झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ का शिष्टमंडल निदेशक पशुपालन से भेंट की
रांची। नवनिर्वाचित झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ का शिष्टमंडल संघ अध्यक्ष डॉ सैमसन संजय टोप्पो एवं महामंत्री डॉ शिवानंद काशी की अगुवाई में निदेशक पशुपालन, श्री शशि प्रकाश झा से उनके पशुपालन भवन, के कार्यलय कक्ष में शिष्टाचार भेंट की।
संघ की निमन चिरप्रतिक्षित मांगों पर विस्तार से चर्चा की गई
1) पशु चिकित्सा सेवा के पदों के पुर्नगठन ।
2) पशु चिकित्सकों के लंबित एम ए सी पी।
3) शीघ्रता से रेगुलर प्रमोशन प्रदान करना।
4) गैर व्यवसायिक भत्ता प्रदान करना।
5) कैडर पदाधिकारियों की सेवानिवृत्ति उम्र सीमा 65 वर्ष करना।
6) झारखंड पशु चिकित्सा परिषद का गठन एवं चुनाव ,
7) राज्य में पशुपालन विभाग के सभी संस्थानों में मानव संसाधन की कमी को दूर करना।
8) ,पशु चिकित्सा को अनिवार्य सेवा घोषित करना।
9) नये पशुशचिकित्सकों का झारखण्ड लोक सेवा आयोग से अविलंब न्युक्ति एवं पदस्थापन करान।
निदेशक पशुपालन ने संघ की सभी मांग न्यायोचित है, जिस पर सचिव महोदय से मिल कर यथाशीघ्र कार्यवाही करने का आश्वासन दिया। संघ के महामंत्री द्वारा विभागीय पदों की पुर्नसंरचना एवं पुर्नगठन के सम्बन्ध में तैयार किए गए प्रस्ताव पर विस्तृत चर्चा बिन्दुवार की गई। प्रस्ताव में राज्य के सभी स्तर के पशुचिकित्साको का कर्त्तव्य एवं उनकी भूमिका पर तथ्यात्मक प्रकाश डाला गया, निदेशक महोदय के समक्ष वार्ता कर जो भ्रांतियां है उसे दूर करने का प्रयास किया गया।निदेशक महोदय ने अपने विचार कि प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी का पद को पहले भरा जाय तब भ्रमणशील पशुचिकित्सा पदाधिकारी के पद को भरा जाय, संघ यह मिथक दूर अरने में सफल रहा।
उन्होंने विश्वास दिलाया कि सरकार स्तर से पशुचिकित्साको को विधि व्यवस्था एवं गैर विभागीय कार्यों से मुक्त रखने संबंधित निर्देश सभी उपायुक्त को दिया जायेगा, जिससे पशुचिकित्सक अपने मूल कार्य पशुचिकित्सा तथा विभागीय योजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर सके।
पशुचिकित्सक जनहित में राज्य की गरीब किसान, गरीब पशुपालन के माध्यम से आर्थिक उन्नयन एवं राज्य की अर्थव्यवस्था ,जीडीपी को बढ़ाने में अपनी अहम भूमिका अदा कर सके।
चर्चा में बताया गया कि प्रस्ताव में पहले से स्वीकृत बल को ही भारत सरकार के निदेश के अलोक में तैयार किया गया है, सरकार पर इस प्रस्ताव से कोई अतिरिक्त वित्तीय बोझ नहीं बढेगा, दो पदो को प्रत्यापित भी किया गया है इसपर महोदय द्वारा सुझाव दिया गया कि माननीय मंत्री एवं सचिव महोदय के लिए एक एक पद तकनिकी सलाहकार के रूप में सृजित करने पर विचार किया जा सकता है।इससे विभाग एवं निदेशालय को भी कार्य सम्पादन में सुगमता होगी ।साथ ही निदेशक महोदय द्वारा पशुपालकों एवं पशुचिकित्सकों के साथ साथ पशुचिकित्सालय को सुदृढ़, उसे मानव संसाधन एवं संसाधन युक्त करने ,अत्याधुनिक उपस्कर एवं उपकरण के साथ सुसज्जीत करने पर विशेष बल दिया गया ।
