जैविक पशु पालन : वर्तमान समय की मॉंग
डॉ. नीना त्रिपाठी
अतिरिक्त उपसंचालक,पशु पालन एवं डेयरी विभाग , भोपाल, मध्यप्रदेश
हमारे यहां सदियों से खेती और पशुपालन की साझा परंपरा रही है, जो कि लंबे समय तक प्रकृति के साथ संतुलन के दर्शन पर आधारित थी। हालांकि इससे उत्पादन कम प्राप्त होता था किन्तु स्वास्थ्य की दृष्टि से यह निरापद था। वर्तमान में पशु पालन हमारी अर्थ व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण घटक है और ग्रामीणजनों की आजीविका का एक प्रमुख साधन भी है। हाल ही के वर्षों में खेती में यांत्रिकी के बढ़ते चलन और विषैले रसायनों के पशुपालन उद्योग में उपयोग से इनसे निर्मित होने वाले खाद्य पदार्थों के पोषक तत्वों के तुलनात्मक अध्ययन में पाया गया है कि जैविक पशुपालन से प्राप्त उत्पाद स्वास्थ्य की दृष्टि से अधिक उपयुक्त हैं। बीजों में अनुवांशिक परिवर्तन कर, कृत्रिम सुगंध और संश्लेषित रासायनिक रंग संरक्षक का खाद्य सामग्रियों के तौर पर बेतहाशा उपयोग हो रहा है। इन्हीं का पशुपालन और इससे जुड़े उद्योगों में होने के बहुत ही भयावह और खतरनाक परिणाम दिखाई देने लगे हैं।
आजादी के बाद शुरू-शुरू में खेतों में भारी मात्रा में रासायनिक खाद का उपयोग किया गया, जिससे उत्पादन तो बढ़ा किन्तु कालांतर में भूमि की उर्वरता में कमी आती चली गई और इसे बढ़ाने के लिए और अधिक रसायनों और रासायनिक खाद का इस्तेमाल बढ़ता गया, परिणाय यह हुआ कि भूमि की उर्वरता लगातार कम होती चली गई। रासायनिक कीटनाशकों के बहुत ज्यादा उपयोग के कारण कई तरह के रोगों के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। खेती किसानी में अत्यधिक मात्रा में कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरक के अंधाधुंध इस्तेमाल के दुष्परिणामस्वरूप मनुष्य और पशुओं की शारीरिक दुर्बलता और जान लेवा बीमारियों के रूप में सामने आ रहे है। देखने में आया है कि बहुत कम उम्र में ही मनुष्य कैंसर जैसे घातक रोग से ग्रसित हो रहे हैं। पशुओं के दूध और मांस में भी इन कीटनाशकों के अंश आने लगे हैं, जिससे पशुओं के स्वास्थ्य पर भी बहुत विपरीत प्रभाव दिखाई देने लगे हैं। इसके साथ हमारी मृदा का स्वास्थ्य भी बिगड़ता जा रहा है। इन दुष्परिणामों से बचने के लिये जैविक खेती के साथ-साथ जैविक पशु पालन की ओर अग्रसर होना समय की मांग है। रासायनिक कीटनाशक रहित उत्पाद ही हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं।
जैविक पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर किसानों को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि कृषि के साथ जुड़ा हुआ पशुपालन घटक से कम लागत में अधिक मूल्य के जैविक पशुधन उत्पाद पैदा करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा सके।
मुख्य शब्द -जैविक पशु पालन,जैविक पशु उत्पाद, एंटी वायोटिक्स, पर्यावरण संतुलन,खाद्य सुरक्षा
जैविक पशु पालन के उद्देश्य-
जैविक पशु पालन एवं खाद्य सुरक्षा मनुष्य जाति और पशु जगत के लिये वर्तमान में प्रासंगिक विषय है। जैविक खाद्य की उपलब्धता मानव जाति के निरोगी स्वास्थ्य और सुखी जीवन के लिये हमारी प्राथमिकता में शामिल है।
- जैविक पशुधन उत्पाद में डेयरी के उत्पाद, मांस, अंडा जैसे खाद्य पदार्थो का पर्याप्त मात्रा में और अधिक गुणवता में उत्पादन करना।
- जैविक खेती अपनाकर भूमि की उर्वरकता को बचाए रख कर भूमि की इस उर्वरकता को लम्बे समय के लिये बनाये रखना।
- पशुपालन, कृषि व पर्यावरण के बीच जैविक प्राकृतिक चक्र बना कर संतुलन स्थापित करना और प्रकृति को प्रदूषण मुक्त करना।
- कृषि व जैव विविधता का संरक्षण करना व उनके बीच संतुलन स्थापित करना।
