अत्यधिक दूध उत्पादक पशुओं में बायपास वसा (Bypass Fat) का महत्व
डॉ. दिनेश ठाकुर
आमतौर पर, ताजे ब्यांत और अधिक दूध देने वाले पशुओं के आहार में उर्जा की कमी पाई जाती है। पशु के कम खाने एवं दूध उत्पादन बढने से इस उर्जा का अभाव और अधिक बढ़ जाता है। ऐसा देखा गया है, कि ब्यांत के बाद पशुओं में 80 से 100 किलो के आसपास शरीर का वजन कम होना आम बात है। ऐसे कमजोर पशु तब तक गर्मी में नहीं आ पाते हैं जब तक की वो अपना ब्यांत के बाद कम हुआ शारीरिक वजन पूरा या आंशिक रूप से वापस नहीं पा लेते। इस वजह से पशुओं में गाभिन होने में देरी होती है और दो ब्यांतों के बीच का अन्तराल लंबा हो जाता है। इसके अतिरिक्त, पशु इस अवधि के दौरान दूध भी कम देते हैं, तथा पूरे ब्यांतकाल का दुग्ध उत्पादन भी कम हो जाता है। ज्यादा दुग्ध उत्पादन होने पर, किसान अपने पशुओं को आमतौर पर तेल या घी पिलाते हैं। परंतु यह किफायती नहीं है, और रूमेन में रेशे की पाचाकता भी कम हो जाती है।
अधिक दूध देने वाले, गाभिन एवं नए ब्याए पशुओं को बायपास फैट (Bypass Fat) खिलाने से ऊर्जा की कमी को कम किया जा सकता है। और इससे दूध उत्पादन और प्रजनन क्षमता में सुधार लाने में मदद मिलती है। बायपास फैट का उपयोग दूध देने वाले पशुओं के आहार में प्रजनन से 10 दिन पहले और 90 दिनों बाद तक किया जा सकता है। यह दुधारू पशुओं के आहार में 15 से 20 ग्राम प्रति किलो दूध उत्पादन अथवा प्रतिदिन 100 से 150 ग्राम प्रति पशु के हिसाब से शामिल किया जा सकता है। बाईपास फैट खिलाने से फाइबर ( रेशा ) पाचन में बाधा नहीं होती और घी, तेल पिलाने के बजाय यह ज्यादा फायदेमंद होता है।
बायपास फैट (Bypass Fat) प्रतिदिन प्रयोग हेतु निर्देश
संकर गाय: 100-150 ग्राम
भैंस: 150-200 ग्राम
बायपास फैट (Bypass Fat) खिलाने से होने वाले लाभ
नये ब्याए एवं ग्याबिन पशु मै नकारात्मक उर्जा संतुलन से बचने के लये बायपास फैट (Bypass Fat) एक बेहतर संपूरक आहार है।
दूध उत्पादन बढाता है तथा उसे बनाये रखता है।
अधिक दूध देने पशुओं के पोषक तत्वों की जरूरतों को पूरा करता है।
इससे पशुओं की प्रजनन क्षमता भी बढती है, क्योंकि पशु इसे खाने से जल्दी सकारात्मक उर्जा की स्थिति में पहुँच जाता है, जिससे फोलिकल का आकार, अण्डाणु प्रजजन क्षमता तथा प्रोजेस्ट्रान स्तर भी सुंदरता है।
पशुओं की उत्पादकता एवं उत्पादक जीवन में वृद्धि होती है।
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