एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण: समय की मांग
डॉ ललित शर्मा, प्रबंधक न्यासी, विज्ञान सेतु फाउंडेशन
आधे से अधिक ज्ञात मानव रोगजनकों में या तो एक पशु स्रोत होता है अथवा पशु से उनकी उत्पत्ति होती है और इसके परिणामस्वरूप हर साल विश्व स्तर पर एक अरब से अधिक ऐसे मामले सामने आते हैं, जो अक्सर वित्तीय और सामाजिक दृष्टि से बहुत महंगे साबित होते हैं। दुनिया भर के रोगजनकों, जिनमें मुख्यत पशु जनित और परजीवी रोग हैं, उनके वैश्विक स्तर पर प्रसार के विस्तार ने सार्वजनिक स्वास्थ्य और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है। मानव प्रथाएं जैसे भूमि उपयोग में परिवर्तन और भोजन उत्पादन की प्रक्रिया, पारिस्थितिक और विकासवादी स्थितियों को प्रभावित कर रही हैं, जो रोग के प्रसार की घटनाओं को सहजता प्रदान करते हैं तथा रोगाणुरोधी प्रतिरोध में योगदान करती हैं। ये परिवर्तन स्थानीय और विश्व स्तर पर व्यापक पैमाने पर तेजी से हो रहे हैं और अक्सर गैर संचारी रोगों के खतरों जैसे खाद्य, पोषण और जल असुरक्षा और इकोटॉक्सिकोलॉजी से सम्बंधित होते हैं।
मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य मुद्दों को अलग अलग समझने के प्रयासों से रोग सम्बन्धी खतरों की समझ अधूरी रह जाती है और इसलिए इन समस्याओं को कम करने और अनुकूलित करने के अवसरों को गवां दिया जाता है। हम मानव स्वास्थ्य की रक्षा, उन मानव गतिविधियों के प्रभाव पर विचार किये बिना नहीं कर सकते जिनसे पारिस्थितिकी तन्त्रों में व्यवधान आता है, पर्यावासों का अतिक्रमण होता है, और जलवायु परिवर्तन आगे बढ़ता है। इन गतिविधियों में प्रदूषण, व्यापक स्तर पर वनों की कटाई, सघन मवेशी उत्पादन, और जीवाणुनाशक औषधि (एंटीबायोटिक) के ग़लत उपयोग शामिल हैं।
इसी दृष्टिकोण को एक स्वास्थ्य कहा जाता है। इसके अंतर्गत पर्यावरण, पशु तथा मानव स्वास्थ्य के अंतर्संबंधों का समावेश किया जाता है। एक स्वास्थ्य में पर्यावरण, पशु तथा मानव स्वास्थ्य व परिस्थितिकी तंत्र से उत्पन्न खतरों को संबोधित करने के लिये बहु-आयामी युक्ति शामिल की जाती है।
एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण
एक स्वास्थ्य एक ऐसा दृष्टिकोण है जो यह मानता है कि लोगों का स्वास्थ्य, पशुओं के स्वास्थ्य और हमारे साझा पर्यावरण से निकटता से जुड़ा हुआ है। यद्यपि एक स्वास्थ्य कोई नई अवधारणा नहीं है, किन्तु हाल के वर्षों में यह और भी महत्वपूर्ण बन गई है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कई कारकों ने मनुष्यों, पशुओं, पौधों और हमारे पर्यावरण के बीच संवाद को परिवर्तित कर दिया है।
मानव लोकसंख्या लागतार बढ़ रही है और नए भौगोलिक क्षेत्रों में विस्तार कर रही है। परिणामस्वरूप, अधिक से अधिक जन वर्तमान में वन्यप्राणियों और घरेलू पशुओं, पशुधन और पालतू पशुओं, दोनों के निकट संपर्क में रहते हैं। पशु हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, चाहे भोजन, तंतु या रेशा, आजीविका, यात्रा, क्रीड़ा, शिक्षा या सहचर के रूप में। पशु-पक्षियों और उनके वातावरण के साथ निकट संपर्क इन प्राणियों और मनुष्यों के मध्य रोगों को संचारित करने के अधिक अवसर प्रदान करता है।
पृथ्वी ने वनों की कटाई और गहन कृषि पद्धतियों जैसे जलवायु और भूमि उपयोग में परिवर्तन का अनुभव किया है। पर्यावरणीय परिस्थितियों और आवासों में व्यवधान, व्याधियों को पशुओं को संक्रमित करने के नए अवसर प्रदान कर सकता है।