- जैविक पशु पालन अपनाकर मानव स्वास्थ्य व अन्य प्राणियों की रक्षा करना।
- जीन विविधता का संरक्षण और पशुओं को उनके प्राकृतिक स्वभाव में प्रकट होने देना।
- जैविक उपट्य व पुर्नचक्रित पदार्थो के उपयोग को बढ़ावा देना।
- जल व मृदा संरक्षण को प्रोत्साहित करना।
- जैविक पशु पालन को अपनाने के लिये पशु पालकों को प्रोत्साहित कर अधिक से अधिक लाभ पहुँचाना।
जैविक पशु पालन के लाभ-
- जैविक पशुपालन,वातावरण को प्रदूषण रहित बनाये रखने एवं मानव स्वास्थ्य की रक्षा करता है।
- जैविक पशु पालन से प्राप्त उत्पाद एंटी बायोटिक्स एवं हॉर्मोन से पूर्णतः मुक्त होते हैं। अतः इनके सेवन से मुनष्य एवं अन्य प्राणियों को कई घातक बीमारियों से बचाया जा सकता है। जैसे हृदय रोग,कैंसर, मधुमेह आदि।
- मृदा की उर्वरकता को लम्बे समय तक बनाये रखता है।
- जैविक पशुपालन प्राकृतिक संसाधनों के उपयुक्त उपयोग को सुनिश्चित करता है ताकि कम लागत से अधिक मात्रा व उच्च गुणवत्ता वाले पशु आधारित भोज्य पदार्थों का उत्पादन हो सके।
- जैविक पशुपालन से प्राप्त खाद्य पदार्थ का मूल्य सामान्य साद्य पदार्थों से अधिक होता है,इससे पशु पालक को अधिक आमदनी होने से उसकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी।
- यह पारंपरिक पशुपालन को बढ़ावा देता है ताकि किसानों को कम लागत में अधिक मूल्य वाले जैविक पशु उत्पाद प्राप्त हो सकें।
जैविक पशुपालन : क्या करें?
- पशुओं को रासायनिक खाद रहित पूर्णतः जैविक चारा खिलायें जिसका उत्पादन जैविक बीजों एवं जैविक पद्वति से किया गया हो।
- बरसात के मौसम में जल हरे चारे का उत्पादन जब अधिक हो तो उसे हे व साइलेज के रूप में संरक्षित किया जा सकता है ताकि पशुओं को वर्ष भर जैविक चारा प्राप्त हो सके। इसमें अजोला पशु आहार भी शामिल किया जा सकता है।
- पशुओं का प्रबंधन अच्छी तरह से करें ताकि वे लगातार स्वस्थ रहें व कम से कम बीमार पड़ें।
- पशुओं के बीमार होने की स्थिति में पारंपरिक देशी इलाज, आयुर्वेदिक व होम्योपैथिक दवाइयों से इलाज को प्राथमिकता दें।
- फार्म का प्रमाणीकरण अधिकृत जैविक एजेंसी से करवाया जाए। जैविक पशुधन फॉर्म को सामान्य फॉर्म से पृथक रख कर पशुओं के लिए प्राकृतिक चारागाह की व्यवस्था करें और छायादार वृक्ष लगाए ताकि उनका पालन पोषण प्राकृतिक वातावरण में हो सके।
- फॉर्म की साफ सफाई नियमित तौर पर जैविक व रासायनिक कीटनाशक रहित जैसे नीम, तुलसी इत्यादि का उपयोग कर पारंपरिक देसी विधियों से करें।
- जमीन की उर्वरकता को बढ़ाने के लिए जैविक खाद जैसे कि वर्मी कंपोस्ट,केंचुआ खाद व फॉर्म के बचे हुए जैविक अपघटक का उपयोग करें साथ ही जैविक तरीके से प्राप्त पशु उत्पादों को अन्य पशु उत्पादन से अलग रखें तथा इनमें किसी भी प्रकार का प्रसंस्कृत संश्लेषित फीड एडिटिव और रासायनिक संरक्षक ना मिले।
- पशु उत्पादों की प्रोसेसिंग भी उन्नत देसी तकनीक का उपयोग करते हुए जैविक तरीके से करें ।
- जैविक पशु उत्पादों का प्रमाणीकरण किसी प्रमाणित एजेंसी से करवाए ताकि इन उत्पादों में जैविक उत्पाद का टैग लगाया जा सके तथा इनका उचित दाम निर्धारित हो सके।
जैविक पशुपालन क्या नहीं करें-
- चारा उत्पादन के लिए जेनेटिकली मोडिफाइड बीजों का इस्तेमाल बिलकुल न करें।
- जमीन की उर्वरकता को बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों का उपयोग बिलकुल न करें।
- पशुओं का उपचार के लिए एंटीबायोटिक व एलोपैथिक दवाइयों का इस्तेमाल न करें।
- जेनेटिकली मोडिफाइड वैक्सीन के प्रयोग से बचें।
- कीटों के नियंत्रण के लिए संश्लेषित केमिकल कीटनाशकों का उपयोग न करते हुए नीम तुलसी जैसे आयुर्वेदिक ऐंटीबायोटिक का उपयोग सुनिश्चित करें।
- खरपतवार को नष्ट करने के लिए संश्लेषित खरपतवार नाशक का उपयोग न करें।