समेकित कृषि प्रणाली: टिकाऊ पशुपालन तथा कृषि उत्पादन का जरिया
डॉ गौरव सावंत
कृषि एवं पशुधन विशेषज्ञ, सोलापुर
INTEGRATED FARMING SYSTEM(IFS):A TOOL OF SUSTAINABLE LIVESTOCK & AGRICULTURE FARMING IN INDIA
समन्वित कृषि प्रणाली क्या है
समेकित कृषि प्रणाली (Integrated farming) खेती की आधुनिक तकनीक है। इस तकनीक में खेती के साथ-साथ बागवानी, पशुपालन, कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जाता है। इससे किसानों की आमदनी बढ़ाने में काफी मदद मिलती है।
आसान भाषा कहें तो समेकित कृषि में खेती के सभी घटकों को शामिल किया जाता है। जिससे किसानों को सालभर आमदनी होती रहती है।
समेकित खेती प्रणाली (Integrated farming system)
इस तकनीक में किसान अपने मुख्य फसल के साथ-साथ मुर्गी पालन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, रेशम, सब्जी-फल, मशरूम की खेती को एक साथ एक ही जमीन पर करते हैं। इसमें एक घटक दूसरे घटक के उपयोग में लाया जाता है। जिससे किसान अपने एक फसल पर निर्भरता कम कर अथवा उसके घाटे की संभावनाओं को भी कम कर सकते हैं।
लगातार बढ़ती जनसंख्या और कम होती प्राकृतिक संसाधनों के कारण किसानों को भी अपने तरीके और तकनीक दोनों में बदलाव करने की आवश्यकता है। इस समेकित कृषि को (आईएफएस) मॉडल के नाम से भी जाना जाता है। इसे अंग्रेजी में इंटेग्रेटेड फार्मिंग (integrated farming) के नाम से जाना जाता है।
समेकित कृषि प्रणाली, भारत में कृषि योग्य भूमि के औसत आकार में निरंतर गिरावट आ रही है, जो एक खतरे का संकेत है| छोटे किसान खेती से होने वाले आय से अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर पाने में असमर्थ हैं| आकड़ों के अनुसार भारत की आधी से ज्यादा जनसख्या निर्धन है, यह रिस्थति दिन-प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है, क्योंकि किसी ना किसी बर्ष मानसून की अनिश्चितता रहती हैं|
वहीं दूसरी तरफ जनसंख्या वृद्धि की वजह से प्रति व्यक्ति कृषि योग्य भूमि में गिरावट आ रही हैं, साथ ही उर्वरक, जलकर्षण और विद्युत के दरों में वृद्धि ने कृषि पर होने वाले खर्च में वृद्धि की है| भूमि के क्षेत्रफल में वृद्धि की संभावना नगण्य है|
जबकि विभिन्न कृषि संस्थाओं को समेकित कर क्षेत्रफल में वृद्धि की जा सकती हैं| इसी कारण कृषकों के सुनहरे भविष्य और आय में वृद्धि के फलस्वरूप उनका आर्थिक स्तर भी ऊँचा उठेगा|
समेकित कृषि प्रणाली क्या है?
