पशुओं में पाचन संबंधित मुख्य बीमारियां एवं उपचार
पशुओं द्वारा अधिकतम उत्पादन और शारीरिक वृद्धि के लिए उनके पाचन तंत्र का स्वस्थ रहना आवश्यक है पाचन तंत्र के द्वारा आवश्यक पोषक तत्व जैसे वसा, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन,खनिज, लवण,विटामिंस इत्यादि अवशोषित होता है यह पोषक तत्व मुख्य रूप से सामान्य स्वास्थ्य, दूध उत्पादन,मांसपेशियों की वृद्धि एवं प्रजनन के लिए अति आवश्यक होते हैं पशु का पाचन तंत्र स्वस्थ है तो उसकी उत्पादन क्षमता भी अधिक होती है सामान्यत किसी भी बीमारी में सबसे पहला लक्षण पशु का चारा छोड़ देना होता है गाय-भैंसों में आमतौर पर पाई जाने वाली पाचन संबंधी मुख्य बीमारियां आफरा सामान्य अम्लीय अपच, क्षारीय अपच, दस्त , बंद पड़ना, पाइका है जिनके लक्षण एवं उपचार इस प्रकार हैं
1.आफराः– जुगाली करने वाले पशु जैसे गाय, भैंस, बकरी,ऊंट आदि के रूमन में अधिक मात्रा में गैसों के उत्पादन होने से या गैस निकलने वाले मार्ग में रुकावट आने के कारण रूमन (पशु का सबसे बड़ा पेट) अत्यधिक फूल जाता है इसे आफरा कहते हैं
कारणः-
1. रसदार हरा चारा जैसे रिजका, बरसीम आदि अधिक मात्रा में खा लेने पर
2. गेहूं ,मक्का ,बाजरा ऐसे अनाज जिसमें स्टाच अधिक मात्रा में हो खा लेने पर
3. भोजन में अचानक परिवर्तन कर देने से पर जैसे पशु को सूखा चारा खाने को मिल रहा है उसे अचानक हरा चारा खाने को दे दिया जाए
4. गैस निकालने वाले मार्ग जैसे ग्रसिका में किसी भी प्रकार की रुकावट आ जाने पर आफरा जाता है
लक्षणः-
1. पशु के बाई और की साइड का पेट फूल जाता है और पेट का आकार अधिक बढ़ा हुआ दिखाई देता है
2. रूमन का गैसों से अधिक फूल जाने के कारण डायफ्राम पर दबाव पड़ता है जिससे पशु को सांस लेने में दिक्कत होती है
3. मुंह खोलकर जीभ बाहर निकालकर सांस लेता हैं
4. पशु बेचौन सुस्त दिखाई देता है
5. बार-बार थोड़ा-थोड़ा गोबर पेशाब करता है और नाड़ी गति बढ़ जाती हैं
6. सही समय पर उपचार नहीं किया जाए तो पशु की मृत्यु हो सकती है
उपचारः- आफरे का तुरंत इलाज करवाना चाहिए अन्यथा पशु की मृत्यु हो जाती है रोगी पशु का खाना बंद कर देना चाहिए और पशु को ऐसे ढलान वाली जगह पर खड़ा कर देना चाहिए जिसमें पशु के आगे वाला हिस्सा थोड़ा ऊंचा रहे और पीछे वाला हिस्सा थोड़ा नीचे रहे जिससे डायाफ्राम पर रुमन का दबाव थोड़ा कम पड़े और पशु को सांस लेने में दिक्कत ना हो और पशु चिकित्सक को शीघ्र ही संपर्क करना चाहिए
1. बलोटोसील 100 एम एल
2. तारपीन का तेल 50 से 60 एम एल
3. सरसों का तेल 100 एम एल
4. 50 ग्राम हींग ़ 20 ग्राम काला नमक ़ 1 लीटर छाछ में डालकर पिलाएं
5. पशु को बिना जीभ पकड़े पिलाना चाहिए तारपीन का तेल पिलाते समय पशु को पानी में मिलाकर पिलाना चाहिए
2. अम्लीय अपचः–
कार्बोहाइड्रेट युक्त पदार्थ अधिक मात्रा में खा लेने पर रूमिनल दृव अर्थात रूमन का वातावरण अम्लीय हो जाता है इसे अम्लीय अपच कहते हैं
