झारखण्ड पशुचिकित्सा सेवा संघ द्वारा विश्व रेबीज दिवस मनाया गया साथ में जिला इकाई जेवीएसए को सम्मानित किया गया
रांची।विश्व रेबीज दिवस का आयोजन झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ द्वारा किया गया
इस अवसर पर झारखंड राज्य के सभी पशु चिकित्सक जो मॉडल पशु चिकित्सालय में पदस्थापित है तथा जिला इकाई झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ के सभी सदस्यों के साथ केंद्रीय कार्यकारिणी में सम्मिलित पशु चिकित्सक एवं निदेशक पशुपालन पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान के निदेशक डॉ विपिन बिहारी महथा भी मौजूद रहे।
औषधि कंपनी virbac mankind ayurvet इत्यादि के प्रतिनिधि मौजूद रहे तथा इन लोगों के द्वारा प्रेजेन्टेशन दिया गया।
इस मौके पर केंद्रीय झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ रांची के अध्यक्ष ,महामंत्री और कोषाध्यक्ष द्वारा संयुक्त रुप से जिला इकाई पशुपालन सेवा संघ को प्रशासनिक स्वीकृति प्रमाण पत्र वितरण किया गया इस अवसर पर राज्य की बहुप्रतीक्षित मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना के संदर्भ में किए गए सुधारों पर विस्तृत चर्चा की गई।
महामंत्री डॉ शिवानंद काशी द्वारा बताया गया रांची नगर निगम छेत्र में Hope and Animal Trust के माध्यम से वर्ष 2020-2021 में 8500 कुत्तों का बंध्याकरण एवम 12800 कुत्तों का एंटीरेबिज टीकाकरण किया गया उसी प्रकार वर्ष 2021-2022 में 4500 कुत्तों का बंध्याकरण एवम 12400 कुत्तों का एंटीरेबिज टीकाकरण किया गया।रेबीज को कंट्रोल करने के लिए उस छेत्र के 70% कुत्तों की जनसंख्या को बंध्याकरण करना ABC rule 2001के प्रावधान के अनुसार नगर निकायों को करना है बताया गया।महामंत्री द्वारा
मुख्य अतिथि निदेशक पशुपालन, श्री शशि प्रकाश झा से संघ की निमन चिरप्रतिक्षित मांगों पर विस्तार से चर्चा की गई
1) पशु चिकित्सा सेवा के पदों के पुर्नगठन ।
2) पशु चिकित्सकों के लंबित एम ए सी पी।
3) शीघ्रता से रेगुलर प्रमोशन प्रदान करना।
4) गैर व्यवसायिक भत्ता प्रदान करना।
5) कैडर पदाधिकारियों की सेवानिवृत्ति उम्र सीमा 65 वर्ष करना।
6) झारखंड पशु चिकित्सा परिषद का गठन एवं चुनाव ,
7) राज्य में पशुपालन विभाग के सभी संस्थानों में मानव संसाधन की कमी को दूर करना।
8) ,पशु चिकित्सा को अनिवार्य सेवा घोषित करना।
9) नये पशुशचिकित्सकों का झारखण्ड लोक सेवा आयोग से अविलंब न्युक्ति एवं पदस्थापन करान।
10.पशुचिकित्सालय भवन को सुदृढ़ कर मानव संसाधन आउटसोर्सिंग /दैनिक मजदूरी कर नियुक्त करना।
11.संघ भवन के लिए 2 एकड़ भूमि
12.वैक्सीनेटर को मानदेय एवम नियंत्रण लिए sop
13.पशुपालन विभाग के संकल्प संख्या 238 दिनांक 8/4/2011 के द्वारा लागू किए गए बड़े पशु छोटे पशु बंध्याकरण शुल्क को निरस्त करना
14.राज्य में ivc act 1984 के section 30(b) को शक्ति से लागू करना क्योंकि मैत्री और बैक्सिनेटर अपना मूल कार्य AI एवम vaccination को छोदकर चिकित्सा कार्य में लगे हैं जो अवैध है।ड्रग कंट्रोल एक्ट के शेड्यूल H एवम H,1 drug गैर प्राधिकृत पशुचिकित्सक के सेल न हो यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया।
निदेशक पशुपालन ने संघ की सभी मांग को न्यायोचित बताया जिस पर सचिव महोदय से मिल कर यथाशीघ्र कार्यवाही करने का आश्वासन दिया।
