देसी मुर्गी पालन का आधुनिक तरीका
भारत में मुर्गी पालन एक बहुत ही लोकप्रिय कारोबार है, जिसके तहत किसान और पशुपालक घर बैठे मुर्गी फॉर्म चलाते हैं और उसके जरिए हर महीने अच्छा खासा मुनाफा भी कमाते हैं। ऐसे में अगर आप भी मुर्गी पालन के बारे में सोच रहे हैं, तो इस व्यापार से आप न सिर्फ अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं बल्कि इसके लिए आपको सरकार की तरफ से मदद भी मिलेगी।
दरअसल देसी मुर्गी पालन के लिए बहुत बड़े निवेश की जरूरत नहीं होती है, जबकि इस व्यापार में नुकसान होने का खतरा भी न के बराबर होता है। ऐसे में सिर्फ 40 से 50 हजार रुपए का निवेश करने से देसी मुर्गी पालन के व्यवसाय को शुरू किया जा सकता है, जिसके लिए सिर्फ घर में खाली जगह, खेत या आंगन की जरूरत होती है।
देसी मुर्गी पालन 2 तरह से की जाती है।
पहला है बैकयार्ड मुर्गी पालन |
बैकयार्ड मुर्गी पालन छोटे स्तर पर मांस अथवा अंडे उत्पादन के लिए की जाती है| देसी मुर्गी पालन के लिए हमें अधिक स्थान की जरूरत नहीं पड़ती है आप इसे अपने घर के आंगन, खाली जगह अथवा खेतों में कर सकते हैं।
इसके लिए आपको अतिरिक्त समय देने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी मुर्गियां खुद से चारा दाना चुन लेती हैं, और अपना पेट भरा लेती हैं, इसमें आपको अपने मुर्गियों को किसी भी प्रकार का पोल्ट्री दाना अथवा दवाइयां देने की आवश्यकता नहीं पड़ती है मुर्गी नेचुरल प्राकृतिक तरीके से बड़ी होती है। आप खाने में घर का बचा हुआ खाना रोटी चावल मकई दर्रा इत्यादि चीजें खिला सकते हैं।और मुर्गी तैयार कर सकते हैं। बैकयार्ड देसी मुर्गी पालन शुरू कम से कम 20 मुर्गियों से और अधिक से अधिक 50 मुर्गियों से शुरू कर सकते हैं। इससे ज्यादा मुर्गियां यदि आपको पानी हो तो फार्म बनाकर मुर्गियां पानी पड़ेगी।
दूसरा है फार्म ( सेड ) बनाकर पालन कर सकते हैं।
100 मुर्गियां 500 देसी मुर्गियां या आपकी इच्छा के अनुसार जितना मुर्गियां पालन करना चाहते हैं आप सेड बनाकर देसी मुर्गियों का पालन कर सकते हैं, आप अधिक मुर्गी बैकयार्ड मुर्गी पालन की विधि से पालन नहीं कर सकते हैं इसके कई कारण है।
जिनमें से पहला है “यदि आप फ्री रेंज में अधिक ज्यादा मुर्गियों का पालन करेंगे तब आपको मुर्गियों की संख्या का जानकारी नहीं हो पाएगी जो खुले में चलने के लिए गई थी और वापस आने पर कितनी मुर्गियां आई और कितनी नहीं आ पाई इस तरह से आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है।और दुसरे जानवर जैसे कुता,बिल्ली,चिल कौवे भी नुकसान पंहुचा सकते है|
दूसरा बड़ी संख्या में मुर्गियां होने के कारण उनमें बीमारी होने की अधिक संभावना होती है ऐसे में उन्हें विशेष तौर पर देख रेख, खानपान और समय पर दवाइयां देने की आवश्यकता पड़ती है, जिससे मुर्गियों की विकास दर में कोई भी गिरावट ना आ सके और समय पर मुर्गियां तैयार हो सके अथवा अंडे में कोई कमी ना हो सके। इसलिए मुर्गियों को सेड बनाकर रखना पड़ता है।
100 देसी मुर्गी पालन में कितना खर्च आएगा।
चलिए विस्तार से समझते हैं सब देसी मुर्गी पालन में कितना खर्च आएगा।
पहला है चूजा जिसकी कीमत मार्केट में 30 से ₹35 प्रति पीस होती है इस तरह से 35 * 100=3500 रुपए होता है।