- जब एक दूसरे के पूरक एवं पारस्परिक लाभों के संयोग को अपनाकर कई तरीके की कृषि उपायों का उत्पादन किया जाता है, तो इसे समेकित कृषि प्रणाली का नाम दिया जाता है|
- मछली के तालाबों के साथ सुअर पालन और कुक्कुट पालन का संयोग मछली उत्पादन हेतु एक उल्लेखनीय पोशक संसाधन निर्मित करता है, जो मछली के आहार तथा तालाब को उर्वर बनाने की 50 प्रतिशत से अधिक लागत को कम करता है|
- एक स्थानीय और प्रणाली-जनित व्यर्थों के संयोग पर टिकी रह सकती है, जिसमें कुक्कुट बीट, पशु गोबर व सुअरों के बचे हुए आहार तथा पोषक-समृद्ध मछली तालाब जल, लागत मूल्यों में कमी लाते हुए वापस सीधे खेत में पहुँचा दिया जाता है|
- मछली पालन, कृषि, कुक्कुट पालन, सुअर पालन, खरगोश पालन, बकरी पालन, सिंचाई साधन इत्यादि उपयुक्त कृषि उपांगों के संयोग को एक दूसरे के साथ समेकित किया जा सकता है, जो कि उनकी स्थानीय उपलब्धता, संभावना और लोगों की आवश्यकता पर निर्भर करता है|
प्रणाली के मुख्य घटक
छोटे एवं सीमांत किसानों के लिए मछली पालन, मुर्गी पालन, सुअर पालन, रेशम पालन, दुग्ध व्यवसाय, उद्यानिकी, जैविक खाद और कृषि को मिलाकर एक उपयुक्त समेकित कृषि प्रणाली विकसित की गई, जिसकी विशेषतायें नीचे दी गयी हैं| जो इस प्रकार है, जैसे-
मत्स्य पालन
कृषि योग्य भूमि का निरंतर घटता क्षेत्रफल किसानों के फसल उत्पादन पर सीधा प्रभाव डाल रहा है, जो उन्हें अन्य विकल्पों के तरफ जाने के लिए प्रेरित कर रहा है| जागरूक किसान फसल के साथ-साथ मत्स्य और पशु पालन अपनाकर अपने आय में वृद्धि कर रहा है|
इसका एक महत्वपूर्ण कारण यह है, कि पशु अपशिष्ट को पुनरांतरण करके फसलों के लिए जैव खाद और मछलियों के लिए भोजन प्राप्त होता है, जिससे कृषि में होने वाले खर्च को कम किया जा सकता है| मत्स्य पालन के लिए किसान के पास तालाब, जलाशय या अन्य जल स्त्रोत होने चाहिए, जिसमें वह मत्स्य पालन कर सके|
कृषक संस्थाओं को मत्स्य पालन के लिए केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा 40 से 90 प्रतिशत की सब्सिडी दी जा रही हैं, जिसमें वे मत्स्य पालन में वृद्धि करके ग्रामीण युवाओं को रोजगार का अवसर प्रदार कर सकते हैं|
दुग्ध व्यवसाय
दुग्ध व्यवसाय किसी भी देश के कृषि अर्थव्यवस्था का महत्त्वपूर्ण आधार स्तंभ हैं और सकल कृषि उत्पाद में इसका द्वितीय योगदान है| विगत वर्षों में ऑपरेशन फ्लड या श्वेत क्रांति के फलस्वरूप दूध उत्पादन में अद्वितीय वृद्धि हुई है|
श्वेत क्रांति के द्वारा अनुसंधान संस्थाओं, विस्तार संस्थाओं, उत्पादन और विपणन नेटवर्क, बैंकिंग संस्थाओं द्वारा उचित ऋण की सुविधा एवं दुग्ध उत्पादकों द्वारा नवीन तकनीकों के प्रयोग से भारत विश्व का सर्वाधिक दुग्ध उत्पादक राष्ट्र बन गया है|
दुग्ध व्यवसाय (फार्मिंग) ने ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक रोजगार उत्पन्न किया है और ग्रामीण समुदाय के कमजोर वर्गों को भी रोजगार के सुअवसर प्रदान किए हैं, इस व्यवसाय ने कृषकों के आय में अतिरिक्त रूप से वृद्धि की है|
मुर्गीपालन
यह एक उभरता हुआ व्यवसाय है, जो किसानों को रोजगार पोषण और अच्छी आमदनी प्रदान करता है| जिससे गरीबी उन्मूलन और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। भारत का 80 से 85 प्रतिशत मुर्गीपालन छोटे किसानों द्वारा किया जाता हैं|
रेशम पालन
