है। इस आय का उपयोग हम अपने जीवन में आवश्यकता पड़ने पर कहीं पर भी कर सकते हैं। कृषि कार्यों में बोझा ढोने, कृषि यंत्रों को खींचने, जुताई करने आदि कार्यों में पशुओं का अधिक महत्व है।
पशुओं से हमें गोबर की खाद प्राप्त होती है जिसका उपयोग करके हम भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ा सकते हैं। भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ने के कारण हमें उपज भी अच्छी प्राप्त होती है। इसके साथ ही पशुओं के गोबर से गोबर गैस, तथा ईंधन को जलाने के लिए गोबर के कंडे ( उपले ) आदि प्राप्त होते हैं।
पशु-पालन के द्वारा ( दुग्ध व्यवसाय ) के रूप में अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है। इससे बहुत से लोगों को रोजगार प्राप्त हो जाता है।
इसलिए पशुओं का मानव जीवन में अत्यधिक महत्व है। इसके अलावा पशुओं का कृषि के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण स्थान है।
———-डॉ जितेंद्र सिंह ,पशु चिकित्सा अधिकारी, कानपुर देहात ,उत्तर प्रदेश