कारणः-
1. कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन जैसे चावल गेहूं, बाजरा, आलू अधिक मात्रा में खा लेने से अमलीय अपच हो जाती है
2. रसोईघर का बचा हुआ पुलाव बासी रोटी आदि खा लेने पर
3. शादी विवाह में बचा हुआ चावल,पूड़िया, रोटियां आदि खा लेने पर
लक्षणः-
1.पशु की भूख बंद हो जाती है
2. आफरा आता है
3. पेट में पानी भर जाता है
4. निर्जलीकरण अर्थात पानी की कमी हो जाती है
5. पेट की गतियां कम हो जाती है ,शरीर का तापमान कम हो जाता है
6.कब्ज अथवा दस्त लग जाते है ,पशु दांत किटकिटाने लगता है
उपचारः-
1. 12 से 24 घंटे तक पानी ना पीने दे
2. सोडियम बाई कार्बोनेट पाउडर 150 से 200 ग्राम मुख् मार्ग से दे
3. यदि आफरा है तो तारपीन का तेल 50 से 60 एम एल
3. पाइकाः-
इस बीमारी में पशु अखाद्य वस्तुएं खाने लगता है जैसे कपड़े,बाल, पॉलीथिन, मिट्टी,हड्डियां आदि इसे पाईका बीमारी कहते हैं
कारणः-
1. पेट में कीड़ों का होना
2. खनिज लवणों की कमी जैसे फास्फोरस, कैल्शियम
3. विटामिंस की कमी होना
उपचारः-
1. प्रत्येक 3 माह पर पशु को क्रमिनाषक दवा देनी चाहिए।
2. प्रतिदिन 30 से 50 ग्राम मिनरल मिक्सचर देना चाहिए
3. संतुलित भोजन देना चाहिए
4.क्षारीय अपचः-
पशु कोई क्षारीय पदार्थ जैसे यूरिया खा जाए तो रूमन का वातावरण क्षारिय हो जाता है इसे क्षारीय अपच कहते हैं
कारणः- जेर खा जाने पर, यूरिया खा जाने पर, प्रोटीन युक्त आहार अधिक खा लेने पर
लक्षण :- पशु को भूख नहीं लगना
1.मुंह से लार गिरना
2.पेट दर्द होना
3.चक्कर में दौरे आना
4. अत्यधिक उत्तेजित हो जाना आफरा आना , मुंह से अमोनिया जेसी बदबू आना
उपचारः- 1.क्षारीय वातावरण हल्का अम्लीय करना है इसके लिए एसिटिक अम्ल अर्थात सिरका मुंह से देना चाहिए
2. साथ में ही पशु को मुख से गुड़ अथवा जैगरी अथवा ग्लूकोज देना चाहिए
3. नींबू का रस देना चाहिए
5. आंत्रशोथः-
आंत की स्लेष्मा झिल्ली में सूजन आना आंत्रशोथ कहलाता है
कारणः-
1. सड़ा गला या मिट्टी की चारा खा लेने पर
2. आहार अधिक मात्रा में खा लेने पर
3. जीवाणु अथवा विषाणु के संक्रमण के कारण ईकोलाई, सालमोनेला आदि
4. पेट में अथवा आंत में कीड़े होने पर
5. भोजन में अचानक परिवर्तन करने पर
6. अधिक मात्रा में कोलोस्ट्रम पीने पर
लक्षणः-
1. दस्त अथवा डायरिया होना अर्थात पतला पानी जैसा गोबर करना
2. कभी-कभी दसत के साथ खून या म्यूकस भी आता है
3. गोबर में बदबू आती है
4. एठन मरोड़े आते हैं
5. पशु में पानी की कमी आ जाती है और पशु कमजोर हो जाता है खाना पीना बंद कर देता है
उपचारः-
1. पशु चिकित्सक से संपर्क करके पशु का तुरंत इलाज करवाएं
2. पतले दस्त होने पर 24 घंटे तक खाना ना दें
3. पशु चिकित्सक से बात कर सल्फाडीमीडीन की गोली दे
4. कर्मी नाशक दवा पशु चिकित्सक की देखरेख३में दें
5. पशु को ओआरएस इलेक्ट्रोलाइट्स का घोल दिन में तीन चार बार दें
6. पशु को घरेलू उपचार में चारकोल (50 से 200) ग्राम या 40 ग्राम कटेचु पाउडर दे