भारत का चीन के बाद कच्चे रेशम के उत्पादन में द्वितीय स्थान है, जबकि कच्चे रेशम और रेशमी वस्त्रों के सर्वाधिक उपभोक्ता भारत में ही हैं| यह व्यवसाय आमतौर पर किसानो, संस्थाओं और बुनकरों के लिए पसंद का व्यवसाय हैं| क्योंकि इसमें कम निर्देश पर बहुत अच्छी आमदनी होती है और मलबरी के उद्यान का रख-रखाव भी सस्ता है। पूरे वर्ष के लिए ट्यूबवेल सिंचित भूमि में उपयोगी है, जबकि वृक्षारोपण के लिए शुष्क भूमि उपयोगी है|
बागवानी या उद्यानिकी
भारत विश्व में फल तथा सब्जी के उत्पादन में द्वितीय है| फल, सब्जी, कंद और प्रकंद फसल, सजावटी पौधे, औषधीय पौधे, मसाले आदि लगाकर किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं|
वर्मी कम्पोस्ट
कम्पोस्ट मिट्टी के भौतिक और रासायनिक गुणों में वृद्धि के लिए अतिआवश्यक तत्व है| बायोमास जो किसानों को पुआल, पत्ती और तने के रूप में प्राप्त होता है, का उपयोग पशुओं के चारा के रूप में और घरेलु ईंधन में होता है| पशुओं का गोबर भी एक अन्य बायोमास का उदाहरण है, जो कि कुछ दिनों बाद जीवाणु अपघटन के फलस्वरूप जैविक खाद में परिवर्तित हो जाता है| गोबर का दूसरा उपयोग बायो गैस संयंत्रों द्वारा गाँवों में सस्ती बिजली उत्पादन उपलबध भी कराना हैं|
विशेष- किसान भाइयों को बता दे की, उपरोक्त लगभग समेकित गैर रोजगार व्यवसायों पर केंद्र और राज्य सरकारें रोजगार बढ़ाने के लिए अनुदान भी देती है|
समेकित कृषि तंत्र के लाभ
- खाद्य उत्पादन में वृद्धि एवं जनसंख्या का भरण-पोषण|
- कार्बनिक अपशिष्ट रूपांतरण के द्वारा मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बनाए रखना|
- समेकित कृषि व्यवस्था से मिट्टी क्षरण को भी रोका जा सकता हैं, क्योंकि यह व्यवस्था कृषिवानिकी को बढ़ावा देती है|
उपरोक्त समेकित गैर रोजगार के साधनों से ग्रामीण जनता के आय में वृद्धि होती हैं, जिसके फलस्वरूप उनका जीवन स्तर ऊँचा उठता है|
कृषि के विभिन्न उद्यमों जैसे फसल उत्पादन, मवेशी पालन, फल तथा सब्जी उत्पादन, मछली पालन, वानिकी इत्यादि का जब एक साथ इस प्रकार समायोजन किया जाये कि वे एक दूसरे के पूरक हो जिससे संसाधनों की क्षमता, उत्पादकता एवं लाभप्रदता में पर्यावरण को सुरक्षित रखते हुए वृद्धि की जा सके तो इसे हम समन्वित कृषि प्रणाली कहते है। चूँकि ये स्व-सम्पोषित प्रणालियाँ अवशेषों के चक्रीय तथा जल एवं पोषक तत्वों आदि के निरंतर प्रवाह पर आधारित है जिससे कृषि लागत में कमी आएगी वही दूसरी ओर लगातार आमदनी एवं रोजगार का श्रृजन होगा।
समन्वित कृषि प्रणाली में एक उद्यम की दूसरे उद्यम पर अंर्तनिर्भरता समन्वित कृषि प्रणाली की मूल-भावना एक उद्यम की दूसरे उद्यम अंर्तनिर्भरता पर आधारित है। अत: समेकित कृषि प्रणाली में विभिन्न उद्यमों को एक निश्चित अनुपात में रखा जाता है जिससे विभिन्न उद्यम आपस में परस्पर सम्पूरक एवं सहजननात्मक संबंध स्थापित करके कृषि लागत में कमी लाते हुए आमदनी एवं रोजगार में वृद्धि कर सके।
