दुधारू मवेशियों से अधिक दूध उत्पादन मे संतुलित आहार की महत्ता
डॉ जितेंद्र सिंह ,पशु चिकित्सा अधिकारी, कानपुर देहात ,उत्तर प्रदेश
आम तौर पर पशुओ को दिए जाने वाले चारे तथा आहार की मात्रा उनकी आवश्यकताओं से कम या अधिक होती है तथा उनके आहार में प्रोटीन, ऊर्जा या खनिज का असंतुलन हो जाता है। बहुत कम किसान अपने पशुओ को रोजाना खनिज मिश्रण ओर नमक खिलते है , जो खिलते भी है वो २५ से ५० ग्राम हि देते है। असंतुलित आहार से पशु दूध कम देता है , उत्पादन काम होता है तथा पशु के स्वास्थ्य ओर प्रजनन क्षमता पर भी असर होती है। इसलिए , किसानो को दुधारू पशुओ के आहार संतुलन पर ध्यान देना जरुरी है।
संतुलित आहार उस भोजन सामग्री को कहते है जो किसी भी पशु को २४ घंटे के लिए निर्धारित पोषक तत्वों की आवश्यकताओ की पूर्ति करता है। पशुओ के जीवन निर्वाह , शारीरिक वृद्धि उत्पादन एवं प्रजनन हेतु संतुलित आहार की आवश्यकता होती है , इसलिए पशुओ की आहार व्यवस्था उचित ढंग से की जानी चाहिए ताकि पशु शरीर को सभी आवश्यक पोषक तत्व उचित मात्रा में मिल सके।
पशु आहार कैसा हो?
पशु आहार के मुख्यतय दो घटक होते है
१) चारा
दुधारू पशुओ में रूमेण के सुचारु रूप से काम करने एवं दूध में सामान्य वसा प्रतिशत बनाये रखने में चारे का विशेष महत्व होता है। इसलिए अधिक दूध उत्पादन की लिए चारा अधिक मात्रा में खिलाना चाहिए। हरे चारे से पोषक तत्व पशुओ को आसानी से मिल जाते है। हरे चारे में विटामिन की मात्रा भी अधिक होती है और पशु भी इसे चाव से कहते है। चारा दो प्रकार के होते है:
सूखा चारा : इसमें जल की मात्रा १५ प्रतीशत से कम रहती है। सुखी घास, कृषि फसल, मक्का या ज्वार की कड़वी , अरहर की भूसी अादि। सूखे चारे में हरे चारे में हरे चारे की अपेक्षा कम पोषक तत्व होते है।
हरा चारा : दुधारू पशुओ के अच्छे स्वास्थय एवं अधिक दूध उत्पादन के लिए हरा चारा बहुत आवश्यक है। हरा चारा पौष्टिक तत्वों से भरपूर , स्वादिष्ट , पाचक एवं महंगे दानो की अपेक्षा सस्ता होता है ओर ऐसे अनाज उत्पादन के लिए अनुपयोगी जमीं में आसानीसे उगाया जा सकता है। हरा चारा में जल की मात्रा १५
प्रतिशत से लेकर ८० प्रतिशत तक हो सकती है। इससे उचित मात्रा में विटामिन मिलता है। सभी दलहनी एवं गैर दलहनी चारा , घास , पेड़ के पत्ते आदि इसके अंतर्गत एते है। सोयाबीन , लोबिया, बरसीम, रिजका , ग्वार आदि दलहनी फैसले है। अधिक रसीले चारे के साथ थोड़ा सूखा चारा मिलकर ही पशुओ को खिलाना चाहिए , अन्यथा पशुओमे अधिक गैस बनने से अफरा हो जाता है जो घातक हो सकता है।
- दाना मिश्रण
दाना मिश्रण में दो या दो से अधिक भोज्य पदार्थ होते हैं और पोषक तत्व भी चारे की अपेक्षा अधिक होते हैं। इसमें रेशा की मात्रा 18 प्रतिशत से कम एवं विभिन्न आसानी से पचने योग्य पोषक तत्व भरपूर होते हैं। मक्का, गेहूं, जौ, जई ज्वार, बाजरा आदि अनाज ऊर्जा के स्रोत हैं और मूंगफली, सोयबीन, बिनौला, सरसों, अलसी आदि की खली प्रोटीन के स्रोत हैं। दाना मिश्रण में जितने अधिक प्रकार के भोज्य पदार्थ होंगे, वह उतना ही अधिक संतुलित होगा।।
दाना मिश्रण कैसे बनाएं ?
