रिपोर्ट:डॉक्टर आर.बी. चौधरी
(विज्ञान लेखक एवं पत्रकार;पूर्व प्रधान संपादक एवं मीडिया हेड,एडब्ल्यूबीआई ,भारत सरकार)
17 जून 2019,नई दिल्ली
“वर्ल्ड ब्लड डोनर डे, 2019” के उपलक्ष्य में राजकोट सिविल हॉस्पिटल पंडित दीन दयाल उपाध्याय मेडिकल कॉलेज में, इंडियन मेडिकल एसोशिएशन के तत्वाधान में बेसहारा और थैलेसेमिया पीड़ित बच्चों के लाभार्थ हुई ‘रकतदान शिबिर’ में अपने जीवन का 127 वा रक्तदान किया . देश के अग्रणीय रक्तदाता, भारत सरकार के राष्ट्रीय कामधेनु आयोग क़े चेरमेन ,पूर्व केंद्रीय मंत्री , डॉ. वल्लभभाई कथीरिया ने ‘विश्व रक्तदाता दिन’ के उपलक्ष्य में इंडियन मेडिकल एसोशिएशन के तत्वाधान में राजकोट सिविल हॉस्पिटल में पंडित दीन दयाल उपाध्याय मेडिकल कॉलेज में ‘रकतदान शिविर’ में शामिल होकर अपने जीवन का 127वा रक्तदान किया.उन्होंने बताया कि बच्चे के जन्म के समय महिलाओं,थैलेसीमिया,एनीमिया,लंबी अवधि के ऑपरेशन तथा एक्सीडेंटल ऑपरेशनमैं रक्तदान से लोगों काजीवन बचाया जा सकता है.
डॉ.कथीरिया ने अपने जीवन का प्रथम रक्तदान एमजी साइंस कॉलेज के एनसीसी केडेट्स द्वारा आयोजित रक्तदान शिविर में रक्तदान किया.डॉ. कथीरिया बताया कि रक्तदान करना बहुत ही सरल,सहज है और सिर्फ मिनिट्स में ही आप अपना पूर्ववर्त रूटीन शुरू कर सकते है और रक्तदान करना स्वास्थय के लिए भी उत्तम है. साथ -साथ रक्तदान से मौत से जूझ रहे किसी इंसान की जिंदगी बचाई जा सकती है.कोई भी 18 से 60 वर्ष का व्यक्ति रक्तदान कर सकता है.उन्होंने बताया किएक सामान्य मनुष्य केशरीर में 7 से 8 लीटर ब्लड होता हैजिसमें से 380 मिलीलीटर रक्त का दान करने में कोई नुकसान नहीं है.हम जब रक्तदान करते हैं तो उसके बाद तक घंटे भीतर ट्रिनिटीज के जरिए रिजर्व रक्त से कमी की भरपाई हो जाती है.इसलिए रक्तदान से किसी प्रकार की शरीर में कमजोरी नहीं आती है. डॉ.कथीरिया ने बताया कि भारत में जागरूकता का अभाव होने की वजह से प्रति 1000 व्यक्तियों में कोई 7 लोग रक्तदान करते हैं जब कि विकसित देशों में प्रति 1000 व्यक्तियों में 60 से 70 लोग रक्तदान करते हैं.
डॉ. कथीरिया ने बताया कि रक्तदान यात्रा का शुभारंभ तो पहले से चल रहा था किंतु जब वह 11वे रक्तदान के बाद तत्कालीन राज्यपाल द्वारा सम्मानित किए गए तो उससे उन्हें काफी प्रोत्साहन मिला मिला. बतौर सर्जन , जब वह डॉ. वी. जी. मावलंकर जैसे प्रख्यात लोगों के साथ कार्य करते हुए जीवन रक्षा के अनेक चुनौतियों का सामना कर जीवन रक्षा करने का संतोष प्राप्त किया और उसे से जीवन में निरंतर रक्तदान जारी रखने कासंकल्प लिया. शुरू में तो सैकड़े का लक्ष्य रखा जो वर्ष 2002 मैं पूरा हो गया.फिर मन की शक्ति फिर से मजबूत हुई और इस पावन पथ को सार्वजनिक स्वरूप देते हुए रक्तदान का महोत्सव जैसा आयोजन करने लगे .यह कारवां चलता गया – हम आगे बढ़ते गए.राज्यपाल सुंदरसिंह भण्डारी जी के विशेष प्रेरणा से इस अभियान के शुरुआत में महज 1000 रक्तदाताओं का लक्ष्य रखा गया था लेकिन रक्त दाताओं के अपार उत्साह से यह आंकड़ा 7644 पर जा पहुंचा. यहां तक स्थिति आ गई कि ब्लड बैंक की क्षमता पूर्ण हो जाने के कारण तकरीबन 3000 लोगों को वापस जाना पड़ा.
मुझे वह समय याद है जब मेरे व्यक्तिगत 108वे रक्तदान के समय मेरे दिल्ली के मित्रों ने यह पावन आयोजन अक्षरधाम मंदिर में किया जहां योगगुरु बाबा रामदेव के साथ 2775 रक्त दाताओं ने अपना योगदान दिया.इसी प्रकार मेरे 125वा रक्तदान राजकोट में और 126वा रक्तदान स्वामीनारायण धर्मोत्सव में किया जो अत्यंत उत्साहवर्धक था.उन्होंने कहा कि मैं आज बहुत खुश हूं जब इस साल आयोजित होने वाले “वर्ल्ड ब्लड डोनर डे, 2019” के अवसर पर इंडियन मेडिकल एससोसिएशन द्वारा आयोजित रक्तदान केम्प में 127वा रक्तदान का भी लक्ष्य पूरा किया. डॉ. कथीरिया ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि अभी तक के सार्वजनिक जीवन के दौरान हज़ारो रक्तदाताओ को प्रोत्साहित करने ,सैकड़ों रक्तदान केम्प आयोजित करने -करवाने तथा अनगिनत ब्लड बैंको की स्थापना करवाने का ईश्वर ने मौका प्रदान किया जो मेरा सौभाग्य है. डॉ. कथीरिया रक्तदान सेवा को अपने जीवन की एक बहुत बड़ी मानव सेवा की सफलता मानते है.