एक मुर्गी को तैयार करने के लिए 2 केजी दाना की आवश्यकता पड़ती है इस तरह से 100 मुर्गियों के लिए 200 किलोग्राम दाना देने की आवश्यकता पड़ेगी और एक बोरी दाना 50 केजी की होती है और दाने की कीमत 1500 से 2000 रुपए के बीच होती है इस तरह से 6000 रुपए से 8000 रुपए होती है।
दवाइयों का खर्च मुर्गियों में ₹1000 से ₹2000 मान लेते हैं। और अतिरिक्त खर्च ₹1000 लेकर चलते हैं।
100 देसी मुर्गियां तैयार होने में लगभग 4 से 5 महीना का समय लगता है।
- छोटा चूजा खर्च 3500 रू
- दवा खर्च ₹ 2000
- दाना खिलाने में खर्च 6000 से ₹ 8000
- अतिरिक्त खर्च ₹ 2000
- टोटल खर्च13,500 रुपए
100 मुर्गियों में बचत ( Total Profit in 100 Desi Murgi Palan )
100 मुर्गियों का टोटल खर्च ₹13,500 यह अनुमानित है परंतु इससे 2000,3000 अतिरिक्त लागत कम या ज्यादा लग सकती है इससे ज्यादा खर्च नहीं होगा।
100 मुर्गियों में मान कर चलते हैं। 5 मुर्गियां मर गई बचा 95 मुर्गियां, सभी 95 मुर्गियां 1 Kg 200 ग्राम के आसपास है, इस तरह से टोटल वजन मुर्गियों का 114 किलोग्राम होता है, और 114 किलोग्राम को ₹350 से गुणा करने पर ₹39,900 होता है,
इस तरह से ₹39,900 को ₹13,500 से घटा देते हैं तब टोटल बचत होती है। 26,400 रुपए।
- 95 मुर्गियों का वजन 1.200 किलोग्राम = 114 kg,
- 114 kg * 350रू = 39.900 रू होता है,
- total आमदनी 39.900 को total खर्च 13.500 से घटाने पर बचत होता है 26.400 रुपए ।
देसी मुर्गी पालन के फायदे (Domestic Poultry Farming Benefits)
- देसी मुर्गी का मांस अधिक स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है |
- बाज़ारो में भी देसी मुर्गी की अधिक डिमांड रहती है |
- बाजार में इसके अच्छे दाम मिल जाते है |
- किसान भाई इसका पालन बैकयार्ड मुर्गी के रूप में भी कर सकते है |
- गरीब किसान देसी मुर्गी पालन को अपनी कमाई का जरिया बना सकते है |
- देसी मुर्गी पालन कम लागत में भी कर सकते है |
- आमदनी बढ़ाने में किसानो का अतिरिक्त साधन बन सकता है |
देसी मुर्गी पालन कैसे करे (Desi Poultry Farming)
किसी भी तरह के मुर्गी पालन में उनका भविष्य पोषण पर निर्भर होता है | अगर आप पाली गयी मुर्गियों को अच्छा पोषण देंगे तो उनका विकास भी उतना ही अच्छा होगा | आज-कल बाज़ारो में मुर्गियों के लिए आसानी से पोषित आहार मिल जाता है | जिसे खरीद कर मुर्गियों को दे सकते है | लेकिन अगर आप बाजार से आहार नहीं खरीदना चाहते है, तो आप घर पर भी आहार तैयार कर खिला सकते है |
आहार तैयार करते समय एक बात का ख्याल रखे कि आहार दूषित या उसमे किसी तरह की हानिकारक चीज न मिली हो | ख़राब व् हानिकारक आहार से मुर्गियों की मृत्यु भी हो सकती है |
देसी मुर्गी पालन करने जा रहे हैं तो जान लें किस तरह करें प्रमुख नस्ल का चुनाव और क्या-क्या बरतें सावधानियां
देसी मुर्गी की नस्ल
देसी मुर्गी की प्रमुख नस्लें श्रीनिधि, वनराजा, हाजरा मुर्गी, देसी कोयलर मुर्गी, देसी सोनाली मुर्गी है।
देसी सोनाली मुर्गी
यह मुर्गी 3 से 4 माह में 1 किलोग्राम की हो जाती है सोनाली मुर्गी मीट एवं अंडा उत्पादन के लिए सबसे उपयुक्त मुर्गी है सोनाली मुर्गी 1 साल में 1200 सौ से 1400 साल में अंडे देती है ।
Sonali Murgi Breeds details
