गोबर खाद से होने वाले लाभ

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IMPORTANCE OF COW -DUNG MANURES

गोबर खाद से होने वाले लाभ

खाद की परिभाषा और वर्गीकरण तथा गोबर की खाद क्या है 

 

साधारणतया पौधे अपने पोषक तत्वों का अधिकांश भाग जड़ों के द्वारा भूमि से ग्रहण करते हैं। भूमि के अंदर पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होते हैं। लेकिन जब हम भूमि में बार-बार लगातार फसलें उगाते हैं तो इन तत्वों की भूमि में कमी होती जाती है।

 

जिसके कारण फसलों की सामान्य वृद्धि नहीं हो पाती है जिसका असर फसलों की पैदावार पर पड़ता है। अतः भूमि में पौधों के इन पोषक तत्वों की कमी को पूरा कर उसकी उर्वरता तथा पौधों की सामान्य वृद्धि बनाए रखने के लिए हम भूमि में खाद मिलाते हैं।

खाद की परिभाषा ( definition of manures )

वे सभी पदार्थ जो भूमि में मिलाए जाने पर भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्धि करते हैं तथा पौधों की बढ़वार में सहायक होते हैं, खाद” कहलाते हैं।

खाद विभिन्न प्रकार से भूमि की उर्वरता बढ़ाने में सहायक होते हैं – 

 

  1. मृदा में जल धारण क्षमता में वृद्धि करके ( by increasing water holding capacity in the soil )

मृदा में खाद देने पर उसकी जल धारण क्षमता में वृद्धि होती है, जिसके फलस्वरूप पोषक तत्व फसलों के लिए आसानी से उपलब्ध होते रहते हैं। इसके लिए जैविक खादों का उपयोग लाभकारी रहता है। इसलिए जैविक खाद फसलों के लिए अत्यंत लाभदायक होती है।

  1. मृदा में पोषक-तत्वों की मात्रा में वृद्धि करके ( by increasing amount of nutrients in the soil )

मृदा में खाद देने पर पोषक तत्वों की मात्रा में वृद्धि होती है जो कि सभी फसलें उगाने के लिए आवश्यक होते हैं। साधारणत: नाइट्रोजन, फास्फोरिक एसिड एवं पोटाश की फसलों के लिए अधिक आवश्यकता होती है। अतः मृदा में खाद देने पर फसलों के लिए आवश्यक पोषक तत्व फसलों को प्राप्त हो जाते हैं।

 

 

  1. मृदा का कटाव ( मृदा अपरदन ) कम करके ( by reducing soil erosion )

मृदा में जीवांश खादों के प्रयोग से मिट्टी में स्थिरता आती है तथा मृदा का कटाव कम होता है। इस प्रकार मृदा के कटाव को रोककर मृदा की उर्वरता बढ़ाई जा सकती है। अतः मृदा में जीवांश खादों का प्रयोग करना चाहिए जिससे मृदा कटाव कम हो।

 

  1. मृदा की भौतिक दशा में सुधार करके ( by improving physical condition of the soil )

मृदा में खाद का प्रयोग करने पर उसकी भौतिक दशा में काफी सुधार होता है, जिसके कारण मृदा में उपलब्ध पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है जो फसलों की अच्छी उपज के लिए आवश्यक है। अतः मृदा की भौतिक दशा में सुधार करना चाहिए।

 

 

  1. मृदा में पर्याप्त जैविक पदार्थों का प्रयोग करके ( by using sufficient organic material in the soil )

मृदा में जैविक पदार्थों के प्रयोग करने से लाभकारी जीवाणु अपना कार्य सुचारू रूप से करते हैं और मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में सहयोग करते हैं। अतः मृदा में जैविक पदार्थों का प्रयोग करना चाहिए।

खादों का वर्गीकरण ( classification of manures )

 

(1) जैविक खाद ( Organic manures )


  1. भारी जैविक खाद ( Heavy O.M. )

गोबर की खाद ( F.Y.M. )
कम्पोस्ट ( Compost )
हरी खाद ( Green manure )
मल मूत्र की खाद ( Night soil )
सीवेज स्लज ( Sewage sludge )


  1. सान्द्रित जैविक खाद ( Concentrated O.M. )
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खलियाँ ( Cakes )
खून की खाद ( Blood meal )
मछली की खाद ( Fish manure )
मीट मील ( Meat meal)