अंतरराष्ट्रीय यात्रा और व्यापार से मनुष्यों, पशुओं और पशु उत्पादों की आवाजाही बढ़ी है। नतीजतन, रोग तीव्र गति से भौगोलिक सीमाओं के परे और सम्पूर्ण विश्व भर में फैल सकती हैं। इन परिवर्तनों ने मौजूदा या ज्ञात (स्थानिक) और नए या उभरते पशुजनित रोगों के प्रसार को जन्म दिया है, जो कि ऐसी व्याधियां हैं जो पशुओं और मनुष्यों के मध्य प्रसारित हो सकती हैं।
पशु भी कुछ रोगों और पर्यावरणीय खतरों के प्रति हमारी संवेदनशीलता को साझा करते हैं। इस कारण से, वे कभी कभी संभावित मानव बीमारी के प्रारंभिक चेतावनी संकेतों के रूप में काम कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, मानव में वेस्ट नाइल विषाणु के संक्रमण से पूर्व उसी क्षेत्र के पक्षी अक्सर वेस्ट नाइल विषाणु के संक्रमण से मृत पाए जाते हैं।
एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण के संबंध में मनुष्यों, पशुओं, व पर्यावरण के मध्य अभिन्न संबंधों को पहचानता है और सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों के विरूद्ध अधिक समग्र रूप से समझने और अधिक प्रभावी ढंग से कार्य करने के लिए अंतःविषय सहयोग को बढ़ावा देता है। इसी तरह, एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण ऐसी ही समस्याओं की प्राथमिक स्तर पर रोकथाम का समर्थन करता है, या कम से कम उनकी पूर्वसूचना देता है, जिससे मानव-पशु-पर्यावरण अंतरफलक पर सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों के लिए दीर्घकाल तक प्रभावी रोकथाम और प्रतिक्रिया सक्षम होती है। संक्षेप में, सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए व्यवस्थित और निरंतर रूप से एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण पर कार्रवाई की आवश्यकता है।
एक स्वास्थ्य संकल्पना या प्रतिमान क्या है?
एक स्वास्थ्य का सिद्धांत संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन तथा विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन की पहल है।
इसका उद्देश्य मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य, मिट्टी, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी तंत्र जैसे विभिन्न विषयों के ज्ञान को कई स्तरों पर साझा करने के लिये प्रोत्साहित करना है, जो सभी प्रजातियों के स्वास्थ्य में सुधार, रक्षा और बचाव के लिये अत्यावशयक है। वर्ष २००७ में वन्यजीव संरक्षण संस्था ने मैनहट्टन सिद्धांतों की १२ सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए एक विश्व–एक स्वास्थ्य के सिद्धांत का प्रतिपादन किया था। यह महामारियों को रोकने एवं पारिस्थितिकी तंत्र की अक्षुण्णता को बनाए रखने के आदर्श दृष्टिकोण पर अवलम्बित है।
वन हेल्थ या एक स्वास्थ्य शब्द-युग्म को वर्ष २००३ में इबोला विषाणु के कारण गिरती हुई वृहद् वानरों की संख्या के संदर्भ में प्रस्तुत किया गया था, तदनन्तर मैनहट्टन सिद्धांतों के परिदृश्य में यह शब्द-युग्म संक्रामक रोगों, पर्यावरण, मानव कल्याण और आर्थिक विकास प्रयासों के बीच संबंधों को रेखांकित करता रहा है। एक स्वास्थ्य को एक सहयोगी, बहुक्षेत्रीय और अंतर-विधा दृष्टिकोण के रूप में परिभाषित किया गया है, जो मनुष्यों, पशुओं, पौधों और उनके साझा पर्यावरण के बीच परस्पर संबंध को स्थापित कर, इष्टतम स्वास्थ्य परिणामों को प्राप्त करने के लक्ष्य के साथ स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर कार्यरत रहता है।
जहाँ एक और मानव, पशु ओर पर्यावरण एकल एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण से लाभ उठा सकते हैं, वहीँ दूसरी ओर पशु जनित रोगों, खाद्य सुरक्षा और रोगाणुरोधी प्रतिरोध जैसे प्राथमिकता वाले सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दों की एक श्रृंखला जो स्वास्थ्य आपात स्थिति या लगातार सार्वजनिक स्वास्थ्य बोझ का कारण बन सकता है उस परिस्थिति के लिए इसके अनुप्रयोग बाध्यकारी एवं तर्कसंगत हैं। आम तौर पर एक प्रतिक्रियाशील, संसाधन-गहन दृष्टिकोण से आगे बढ़ने के बजाय एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण के माध्यम से रोकथाम और तैयारी को बीमारी के बोझ, वित्तीय लागत और सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों जैसे उभरते संक्रामक रोगों और विश्व स्तर पर खाद्य जनित बीमारियों से उत्पन्न सामाजिक व्यवधानों से बचने या कम करके अत्यधिक लागत-प्रभावी माना जाता है। एक स्वास्थ्य मनुष्यों, पशुओं और उनके साझा पर्यावरण के बीच अंतर्संबंध को पहचानने के लिए इष्टतम स्वास्थ्य परिणामों को प्राप्त करने के लक्ष्य के साथ स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तरों पर काम करने वाला एक सहयोगी, बहुक्षेत्रीय और परायमी दृष्टिकोण है।
एक स्वास्थ्य की संकल्पना में पशुजनित रोग, रोगाणुरोधी प्रतिरोध, खाद्य सुरक्षा, रोगवाहक-जनित रोग, पर्यावरण संदूषण, और मनुष्यों, पशुओं तथा पर्यावरण द्वारा साझा किए गए अन्य स्वास्थ्य खतरे शामिल हैं। यहां तक कि चिरकालिक रोग, मानसिक स्वास्थ्य, अभिघात, व्यावसाय सम्बंधित स्वास्थ्य और गैर-संचारी रोगों के क्षेत्र भी एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण से लाभान्वित हो सकते हैं जिसमें सभी विषयों और क्षेत्रों में सहयोग शामिल है।
क्या रेबीज उन्मूलन कार्यक्रम एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण का प्रतिमान बन सकता है?
रेबीज, अधिकांश अफ्रीकी और एशियाई देशों में एक स्थानिक पशु जनित रोग है, जिसकी घातकता दर संक्रामक रोगों के मध्य उच्चतम है। प्रति वर्ष, अनुमानित रूप से ६०००० मानवीय मृत्यु, श्वान संचारित रेबीज के कारण होती है। बड़े पैमाने पर श्वान के टीकाकरण के माध्यम से रेबीज का नियंत्रण एक सिद्ध सिद्धांत है, जो वर्ष २०३० तक श्वान संचारित मानव रेबीज को खत्म करने का प्रयास करने वाले लक्ष्य ३० तक शून्य की कुंजी है, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक रणनीतिक योजना में प्रकट हुआ है।
कोविड-१९ महामारी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अंतर्राष्ट्रीय यात्रा और व्यापार द्वारा चिह्नित वैश्विक प्रणाली में परस्पर और अन्योन्याश्रित पशु और मानव स्वास्थ्य कितने अवलम्बित व जुड़े हुए हैं। एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण को हाल ही में राजनीतिक वैश्विक स्वास्थ्य एजेंडा के सबसे ऊपर रखा गया है। तथापि, एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण महामारी की अनुपस्थिति में भी समुदायों और स्वास्थ्य प्रणालियों में लचीलापन लाने के लिए कारगर साबित हुआ है। रेबीज के मामले में, पशु और मानव के मध्य सहयोग की आवश्यकता कई वर्षों से प्रमाणित की गई है।
रेबीज विशेषज्ञ, अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा इस अवधारणा को उठाए जाने से पहले ही निगरानी, नियंत्रण और उन्मूलन प्रयासों में एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण को एकीकृत करने की वकालत कर रहे हैं। अंतरक्षेत्रीय सहयोग श्वान-मध्यस्थता वाले मानव रेबीज के उन्मूलन की दिशा में जीएसपी का एक केंद्रीय पहलू है, जिसने न केवल सफल उन्मूलन रणनीतियों की कुंजी के रूप में, बल्कि आर्थिक बचत के रूप में भी प्रदर्शन किया है।
एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण को न केवल पशु जनित रोगों के कारकों के अंतरफलक पर काम करना चाहिए, बल्कि एक एकीकृत और प्रणालीगत पध्दति से पशु चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या को संबोधित करने के लिए पर्यावरणीय, समाजशास्त्रीय और भू-राजनीतिक पहलुओं को भी ध्यान में रखना चाहिए। श्वान प्रसारित रेबीज रोग, मुख्य रूप से कमजोर वन्यजीव आबादी में संचारण द्वारा पारिस्थितिकी तंत्र पर दुषप्रभाव डाल सकता है।
विभिन्न विषयों, विधाओं, और उनके संभावित अंतरफलक को ध्यान में रखते हुए, एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण, न केवल रेबीज का मुकाबला करने के लिए प्रासंगिक है, बल्कि अन्य स्थानिक पशु जनित रोगों, जैसे ब्रुसेलोसिस, क्यू बुखार या गोजातीय तपेदिक के लिए भी प्रासंगिक है, कारण कि ये सभी बीमारियां अपने प्रभावी नियंत्रण के लिए आवश्यक ध्यान और संसाधन के अभाव में रोजाना अनेकों जीवन को प्रभावित करती हैं। एकीकृत नियंत्रण संकुल में अन्य मानव या पशु स्वास्थ्य सम्बन्धी मुद्दों से निपटने के लिए रेबीज हस्तक्षेप का उपयोग करना आर्थिक और तार्किक रूप से फायदेमंद लगता है, लेकिन व्यवहार में लाना मुश्किल हो सकता है, खासकर जब मानव और पशु स्वास्थ्य कार्यक्रम पृथक पृथक रूप में काम करते हैं।
रेबीज उन्मूलन कार्यक्रम को एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण को प्रतिमान बनाने में पशु चिकित्सकों की अहम् भूमिका-
पशु चिकित्सक की एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण के अंतर्गत आने वाली जिम्मेदारियों में से एक है – पालतू पशुओं और उनके संरक्षक, मित्रों, परिवार और समाज को आसानी से रोके जाने योग्य, अभी तक के ज्ञात घातक रोगों जिनमें रेबीज भी शामिल है, से बचाने के लिए निवारक उपाय सुनिश्चित करना।
रेबीज टीकाकरण संचालन द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका में कैनाइन रेबीज वायरस वेरिएंट (सीआरवीवी) का सफल उन्मूलन इस बात का एक आदर्श उदाहरण है कि पशु चिकित्सक सार्वजनिक स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका कैसे निभा सकते हैं। रेबीज की रोकथाम और आमजन की जागरूकता पशुचिकित्सक की एक स्वास्थ्य भूमिका का प्रतीक है। घरेलू और वन्यजीव प्रजातियों के लिए मौखिक और इंजेक्शन योग्य टीकों के मिश्रण का उपयोग करके किया गया सीआरवीवी उन्मूलन प्रयास २०वीं शताब्दी की सबसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य सफलताओं में से एक प्रयास है।
रेबीज की रोकथाम और नियंत्रण एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण के सार का प्रतीक है। एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण, समस्त भागीदारों को जलवायु परिवर्तन, भूमि विकास, पर्यावरण, आवास इत्यादि पर मानव गतिविधि के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए प्रेरित कर वैश्विक स्तर पर प्रभावों को प्राप्त करने में सहायक होता है। पशु चिकित्सक आमजन को उनके कुछ व्यवहारों से होने वाले जोखिमों, वन्यजीवों के संपर्क में आने और उजागर होने पर क्या करना है, इस पर शिक्षित व जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। रेबीज जैसे सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों के खिलाफ निरंतर नियमित टीकाकरण सुनिश्चित करके रोगियों की स्वास्थ्य रक्षा करने में मदद कर सकते हैं।