दाना मिश्रण में 18-20 प्रतिशत प्रोटीन तथा। 70-75 प्रतिशत कुल पाचन योग्य पदार्थ होने चाहिए।
सामान्य रूप से दाना मिश्रण बनाने के लिए एक तिहाई अनाज, जैसे गेहूं, मक्का, जौ, बाजरा, ज्वार लें, एक तिहाई गेहूं की चोकर, चावल की भूसी, चने की भूसी व अन्य चूनी । लें व एक तिहाई खल जैसे – मूंगफली की, सरसों की सोयाबीन की अलसी की लें। इस मिश्रण में 2 प्रतिशत खनिज मिश्रण एवं 1 प्रतिशत नमक भी मिलायें। स्वाद बढ़ाने के लिए 5-10 प्रतिशत गुड या शीरा भी मिला सकते हैं। स्थानीय खाद्य स्रोतों को शामिल करने से पशु आहार की लागत काफी कम होगी और लाभ भी बढ़ेगा। स्थानीय स्रोत के चारे-दाने में पोषक तत्वों की अधिकता भी रहती है, विशेष रूप से विटामिन की।
संतुलित पशु दाना में क्या हो ?
प्रोटीन स्रोत- विभिन्न प्रकार की खली जैसे, मूंगफली की खली, बिनौले की खली, सोयाबीन की खली, सरसों की खली, सूर्यमछ । की खली, अलसी की खली, मछली का चूर्ण, मीट चूर्ण, ब्लड चूर्ण आदि। ।
ऊर्जा के स्रोत- मुख्यतया सभी अनाज जैसे गेहूँ, मक्का, बाजरा, जौ, जई, चावल की पॉलिश, ग्वार एवं शीरा आदि। फसलों के अन्य उत्पाद – गेहूँ की चोकर चने की चूरी, चने का छिलका, अरहर की चूरी एवं चावल की चूनी आदि।
खनिज मिश्रण – हर्बल पोषक तत्व, डाई कैल्शियम फॉस्फेट , कैलसाइट पाउडर, साधारण नमक, विटामिन-ए तथा डी-३। हमें कैल्शियम, फॉस्फोरस, तांबा, लोहा, जब आकि, कई महत्वपूर्ण खनिज प्राप्त होते हैं।
वृद्धि कारक आहार – प्रोबायोटिक, पलाशरसि एवं हार्मोन आदि।
खनिज लवण जरूर दे
पशुओं के शरीर में 3–5 प्रतिशत खनिज पदार्थ पाए जाते हैं, जो हड्डियों को मजबूत करने, तंतुओं का विकास करने, पाचन शक्ति बढ़ाने, खून बनाने, दूध उत्पादन, प्रजनन एवं स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं। अब तक पशु आहार में 22 खनिज लवणों के महत्व की जानकारी प्राप्त हो चुकी है। कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, सल्फर, सोडियम, पोटेशियम, क्लोरीन, आयरन, तांबा, जिंक, मैंगनीज, कोबाल्ट, आयोडीन जैसे खनिज लवण पशुओं के लिए आवश्यक खनिज लवण होते हैं। आवश्यक खनिज लवण पशु शरीर में विभिन्न तरीके से कार्य करते हैं। कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम हड्डी तथा दांतों के
हरा चारा बढ़ाये दूध उत्पादन निर्माण में सहायक होते हैं। कैल्शियम एवं फॉस्फोरस की कमी से बच्चो में रिकेट्स एवं व्यस्को में ओस्टोमेलेसिया नाम की बीमारी हो जाती है। दुधारू पशुओ में ब्याने के बाद कैल्शियम की कमी से मिल्क फीवर हो जाता है। इस दधारू पशुओं को पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम , चाहिए । चोकर, खली, संक्रमण रहित हड्डी का च डाइकैल्शियम फास्फेट इत्यादि कैल्शियम एवं फॉस्फोरस । प्रमुख श्रोत हैं। पशु आहार में कैल्शियम एवं फॉस्फोरस का अनुपात 2:1 होना चाहिए। कैल्शियम एवं फॉस्फोरस की कमी से पशुओं की प्रजनन क्षमता कम हो जाती है एवं मादा बांझपन का शिकार हो जाती है। फॉस्फोरस की कमी के कारण पशुओं में आम हो जाती है जिसे पाइका कहते हैं। पाइका से ग्री पशु असामान्य पदार्थ जैसे चमड़ा, पत्थर, कूड़ा-करकट,पड़ा आदि न खाने वाली चीजों को खाने लगता है। रोगी पशु हड्डी चबाने में बहुत रुचि लेता है. यदि हड्डी संक्रमित होती है तो पशुओ विशेक्ता होने से मृत्यु हो सकती है।