(2)
रासायनिक खाद ( Inorganic Manures )

  1. नत्रजनधारी ( Nitrogenous )सोडियम नाइट्रेट
    कैल्शियम नाइट्रेट
    अमोनियम सल्फेट
    अमोनियम नाइट्रेट

    2. फॉस्फेटधारी ( Phosphatic )

    सुपर फॉस्फेट
    रॉक फॉस्फेट
    बेसिक स्लेग

    3. पोटाशधारी ( Potassic )

    केनाइट
    पोटैशियम सल्फेट
    पोटैशियम क्लोराइड

    4. जटिल उर्वरक ( Complex Fertilizers )

    नाइट्रो फॉस्फेट
    निसीफास
    N.P.K. मिश्रण

    5. मृदा सुधारक ( Soil amendments )

    जिप्सम
    चूना
    पायराइट

गोबर खाद क्या है ( Farm yard manure F.Y.M. )

 

यह खाद पशुशाला से प्राप्त होती है, जिसमें मुख्य रूप से तीन पदार्थ सम्मिलित रहते हैं –

  1. पशुओं का गोबर
    2. पशुओं का मूत्र
    3. पशुओं की बिछावनइन पदार्थों के अतिरिक्त पशुओं का छोड़ा हुआ चारा पशुशाला की झाड़न भी इसमें सम्मिलित होती हैं। अतः उपयुक्त पदार्थों से विधिपूर्वक तैयार की गईखाद गोबर की खादकहलाती है।

    यह अत्यंत महत्वपूर्ण खाद है, जिसमें प्राय: सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह किसानों के लिए बहुत ही उपयोगी खाद है, क्योंकि इसे आसानी से बनाया जा सकता है। क्योंकि सभी किसान फसल उत्पादन के साथ-साथ पशुपालन भी करते हैं।

हमारे देश के किसान इस खाद के महत्व से भलीभांति परिचित हैं, लेकिन फिर भी गोबर का अधिकांश भाग उपले (कंडा) बनाकर ईधन के रूप में जलाकर नष्ट कर देते हैं तथा गोबर को गड्ढों में ना डालकर खुले स्थानों में ढेर के रूप में डालते हैं।

जिसके कारण गोबर के अधिकांश तत्व नष्ट हो जाते हैं। देहातों में प्रायः पशुमूत्र को भी खाद बनाने के लिए एकत्रित नहीं करते हैं। इस खाद को बर्षा एवं धूप से बचाने की समुचित व्यवस्था भी नहीं की जाती है, जिससे बहुमूल्य पोषक तत्व पानी में घुलकर अथवा धूप के कारण उड़कर नष्ट हो जाते हैं।

गोबर की खाद से होने वाले लाभ (Advantages of F.Y.M.)

 

विभिन्न प्रकार की फसलों के लिए खेत में गोबर की खाद का प्रयोग करने से निम्नलिखित लाभ होते हैं –

  1. गोबरकी खाद का खेतों में प्रयोग करने से पौधों के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त हो जाते हैं, इसलिए इसे पूर्ण खाद भी कहा जाता है।2. खेतों में गोबर की खाद का प्रभाव 2 से 3 वर्ष तक बना रहता है।
  2. खेतों में गोबर कीखाद का प्रयोग करने से भूमि की जल धारण क्षमता में वृद्धि होती है।

    4. गोबर की खाद से भूमि में वायु का संचार अच्छा होता है।

    5. खेतों में गोबर की खाद का प्रयोग करने से भूमि का ताप ठीक बना रहता है।

  3. गोबर कीखादका प्रयोग करने से मृदा में स्थिरता बनी रहती है जिससे मृदा कटाव कम होता है।

    7. गोबर की खाद से भूमि की भौतिक, रासायनिक एवं जैविक दशा में सुधार होता है।

    8. गोबर की खाद से खेतों में लाभकारी जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि होती है।

    9. इसके प्रयोग से भारी किस्म की मृदाओं की संरचना में सुधार होता है।

    10. गोबर की खाद का प्रयोग करने से पौधों की जड़ों का विकास अच्छा होता है।

    11. भूमि की कार्बनिक पदार्थों की मात्रा में वृद्धि होती है।

    12. जीवाणुओं द्वारा भूमि में वायुमंडल की नाइट्रोजन का अधिक मात्रा में स्थरीकरण ( fixation ) होता है।

    13. फास्फोरस एवं पोटाश सरल यौगिक में आकर पौधों को सरलता से प्राप्त होने लगते हैं।

    14. गोबर खाद के प्रयोग से पौधों का संतुलित विकास होता है।

    15. गोबर की खाद सभी प्रकार की भूमियों में सभी फसलों के लिए प्रयोग की जा सकती है।

    16. गोबर की खाद का अधिक मात्रा में प्रयोग करने से फसलों को कोई नुकसान नहीं होता है।

    17. गोबर की खाद का प्रयोग करने से फसल उत्पादन में वृद्धि होती है। जिससे किसान की आय में भी वृद्धि होती है।

    18. गोबर खाद का प्रयोग करने से ऊसर भूमियों का भी सुधार होता है।

 

गोबर की खाद बनाने में प्रयुक्त पदार्थों का अपघटन 

हम केवल पशुमूत्र को ही एकत्रित करके सीधे खाद के रूप में खेत में प्रयोग कर सकते हैं, जबकि घास-फूस, बचा हुआ चारा एवं जानवरों की बिछाली आदि पदार्थों में पोषक तत्व अप्राप्त रूपों ( unavailable forms ) में पाए जाते हैं।

 

अतः इन पदार्थों को खेतों में प्रयोग करने से पहले गड्ढों में डालकर सडाना आवश्यक होता है। पदार्थों के इस सड़ने की क्रिया में कवक ( fungi ), जीवाणु ( bacteria ), ऐक्टीनोमाइसिटीस ( actinomycetes ), इत्यादि सूक्ष्मजीव ( micro organism ) भाग लेते हैं।

 

ये जीव अनुकूल वायु, ताप एवं नमी की उपस्थिति में विभिन्न पदार्थों का विघटन कर देते हैं। सडाव की यह क्रिया दोनों ही दिशा में पूर्ण हो जाती है, कुछ वायु की उपस्थिति में तथा कुछ वायु की अनुपस्थिति में।

 

इस क्रिया के फलस्वरुप काले रंग के ह्यूमस प्राप्त होता हैं। इस प्रकार जटिल पदार्थों से सरल पदार्थों में परिवर्तन के कारण पोषक तत्व प्राप्य अवस्था में आ जाते हैं, जिसका पौधे आसानी से उपयोग ( उपभोग ) कर सकते हैं।

 

गड्ढों में गोबर की खाद तैयार करते समय बरतने वाली सावधानियां

गड्ढों में गोबर की खाद तैयार करते समय निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए :-

 

  1. गोबर की खादतैयार करने के लिए गड्ढों के लिए ऊंचे स्थानों का चुनाव करना चाहिए, जहां बरसात का पानी एकत्रित ना हो।

 

  1. गोबर की खाद के लिए बनाए गए गड्ढेगांवअथवा निवास से दूर होने चाहिए।

 

  1. खादके लिए बनाए गए गड्ढे पीने के पानी के कुएं से दूरी पर होने चाहिए।

 

  1. गड्ढे हमेशा छायादार स्थान पर बनाने चाहिए, ताकि तेज धूप से हानि न हो।

 

  1. गोबर की खादके लिए बनाए गए गड्ढों के चारों ओर 50 सेंमी. चौड़ी तथा 50 सेंमी. ऊंची मेड़ बना देनी चाहिए। ताकि इधर-उधर का पानी गड्ढे के अन्दर प्रवेश न कर सके।

 

  1. खादको अच्छी तरह से सडाने के लिए गड्ढे के अंदर नमी का होना अति आवश्यक। यदि गड्ढे के अन्दर नमी का अभाव हो जाए तो समय-समय पर पानी का छिड़काव करना चाहिए ताकि गड्ढे में नमी बनी रहे।

 

  1. गोबर की खादके लिए बनाए गए गड्ढों की गहराई 1.25 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।

 

  1. गड्ढों के भर जाने पर उन्हें लगभग50 सेंमी.मोटी मिट्टी की सतह बनाकर भली-भांति ढक देना चाहिए।

 

  1. गड्ढों के नीचे का फर्श पक्का बना देना चाहिए, ताकि तत्वों की हानि कम से कम मात्रा में हो।

 

  1. जिप्सम, सुपर-फास्फेट तथा कैलशियम क्लोराइडआदि परिरक्षकों का प्रयोग करना चाहिए, जिससे कि अमोनिया के यौगिक न उड़ने वाले लवणों में बदल जाते हैं।

 

खाद से मिलते-जुलते कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1. खेतों में गोबर की खाद डालने का सही समय कौन सा है?