7. पशु को फ्लूडथेरेपी भी देनी चाहिए
6.बंध पड़ जाना (मल बंधता) :-
पशुओं को गोबर त्याग मैं अत्यधिक जोर लगाना पड़ता है और गोबर कड़ा व कठोर थोड़ा-थोड़ा आ गोबर रहा हो और इस अवस्था को बंद पड़ना( मल बंधता )कहते हैं
कारणः-
1.सूखा चारा अधिक मात्रा में खा लेने व पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं देने पर
2. सड़ा गला या मिट्टी चारा खा लेने पर
3. पाचन तंत्र का पॉलिथीन, बाल, कपड़े आदि से अवरुद्ध हो जाने पर
4. पशु खाना अचानक परिवर्तन करने पर या पेट में परजीवी होने पर
5. अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार लेने पर
लक्षणः-
1. पशु खाना पीना बंद कर देता है और गोबर में श्लेष्मा आता है
2. पशु जोर लगाकर गोबर करता है
3. बार-बार कोशिश करने पर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बदबूदार काला गोबर करता है और पानी की कमी हो जाती है तापमान सामान्य से कम रहता है
उपचारः- 1. बंद खोलने के लिए दस्तावर- मैग्निशियम सल्फेट 500 से 400 ग्राम , पैराफिन 3. 4 लीटर पशु के मुंह में डालें
2. सोडियम क्लोराइड 250 ग्राम, मैग्निशियम सल्फेट 250 ग्राम, नक्स वॉमिका 10 ग्राम इनको 500उस पानी में घोलकर मुंह में डालें
3. अरंडी का तेल 500 एम एल मुंह में देना चाहिए
4. रुमीनोटोरीक्स, बीकांपलेक्स देना चाहिए
7.घोड़ों में पेट दर्द (कॉलिक)ः-
कॉलिक घोड़ों में होने वाली पाचन से संबंधित प्रमुख बीमारी है उदर में होने वाले दर्द को पेट दर्द कहते हैं
कारणः-
1.पशुओं द्वारा ज्यादा मात्रा में दाना खा लेने पर पेट दर्द होता है
2. पशु को दिए जा रहे हैं चारे में मिट्टी का होना भी पेट दर्द का कारण होता है
3. सड़ा गला चारा अर्थात खराब गुणवत्ता का चारा खा लेने से
4. घोड़ों का मुख्य रूप से स्ट्रांगआईलस नामक परजीवी पाया जाता है जो भी भयंकर पेट दर्द कारण होता है
5. खाने में अचानक परिवर्तन से भी पेट दर्द होता है
6. इसके अलावा कई बार डर के कारण अथवा पेट व आंत में किसी संक्रमण के कारण पशु को अधिक काम में लेना व बीच-बीच में पानी नहीं पिलाने पर भी पेट दर्द शुरू हो जाता है
लक्षणः-
1. पशु बेचौन हो जाता है और पशु कभी बैठता है कभी खड़ा होता है
2. पेट पर बार-बार लात मारता है
3. मुड़ मुड़कर पेट की तरफ देखता है
4. पशु को बहुत पसीना आता है
उपचारः-
1. पशु चिकित्सक से संपर्क कर पशु का इलाज तुरंत करवाना चाहिए
2. दर्द नाशक टेंशन दूर करने वाली औषधियां प्रतिजैविक औषधि या देकर पशुओं का इलाज करना चाहिए
3. पशु को हर 3 महीने के अंतराल में पशु चिकित्सक की देखरेख में कर्मी नाशक दवा देनी चाहिए
4. पशु को पर्याप्त मात्रा में पानी और चारा खिलाना चाहिए और नियमित अभ्यास करवाना चाहिए
5. कभी भी पशु को सड़ा गला चारा ना दे
Dr. RajKumar Berwal
(BVSC &AH, MVSc, Ph.D)
Officer in Charge,
Pashu Vigyan Kendra
Suratgarh – Sri Ganganagar
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