‘खाने के लिए जानवरों की हत्या पर रोक नहीं लगा सकते’ : सुप्रीम कोर्ट
‘Killing Of Animals For Food Permissible Under Law’: Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कई तरह की PIL यानी जनहित याचिकाएं दायर की जाती हैं। हाल ही मांस के सेवन पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका में जानवरों की हत्या पर रोक लगाने और लोगों को लैब जनरेटेड मीट पर स्विच करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से इनकार किया और कहा कि देश में बड़ी आबादी को देखते हुए मांस के सेवन पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है। जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की डिवीजन ने कहा कि खाने के लिए जानवरों की हत्या, कानून के तहत स्वीकार्य है। ऐसे में इस पर रोक लगाया नहीं जा सकता है। मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस जोसेफ ने कहा कि क़ानून स्वयं खाने के लिए जानवरों की हत्या की अनुमति देता है तो कानून के विपरीत कोई पॉलिसी कैसे हो सकती है। जस्टिस जोसेफ ने आगे कहा कि याचिका के मुताबिक जानवरों के प्रति कोई क्रूरता नहीं होनी चाहिए. लेकिन कानून में ये पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत आता है. इस अधिनियम की धारा 11 खाने के लिए जानवरों को मारने की अनुमति देती है. आप कोर्ट से क्या पूछ रहे हों? क्या सरकार ऐसी नीति बना सकती है जो मौजूदा कानून के विपरीत हो?”
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ जस्टिस नागरत्न ने देश में बड़ी आबादी को देखते हुए मांस के सेवन पर प्रतिबंध नहीं लगाने से इनकार किया और कहा कि कानून मांस खाने की अनुमति देता है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आपने भारतीय संविधान के आर्टिकल 32 के तहत याचिका क्यों दायर की?
किसके मौलिक अधिकार प्रभावित हुए हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार किया और याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने को कहा।