असल में सोनाली मुर्गी एक Cross Breeds है, फयौमी मादा और (र्होले आइलैंड रेड नर ) के बीच का है|यह नस्ल अंडा देने में बाकी सभी मुर्गीयों से आगे है,और वजन भी जल्दी प्राप्त करती है|
सोनाली मुर्गी देसी नस्ल की मुर्गी है | |
Sonali Murgi 70 से 80 दिनो में 1 किलोग्राम की होजाती है | |
सोनाली मुर्गी का वजन 1.5 किलोग्राम तक हो सकता है | |
मुर्गे का वजन 2 से 2.5 किलोग्राम का हो सकता है | |
सोनाली मुर्गी 4 से 5 माह के अंदर अंडा देंना शुरु कर देते है | |
और अंडे का कीमत देसी अंडे की भाव से बिकती है 10 से 15 रूपए पिस |
Sonali chicks की कीमत 25 से 35 रूपए होती है, [ zero day chicks की ] |
21 से 30 दिनों वाला chicks की कीमत 70 से 90 रूपए तक होती है | |
सोनाली मुर्गी 200 से 280 अंडे एक साल में देती है | |
मुर्गी की कीमत 200 से लेकर 300 तक होती है | |
सोनाली मुर्गी बाकी सभी मुर्गियों के तुलना में कम बीमारी पड़ती है |
क्या है सोनाली मुर्गी प्रजाती की खास विशेषता:
सोनाली मुर्गी प्रजाती सामान्य प्रमाणिक रूप से देसी मुर्गी की ही तरह दीखने मे है, इसकी बंगाल मे सबसे अधिक पालन की जाती है| सोनाली एक बेंगोली लैंग्वेज है जिसका अर्थ चमकीला रंग होता है|
यह देसी मुर्गी की तुलना मे जादा अंडे देती है इसका अंडा खाने मे भी देसी अंडे की तरह स्वादिष्ट होता है, और इसका अंडा मार्किट मे अच्छे दामो मे बीकता है |
Meanwhile इसे रात मे किसी प्रकार की रौशनी और दाना देनी की अवसयाकता नहीं पडती है |
Sonali Murgi Farming
दो तरीके से शुरु कर सकते है, Sonali Murgi Farming
Sonali Murgi Farming बहुत ही आसान है बीलकुल देसी मुर्गी की तरह इसे आप बक्यार्ड या फार्म शेड बना कर farming शुरु कर सकते है, Sonali Murgi Farming सभी वर्ग के लोग कर सकते है, पूंजी पति व्यक्ति हो या एक गरीब माध्यम वर्ग का व्यक्ति हो |
- पहला अंडे देने वाली लेयर सोनाली मुर्गी का |
- दूसरा मुर्गी मांश के लिए |
Sonali Murgi Farming शुरु करने से पहले इन बातो का ध्यान रखे
- हवा दार जगह का चयन करे | और सेड निर्माण कराये|
- आबादी वाले इलाके से दूर सेड निर्माण कराये|
- Market से सोनाली मुर्गी का Chicks सही देख कर खरीदे|
- Chicks का बुरुडिंग सही तरीके से लगभग 18 दीन तक करे|
- सही कंपनी का दाना चुने मुर्गी खिलाने के लिए|
- दावा भेटणारी डॉक्टर से पूछ,जन और समझ कर खरीदे|
- यदि आपके नजदीक किसी का फारम है ऐसे में एक बार जाकर जरुर जानकारी ले
- साफ सफाई का विशेष ध्यान रखे|
- दीन में एकबार जरुर Drinker को साफ करे एंटी बैक्टीरियल दावा से|
- हर एक माह में फ़रम की सफाई कराये और दावा का छीड़काव करे|
Sonali Murgi Commercial Farming
Sonali Murgi Commercial Farming : अच्छा मुनाफा दायक व्यवासय है, किसान हो या business man इस मुर्गी की पालन कर सकते है, यह देसी नस्ल की मुर्गी है जो कम खर्च,कम मेहनत,और कम समय में ज्यादा मुनाफा देती है |
सोनाली मुर्गी की दो तरह से { Sonali Murgi Commercial Farming } की जा सकी है|
- 1 अंडा उत्पादन के लिए [ Eggs Production ]
- 2 मुर्गी Meat उत्पादन के लिए [ Meat Production ]
Sonali Murgi Eggs उत्पादन के लिए |
Sonali Murgi 4 से 5 माह में अंडा देना शुरू कर देती है,और लगातार एक से डेढ़ साल तक अंडा देती है|किसान भाई उत्पाद हुवे eggs को बाजार में सेल कर अच्छा मुनाफा कमा सकते है