इस प्रणाली के अंतर्गत किसान अपनी भूमि के 1/10 भाग पर तालाब या ट्रेंच बनाकर वर्षा जल संग्रहित कर सकते है। इस संचित जल में मछली तथा बत्तख पालन के साथ-साथ इसे सिंचाई के लिए सार भर इस्तेमाल किया जा सकता है। मछली पालन के तहत तालाब में छ:तरह की मछलियाँ रोहू, कतला, मृगाल, कामन कार्प, स्लिवर कार्य तथा ग्रास कार्य को पाला जा सकता है। ये मछलियाँ तालाब के पानी में विभिन्न स्तर पर रहती है। इस तरह तालाब में संग्रहित विभिन्न स्तर के जल का भरपूर दोहन करते हुए उच्च उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। साधारणतया एक हेक्टेयर तालाब के लिए 6000-7000 जीरा है जिनकी लम्बाई 3-4 इंच हो तालाब में डाला जाता है। बत्तख के साथ मछली उत्पादन करने पर 8-10 इंच की 3000-4000 जीरा तालाब में डाला जाता है ताकि बत्तख उन्हें खा न सके। समन्वित कृषि प्रणाली के अन्य उद्यम जैसे मवेशी, सूकर, मुर्गी या बत्तख पालन द्वारा परित्यक्त मल-मूत्र एवं अपशिष्ट पदार्थों को तालाब में निष्काषित किया जाता है जिससे मछलियों के लिए समुचित प्राकृतिक भोजन उपलब्ध होता। इस व्यवस्था में मछली के लिए अलग से पूरक आहार की आवश्यकता नहीं होगी। उत्सर्जित मल-मूत्र काफी होगा। बत्तख के साथ मत्स्य उत्पादन करने पर बत्तखों द्वारा तालाब में विचरण करने से पानी में जो उछाल होता है उससे वायुमंडल का ऑक्सीजन पानी में जाता है जो कि मछलियों के लिए जीवनदायी का काम करता है क्योंकि पानी में ऑक्सीजन की कमी होने पर मछलियाँ मर सकती है। इसलिए मछली उत्पादन के ली समय-समय पर चूने का प्रयोग किया जाता है। अत: तालाब में मछली के साथ बत्तख का उत्पादन करने पर चूने की लागत में कमी आती है साथ ही बत्तख उन कीट-पतंगों को जो मछलियों के लिए हानिकारक होती है उनका भक्षण करती है तथा मछलियों को हानिकारक रोगों से बचाती हैं इन कीट-पतंगों को खाने से बत्तखों की 18% तक प्रोटीन की जरूरत की पूर्ति होती है।
झारखंड राज्य की मुख्य फसल धान है तथा बेहतर तकनीक एवं प्रबन्धन के बावजूद 10-15 प्रतिशत धान के आधे भरे हुए अथवा कुछ भरे हुए दाने प्राप्त होते है। जिसे बत्तखों द्वारा बड़े चावपूर्वक खाया जाता है तथा जिनका उपयोग करके बतख उत्पादन में लगने वाली लागत में कमी की जा सकती है। इस प्रकार फसल उत्पादन से मिलने वाले पुआल एवं भूसा जानवरों के आहार के रूप में तथा मशरूम उत्पादन में प्रयुक्त होता है। मवेशी पशुओं द्वारा उत्सर्जित मल-मूत्र और कृषि प्रक्षेत्र से प्राप्त अवशेष जैसे पुआल, घास-फूस तथा अन्य अपशिष्ट पदार्थ का उपयोग केचुआ खाद उत्पादन अथवा कम्पोस्ट खाद उत्पादन में प्रयोग किया जाता है जिससे प्रयोग करके फसल उत्पादन की लागत में कमी लाई जा सकती है तथा मृदा उत्पादकता को बरकरार रखा जा सकता है। तालाब की तलहटी में जमीन गाद भी पोषक तत्वों से भरपूर होती है जिसका उपयोग भी खाद के रूप में किया जा सकता है। समन्वित कृषि प्रणाली के वानिकी खण्ड में वृक्षों के बीच की जगह को चारागाह के रूप में बनाया जा सकता है जिसमें समन्वित कृषि प्रणाली के मवेशी स्वतंत्रपूर्वक चर सके तथा कृषि वानिकी समन्वित कृषि प्रणाली के अन्य उद्यम जैसे मधुमक्खी पालन, लाख उत्पादन, रेशम कीट पालन को भी आधार देता है। साधरणतया एक हेक्टेयर क्षेत्रफल के लिए मधुमक्खी के 10 बक्से रखे जाते है। समन्वित कृषि प्रणाली के अंतर्गत मधुवाटिका के आसपास सालों भर फसल, सब्जियाँ तथा फूल विद्यमान रहते है जिससे मधुमक्खियों को पर्याप्त मात्रा में पुष्परस तथा पराग उपलब्ध होता है। साथ ही मधुमक्खियों के द्वारा फसल उत्पादन में वृद्धि होती है खासकर उन फसलों में जिसमें मधुमक्खियों के द्वारा परागण किया जाता है। इस प्रकार समन्वित कृषि प्रणाली में ऐसा समन्वय स्थापित किया जाता है कि एक उद्यम दूसरे उद्यम का पूरक हो जिससे हरेक उद्यम की लागत में कमी आये और किसान हरेक उद्यम से अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सके।
