लंपी स्किन डिजीज : इसके लक्षण और बचाव के उपाय

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Lumpy skin disease virus is spreading in East Asia

लंपी स्किन डिजीज : इसके लक्षण और बचाव के उपाय

Lumpy Virus क्या है ?

लम्पी वायरस (lampi virus) जानवरों में पायी जाने वाली एक जानलेवा बीमारी है। ये बीमारी दुधारू पशुओं में पाई जा रही है , मुख्य रूप से ये गायों में देखने को मिल रही है। इससे संक्रमित होने वाली गायों की हजारों की संख्या में मौत हो चुकी हैं। Lumpy Virus संक्रमित पशु के संपर्क में आने से ही अन्य स्वस्थ पशु को भी हो जाता है। Lumpy virus को विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन ने अधिसूचित बीमारी घोषित की है। इसका कोई पुख्ता इलाज अभी तक नहीं आया है। हालांकि इसका इलाज सिर्फ लक्षणों के आधार पर ही किया जा सकता है।

इस बीमारी को ‘गांठदार त्वचा रोग वायरस’ यानी LSDV नाम से भी जाना जाता है। पहले भी अन्य देशों में इस माहामारी से जानवरों के संक्रमित होने के मामले देखे गए हैं। यह वायरस सिर्फ पशुओं में ही फैलता है और इसके इंसानों में संक्रमण होने का कोई खतरा नहीं है। इस बात की पुष्टि एम्स के डॉक्टरों ने कर दी है।

 

क्या है लंपी वायरस (What is lumpy virus)

लम्पी स्कीन वायरस एक त्वचा रोग है. जिसकी वजह से पशुओं की स्किन में गांठदार या ढेलेदार दाने बन जाते हैं. इसको कैपरी पॉक्स वायरस के तौर पर भी जाना जाता है. इसको एलएसडीवी कहते हैं. यह वायरस एक जानवर से दूसरे जानवर में फैलता है. यह वायरस कैपरीपॉक्स वायरस पॉक्सविरिडाए परिवार के एक उप-परिवार कॉर्डोपॉक्सविर्नी के वायरसों की जीनस है. वायरस के जैविक वर्गीकरण के लिए ‘जीनस’ शब्द का प्रयोग किया जाता है. आसान भाषा में इसे ‘विषाणुओं की जाति’ कह सकते हैं. जीनस में तीन प्रजातियां होती हैं- शीप पॉक्स (SPPV), गोट पॉक्स (GTPV) और लंपी स्किन डिसीज वायरस (LSDV). जानकारी कहती है कि यह बीमारी मच्छर के काटने से जानवरों में फैलती है.

कैसे फैलता है लम्पी वायरस (lampi virus)?

लम्पी वायरस एक संक्रमित रोग है जो एक पशु से दुसरे पशु को हो जाता है। जानकारी के लिए बता दें कि इसका संक्रमण मुख्य रूप से मच्छरों, मक्खियों, तत्तैयो, जूं आदि से फैल सकता है। इसके अलावा पशुओं के सीधे संपर्क में आने से भी फ़ैल सकती है। खासकर साथ खाने / दूषित खाने और पानी के सेवन करने से भी ये बीमारी फ़ैल सकती है। Lumpy Virus एक बहुत ही तेजी से फैलने वाला वायरस है। वर्तमान में 15 से भी अधिक राज्यों में इस बीमारी के फैलने की पुष्टि हो चुकी है। इस बीमारी से पशुओं को बचाने के लिए समय पर लक्षणों की पहचान कर उनके आधार पर इलाज शुरू कर देना ही एकमात्र तरीका है।

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लंपी वायरस के लक्षण

यहाँ पर हम आपको लंपी वायरस के कुछ लक्षणों के बारे में बताने वाले हैं ताकि आप भी जान सकें की अगर कोई लंपी वायरस से ग्रसित हैं। ताकि आप उस गाय का जल्द से जल्द इलाज करवा सकें।पशु को बुखार आना, वजन में कमी, आंखों से पानी टपकना, लार बहना, शरीर पर गांठें पड़ना, दूध कम देना और भूख न लगाना इस वायरस के प्रमुख लक्षण है. यह वायरस पशुओं में बना रहता है. इस वायरस के प्रकोप से शरीर दिन प्रतिदिन खराब होते जाना.