रेबीज के विरूद्ध युद्ध, दुनिया भर में, जीवन के सभी क्षेत्रों से जुड़े दक्ष पेशेवर को शामिल करके होना चाहिए। जोखिम को कम करने और घातक किन्तु आसानी से रोके जाने योग्य बीमारी से मरने वालों की संख्या को कम करने में मदद करने के लिए और अधिक प्रयास किया जाना चाहिए। पशुजनित रोग की रोकथाम और नियंत्रण पशुचिकित्सक की विशेषज्ञता का एक बड़ा हिस्सा है। पशु चिकित्सक यह सुनिश्चित करके अपनी भूमिका निभा सकते हैं कि निवारक देखभाल के लिए पशु रोगियों के टीकाकरण और आमजन की शिक्षा तथा जागरूकता के साथ निरंतर सतर्कता है।
रेबीज, एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण और चुनौतियां
एक स्वास्थ्य की दूरदर्शिता को प्राप्त करने के मार्ग में कई चुनौतियां हैं, जैसे पशु चिकित्सकों की कमी, मनुष्य एवं पशु चिकित्सा संस्थानों के मध्य सूचनाओं के आदान-प्रदान में कमी, पशुगृह में पशुओं को प्रदान की जाने वाली खाद्य सामग्री में उनके स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही, खाद्य श्रृंखला में शामिल करते समय पशुओं के मांस के वितरण में असावधानी आदि आदि।
सबसे बड़ी समस्याओं में से एक यह है कि इसे कई देशों में प्राथमिकता नहीं दी जाती है। एक ऐसी बीमारी के रूप में जो पशुओं और मनुष्यों दोनों को प्रभावित करती है, रेबीज सार्वजनिक और पशु स्वास्थ्य क्षेत्रों के मध्य में है। कठिन भागों में से एक यह है कि यह श्वान हैं जो रेबीज प्रसारित करते हैं। कोई भी श्वानों के स्वामित्व को महसूस नहीं करता है। लेकिन जब प्राथमिकताओं को संरेखित किया जाता है, तो प्रगति करना संभव है, जैसे यूरोप और उत्तरी अमेरिका में जो श्वान की आबादी और मनुष्यों से रेबीज विलग करने में सफल रहे हैं।
हमारे पास बाधाएं हैं, लेकिन जब हम आश्वस्त होते हैं कि हम सफल हो सकते हैं कि एक साथ हम काफी मजबूत हैं, तो हमारे पास उन लोगों को समझाने की शक्ति है जो समर्थन कर सकते हैं। टीका निर्माताओं, गैर सरकारी संगठनों और स्थानीय समुदायों के साथ सहयोग करने वाले मानव और पशु स्वास्थ्य क्षेत्र, सहभागिता के साथ कार्य करें तो संभव है कि हम उन्मूलन की दिशा में छलांग लगा सकते हैं।
सफल सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप के लिए मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य भागीदारों के सहयोग की आवश्यकता होती है। मानव स्वास्थ्य (चिकित्सक, परिचारिका, सार्वजनिक स्वास्थ्य चिकित्सक, महामारी विज्ञानी), पशु स्वास्थ्य (पशु चिकित्सक, कृषि कार्यकर्ता), पर्यावरण (पारिस्थितिकी विज्ञानी, वन्यजीव विशेषज्ञ) और अन्य विशेषज्ञता के क्षेत्रों में पेशेवरों को संवाद करने, सहयोग करने और गतिविधियों का समन्वय करने की आवश्यकता है। एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण में अन्य प्रासंगिक भागीदारों में कानून प्रवर्तन, नीति निर्माता, कृषि, समुदाय और यहां तक कि पालतू पशु मालिक भी शामिल हो सकते हैं। केवल पशु-मानव-पर्यावरण अंतराफलक पर कोई एक व्यक्ति, संगठन या क्षेत्र मुद्दों का समाधान नहीं कर सकता है। सभी क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देकर, एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण साझा वातावरण में मनुष्यों, पशुओं, और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए सर्वोत्तम स्वास्थ्य परिणाम प्राप्त कर सकता है।