Sonali Murgi Eggs Price:एक अंडा मार्किट में 10 से 15 रूपए Piece बिकता है, अंडा देने वाली मुर्गियों को लेयर मुर्गी कहा जाता है |
MARKET में सभी तरह की मुर्गियां उपलब्ध है| एक माह का , दो माह का , तीन माह का , यानी zero day से 1.5 साल की सोनाली मुर्गियाँ |
परन्तु यह किसान के ऊपर है कि रेडी मुर्गी (लेयर सोनाली मुर्गी ) खरीदना चाहते है या चूजा से पाल कर बड़ा करना चाहते है, सभी का कीमत अलग अलग होता है|
2 Sonali Murgi Meat उत्पादन के लिए
Sonali Murgi Chickes Market से या किसी मुर्गी डीलर से खरीदे | जिसकी कीमत आप को 25 रू Per Piece से 35 रू Per Piece में प्राप्त हो जायेगी,Chicks का वजन 20 ग्राम से 25 ग्राम का होता है|
सोनाली मुर्गी Chicks काफी तेजी से बड़ता है, और वजन प्राप्त करता है यह मुर्गी 75 दिनों से 80 दिनों में 1 kg से 1.3 kg तक हो जाता है, इस के लिए आपको इसकी दाना पानी की विशेष ध्यान रखनी पड़ेगी |
सोनाली मुर्गी देशी होने के कारण Market मे काफी अच्छा कीमत में बिकती है,Sonali Murgi Meat Price: 200 रू प्रती kg से 300 रू प्रती kg सेल होता है|
सोनाली मुर्गी आप केवल तीन से चार महीने पाले और Market में अच्छे कीमत पर सेल करदे|इस तरह Finally साल में चार Lots पालन कर लाखो रूपये कमा सकते है |
Sonali Murgi Feed
इसे आप खाने मे दरा या पौल्ट्री दाना दे सकते है| इसके अलावा यह मुर्गी खुद से हरा घास कीटफतंगे खा लेती है| However जिस से आप की दाने की बचत होती है |
परन्तु आप खाने में घर में त्यार किया हुवा दाना भी खीला सकते है|,मका बाजरा गहू इत्यादि MIX करके खीला सकते है |
यदि [ commercial sonali murgi farming ] यानी बड़ी मात्रा में करना चाहते है तब आप को इस प्रकार से feed खिलाने की अवसकता पड़ेगी |
zero days से 15 दिन | प्री स्टार्टर दाना |
15 से 30 दिनों तक | स्टार्टर दाना |
30 दिनों के बाद से मुर्गी की वजन एक किलोग्राम होने तक | ग्रोवेर दाना |
और यदि मुर्गी की पालन अंडे उत्पादन के लिए करना चाहते है तब 80 दिनों के बाद से | लेयर दाना |
Conclusion ( निष्कर्ष )
Last but not least Sonali Murgi पलना किसी और मुर्गी पालने की तुलना मे काफी आसन है इसमे कम मेहनत करनी पड़ती है | यह बील्कुल ही देसी मुर्गी की तरह कुछ भी खा लेती है |
रात मे दाना पानी देने की अवसयाकता नही पड़ती है और बाकी मुर्गी की तुलना मे जादा अंडे देती है सोनाली मुर्गी,आप 3 से 4 माह पालये और 1kg से 1.5 kg हो जाने पर 200रू से 300 रू kg सेल कर दे|
सोनाली मुर्गी कितने दिन में तैयार हो जाती है
सोनाली मुर्गी 4 महीना 20 दिन में तैयार हो जाती है और लगभग 1 किलोग्राम से लेकर 1.25 किलोग्राम की हो जाती है मुर्गा का वजन सवा किलोग्राम से लेकर 1.5 किलोग्राम का हो जाता है,मुर्गी का वजन हमेसा मुर्गी की तुलना में जादा होता है|
सोनाली मुर्गी चूजे(bacha) की कीमत 25 रूपए से 35 रूपए होती है, परन्तु बच्चे में भी quality के आधार पर कीमत लगाई जाती है A QUALITY चूजे की कीमत 30 रूपए से 35 रूपए प्रतीपिस होती है B QUALITY चूजे की कीमत 28 से 30 रूपए और C QUALITY चूजो की कीमत 21 से 25 रूपए प्रति पिस होती है
सोनाली मुर्गी आपने जीवन काल मे कीतने अंडे देती है ?