  1. अगर कोई पशु इस लंपी वायरस के चपेट आ जाती हैं तो सबसे पहले उस गाय को बुखार होने लगेगा और वह गाय अपने सुस्त रहने लगेगी।
  2. अगर कोई गाय इस वायरस की चपेट में आती हैं तो उसकी आंखों और नाक से स्राव होता है और उस गाय के मुँह से लार भी टपकने लगती हैं।
  3. जब किसी गाय को यह बीमारी हो जाती हैं तो उस गाय की दूध देने की क्षमता कम हो जाती हैं।
  4. जब इस वायरस की चपेट में कोई गाय आ जाती हैं तो उस गाय के शरीर पर छाले पड़ने लगते हैं और उन चालों की वजह से उस गाय को काफी तकलीफ होने लगती हैं।
  5. इस वायरस के होने के कारण वह पशु अपना चारा भी नहीं खाती व पानी भी नहीं पीते हैं।

 

इस बीमारी के क्या हैं लक्षण  

  • लगातार बुखार रहना
  • वजन कम होना
  • लार निकलना
  • आंख और नाक का बहना
  • दूध का कम होना
  • शरीर पर अलग-अलग तरह के नोड्यूल दिखाई देना
  • शरीर पर चकत्ता जैसी गांठें बन जाना

 

लंपी वायरस से बचाव के तरीके

तो दोस्तों यहाँ पर हम आपको लंपी वायरस से बचाव के तरीको के बारे में बताने वाले हैं।पशु चिकित्सकों का कहना है कि इस वायरस से वचाव के लिए अभी तक कोई एंटीवायरल दवा उपलब्ध नहीं है. इस रोग से वचाव के लिए एक मात्र तरीका है, इस रोग से प्रभवित पशुओं को काम से काम 28 दिन के लिए आइसोलेट कर दिया जाये. इस वायरस को कण्ट्रोल करने के लिए भारत में पशुओं को गोट पॉक्स वैक्सीन की डोज दी जा रही है. बता दें कि लंपी वायरस को रोकने के लिए सरकार ने लंपी-प्रोवैक आईएनडी नाम से एक नई स्वदेशी वैक्सीन लॉन्च की है. इस वायरस की रोकथाम के लिए कुछ सुझाव दिए है.

  • लंपी रोग से प्रभावित पशुओं को दूसरे पशुओं से अलग रखें
  • मक्खी, मच्छर, जूं आदि से पशुओं को बचाकर रखे, क्योंकि यह बीमारी को फैलाती है.
  • लंपी वायरस से प्रभावित पशुओं को फिटकरी के पानी से नहलाना चाहिए.
  • रात के समय पशुओं के पास नीम के पत्तों को जलाकर धूवा करें
  • जहाँ प्रभावित पशु रहता उस पूरे क्षेत्र में कीटाणुनाशक दवाओं का छिड़काव करें
  • इस वायरस की वजह से पशु की मृत्यु होने पर शव को खुला न छोड़ें
  • इस वायरस से प्रभावित पशुओं की ज्यादातर मौत हो जाती है.
  1. अगर किसी गाय को यह वायरस हो जाता हैं तो उस गाय को बाकी गायों से अलग करदे ताई बाकी पशुओं में यह फेल न सकें।
  2. क्योंकि यह बीमारी मक्खी, मच्छर, व ततैया, से भी फेल रही हैं इसलिए अपने पशुओं के रहने की जगह को साफ़ रखे ताकि उनके आसपास यह चीजें न आ सकें।
  3. जिस चीज में पशु खाना खाते हैं या पानी पीते हैं उन चीजों को पूर्ण रूप से साफ़ रखे।
  4. अपने पशुओं के केवल साफ़ चारा ही खिलाये।
  5. संक्रमित पशु के खाने व पीने के बर्तन को बाकी पशु से अलग रखें।
  6. अगर आपके आसपास कोई संक्रमित क्षेत्र हैं तो उस क्षेत्र से पशु को आना जाना बंद करें।
  7. संक्रमित पशु के आस पास कीटाणु मरने वाले केमिकल का छिड़काव करें।
  8. ध्यान रहे जब आप अपने पशु का सैंपल ले रहे हो तो उस समय आपको सावधानी बरतनी होगी। पीपीई किट का प्रयोग करें।
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गौमाता को कदापि भी नहलाना नही है ,कोई भी वैक्सीन नही देनी है , और कोई भी एंटीबायोटिक या कोई भी एलोपेथी दवाई नही देनी है । ये खास ध्यान रखे ।

जिन गौमाता को लंपी नही हुआ है उनके लिए 2 फार्मूला है । उसमें से कोई भी एक आप कर सकते है ।

(1) Merc sol 1m

Belladonna 1m

इन दोनों होमियोपैथिक दवाई की (7…7)बूँदे 100 ml पानी मे ड़ालकर 100 झटके देने है । फिर उसमें से केवल 1 ml दवाई ही देनी है ।मात्र एक बार ही देनी है । फिर नही देनी ।

(2) Variolinum 200 — इस दवाई की 15 ड्रॉप्स सुबह खाली पेट 20 ml पानी में दे । फिर 3 या 4 दिन बाद वापस एक बार दे । इससे लंपी रोग नही होगा ।

विशेष जिन गोशालाओं में 100-500-1000 गोवंश है वो एक टँकी 1000 लीटर पानी मे मात्र 5ml वेरियोलिनम दवाई इंजेक्शन से भरकर पानी मे डाल देंवे ।

अब जिन गौमाता को ये रोग हो गया है उनके लिए नीचे दिया गया उपचार करें

Merc sol 200

Rus tox 200

इन दोनों होमियोपैथिक दवाओं को काँच या प्लास्टिक की साफ बोतल में , आधा लीटर साफ वर्षा का पानी (सबसे उत्तम) यदि ये न मिले तो डिस्टिल water ले ( न मिले तो RO का पानी लें) । उस पानी मे इन दोनो मेडिसिन की 90 -90 बूँदे डाल दे ।फिर उस बोतल को 50 बार झटकें दे । उसके बाद इस दवाई में से केवल 1 ml (40 ड्रॉप्स )आपको देनी है । ये दवाई सुबह खाली पेट ( 6 बजे ,9 बजे ,12 बजे ओर 3 बजे दे ) ।यह दवा कुल 7 दिन देनी है ।

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Belladona 200 — ये दवा बुखार में कभी भी दे सकते है । रात को एक बार 15 बूँद जरूर देंवे ,आधा कप पानी मे देनी है ।

लम्पी पीड़ित प्रत्येक गौमाता को रोज 7 दिन के लिये विशेष काढ़ा :-

10 पत्ते बरगद

10 पत्ते पीपल

इन सभी को 2 लीटर पानी मे पीतल या लोहे के बर्तन में डालकर धीमी आंच उबालना है । जब तक आधा लीटर शेष रह जाये तब फिर इसके दो भाग करके ले आधा शाम को व शेष आधा सुबह जल्दी पिलाएं जी ।

पंचगव्य स्प्रे :-

आधा किलो अरण्डी के पत्ते ,200 ग्राम पुनर्नवा (santi) के मूल न मिले तो केवल अरण्डी के पत्ते ले सकते हैं ) इनको हल्का ओखली में कूटकर ,2 लीटर गौमुत्र में उबाल लें जब 1 लीटर के करीब शेष रह जाए तब इसमे 250 ml अरण्डी का तेल मिला ले । इसको ठंडा करके बोतल में भर लेंवे इसकी फिर पैरो के चारो ओर स्प्रे करे दिन में जहाँ सूजन है । वहाँ करे । काढ़ा और स्प्रै जरूर करे । इससे निमोनिया नही होगा और सूजन भी ठीक होगी बहुत जल्दी। ओर जिनको निमोनिया है, वो भी जल्दी ठीक हो जाती है । ये सब हजारों गायो पर किया हुआ सफल उपचार है , सभी से बिनती है कि ये जरूर करे और गौमाता को स्वस्थ करे ।

विशेष सावधानी :-

ये दवाएं धूप में न रखे ,खुली न रखे व हाथ भी न लगाएं जी और जब गाय चारा खा रही हो उसके आधे घण्टे आगे पीछे कुछ न दे । जब भी आप कोई भी धुमनी या धुंआ करे तब न दे।

गौमाता को सादा पानी न दे । शुद्व गोबर या लकड़ी की राख (चूल्हे की राख )एक मुट्ठी राख गाय को पानी मे ड़ालकर फिर निथारकर ही पानी पिलाये । इससे उनको कैल्शियम और फॉस्फोरस की कमी नही होगी । और गौमाता स्वस्थ रहेगी ।

हमारा प्रिय गौधन का जीवन बचना चाहिए ।

हमने अपना धर्म निभाया अब आप भी अपना धर्म निभायें जी ।

*जय सीताराम*

*जय योगेश्वर*

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