पशुपालकों को लंपि स्किन डीजीज से संबंधित जानकारी

0
540

क्या है लम्पी स्किन डिसीज..??

लम्पी स्किन डिसीज पशुओं की एक वायरल बीमारी है, जो कि पॉक्स वायरस द्वारा पशुओं में फैलती है। यह रोग मच्छर काटने वाली मक्खी एवं टिक्स आदि से एक पशु से दूसरे पशुओं में फैलती है।

🔵 लम्पी स्किन डिसीज के लक्षण

इस रोग के शुरूआत में हल्का बुखार दो से तीन दिन के लिये रहता है, उसके बाद पूरे शरीर के चमड़ी में गठान (2-3 सेमी) निकल आती है। यह गठान गोल उभरी हुई होती है जो कि चमड़ी के साथ-साथ मसल्स की गहराई तक जाती है। इस बीमारी के लक्षण मुंह, गले, श्वास नली तक फैल जाती है साथ ही लिंफ नोड में सूजन, पैरों में सूजन, दुग्ध उत्पादकता में कमी, गर्भपात, बांझपन और कभी-कभी मृत्यु भी हो जाती है। यद्यपि अधिकतर संकमित पशु 2-3 सप्ताह में ठीक हो जाते हैं किन्तु दुग्ध उत्पादकता में कमी कई सप्ताह तक बनी रहती है। मृत्यु दर 15 प्रतिशत है किन्तु संक्रामकता की दर 10-20 प्रतिशत रहती है।

🔵 क्लीनिकल सर्वेलेंस

संक्रमित पशु का सर्वेलेंस चमड़ी में गठानों के आधार पर किया जाता है। संक्रमण दर एवं मृत्युदर के डेटा निर्धारित प्रपत्र में DHAD को भेजा जाता है।

🔵 सैंपल

संक्रमित पशु से खून के नमूने ( EDTA) में एवं गठानों की बायोप्सी को लिया जाता है जो कि ICAR NISHAD भोपाल में जांच हेतु भेजा जाता है।

🔵 सुरक्षा एवं बचाव के उपाय

👉संक्रमित पशु को स्वस्थ पशु से तत्काल अलग करना चाहिये।

👉संक्रमित पशु को स्वस्थ पशु के झुण्ड में शामिल नहीं करना चाहिये।

👉संक्रमित क्षेत्र में बीमारी फैलाने वाली वेक्टर (मक्खी मच्छर आदि) के रोकथाम हेतु आवश्यक कदम उठाया जाना चाहिये।

READ MORE :   MOTHERLAND IS TACKLING WITH LSD

👉संक्रमित क्षेत्र से अन्य क्षेत्रों में पशुओं के आवागमन को प्रतिबंधित किया जाना चाहिये।

👉संक्रमित क्षेत्र के बाजार में पशु बिकी, पशु प्रदर्शनी, पशु संबंधित खेल आदि पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगाया जाना चाहिये।

👉संक्रमित पशु से सेम्पल लेते समय सभी सुरक्षात्मक उपाय जैसे- पी.पी.ई. किट आदि पालन किया जाना चाहिये।

👉संक्रमित क्षेत्र के केन्द्र बिन्दु से 10 किमी परिधि के क्षेत्र में पशु बिकी बाजार पूर्णतः प्रतिबंधित किया जाना चाहिये।

👉संक्रमित पशु प्रक्षेत्र, घर आदि जगहों पर साफ- सफाई, जीवाणु व वीषाणुनाशक रसायन जैसे( 20% ईथर, क्लोरोफार्म, फार्मेलीन (1%), फिनाइल (2%), सोडियम हाइपोक्लोराइड (3%). आयोडीन कंपाउंड (1:33 ). अमोनियम कम्पाउंड) आदि से किया जाना चाहिये।

👉पशु संक्रमित से सीमन संग्रहण कार्य नहीं किया जाना चाहिये।

👉संक्रमित पशु के ठीक होने के बाद सीमन एवं ब्लड सीरम की जांच PCR से किया जाना चाहिये, जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ही ए.आई. या सर्विस के लिये उपयोग होना चाहिये।

🔵 उपचार

👉बीमार पशु को स्वस्थ पशु से अलग रखना चाहिये

👉पशु चिकित्सक के निर्देश अनुसार उपचार किया जाना चाहिये।

👉Secondary Bacterial Infection रोकने के लिए पशु में 5-7 दिन तक एन्टीबायोटिक लगाना चाहिए।

👉Anti Inflammatory and Anti Histaminic लगाना चाहिये।

👉बुखार होने पर पैरासिटामॉल खिलाना चाहिये।

👉 Eroded Skin पर एन्टीसेप्टिक Fly repellant ointment लगाना चाहिए।

👉पशु को मल्टीविटामिन खिलाना चाहिये।

👉 संक्रमित पशु को पर्याप्त मात्रा में तरल खाना, हल्का खाना एवं हरा चारा दिया जाना चाहिये।

👉डिस्पोजल संक्रमित मृत पशु को जैव सुरक्षा मानक के अनुसार डिस्पोज किया जाना चाहिये ।

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON