प्रमुख संचारी रोगों के कारण, लक्षण एवं बचाव

0
3719

हमारे देश में गर्मी के दस्तक देने के साथ संक्रामक रोग फैलने लगते हैं जिन्हें संचारी रोग भी कहा जाता है इस तरफ उत्तरप्रदेश सरकार ने विशेष संचारी रोग पखवाड़ा चलाया गया है जिसकी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं इसके लिए कई विभाग एक साथ मिलकर काम करते हैं जिससे बच्चों का टीकाकरण करने के लिए कई टीमें बनाई गई है सबको उनकी प्रकृति के अनुरूप जिम्मेदारी सौंपी गई है। कुछ जिलों में जापानी इंसेफेलाइटिस और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के प्रकोप से बच्चों को बचाने पर विशेष ध्यान देना है इसके अंतर्गत गांव गांव में मरीजों को खोजा जाएगा । गांव में स्वच्छता फैलाकर लोगों को इन बीमारियों के बचाव को लेकर स्वच्छता अभियान के महत्व को जानना होगा हाई रिस्क गांव में जेई एवं एक्यूट
इंसेफेलाइटिस के खात्मे का जिम्मा विशेष शिक्षकों को दिया जा रहा है ।विशेष अभियान के अंतर्गत यह शिक्षक गांव में जाकर लोगों को इंसेफेलाइटिस व अन्य संचारी रोगों से बचाव के लक्षणों की जानकारी देंगे। ग्रामीणों को टॉयलेट का प्रयोग करने व बच्चों में बुखार या अन्य संक्रामक रोगों के लक्षण हों तो उन्हें तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। संचारी या संक्रामक रोग क्या है :- बरसात के शुरू होते ही जब पानी जगह-जगह भर जाता है इससे तरह-तरह के नए कीटाणु रुके हुए पानी से
उत्पन्न होने लगते हैं जो अपने साथ अनेक रोगों को जन्म देते हैं जिसका प्रभाव न केवल मानव शरीर पर पड़ता है बल्कि इससे बच्चे अधिक प्रभावित होते हैं। इन्हें मौसमी रोग भी कहा जाता है यह रोग निम्न प्रकार हैं जैसे मलेरिया जो प्रोटोजोआ से होता है जिसमें तेज बुखार का आना स्वभाविक है। टाइफाइड जीवाणु से फैलता है इसमें भी कभी हल्का बुखार तो कभी तेज बुखार आने लगता है इसका प्रभाव हमारे लीवर व शारीरिक क्षमता पर भी पड़ता है । चेचक जोकि विषाणु से तेज बुखार व दाने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, इसके अतिरिक्त इनफ्लुएंजा जो विषाणु से उत्पन्न होता है, हैजा,खसरा कुष्ठ रोग,
हेपेटाइटिस इत्यादि
संचारी रोग बहुत तेजी से फैलते हैं जिससे बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। सामान्यतः इन रोगों के लक्षण में दस्त, बुखार, दिमागी बुखार, ज्वर का चढ़ना, उतरना आदि। इनमें अनियमित खांसी, बहुत तेज खांसी, उल्टी जैसे लक्षण होते हैं। जिससे इन बीमारियों के आगमन का पता चलता है। इन सब रोगों के फैलने की वजह गंदे पानी का नालियों में एकत्रित होना। तेज बारिश के बाद जलभराव। यदि सब लोग अपने स्तर पर इन रोगों को रोकने के लिए उपाय करते हैं तो निश्चय ही काफी हद तक इन रोगों के फैलने पर नियंत्रण किया जा सकता है ।

READ MORE :  TREATMENT/ HANDLING THE CASES OF POISONING IN PETS & FARM ANIMALS

रोकथाम :-बरसात के दिनों में कूलर, छत टूटे-फूटे सामान में पानी एकत्रित न होने दें । घर के आस-पास कोई टूटी या खुली नाली है तो उसे साफ एवं ढक कर रखें जिससे इनमें पनपने वाले कीटाणुओं को रोका जा सके । खुले में सौच नहीं जाना चाहिए इससे अनेक कीटाणु व विषाणु हवा में फैल कर इन रोगों को जन्म देते हैं ।संचारी रोगों से बचाव के लिए घर एवं घर के बाहर स्वच्छता होना अति आवश्यक है जिससे मलेरिया एवं डेंगू जैसे खतरनाक रोगों से बचा जा सके। संचारी रोगों जैसे मलेरिया ,फाइलेरिया, डेंगू जोकि एडीज नामक मच्छर से पनपता है । दिमागी बुखार या मस्तिष्क ज्वर जैसा खतरनाक रोग हो सकता है अतः इससे बचाव करना चाहिए । सभी को स्वच्छ एवं ताजा भोजन करना चाहिए। रात को मच्छरदानी लगा कर सोना चाहिए। पूरी बाजू के वस्त्रों का प्रयोग करना चाहिए। इस प्रकार हम न केवल अपना बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य का भी हर ऋतु एवं मुख्य रूप से ऋतु परिवर्तन के समय में भली प्रकार ध्यान रखते हुए अपने समाज को स्वस्थ बनाए रख सकते हैं।

डॉ रेखा शर्मा
प्रधानाचार्य
एम जी एस इंटर कॉलेज सौंख मथुरा

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON