डेयरी पशुओं में नस्ल सुधार कार्यक्रम में पशुपालक का अहम योगदान

0
640

डेयरी पशुओं में नस्ल सुधार कार्यक्रम में पशुपालक का अहम योगदान

डॉ. गौरव कुमार बंसल, टीचिंग एसोसिएट, सी.वी.ए.एस, नवानिया

डॉ. विष्णु कुमार, सहायक आचार्य, सी.वी.ए.एस, नवानिया

डेयरी पशुओं अर्थात गाय एवं भैंसों में नस्ल का विशेष महत्व है। एक शुद्ध एवं उत्तम नस्ल के पशु का प्रदर्शन एवं उत्पादन निस्संदेह रूप से अवर्णित कुल के पशु की तुलना में बेहतर होता है। चाहे बात दुग्ध उत्पादन की हो या भार वहन क्षमता की दोनों ही लक्षणों के लिए पशु का उत्तम एवं शुद्ध नस्ल का होना आर्थिक दृष्टि से लाभकारी होता है। वर्तमान समय में अनियमित एवं लगातार संकर प्रजनन के कारण देश की अनेक श्रेष्ठ नस्लें विलुप्त होने के कगार पर है। यदि इसी तरह ‘नस्लों की शुद्धता’ को अनदेखा किया गया तो एक समय ऐसा आयेगा जब कोई भी पशु शुद्ध नस्ल का नहीं बचेगा। देश में अभी 80 प्रतिशत अवर्णित कुल के पशु तथा केवल बीस प्रतिशत पशु ही शुद्ध नस्ल के है। ये शुद्ध नस्ल के पशु भी अधिकांश रूप से तथा केवल संगठित पशु फार्मों पर ही है। अतः हमें हमारी मूल नस्लों के संरक्षण हेतु दृढतापूर्वक प्रयास करने की आवश्यकता है ताकि हम हमारी इस जैविक धरोहर को आगामी पीढी के लिए बचाकर रख सके। राजस्थान में दुग्ध उत्पादन की दृष्टि से गायों में थारपारकर गिर राठी साहीवाल एवं कांकरेज नस्लें महत्वपूर्ण है। तथा भैंसों में मुर्रा एवं सुरती प्रमुख है। भार वहन क्षमता की दृष्टि से नागौरी नस्ल के बैल पूरे देश में प्रसिद्ध है। बढते मशीनीकरण ने आज नागौरी नस्ल के पशुओं को विलुप्ति के कगार पर खड़ा कर दिया है। साथ ही विदेशी एवं संकर पशुओं के उच्च दुग्ध उत्पादन के आकर्षण ने भी देशी दुधारू नस्लों को उपेक्षित कर दिया है। अतः इन नस्लों के संरक्षण हेतु पशुपालन से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति द्वारा इस दिशा में योगदान आवश्यक है। पशुपालन से सीधे तौर पर जुड़े होने के कारण पशुपालक नस्ल सुधार एवं संरक्षण कार्यक्रम की पहली कड़ी है। एक समझदार एवं जिम्मेदार पशुपालक को नस्ल सुधार को कभी भी अनदेखा नहीं करना चाहिए।

READ MORE :  AI- TIMING & TECHNIQUES FOR MAXIMUM CONCEPTION IN DAIRY CATTLE

एक सामान्य पशुपालक निम्न बातों का ध्यान रखकर नस्ल सुधार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है

  1. सदैव शुद्ध एवं श्रेष्ठ नस्ल के ही पशुओं का क्रय करे । यद्यपि ऐसे पशुओं का क्रयमूल्य अधिक हो सकता है। किन्तु कालान्तर में ये लाभकारी प्रमाणित होते है।
  2. जहां तक संभव हो पशुओं का क्रय किसी संगठित फार्म से किया जाये क्योंकि फार्म पर प्रत्येक पशु की उत्पादकता एवं वंश का रिकार्ड होता है जो चयन में अत्यन्त आवश्यक है।
  3. सभी प्रजनन एवं उत्पादन लक्षणों का रिकार्ड रखे तथा समय – समय पर रिकार्ड के पशु उत्पादकता वाले पशुओं का निस्तारण करते रहे ।
  4. मादा पशुओं का गर्भाधान सदैव शुद्ध नस्ल के सांड के वीर्य से ही करवायें । कई बार ऐसा होता है कि जब पशु ताव में होता है तब हमें उसी नस्ल के असंबंधित नर का वीर्य उपलब्ध नहीं हो पाता है तथा हम पशु को ग्याभिन करवाने की जल्दबाजी में अन्य नस्ल के वीर्य से गर्भाधान करवा लेते है। ऐसा कदापि नहीं करना चाहिए। यदि पशु शुद्ध नस्ल का हो तो उसका गर्भाधान उसी नस्ल के असंबंधित सांड या उसके वीर्य द्वारा किया जाना चाहिए।
  5. यदि पशु अवर्णित कुल का हो तो उसका गर्भाधान उस क्षेत्र की श्रेष्ठ नस्ल के सांड या उसके वीर्य से करवाना चाहिए। विदेशी नस्ल के सांडों या उनके वीर्य से गर्भाधान केवल उन्हीं अवर्णित पशुओं का कराना चाहिए जिनके लिए चारे की पर्याप्त उपलब्धता हो ।
  6. कोई भी ऐसा पशु जिसमें जन्म से ही कोई आनुवांशिक विकृति हो उसको प्रजनन के लिए उपयोग में नहीं लेना चाहिए।
  7. ताव में आये मादा पशु का गर्भाधान किसी भी स्थिति में नकारा या आवारा सांड से नहीं होने देना चाहिए। इसके लिए आवश्यक है कि ताव में आये हुए पशु को बाड़े में बांधकर ही रखा जावे ।
  8. दो संबंधित पशुओं के मध्य कभी भी प्रजनन नहीं होने देना चाहिए।
  9. यदि गाय या भैंस उत्तम नस्ल की हो तथा उनकी उत्पादकता अच्छी हो तो उनके नर बछड़ों या पाड़ों को खुला छोड़ देने या मांस हेतु बूचड़खाने में देने की बजाय किसी संगठित फार्म को नस्ल सुधार हेतु दे देना चाहिए ।
READ MORE :  Importance of Conservation of Indigenous Breeds of Livestock and Poultry

https://www.pashudhanpraharee.com/aithe-best-option-for-breed-upgradation/

https://www.xn--i1bj3fqcyde.xn--11b7cb3a6a.xn--h2brj9c/%E0%A4%AA%E0%A4%B6%E0%A5%81%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%A8-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%93%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%87-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON