दुग्ध शुष्किकरण डेयरी गाय के दुग्धकाल चक्र का सबसे महत्वपूर्ण चरण
डाॅ. एन.एस.रावतए डाॅ. ए.के. मिश्रा, डाॅ. उपेंद्र सिंह नरवरियाए डाॅ.शैलेन्द्र सिंहए डाॅ.सोमेश मेश्राम एवं डाॅ.कविता रावत
पशुचिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन महाविद्यालय, रीवा (म.प्र.)
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शुष्किकर े के लाभ
ऽ सर्वोत्तम पशु स्वास्थ्य
ऽ अगले दुग्धकाल में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
ऽ दूध देने वाले वाले जानवरों को आराम करने का अवसर मिलता ह।
ऽ स्तन ऊतक पुनः सामान्य अवस्था में आना
ऽ गाय और उसका अयन अगले दुग्धकाल के लिए तैयार होते
शुष्क काल की अवधि
ऽ ऽपशुओं में आदर्श शुष्क काल अवधि 45 – 65 दिन के आसपास होनी चाहिए
ऽ 40 दिनों से कम या 80 दिनों से अधिक की शुष्क अवधि अगले दुग्ध चक्र में 5-10ः कम दूध उत्पादन होगा
ऽ यदि गाय को शुष्क अवधि नहीं दी गई है, तो अगले दुग्धकाल में दूध उत्पादन 25 से 30ः कम होगा
सूखने की प्रक्रिया
ऽ सुखाने से २-३ सप्ताह पहले दाना मिश्रण देना धीरे धीरे कम कर देना चाहिए
ऽ सुखाने से 1-2 सप्ताह पहले दाना मिश्रण देना बंद कर देना चाहिए
ऽ गाय को सुखाने की योजना से ३ दिन पहले शुष्क पदार्थ देना कम कर देना चाहिए
ऽ अचानक दूध दुहना बंद कर दो किंतु पानी पर्याप्त दे
ऽ गाय के सूखने के बाद रोजाना उनकी जाँच करें
ऽ आदर्श रूप में गायों को सुखाने के बाद रखरखाव आहार के लिए एक सप्ताह चरागाह पर रखना चाहिए
शुष्क काल की फिजियोलॉजी
ऽ दुग्धकाल के दौरान स्तन ग्रंथि का प्राथमिक कार्य निरंतर संश्लेषण और बड़ी मात्रा में दूध के स्राव करना है।
ऽ शुष्क काल के दौरान, स्तन ग्रंथि तीन अलग-अलग चरणों से गुजरती है
1. सक्रिय जटिलताः सक्रिय जटिलता का समय सतत दुग्ध उत्पादन का बंद होने से शुष्क काल के ३-४ सप्ताह तक
2. स्थिर अवस्था जटिलताः इस चरण की लंबाई शुष्क अवधि की लंबाई के साथ आनुपातिक रूप से बढ़ेगी या घटेगी
3. कोलोस्ट्रम का निर्माणः कोलोस्ट्रम का गठन ब्यांत के एक से तीन सप्ताह पहले शुरू होता है और इसकी विशेषता है-
ऽ दूध उत्पादित करने वाली कोशिकाओं का विकास
ऽ एंटीबॉडी का संचय
ऽ दूध के स्राव की शुरुआत
पशु को शुष्क करने की विभिन्न विधियाँ निम्न हैः
1. दूध निकालना पूर्णतः बंद करकेः
इस विधि द्वारा कम दुग्ध उत्पादन वाले पशुओं को शुष्क किया जाता है। अचानक दूध निकालना बंद कर देने से अयन में उपस्थित दूध के दबाव से दुग्ध निर्माण की प्रक्रिया धीमी हो जाती है, जिससे कुछ दिनों के पश्चात दूध बनना बंद होने से पशु शुष्क हो जाता है।
2. अपूर्ण दुग्ध दोहन द्वाराः
