सहजन एक उपयोगी बहुउद्देशीय वृक्ष प्रजाति
मोहित भारद्धाज1 , बी.सी. मंडल2, मंजू लता3,मोहित महाजन4 एवं शिव प्रसाद5
1शोध छात्र,पशु पोषण विभाग पशु चिकित्सा एवं पशुपालन विज्ञान महाविद्यालय, गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय पंतनगर उत्तराखंड 263145
2प्राध्यापक, पोषण विभाग पशु चिकित्सा एवं पशुपालन विज्ञान महाविद्यालय, गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय पंतनगर उत्तराखंड 263145
3सहायक -प्राध्यापक पोषण विभाग पशु चिकित्सा एवं पशुपालन विज्ञान महाविद्यालय, गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय पंतनगर उत्तराखंड263145
4शोध छात्र , मादा रोग एवं प्रसूति विज्ञान विभाग, पशु चिकित्सा एवं पशुपालन विज्ञान महाविद्यालय, गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय पंतनगर उत्तराखंड 263145
5प्राध्यापक मादा रोग एवं प्रसूति विज्ञान विभाग, पशु चिकित्सा एवं पशुपालन विज्ञान महाविद्यालय, गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय पंतनगर उत्तराखंड 263145
वानस्पतिक विवरण
वानस्पतिक नाम- मोरिंगा ओलिफेरा
कुल – फेबेसी
सामान्य नाम- सहजन, सहिजन, ड्रमस्टिक प्लांट, हॉर्सरडिश ट्री, बेन ऑयल ट्री
संस्कृत नाम- शोभांजन, दशमूल, शिगु शोभांजन
उपयोगी भाग- जड़, छाल, बीज की फली, पत्तियां का रस फूल
परिचय
सहलज एक बहुद्देशीय उष्णकरिबधीय पेड़ है। सहजन को ड्रमस्टिक या मोरिगा के नाम से जाना जाता है। मोरिग तमिल शब्द मुरूंगई से बना है जिसका अर्थ त्रिकोणीय मुडी हुआ फल है। यह एक औषधीय के रूप में मनुष्य के भोजन के लिए किया जाता है। इस पेड़ के विभिन्न भाग अनेकानेक भागो का विविध प्रकार से उपयोग किया जाता है। इसकी पत्तियों और फली की सब्जी बनती है। इसका उपयोग जल को स्वच्छ करने के लिए तथा हाथ की सफाई के लिए भी उपयोग किया जाता है।
आकृति
सहजन एक छोटा से मरूयम सदाबहार या पर्णपाती पेड़ है जो 10-12 मीटर की उँचाई तक बढ़ता है। इसमें एक फैला हुआ खुला ताज होता है आमतौर पर छतरी के आकार का लगता है। इसकी जडे़ गहरी होती है। सहजन की पत्तियां वैकलिपक रूप से 7-60 से0मी0 लंबी प्रत्येक च्पददंजम के साथ त्रिकोणीय रूप से मिश्रित होती है। जसमें 4-6 जोड़े लीफलेट होते है। जो गहरे हरे अण्डाकार होते है और लंबाई में 1-2 से0मी0 होते है। पुष्पक्रम 10-12 से0मी0 लम्बे होते है। जिसमें कई सुंगधित फूलों वाले पौधे होते है। सहजन के फूल पैंटमोर, जिगोमोर्फिक 7-14 एम एम लम्बें और सफेद से क्रीम रंग के होते है।
फल आमतौर पर 3 कैप्सूल होता है। जिसकी लंबाई 10-60 से0मी0 होती है, जिसे अक्सर फली के रूप में जाना जाता है। सहजन के बीजों में बड़ी मात्रा में तेल होता है।
सहजन के फायदे
- सहजन की पत्ती -इसकी पत्तियों में प्रोटी, विटामिन-बी6, विटामिन-सी, विटामिन-ए, विटामिन-ई, आयरन, मैग्नीशियम पोटेशियम, जिंक जैसे तत्व पाए जाते है। इसकी फली में विटामिन-सी और सहजन की पत्ती में कैल्सियम प्रचुर मात्रा में पाए जाते है। सहजन में एंटीओक्सिडेंट बायोएक्टिव प्लांट कंपांउड होते है।
- सहजन की सूखी पत्तियो के 100 ग्राम पाउडर में दूध से 17 गुना अधिक कैल्सियम और पालक से 25 गुना अधिक आयरन होता है, इसमें गाजर से 10 गुना अधिक बीटा-कैरोटीन होता है जो कि आँखों, स्किन और रोग प्रतिरोधक तंत्र के लिए बहुत लाभदायक है। सहजन में केले से 3 गुना अधिक पोटेशियम और संतरे ेस 7 गुना अधिक विटामिन-सी होता है। सहजन की पत्तियां प्रोटीन का बेहतरीन स्त्रोतो से कम नही है क्योंकि इसमें सभी आवश्यक एमिनो एसिड्स पाए जाते है।
- सहजन की फली- सहजन की फली और पत्ती का सूप पीने या दाल में सहजन की पत्ती मिलाकर बनाने से बदलते मौसम के असर से बचाव होता है। यह रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर ऐसे मौसम में होने वाले सर्दी-जुकाम होने रोकता है। यहाँ तक की एड्स के रोगियों को दी जाने वाली एंटी – रेट्रोविराल थेरेपी के साथ यह हर्बल सप्लीमेंट के रूप में दिया जाता है।
- सहजन का तेल- सहजन का तेल उड़ता नहीं है इसलिए हड़ियो में प्रयोग किया जाता है यह बेन आयल कभी खराब नहीं होता, इस मीठे तेल की कोई खुशबु नहीं होती अतः ये इत्र, परफ्यूम बनाने में उपयोग किया जाता है।
- सहजन के फूलों की चाय- इसकी चाय न्यूट्रीशनल गुणों से भरपूर होती है यह चाय यूरिन इन्फेक्शन, सर्दी जुकाम ठीक करती है सहजन के फूल सलांद के रूप में भी खाए जाते है सहजन के इतने फायदे है कि गिनती कम पड़ जाए सहजन अनिद्रा, अस्थमा, हाइपरटेशन, त्ीमनउंजपवक, आर्थाइटिस एनीमिया, आंत का अल्सर भी ठीक करता है और घाव जल्दी भरता है। दिमागी स्वास्थ्य के लिए सहजन लाजबाव है सहजन भूलने की बीमारी ठीक करता है।
- सहजन कैंसर प्रतिरोधी है – इसके एंटी आक्सिडेट कैम्प्फेरोल , कुक्रेटिन और रहमनेटिक तत्व एंटी कैंसर होते है यह स्किन, लीवर, फेफडे़ और गर्भाशय के कैंसर होने से सुरक्षा करता है।
- सहजन एक बढ़ियां हेयर टानिक है – सहजन का जिंक विटामिन और एमिनों एसिड्स मिलकर केरोटिन बनाते है, जोकि बालों के ग्रोथ के लिए बहुत आवश्यक है। सहजन की फली में मिलने के लिए बहुत आवश्यक है। सहजन की फली में मिलने वाले बीज में एक खास तेल होता है जिसे बेन आयल कहते है यह तेल बालों कों लम्बें घने करता है और ड्रेड्रफ, बाल झड़ने की परेशानी दूर करता है।
- सहजन के एंटी ओक्सिडेंट शरीर की कोशिकाओं की मरम्मत करते है। न्यूट्रीशनल गुणों से भरपूर सहजन एनर्जो की कमी पूरी करता है और जहरी थकान नहीं होने देता।
- थाइरोइड़ रोगी को सहजन अवश्य आना चाहिए। जिनकी थाइरोइट ग्लैड अधिक सक्रिय होती है वे सहजन खाते है तो बढ़ा हुआ थाइरोइड़ स्राव काम होने लगता है थाइरोइड रोग की दो कंडीशन ग्रेव्स डिजीज और हाशिमोतो डिजीज दोनों के लिए सहजन का सेवन रोग मुक्ति दिलाता है
सहजन का उपयोग कृषि में
सहजन के पत्तों से निकाले गए पादप हार्मोन में काले चंने मूंगफली, सोयाबीन, गन्ना और कॉफी सहित विभिन्न पौधों पर वृद्धि का प्रभाव देखा गया है पत्तियों पर सहजन के पत्ते के सत्व के छिड़काव से 20-25 प्रतिशत तक पौधों का उत्पादन बढ़ता है।
औद्योगिक उपयोग
सहजन के तेल में बायोडीजल फीडस्टॉक के लिए आवश्यक गुण है। बीजों से बायोडीजल बनाने के लिए अनेक परियोजनाएँ एशिया और रस और अफ्रीका में चली रही है। सहजन की प्रोटीन का उपयोग इस और बीयर उद्योमों में फारबर की अवसाइन के लिए भी किया जाता है।
पशुओं में सहजन का उपयोग
सहजन की पत्तियों में प्रोटीन की मात्रा सबसे अधिक पाई जाती है इसमें बहुत सारे एंटी अक्सिडेंट होते है यह जानवारों के इम्म्यूनोस्टिम्युलान्त को स्ट्रांग करता है। तथा इसमें अंतिमिक्रोबिअल एंड एंटीबायोटिक ऑक्सीडेंट होते है।
औषधीय उपयोग
सहजन के बीजों में टेरिगोस्परमिन, स्टेफिलोकोकस आरियस और स्यूडोमोनस एरोजिनोसा के विरूद्ध प्रभावी एंटीबायोटिक और फंगीसाइडस होते है। फिलीपीस में उनकी लोहे की मात्रा के कारण सहजन की पत्तियों का उपयोग एनीमिया के उपचार में किया जाता है। सहजन की जड़ों और छाल का उपयोग हृदय और परिसंचरण समस्याओं में किया जाता है।
पर्यावरणीय प्रभाव
जल शोधन में सहजन का उपयोग – सहजन बीज पाउडर में एंटीबैक्टीरिय गुण पाए जाते है जो पानी की सफाई व्यवस्था मछली के तालाब के प्राकृतिक और सस्ता विकल्प माना जाता है। क्योंकि सहजन बीज पाउडर का क्लोरीन के उपचार के साथ मिलाकर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है।