आज के परिवेश में पशुओं के लिए आहार संतुलन, कार्यक्रम का महत्व

0
517

आज के परिवेश में पशुओं के लिए आहार संतुलन, कार्यक्रम का महत्व

डॉ संजय कुमार मिश्र
पशु चिकित्सा अधिकारी चौमुंहा मथुरा

सामान्यत: पशुओं को दिए जाने वाले आहार में एक या एक से अधिक स्थानीय रूप से उपलब्ध सांद्र मिश्रण या कंसंट्रेट, पशु खाद्य पदार्थ, घास एवं सूखा चारा होता है। इस कारण आहार में प्रोटीन, ऊर्जा, खनिज तत्व और विटामिनों की मात्रा या तो कम या फिर अधिक होती है। असंतुलित आहार पशुओं के स्वास्थ्य और उत्पादकता पर कई तरह से प्रतिकूल प्रभाव डालता है साथ ही साथ यह दुग्ध उत्पादकों की शुद्ध दैनिक आय को भी कम कर देता है क्योंकि असंतुलित आहार से पशुओं की दुग्ध उत्पादन करने की क्षमता का उपयोग पूर्ण रूप से नहीं हो पाता है । अतः पशुपालकों को संतुलित आहार से पड़ने वाले दुष्प्रभाव एवं साथ ही आहार संतुलन कार्यक्रम को अपनाने से होने वाले लाभ के विषय में जागरूक होना अत्यंत आवश्यक है।

आहार संतुलन कार्यक्रम:

सभी जीवो के सर्वांगीण विकास हेतु संतुलित आहार की आवश्यकता होती है। आहार संतुलन कार्यक्रम स्थानीय स्तर पर उपलब्ध खाद्य पदार्थों का उपयोग कर पशुओं के लिए ऐसे संतुलित आहार बनाने की प्रक्रिया है जो उनके सामान्य भरण पोषण एवं उत्पादकता की आवश्यकताओं को पूर्ण करती है ।

आहार संतुलन कार्यक्रम के लाभ:
स्थानीय स्तर पर उपलब्ध पशु खाद्य पदार्थों का उपयोग कर कम से कम कीमत पर पशुओं के लिए संतुलित आहार बनाना। अधिक वसा और यस एन एफ यानी सॉलिड नाट फैट के साथ दुग्ध उत्पादन में वृद्धि। शुद्ध दैनिक आय में वृद्धि के साथ साथ पशु की प्रजनन क्षमता में सुधार। दो बयॉतों के बीच के अंतराल में कमी जिससे पशुओं के उत्पादक जीवन में वृद्धि होती है और पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार होता है। बछड़ों एवं बछियों, में बेहतर विकास दर होने के कारण वे शीघ्र प्रजनन योग्य हो जाते हैं। मीथेन गैस के उत्सर्जन में कमी जो कि एक प्रभावशाली ग्रीन हाउस गैस है जिससे वातावरण का तापमान बढ़ता है।

READ MORE :  Method of giving Samadhi to the Dead  Cows of  Gaushala

असंतुलित आहार के उपयोग से होने वाले दुष्परिणाम:
कम उत्पादन, धीमा विकास, एवं प्रजनन क्षमता में कमी। पशु का दूध उत्पादन उसके दुग्ध उत्पादन की आनुवंशिक क्षमता से कम होना। दो बयॉतों के बीच में , अधिक अंतराल एवं पशु की दुग्ध उत्पादन अवधि कम होने से उसकी उत्पादकता में कमी। पशुओं में दुग्ध ज्वर, कीटोसिस जैसे चपापचय रोगों से ग्रसित होने की संभावना में वृद्धि। शारीरिक विकास के धीमे होने से पशु अपने वयस्क अवस्था को अधिक देर से प्राप्त करता है अत: पहली बयॉत भी देर से प्राप्त होती है। पशु की उत्पादकता एवं दुग्ध उत्पादन अवधि कम होने से आर्थिक हानि।
पशुओं के आहार को संतुलित बनाने के लिए राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड ने एक सरल और आसानी से उपयोग में आने वाला सॉफ्टवेयर एवं पशु पोषण ऐप विकसित किया है जो कि उस क्षेत्र के लिए प्रशिक्षित और समर्पित स्थानीय जानकार व्यक्तियों द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है।
आहार संतुलन कार्यक्रम का क्रियान्वयन निम्नांकित चरणबद्ध प्रक्रिया से किया जाता है:
१. पशुओं के पोषण स्तर का निर्धारण।
२. स्थानीय स्तर पर उपलब्ध पशु खाद्य पदार्थों की रासायनिक संरचना का निर्धारण।
३. विभिन्न प्रजाति के पशुओं में पोषक तत्वों की आवश्यकता का निर्धारण।
४. स्थानीय स्तर पर उपलब्ध पशु खाद्य पदार्थों का उपयोग कर कम से कम कीमत पर पशुओं के लिए संतुलित आहार बनाना।
इस प्रकार कम से कम खर्च में दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने और मीथेन उत्सर्जन कम करने के लिए आहार संतुलन कार्यक्रम एक अत्यंत प्रभावशाली तरीका हो सकता है।

पशुओं के संतुलित आहार  में ऋणात्मक और घनात्मक आहार का महत्त्व

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON