EAR TAGS  पशुओं की पहचान

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EAR TAGS  पशुओं की पहचान
डा॰ मनोज कुमार सिन्हा एवं डा॰ अवनिश कुमार गौतम
बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना-14

राष्ट्रीय रोग नियंत्रण कार्यक्रम NADCP के तहत पशुओं का ईयर टैगिंग किया जाना सुनिषचित किया गया है। यह केन्द्र प्रायोजित सरकार की महात्वाकांक्षी योजना है। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण कार्यक्रम NADCP तहत एफ0 एम0 डी0 ;खुरहा एवं मॅंुहपकाद्ध एवं ब्रुसलोसिस टीकाकरण के पूर्व पशुओं में 12 अंको की विषिष्ट पहचान संख्या को टैग कर पशुओं की पहचान की जा रही है। पशुओं का पंजीकरण सूचना नेटवर्क पशु उत्पादकता और स्वास्थ प्लेटफार्म केन्द्रीय ;INAPH  बेस पर अपेक्षित डाटा अपलोड किया जाता है। सरकार ने गाय भैंस बकरी भेड़ एवं सुअरों सहित पूरे भारतवर्ष में 14.62 करोड. पशुओं में विषिष्ट पहचान संख्या से चिन्हित करने का लक्ष्य है। वर्ष 2009 में आधार कार्ड आने से पहले केंद्र में मवेषियों के लिए यू0आई0डी0 योजना शुरू की थी। पशुपालकों को इस योजना के प्रति जागरूक करते हुए शत प्रतिषत ईयर टैगिंग करने का लक्ष्य निर्धारित है।
ईयर टैगिंग करने की सही प्रक्रिया इस योजना की सफलता की कुॅंजी है। सब से पहले कान को स्परिट से साफ किया जाता है तत्पष्चात 12 अंको वाले प्लास्टिक के टैग को एपलिकेटर के माध्यम से लगाया जाता है। टैग को पंच करते समय कान की बड़ी नसो को बचाते हुए Non bleeding zone में पंच किया जाता है।
ईयर टैगिंग के फायदे/ लाभ:-
1. ईयर टैगिग पशुओं के लिए आधा कार्ड की तरह है इसलिए सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ टैग लगे हुए पंजीकृत पशुओं को प्राथमिकता के आधार पर दिया जाता है।
2. पशुओं को बीमा के लिए टैगिंग का होना अनिवार्य और लाभदायक है।
3. पशुओं के सभी रिकार्ड को इस टैग के माध्यम से INAPH entry कर पोर्टल पर सुरक्षित रखा जाता है।
4. टैग लगाने से गुम हो गये अथवा चोरी हुए पशुओं का पता लगाना आसान होता है।
5. भविष्य में पशुओं के आॅनलाइन क्रय-विक्रय प्राक्रिया में भी ईयर टैग लाभदायक है।
6. ईयर टैगिंग के साथ साथ पशु पालकों को हेल्थ कार्ड भी वितरित किया जाता है जिस के माध्यम से सरकार द्वारा चलाये जाने वाले निषुल्क टीकाकरण योजनाओं का रिकार्ड पशु स्वास्थ कार्ड के माध्यम से रखा जा सकता है।
7. ईयर टैगिंग के माध्यम से कृमिनाषक दवाओं से डिवर्मिग के ब्यौरे, टीकाकरण एवं नष्ल तथा दुगध उत्पादन क्षमता की जानकारी मिलती है।
8. पशुओं के कृत्रिम गर्भधान कार्य की चरणबध प्रगति आॅनलाइन अपडेट एवं नष्ल सुधार को नियंत्रित करने में मददगार है।
9. पशुओं में वंषावली रिकार्ड रखने में भी ईयर टैगिंग सहायक है बिहार में 20वीं पशु गणना के अनुसार कुल 2, 31,17,774 गाय भैंस में ईयर टैगिंग का लक्ष्य है साथ ही भेड़ बकरी सहित सुअरो में कुल 1,33,76,000 ईयर टैगिंग का लक्ष्य है जिस पर काफी तेजी से काम हो रहा है।
https://www.hindustantimes.com/lucknow/ear-tagging-stray-cattle-and-fining-owners-will-up-govt-crack-the-whip/story-GchILP1QNmBKzzmKWMbr2L.html

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