यह विधि अधिक दूध देने वाले पशुओं को शुष्क करने में प्रयोग की जाती है। इस विधि में अयन से निकाले जाने वाले दूध की मात्रा धीरे धीरे कम करते जाते है। इस तरह एक दो सप्ताह की अवधि में पशु को शुष्क कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया को शुरू करने के दो सप्ताह पूर्व से ही पशु को दिए जाने वाले दाना मिश्रण की मात्रा में कमी कर देने से पशु को शुष्क करना आसान हो जाता है।
3. कभी कभार दोहन द्वाराः
शुष्क करने की यह प्रक्रिया मेस्टाइटिस से ग्रसित पशुओं के लिए मुख्य रूप से अपनाई जाती है जिसमें दो से तीन दिनों के अंतराल पर अयन से दूध निकालने के बाद थनों के छिद्र से एंटीबायोटिक दवाई प्रवेश करा दी जाती है।
शुष्क गाय चिकित्सा
ऽ पशु के शुष्क हो जाने पर उसके थनों में एंटीबायोटिक दवाई प्रवेश करा दी जाती है। ऐसा करने से शुष्क काल के दौरान पशु के थनों में रोगकारकों के प्रवेश न कर पाने से उन्हें थनैला रोग से बचाया जा सकता है। इसे अपनाने के लिए पशुपालक को अपने नजदीकी पशुचिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। इस तरह स्पष्ट है कि शुष्ककाल के दौरान पशु की आहार, आवास तथा स्वास्थ्य संबंधी बंहतर देखभाल करने से न केवल स्वस्थ बच्चे की प्राप्ति सुनिश्चित होती है बल्कि माँ का स्वास्थ्य भी बेहतर रहने से उसके द्वारा ब्यांत उपरांत अपनी क्षमता के अनुरूप दुग्ध उत्पादन किया जाता है। इन सबसे पशुपालक की आय में निश्चित रूप से वृद्धि होगी।
आवास
ऽ आदर्श शुष्क गाय आवास में प्रति गाय 30 इंच बंक स्थान चाहिए, पानी का उपयोग, एक बिना फिसलन चलने फिरने वाला सतह और गाय को लेटने के लिए पर्याप्त स्थान प्रदान करेगा। यह सुझाव दिया जाता है कि ब्यांत के २ महीने पहले करीब ७५ से १०० स्क्वायर फीट स्थानध् गाय की जरुरत होती एवं ब्यात के २१ दिन पहले १००- ३०० स्क्वायर फीट स्थानध्गाय जरुरत होती हे। बहुत जयादा शुष्क गायों को एक साथ नहीं रखना चाहिए
आहार
ऽ शुष्क गाय का के बॉडी कंडीशन स्कोर 3.5-4 होना चाहिए
ऽ दाना मिश्रण 3.5 किलोग्राम ध् दिन देना चाहिए
ऽ राशन में 10-12ः क्रूड प्रोटीन और 8.5-9ः चयापचय ऊर्जा होना चाहिए
ऽ राशन मे नमी की मात्रा 55 प्रतिसत होनी चाहिए
स्वास्थ्य
ऽ कृमिनाशक दवाई देना-शुष्क काल गोलकृमि और फ्लूक के इलाज के लिए अच्छा समय है
ऽ विटामिन – गाय को सूखने पर विटामिन ए, डी और ई और सेलेनियम के इंजेक्शन देने से फायदा होगा
ऽ टीकाकरण- टीकों को प्रशासित करने के लिए शुष्क अवधि एक अच्छा समय है। टीकाकरण का सबसे अच्छा समय गाय बच्चा देने से 7 से 8 सप्ताह पहले दिया जाए। यदि गाय को पहले कभी टीका नहीं लगाया गया है तो उसे दो खुराक प्राप्त करनी चाहिए पहला टिका एक महीने पहले देना चाहिए।
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