वेदों की दृष्टि में पशु चिकित्सा एवं पशु चिकित्सक

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वेदों की दृष्टि में पशु चिकित्सा एवं पशु चिकित्सक

डॉ जितेंद्र सिंह ,पशु चिकित्सा अधिकारी ,कानपुर देहात ,उत्तर प्रदेश

गो चिकित्सकों का आदर करो

  1. देवा वशामयाचन्मुखं कृत्वा ब्राह्मणम् ।
    तेषां सर्वेषामददद्धेडं न्येति मानुषः ।। अथर्व 12.4.20
  2. जो पशु चिकित्सक गो सेवा के लिए उत्सुक रहते हैं। उन का सम्मान करो । उनसे सेवा ने लेने पर वे असन्तुष्ट हो जाते हैं। अथर्व12.4.20
    पशु चिकित्सक
  3. हेडं पशूनां न्येति ब्राह्मणेभ्योऽददद्वशाम् ।
    देवानां निहितं भागं मर्त्यश्चेन्निप्रियायते ।। अथर्व 12.4.21
  4. गौ सेवा के लिए प्रशिक्षित जन गो सेवा अवसर की प्रतीक्षा में उत्सुक रहते हैं। उन की सेवा न लेने से गौओं को भी बहुत पीड़ा होती है। अथर्व12.4.21
    पशु चिकित्सा दायित्व
  5. यदन्ये शतं याचेयुर्ब्राह्मणा गोपतिं वशाम्‌।
    अथैनां देवा अब्रुवन्नेवं ह विदुषो वशा ।। अथर्व 12.4.22
  6. जिन लोगों की गौओं की पशु चिकित्सक सेवा करते हैं । वे सब गौएं उस चिकित्सक की भी कही जाती हैं। अथर्व12.4.22
    कुशल पशु चिकित्सक सेवा
  7. य एवं विदुषेऽदत्त्वाथान्येभ्यो ददद्वशाम् । दुर्गा तस्मा अधिष्ठाने पृथिवी सहदेवता ।। अथर्व 12.4.23
  8. जो लोग विद्वान पशु चिकित्सकों को छोड़ कर अविद्वानों के पास जाते हैं, वे समाज में दुःख का कारण होते हैं। अथर्व12.4.23
    पशु चिकित्सक की सेवा न लेना
  9. देवा वशामयाचन्यस्मिन्नग्रे अजायत । तामेतां विद्यान्नारदः सह देवै रुदाजत ।। अथर्व 12.4.24
  10. पहली बार गर्भवती गौ को गृह स्वामी अपना सौभाग्य समझ कर यह सोच लेता है कि सब अपने से ठीक होगा। यह ग़लती है , गौ के प्रसव काल में उत्तम गोचिकित्सक की सेवाएं उपलब्ध रहनी चाहिएं| अथर्व12.4.24
    वही विषय
  11. अनपत्यमल्पपशुं वशा कृणोति पूरुषम्‌। ब्राह्मणैश्च याचितामथैनां निप्रियायते ।। अथर्व 12.4.25
  12. गो चिकित्सा विशेषज्ञों की सहायता न ले कर ये गो स्वामी गौ, अपने परिवार का और गौ, दोनो का अहित करते हैं। अथर्व12.4.25
    7.अग्नीषोमाभ्यां कामाय मित्राय वरुणाय च । तेभ्यो याचन्ति ब्राह्मणास्तेष्वा वृश्चतेऽददत् ।। अथर्व 12.4.26
  13. गो सेवा के लिए गोपालन में विद्वत्ता पूर्वक ज्ञान , हर प्रकार के संसाधन, उपयुक्त स्थान यथा समय उपलब्ध रहने चाहिएं। इन सब पर ध्यान न देना समाज में पिछड़ापन बढ़ाता है। अथर्व12.4.26
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