इस अवसर पर निदेशक पशुपालन द्वारा मॉडल पशु चिकित्सालय से संबंधित विभिन्न विषयों की समीक्षा की गई निदेशक पशुपालन द्वारा मोबाइल वेटेरिनरी यूनिट के स्थापना की जानकारी दी गई तथा लंपी वायरस की रोकथाम पर कार्य करने हेतु सुझाव दिया गया।
संघ के Dr अमित द्वारा विभागीय पदों की पुर्नसंरचना एवं पुर्नगठन के सम्बन्ध में तैयार किए गए प्रस्ताव पर विस्तृत चर्चा बिन्दुवार की गई। प्रस्ताव में राज्य के सभी स्तर के पशुचिकित्साको का कर्त्तव्य एवं उनकी भूमिका पर तथ्यात्मक प्रकाश डाला गया,
निदेशक द्वारा सरकार स्तर से पशुचिकित्साको को विधि व्यवस्था एवं गैर विभागीय कार्यों से मुक्त रखने संबंधित निर्देश सभी उपायुक्त को दिया जायेगा, जिससे पशुचिकित्सक अपने मूल कार्य पशुचिकित्सा तथा विभागीय योजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर सके।
जिससे पशुचिकित्सक जनहित में राज्य की गरीब किसान, गरीब पशुपालन के माध्यम से आर्थिक उन्नयन एवं राज्य की अर्थव्यवस्था ,जीडीपी को बढ़ाने में अपनी अहम भूमिका अदा कर सके।
चर्चा में बताया गया कि प्रस्ताव में पहले से स्वीकृत बल को ही भारत सरकार के निदेश के अलोक में तैयार किया गया है, सरकार पर इस प्रस्ताव से कोई अतिरिक्त वित्तीय बोझ नहीं बढेगा, निदेशक महोदय के सुझाव पर माननीय मंत्री एवं सचिव महोदय के लिए एक एक पद तकनिकी सलाहकार के रूप में सृजित किया गया है। इससे विभाग एवं निदेशालय को भी कार्य सम्पादन में सुगमता होगी ।
साथ ही निदेशक महोदय द्वारा पशुपालकों एवं पशुचिकित्सकों के साथ साथ पशुचिकित्सालय को सुदृढ़, उसे मानव संसाधन एवं संसाधन युक्त करने ,अत्याधुनिक उपस्कर एवं उपकरण के साथ सुसज्जीत करने पर विशेष बल दिया गया ।
संघ के अध्यक्ष द्वारा बताया गया कि वर्तमान में अधिकांश पशुचिकित्सक बेसिक पद भ्रमणशील पशुचिकित्सा पदाधिकारी /प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी के पद पर ही सेवानिवृत हो जाते हैं जिससे उनमे घोर निराशा व्याप्त है जिसका सीधा असर उनकी कार्यक्षमता पर पड़ता है नए पुर्नगठन प्रस्ताव अधिसूचित हो जाने पर पशुचिकित्साकों की कार्यकुशलता में वृद्धि होगी और अपना सर्वस्व पशु की सेवा में देंगे जिससे पशु उत्पाद में जैसे दूध मांस अंडा उन उत्पादन में झारखण्ड आने वाले दिनों में आत्मनिर्भर होगा।
राज्य की जनता कुपोषण से भी मुक्ति मिलेगी तथा लोगों को पशु उत्पाद आधारित व्यवसाय कर अतिरिक्त आय होगी।
पुनर्गठन प्रस्ताव में प्रखंड में एनिमल हेल्थ सेंटर बनेगा जिसमें पशुचिकित्सालय को सुदृढ़ करना,मानव संसाधन युक्त बनाना ,अत्याधुनिक उपस्कर उपकरण के साथ सुसज्जीत किया जाना है जिससे पशुपालक को तुरंत प्रखंड स्तर पर ही उनके पशु के रोग का निदान हो जायेगा .निदेशक द्वारा पुनर्गठन प्रस्ताव पर सकारात्मक होते हुए कहा गया की यह संघ की जायज मांग है इससे रोजगार सृजन के साथ साथ पशुपालक आर्थिक रूप से भी आत्मनिर्भर होंगे और उनका पलायन भी रुकेगा उन्होंने इस विषय पर यथाशीघ्र कार्यवाही कर मांग पूरी करने का आश्वासन दिया है।संघ की मांग पर निदेशक ने झारखण्ड पशुचिकित्सा परिषद के चुनाव के सम्बन्ध में शीघ्र निबंधित पशुचिकित्सक का गजट प्रकाशन कराकर भारतीय पशुचिकित्सा परिषद अधिनियम 1984 के प्रावधानों के तहत चुनाव कराने के संबंध में आगे की कार्यवाही का आश्वासन दिया।
डॉ शिवानंद कांशी
महामंत्री
झारखण्ड पशुचिकित्सा सेवा संघ