सोनाली मुर्गी अपने 2 साल के जीवन काल में औसतन 450 Piece से 500 Piece अंडे देती है परन्तु अगर इसे इसका जरुरी आहार नहीं मिलाने पर अंडा देना कम कर देती है |
सोनाली मुर्गी कितने महीने होने के बाद अंडा देना शुरु कर देती है ?
सोनाली मुर्गी शारीरिक रूप से स्वस्थ है और वजन 1.2 किलोग्राम की हो गई हो तब मुर्गी 4 महीने 20 से 30 दिन में अंडा देना शुरु कर देती है|
क्या पुल्ट्री मुर्गी की तरह सोनाली मुर्गी को भी vaccine दिया जाता है ?
सोनाली मुर्गी को zero दिन से 21 दिन अन्तराल में मुर्गी को तीन vaccine दिया जाता है | यह vaccine केवल मुर्गी को बीमारियों से बचाने के लिए दिया जाता है|
आप को यह बताता चलू की इन vaccines का प्रयोग मुर्गी का वजन बढाने या अंडे अधीक देने के लिए बिकुल भी उपयोग नहीं क्या जाता है,
पहला vaccine एक सप्ताह यानी 7 days मे,
दूसरा vaccine दूसरा सप्ताह यानी 12 days मे,
तीसरा vaccine तीसरा सप्ताह यानी 21 days मे |
खुद का व्यवसाय शुरू करने की चाहत रखने वालों के लिए मुर्गी पालन का एक मुनाफे वाले व्यवसाय साबित हो सकता है। चूंकि इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए बहुत ज्यादा पूंजी की आवश्यकता नहीं होती है ऐसे में आप सटीक जानकारी जुटाकर इस व्यवसाय को शुरू कर सकते हैं। अगर भारत की बात करें तो गांव से लेकर शहरों तक में मुर्गी पालन का चलन तेजी से बढ़ रहा है। व्यवसाय की दृष्टि से बात करें तो चीन और अमेरिका के बाद भारत अंडा उत्पादन में तीसरे स्थान पर और मांस उत्पादन में 5 स्थान पर है।
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ऐसे में अगर बात करें देसी मुर्गी पालन की तो बाजार में इन मुर्गियों के अंडे और मांस की डिमांड अक्सर बनी रहती है, जिस वजह से मार्केट में इनका उचित दाम प्राप्त करने में मुर्गी पालक को ज्यादा परेशानी नहीं होती है। ऐसे में अगर आप भी देसी मुर्गी पालन करना चाहते हैं तो इसके पहले मुर्गी पालन का प्रशिक्षण लेना बेहतर रहता है। इसके साथ-साथ देसी मुर्गी पालन के लिए आपको इस नस्ल की मुर्गियों के बारे में जानकारी जुटा लेनी चाहिए। तो आज हम आपको देसी मुर्गी की कुछ प्रमुख नस्लों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।
जानिए देसी मुर्गियों की कुछ प्रमुख नस्लें
असेल नस्ल
यह नस्ल भारत के उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और राजस्थान में पाई जाती है। भारत के अलावा यह नस्ल ईरान में भी पाई जाती है जहाँ इसे किसी अन्य नाम से जाना जाता है। इस नस्ल का चिकन बहुत अच्छा होता है। इन मुर्गियों का व्यवहार बहुत ही झगड़ालू होता है इसलिए मानव जाति इस नस्ल के मुर्गों को मैदान में लड़ाते हैं।
मुर्गों का वजन 4-5 किलोग्राम तथा मुर्गियों का वजन 3-4 किलोग्राम होता है। इस नस्ल के मुर्गे-मुर्गियों की गर्दन और पैर लंबे होते हैं तथा बाल चमकीले होते हैं। मुर्गियों की अंडे देने की क्षमता काफी कम होती है।
कड़कनाथ नस्ल
इस नस्ल का मूल नाम कलामासी है, जिसका अर्थ काले मांस वाला पक्षी होता है। कड़कनाथ नस्ल मूलतः मध्य प्रदेश में पाई जाती है। इस नस्ल के मीट में 25% प्रोटीन पायी जाती है जो अन्य नस्ल के मीट की अपेक्षा अधिक है। कड़कनाथ नस्ल के मीट का उपयोग कई प्रकार की दवाइयां बनाने में भी किया जाता है इसलिए व्यवसाय की दृष्टि से यह नस्ल अत्यधिक लाभप्रद है। यह मुर्गिया प्रतिवर्ष लगभग 80 अंडे देती है। इस नस्ल की प्रमुख किस्में जेट ब्लैक, पेन्सिल्ड और गोल्डेन है।
ग्रामप्रिया नस्ल
ग्रामप्रिया को भारत सरकार द्वारा हैदराबाद स्थित अखिल भारतीय समन्वय अनुसंधान परियोजना के तहत विकसित किया गया है। इसे ख़ास तौर पर ग्रामीण किसान और जनजातीय कृषि विकल्पों के लिये विकसित गया है। इनका वज़न 12 हफ्तों में 1.5 से 2 किलो होता है।
इनके मीट का प्रयोग तंदूरी चिकन बनाने में अधिक किया जाता है। ग्रामप्रिया एक साल में औसतन 210 से 225 अण्डे देती है। इनके अण्डों का रंग भूरा होता है और उसका वज़न 57 से 60 ग्राम होता है।
स्वरनाथ नस्ल
स्वरनाथ कर्नाटक पशु चिकित्सा एवं मत्स्य विज्ञान और विश्वविद्यालय, बंगलौर द्वारा विकसित चिकन की एक नस्ल है। इन्हें घर के पीछे आसानी से पाला जा सकता है। ये 22 से 23 सप्ताह में पूर्ण परिपक्व हो जाती है और तब इनका वज़न 3 से 4 किलोग्राम होता है। इनकी प्रतिवर्ष अण्डे उत्पादन करने की क्षमता लगभग 180-190 होती है।
कामरूप नस्ल
यह बहुआयामी चिकन नस्ल है जिसे असम में कुक्कुट प्रजनन को बढ़ाने के लिए अखिल भारतीय समन्वय अनुसंधान परियोजना द्वारा विकसित किया गया है। यह नस्ल तीन अलग-अलग चिकन नस्लों का क्रॉस नस्ल है, असम स्थानीय(25%), रंगीन ब्रोइलर(25%) और ढेलम लाल(50%)।
इसके नर चिकन का वज़न 40 हफ़्तों में 1.8 – 2.2 किलोग्राम होता है। इस नस्ल की प्रतिवर्ष अण्डे देने की क्षमता लगभग 118-130 होती है जिसका वज़न लगभग 52 ग्राम होता है।
चिटागोंग नस्ल
यह नस्ल सबसे ऊँची नस्ल मानी जाती है। इसे मलय चिकन के नाम से भी जाना जाता है। इस नस्ल के मुर्गे 2.5 फिट तक लंबे तथा इनका वजन 4.5 – 5 किलोग्राम तक होता है। इनकी गर्दन और पैर बाकी नस्ल की अपेक्षा लंबे होते है। इस नस्ल की प्रतिवर्ष अण्डे देने की क्षमता लगभग 70-120 अण्डे है।
केरी श्यामा नस्ल
यह कड़कनाथ और कैरी लाल का एक क्रास नस्ल है। इस किस्म के आंतरिक अंगों में भी एक गहरा रंगद्रव्य होता है, जिसे मानवीय बीमारियों के इलाज़ के लिए जनजातीय समुदाय द्वारा प्राथमिकता दी जाती है। यह ज्यादातर मध्यप्रदेश, गुजरात और राजस्थान में पायी जाती है।
यह नस्ल 24 सप्ताह में पूर्ण रूप से परिपक्व हो जाती है और तब इनका वज़न लगभग 1.2 किलोग्राम(मादा) तथा 1.5 किलोग्राम(नर) होता है। इनकी प्रजनन क्षमता प्रतिवर्ष लगभग 85 अण्डे होती है।
झारसीम नस्ल