संघ के अध्यक्ष द्वारा बताया गया कि वर्तमान में अधिकांश पशुचिकित्सक बेसिक पद भ्रमणशील पशुचिकित्सा पदाधिकारी /प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी के पद पर ही सेवानिवृत हो जाते हैं जिससे उनमे घोर निराशा व्याप्त है जिसका सीधा असर उनकी कार्यक्षमता पर पड़ता है नए पुर्नगठन प्रस्ताव अधिसूचित हो जाने पर पशुचिकित्साकों की कार्यकुशलता में वृद्धि होगी और अपना सर्वस्व पशु की सेवा में देंगे जिससे पशु उत्पाद में जैसे दूध मांस अंडा उन उत्पादन में झारखण्ड आने वाले दिनों में आत्मनिर्भर होगा।
राज्य की जनता कुपोषण से भी मुक्ति मिलेगी तथा लोगों को पशु उत्पाद आधारित व्यवसाय कर अतिरिक्त आय होगी।पुनर्गठन प्रस्ताव में प्रखंड में एनिमल हेल्थ सेंटर बनेगा जिसमें पशुचिकित्सालय को सुदृढ़ करना,मानव संसाधन युक्त बनाना ,अत्याधुनिक उपस्कर उपकरण के साथ सुसज्जीत किया जाना है जिससे पशुपालक को तुरंत प्रखंड स्तर पर ही उनके पशु के रोग का निदान हो जायेगा .निदेशक द्वारा पुनर्गठन प्रस्ताव पर सकारात्मक होते हुए कहा गया की यह संघ की जायज मांग है इससे रोजगार सृजन के साथ साथ पशुपालक आर्थिक रूप से भी आत्मनिर्भर होंगे और उनका पलायन भी रुकेगा उन्होंने इस विषय पर यथाशीघ्र कार्यवाही कर मांग पूरी करने का आश्वासन दिया है।साथ ही पूर्नगठन प्रस्ताव को पीपीटी के माध्यम से प्रस्तुत करने का निर्देश संघ के पदाधिकारियों को दिया गया।
महामंत्री द्वारा पुनः विभागीय पदों की पुर्नसंरचना एवं पुर्नगठन को यथासीघ्र अधिसूचित कराने तथा झारखण्ड लोक सेवा आयोग के माध्यम से 163 पशुचिकित्साकों के नियुक्ति में आ रही बाधा पर विस्तृत चर्चा करते हुए इसको दूर करने का अनुरोध किया गया। जिसपर महोदय द्वारा आश्वास्त किया गया की सरकार स्तर से इसका समाधान निकालने का जल्द प्रयास करुँगा तथा इस संबंध में आगे की कार्यवाही का आश्वासन दिया गया। ज्ञात हो की झारखंड निर्माण के बाद कई विभागों का पुनर्गठन हो चुका है। परंतु पशुधन संपन्न इस राज्य में पशुपालन सेवा बदहाली के दौर से गुजर रहा है, जिसे पुर्नगठन के माध्यम से सुदृढ़ किया जा सकता हैं ।
निदेशक ने झारखण्ड पशुचिकित्सा परिषद के चुनाव के सम्बन्ध में शीघ्र निबंधित पशुचिकित्सक का गजट प्रकाशन कराकर भारतीय पशुचिकित्सा परिषद अधिनियम 1984 के प्रावधानों के तहत चुनाव कराने के संबंध में आगे की कार्यवाही का आश्वासन दिया। निदेशक से जो वार्ता हुई वह सकारात्मक रहा। ज्ञात हो की झारखंड निर्माण के बाद कई विभागों का पुनर्गठन हो चुका है परंतु पशुधन संपन्न इस राज्य में पशुपालन सेवा बदहाली के दौर से गुजर रहा है।
डॉ शिवानंद कांशी
महामंत्री , झारखण्ड पशुचिकित्सा सेवा संघ