गांठदार त्वचा रोग (Lumpy Skin Disease)

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गांठदार त्वचा रोग (Lumpy Skin Disease) –

 

 यह पशुओं का विषाणु जनित रोग है , लंपी स्किन रोग वर्ष 1929 में सर्वप्रथम जांबिया अफ्रीका में मिला था, 2012 में यूरोप रूस और कजाकिस्तान के जरिए यह रोग तेजी से फैल रहा है ,एशिया महाद्वीप में यह रोग जुलाई 2019 में देखा गया है ,भारत में सर्वप्रथम 12 अगस्त 2019 में उड़ीसा राज्य में देखा गया।

रोग कारक

  • लंपी त्वचा बीमारी केप्रोपॉक्सी वायरस से होता है।
  • इसे नीडलिंग वायरस भी कहा जाता है।
  • देशी भाषा में इस रोग को गाठिया रोग भी कहते हैं।
  • यह रोग गाय-भैंसों को सबसे अधिक प्रभावित करता है।
  • विशेष रूप से इस रोग को सबसे ज्यादा गायों में देखा गया है।
  • लंबी त्वचा बीमारी एक संक्रामक रोग है जो पॉक्सीविरिडी वायरस  फैमिली से होता है ।

लंपी त्वचा रोग का फैलाव –

  • यह रोग काटने वाली मक्खियां, मच्छर, जूं, दूषित जल व दाने से फैलता है ।
  • यह रोग पशुओं से मनुष्यों में नहीं फैलता है अर्थात यह जूनोटिक नहीं है।
  • यह एक संक्रामक बीमारी है जो संक्रमित पशुओं के सीधे संपर्क में आने से दूसरे पशुओं में फैलती है अर्थात हम इसे कॉन्टेजियस डिजीज भी कहते हैं।
  • शुरुआत में छोटी-छोटी गांठे होती है तथा जब वह गांठ बाद में पककर फूट जाती है तब उस से निकला हुआ स्त्राव मक्खी मच्छर द्वारा  एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाए जाते हैं।
  • यह बीमारी न केवल संपर्क में आने से बल्कि यह वाहको के द्वारा भी फैलाए जाती है। देखा गया है कि देशी गायों की प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होती है तो यह बीमारियों से प्रभावित तो होते हैं परंतु इन में मृत्यु दर कम देखी गई है हालांकि बीमारी के बाद शरीर बहुत कमजोर पड़ जाता है तो अन्य बीमारियां जिन्हें वेटरनरी की भाषा में सेकेंडरी बीमारी कहा जाता है, सेकेंडरी बीमारी में ज्यादातर जीवाणु जनित रोग होते हैं अतः हम जीवाणुओं के संक्रमण को रोकने के लिए जानवरों को एंटीबायोटिक दे सकते हैं,
  • जैसे ही यह बीमारी के कुछ लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत हमें अपने पास के पशु चिकित्सक या किसी पशु रक्षक कर्मचारी संपर्क करना चाहिए।
  • यदि किसी कारणवश पशु की मृत्यु हो जाती है तो पशुओं के शरीर को बाहर खुले में नहीं छोड़ना चाहिए अगर हम उसके मृत शरीर को बाहर छोड़ते हैं तो जिससे वह चील ,कौवे ,कुत्तों के संपर्क में आ जाते हैं और जिससे कि बीमारी फैलने का खतरा बना होता है, यह बीमारी बाद में वायु जनित हो जाती है तथा विषाणु ओर ज्यादा खतरनाक और विश्वव्यापी होने लगता है।
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अतः हमें ध्यान देना है कि जब भी किसी पशु की मृत्यु होती है तो उसे सही तरीके से किसी गड्ढे मेंअगर आपका पशु दफन करना चाहिए जिससे कि वह जंगली– जानव,र पशु– पक्षी के संपर्क में ना आ पाए तथा हम इसका रोकथाम सही तरीके से कर सकें।

लंबी त्वचा रोग के लक्षण –

  • पशुओं के शरीर का तापमान बढ़ जाता है अर्थात पशुओं को तेज बुखार आ जाता है यदि बुखार के साथ-साथ उनके शरीर में छोटे-छोटे गाने निकलना शुरू हो गई तो यह संकेत देता है कि जानवर हो सकता है लंपी त्वचा रोग से प्रभावित हो, कभी-कभी किसान लंपी त्वचा की बीमारी और किसी अन्य बीमारी जिसमें की गांठे निकलती है मैं दुविधा में रहता है कि यह लंबी त्वचा बीमारी है या कोई अन्य बीमारी तो इससे हमें अगर यह पता लगाना है कि यह लंबी त्वचा बीमारी है तो उसका यह महत्वपूर्ण लक्षण है कि लंबित त्वचा बीमारी एक जानवर से दूसरे जानवर में बहुत जल्दी फैल जाता है तथा अन्य बीमारियां होती हैं जिस में गांठ बनती हैं वह एक जानवर से दूसरे जानवर में तेजी से नहीं फैल सकता है अतः हम कुछ अंदाजा लगा सकते हैं कि हो सकता है यह लंपी त्वचा बीमारी है,
  • पूर्ण तरीके से सही जानकारी लेने के लिए आप पशु चिकित्सक की सलाह ले सकते हैं,
  • पशु के संपूर्ण शरीर पर जगह-जगह पर गांठे बनने लगती है तथा इन घाटों का आकार 2 से 5 सेंटीमीटर तक होता है यह गांठ है पशु के गर्दन , नासिका ,जननांग, आंखों की पलकें , पेट और पूछ पर पाई जाती है
  • जब यह गांठे अपने चरम स्तर पर पहुंच जाती है तो इसका आकार छोटा हो जाता है तथा कई गांठ है घर जाते हैं लेकिन इसके संक्रमण से शरीर पर अल्सर जैसे घाव बन जाते हैं तथा घाव में कीड़े पड़ जाते हैं जिससे कि यह बीमारी अत्यधिक खतरनाक साबित होती है इसमें जानवर को बहुत दर्द होता है।
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रोकथाम

  • अगर आपका पशु इस बीमारी से ग्रसित हो गया है तो इस बीमारी से ग्रसित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखें,
  • पशुओं को मक्खी, चिचड़े एवं मच्छर के काटने से बचाएं, पशुओं के आसपास सफाई दैनिक रूप से करें जिससे की मक्खी एवं मच्छर की उत्पत्ति ना हो,
  • पशु की मौत हो जाती है तो मृत पशुओं पर सबको गहरे गड्ढे में दबा दीजिए
  • इस गंभीर समस्या के रोकथाम के लिए कई राज्यों में इस वायरस के विरोध में टीका का अभियान शुरू हो गए हैं।

 

 

 

नाम – नीलम पुरोहित

गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवम् तकनीकी विश्व विद्यालय (पंतनगर)

उत्तराखंड,

Collge of veterinary and animal sciences,

Internship student 2017 batch

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