यह झारखंड की मूल दोहरी उद्देश्य नस्ल है इसका नाम वहाँ की स्थानीय बोली से प्राप्त हुआ है। ये कम पोषण पर जीवित रहती है और तेज़ी से बढ़ती है। इस नस्ल की मुर्गियाँ उस क्षेत्र के जनजातीय आबादी के आय का स्रोत है। ये अपना पहला अण्डा 180 दिन पर देती है और प्रतिवर्ष 165-170 अण्डे देती है। इनके अण्डे का वज़न लगभग 55 ग्राम होता है। इस नस्ल के पूर्ण परिपक्व होने पर इनका वज़न 1.5 – 2 किलोग्राम तक होता है।
देवेंद्र नस्ल
यह एक दोहरी उद्देश्य चिकन है। यह पुरूष और रोड आइलैंड रेड के रूप में सिंथेटिक ब्रायलर की एक क्रॉस नस्ल है। 12 सप्ताह में इसका शरीरिक वज़न 1800 ग्राम होता है। 160 दिन में ये पूर्ण रूप से परिपक्व हो जाती है। इनकी वार्षिक अण्डा उत्पादन क्षमता 200 है। इसके अण्डे का वज़न 54 ग्राम होता है।
श्रीनिधि
इस प्रजाति की भी मुर्गियां दोहरी उपयोगिता वाली होती हैं यह लगभग 210 से 230 अंडे तक देती है। इनका वजन 2.5 किलोग्राम से 5 किलोग्राम तक होता है जो कि ग्रामीण मुर्गियों से काफी ज्यादा होता है और इन से अधिक मात्रा में मांस और अंडे दोनों के जरिए अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। इस प्रजाति की मुर्गियों का विकास काफी तेजी से होता है।
वनराजा
शुरुआत में मुर्गी पालन करने के लिए यह प्रजाति सबसे अच्छी मानी जाती है ये मुर्गी 3 महीने में 120 से 130 अंडे तक देती हैं और इसका वज़न भी 2.5-5 किलो तक जाता है। हलाकि यह प्रजाति अन्य प्रजाति से थोडा कम क्रियात्मक और सक्रिय रहते हैं।
देसी मुर्गी पालन करते समय इन बातों का रखें ध्यान
मुर्गी फार्म
सबसे पहले तो मुर्गियों का फार्म किसी ऊँचे स्थान वाले क्षेत्र में बनाएं जहाँ वर्षा का पानी जमा न हो सके।
आधुनिक उपकरण
आधुनिक उपकरणों में फीडर गर्मी प्रदान करने के लिए लाइट बल्ब तथा हलोजन्स लाइट, दवाई, टीकाकरण की सामग्री इत्यादि।
सही संतुलित आहार
आज कल बाजार में सही संतुलित आहार आसानी से उपलब्ध है जिससे आपके मुर्गियों का विकास तेजी से होता है और अंडा देने की क्षमता भी बढ़ती है।
देखा जाये तो यह देसी मुर्गी पालन व्यवसाय तीन चीज़ों के लिए किया जाता है। मांस के लिए, अंडा के लिए और अंडा मांस दोनों के लिए, कम समय में ज्यादा मुनाफा कमाना हमारा उद्देश्य है तथा इसके लिए हमें चाहिए के हम सही देसी नस्लों के मुर्गी का चयन करें। जगह के वातावरण के अनुसार ही मुर्गी का नसल का चुनाव करें आजकल बाजार में संकर नस्ल के मुर्गियां भी उपलब्ध हैं जो के अंडा और मांस के लिए काफी लाभदायक हैं।
देसी मुर्गी पालन का आधुनिक तरीका-1
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देसी मुर्गी पालन का आधुनिक तरीका-2
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Compiled & Shared by- This paper is a compilation of groupwork provided by the
Team, LITD (Livestock Institute of Training & Development)
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