उत्तर – विभिन्न फसलों की बुवाई के लगभग एक से डेढ़ महीने पहले हमें खेतों में गोबर की खाद डालनी चाहिए। प्राय: खरीफ की फसलों के लिए मई-जून में तथा रबी की फसल के लिए बरसात समाप्त होने के तुरंत बाद सितंबर के तीसरे अथवा चौथे सप्ताह में गोबर की खाद को खेत में डालना चाहिए।

 

यदि सितंबर से पहले गोबर की खाद को खेत में डालते हैं, तो वर्षा के द्वारा खाद में पाए जाने वाले पोषक तत्व कम हो जाते है, क्योंकि निक्षालन ( leaching ) द्वारा पोषक तत्व मृदा की सबसे निचली परतों में चले जाते हैं और फसलों के लिए समुचित मात्रा में नहीं मिल पाते हैं।

 

प्रश्न 2. गोबर की खाद तैयार करने की कौन-कौन सी विधियां हैं?

उत्तर – गोबर की खाद तैयार करने की निम्नलिखित विधियां है :-

 

  1. गोबर का ढेर लगाकर एकत्रित करना। ( Heap system )

 

  1. गोबर को गड्ढों में भरकर गोबर की खाद तैयार करना। ( Pit system )

 

  1. गोबर को स्वतंत्र बॉक्स में भरकर गोबर की खाद तैयार करना। ( Loose box system )

 

प्रश्न 3. गोबर की खाद की प्रयोग विधि लिखिए?

उत्तर – गोबर की खाद की प्रयोग विधि :-  साधारणतया किसान गोबर की खाद को ट्राली में भरकर खेतों में छोटी-छोटी ढेरियां बनाकर डाल देते हैं, और फिर कुछ समय बाद जुताई करके खाद को मिट्टी में मिला देते हैं।

 

यह एक अवैज्ञानिक विधि है, इस विधि द्वारा खाद को खेत में डालने से काफी पोषक तत्व बरसात में बहकर नष्ट हो जाते हैं और कुछ मृदा की निचली सतह में जाकर नष्ट हो जाते हैं।

 

खेत में उर्वरता भी एक सी नहीं रहती है, ढेरियों वाली स्थानों की भूमि अधिक उपजाऊ हो जाती है और बिना ढेरियों वाले स्थान अपेक्षाकृत कम उपजाऊ रह जाते हैं।

 

असमान उर्वरता वाले खेत में फसलों के पौधे कहीं बड़े और कहीं छोटे रह जाते हैं, इसका पैदावार पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। अतः गोबर की खाद को खेत में एकसमान फैलाकर उसे जुताई द्वारा मृदा में अच्छी तरह से मिला देना चाहिए।

 

कल्टीवेटर के द्वारा खाद को मिट्टी में मिलाने से समय एवं धन दोनों की बचत होती है। खाद मिलाते समय खेतों में नमी का होना अत्यंत अच्छा रहता है। आलू, बरसीम एवं धान जैसी फसलों में, जहां पर प्राय: नमी बनी रहती है, वहां पर गोबर की खाद का प्रयोग दो – तीन सप्ताह पूर्व में भी कर सकते हैं।

 

प्रश्न 4. गोबर की खाद में कौन-कौन से तत्व उपस्थित होते हैं?

उत्तर – गोबर की खाद में ( Nutrient content in F.Y.M. )  सामान्यतः 0.5% नाइट्रोजन, 0.25% पोटाश तथा सूक्ष्म तत्व ( trace elemants ) भी उपस्थित होते हैं।

 

प्रश्न 5. पूर्ण खाद किसे कहते हैं?

उत्तर – गोबर की खाद से पौधों के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व प्राप्त हो जाते हैं, इसलिए इसे पूर्ण खाद भी कहा जाता है।

 

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