दुधारू गाय का ओसत भर लगभग ३५०किलोग्राम से ४५० किलोग्राम ओर भैंस का ोुसत भर लगभग ५०० किलोग्राम होता है। गया के दूध में ३. – ५. प्रतिशत व् भैंस में ६-७ प्रतिशत वासा होती है। दूध देने वाली पशुओ को कुल आहार उसके शरीर की दैनिक आवश्यकताओ की पूर्ति गर्भकाल , दूध उत्पादन, वसा प्रतिशत के आधार पर देते है।
गायों की दैनिक आहार आवश्यकता (किग्रा., प्रति दिन)
पशु वर्ग | सूखा चारा | हरा चारा | दाना मिश्रण |
5.0 लीटर तक दूध देने वाली | 4-6 | 25-30 | 1.5-2.0 |
60 से 10.0 लीटर दूध देने वाली | 4-6 | 25-30 | 3.0-4.0 |
11.0 से 15.0 लीटर दूध देने वाली | 4-6 | 30-35 | 5.0-6.0 |
16.0 से 20.0 लीटर दूध देने वाली | 4-6 | 40-45 | 6.0-8.0 |
भैसों की दैनिक आहार आवश्यकता (किग्रा. प्रति दिन)
पशु वर्ग | सूखा चारा | हरा चारा | दाना मिश्रण |
5.0 लीटर तक दूध देने वाली | 3.0-4.0 | 30-35 | 1.0-1.5 |
60 से 10.0 लीटर दूध देने वाली | 5.0-6.0 | 30-40 | 3.5-4.5 |
11.0 से 15.0 लीटर दूध देने वाली | 5.0-6.0 | 35-40 | 4.5-6.0 |
16.0 से 20.0 लीटर दूध देने वाली | 5.0-6.0 | 40-50 | 6.0-8.0 |
दूध देने वाली गाय व भैंस के आहार की गणना करने के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए जैस। उम्र, शरीर भार, ब्यांत संख्या, दैनिक दुग्ध उत्पादन, दूध में वसा की मात्रा, जलवायु तथा तापमान, उपलब्ध दाना, चारा, सूखा चारा की उपलब्धता एवं पौष्टिकता।
सामान्य पशुओं को उसके शारीरिक भार के 2-3 प्रतिशत के लगभग शुष्क पदार्थ देना चाहिए। भैस को शारीरिक भार के 2.5–3.0 प्रतिशत के बराबर शुष्क पदार्थ की आवश्यकता होती है। इस शुष्क पदार्थ का 2/3 भाग मोटा चारा या रफेज से तथा 1/3 भाग दाने से पूरा करना चाहिए। मोटा चारे में 2/3 भाग भूसा तथा 1/3 भाग हरा चारा दे सकते हैं। औसतन एक व्यस्क पशु (गाय/भैंस) को 4-6 किलोग्राम सूखा चारा एवं 1.0-2.0 किलोग्राम द ना का मिश्रण जीवन निर्वाह के लिए आवश्यक है।
1.0 किलोग्राम दाना मिश्रण प्रति 2.5 किलोग्राम दूध उत्पादन के लिए निर्वहन आवश्यकता के अतिरिक्त देना चाहिए। संकर नस्ल के गायों एवं भैंसों के लिए प्रति दो किलो दूध उत्पादन पर एक किलो दाने का मिश्रण खिलाना। चाहिए। गाय-भैंस को गर्भकाल के अंतिम तीन माह के दौरान 1-2 किलोग्राम अतिरिक्त दाना देना चाहिए। इससे नवजात बाछी स्वस्थ एवं गाय का दूध उत्पादन भी अधिक रहता है। अधिक दूध उत्पादन देने वाले पशुओं को हरे चारे के साथ-साथ दाना मिश्रण और अधिक बढ़ाना पड़ता है। पशुओं को यथासंभव पूरे वर्ष भर चारा मिलना चाहिए ताकि उनकी विटामिन ए की आवश्यकता पूरी होती रहे। साथ ही आहार में नमक व खनिज लवण भी देना आवश्यक होता है तथा स्वच्छ पानी भी लगातार देना चाहिए। इस प्रकार आहार देने पर ही उनसे पूरा उत्पादन मिल सकता है।
पशुओं के संतुलित आहार में ऋणात्मक और घनात्मक आहार का महत्त्व