मनुष्यों, पशुओं और पर्यावरण के मध्य पारस्परिक प्रभाव की बढ़ती सार्वजनिक मान्यता के साथ, रेबीज विशेष रूप से एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण के लिए एक मजबूत विषय बनाता है। यदि कोई ऐसी बीमारी है जिसके द्वारा हम त्वरित प्रगति दिखा सकते हैं, जिसे हम एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण को लागू करने के लिए जीवंत उदाहरण के रूप में उपयोग कर सकते हैं, तो रेबीज वह उदाहरण है। हम वास्तव में मानव मृत्यु को बहुत जल्दी कम कर सकते हैं। लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अभी भी बहुत काम किया जाना चाहिए, लेकिन रेबीज नियंत्रण अन्य बीमारियों के लिए ज्ञान बढ़ने में मदद कर सकता है किन्तु इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों को एक साथ काम करना पड़ेगा।
जब हम आबादी को बेहतर ढंग से शिक्षित करते हैं और समुदायों को सूचित करते हैं, जब हम पशु चिकित्सा सेवाओं को मजबूत करने का समर्थन करते हैं, तो अप्रत्यक्ष रूप से, हम अन्य बीमारियों के नियंत्रण का समर्थन करते हैं, और हम एक स्वास्थ्य प्रणाली का समर्थन करते हैं।
वर्तमान में एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण की आवश्यकता
वैज्ञानिकों के अनुसार, वन्यजीवों में लगभग १७ लाख से अधिक विषाणु पाए जाते हैं, जिनमें से अधिकतर के द्वारा पशुजन्य रोगों के संचारित होने की संभावना है। इसका तात्पर्य है कि समय रहते अगर इन विषाणुओं का पता नहीं चलता है तो भारत जैसे देशों को आने वाले समय में कई महामारियों का सामना करना पड़ सकता है। रोगों की एक अन्य श्रेणी एंथ्रोपोज़ूनोटिक है जिसमें पशुओं से मनुष्यों में संक्रमण फैलता है।
एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और प्रत्येक स्तर पर लागू किया जाना चाहिए। हमारे पास जो रणनीति, उपकरण और आंकड़े हैं, उसके अलावा अब हमारे पास राजनीतिक प्रतिबद्धता भी है। हमारे पास वह सब कुछ है जो हमें सफल होने के लिए आवश्यक है और अब हमें कार्य करने की जरूरत है। यह स्थानीय पहल से बड़े पैमाने पर आगे बढ़ने का समय है, ताकि वास्तव में टिकाऊ कार्यक्रमों का निर्माण किया जा सके।
हाल के वर्षों में विषाणुओं के प्रकोपों जैसे कि निपाह वायरस, इबोला, सार्स (सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम), मार्स (मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम) और बर्ड फ्लू (एवियन इन्फ्लुएंजा) का संक्रमण यह अध्ययन करने की और इंगित करता है कि हम पर्यावरण, पशु एवं मानव स्वास्थ्य के अंतर्संबंधों की जांच करें और समझें।
पिछले एक दशक में बहुत सारे सकारात्मक बदलाव हुए हैं। हम यह कर सकते हैं। हमें बस इसके साथ आगे बढ़ने की ज़रूरत है और यह सुनिश्चित करें कि कार्यक्रम एक ऐसी योजना में अनुवादित हो जिसे वास्तव में शुरू किया जा सकता हो।
संदर्भ स्रोत
Advancing a ‘One Health’ Approach to Promote Health at the Human-Animal-Environment Interface
Rabies, a long-standing One Health example – Progress, Challenges, Lessons and Visions on the way to 0 by 30 | Frontiers Research Topic
Rabies, the epitome of One Health: A veterinarian’s role – IndeVets
Frontiers | United Against Rabies Forum: The One Health Concept at Work
Eliminating Rabies, One Health in Action – Thoughts from the Podcast – Emergence – Your Guide to Transboundary & Emerging Diseases