समन्वित कृषि प्रणाली के लाभ
समन्वित कृषि प्रणाली अपनाकर झारखंड के किसान अपने खेतों में संग्रहित जल से फसल आच्छादन बढ़ा सकते है तथा उपलब्ध संसाधनों का भरपूर दोहन करते हुए अपनी आय में वृद्धि कर सकते है। समन्वित कृषि प्रणाली के अंतर्गत कृषि के विभिन्न उद्यम जैसे मवेशी पालन, बत्तख पालन, मुर्गी पालन से किसानों को रोजाना आय प्राप्त हो सकती है जिससे वह अपनी रोजमर्रा की जरूरतों की पूर्ति कर सकता है। छोटे एवं सीमांत किसान इस प्रणाली के द्वारा अपनी भूमि पर सालो भर रोजगार प्राप्त कर सकते है तथा बड़े किसान अपनी भूमि पर दूसरों को रोजगार मुहैया करा सकते है। अत: अच्छी आमदनी एवं रोजगार प्राप्त होने पर किसानों एवं मजदूरों का गाँवों से शहरों की तरफ होने वाले पलायन को रोका जा सकता है। साथ ही इस प्रणाली को अपनाकर हम मृदा-उत्पादकता को बरकरार रखते हुए अपने पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते है।
समेकित कृषि एवं पशुपालन से संबंधित आर्टिकल हेतु आप इस लिंक को डाउनलोड करें:
झारखंड के विभिन्न कृषि जलवायु के लिए कृषि प्रणाली एवं तकनीक
कृषि प्रणाली | प्रस्तावित तकनीक/ कार्य |
फसल + पशुधन | फसल+पशुधन/ मुर्गी पालन/ मधुमक्खी पालन/ मशरूम की खेती/ सब्जी की खेती/ बीज उत्पादन/ मछली पालन/ उद्यान/ बकरी पालन/ बत्तख पालन/ सूअर पालन/ टर्की/ वानिकी-सह |
सब्जी + पशुधन+ फसल | सब्जी की खेती + पशुधन +उद्यान/वन उत्पादन/ भेड़ पालन/खरगोश पालन/ मधुमक्खी पालन/ मशरूम उत्पादन वानिकी-सह- चारा + फसल + पशुधन वानिकी – सह – चारा + पशुधन + फसल + जल संग्रह प्रबन्धन |
फसल+मुर्गी पालन+ पशुधन | फसल+मुर्गी पालन+पशुधन/ मछली पालन/मुर्गी पालन/सूअर पालन/ उद्यान/ फूल की खेती/ वानिकी-सह-चारा फसल/ बकरी पालन/ बत्तख पालन/ खरगोश पालन/मधुमक्खी पालन। |
मछली पालन+फसल+पशुधन | मछली पालन+फसल+पशुधन+बत्तख पालन/ मुर्गी पालन/ सब्जी की खेती/ उद्यान/सूअर पालन। |
मछली पालन+पशुधन | मछली+ फसल+सब्जी+पशुधन |
फसल+पशुधन+कृषि वानिकी | फसल+पशुधन+कृषि वानिकी/मधुमक्खी पालन/ बकरी पालन/ मुर्गी पालन/ बगीचा/फूल की खेती/उद्यान/सब्जी की खेती। |
कृषि वानिकी+चारा फसल | वानिकी-सह-चारा फसल/ फसल/पशुधन+वर्षा जल संग्रह |
फसल+पशुधन+उद्यान | फसल+पशुधन+उद्यान/बकरी पालन/मुर्गी पालन/सब्जी की खेती/ मशरूम उत्पादन/ बीज उत्पादन। |
फसल+उद्यान | फसल+उद्यान/ बकरी पालन/ सूअर पालन/ सब्जी की खेती/ मुर्गी पालन। |
फसल+मुर्गी पालन+उद्यान | फसल+मुर्गी पालन+उद्यान/बकरी पालन/मशरूम की खेती/ बीज उत्पादन। |
मछली पालन+फसल+उद्यान | मछली पालन+फसल+उद्यान/मुर्गी पालन/सब्जी की खेती/ फसल+ पशुधन/ मछली पालन+मशरूम। |
वानिकी-उद्यान+पशु | वृक्षारोपण+मुर्गी पालन+मसाला/ पशुपालन/उद्यान/मल्टीटायर/ सघन कृषि/ मुर्गी पालन/ वृक्षारोपण + फसल कृषि वानिकी/ बत्तख पालन/ मछली पालन/ सूअर पालन। |
उद्यान-आधारित | नारियल + मसाला/ फसल |
पशुधन –आधारित | पशुधन+ फसल/ मुर्गी पालन/ सब्जी की खेती/ बीज उत्पादन/ मसाले की खेती/ बकरी पालन/ उद्यान/ वानिकी-सह-चारा फसल+ फसल।
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