पशु आहार में यूरिया: प्रोटीन का एक स्रोत

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पशु आहार में यूरिया: प्रोटीन का एक स्रोत

डॉ नृपेंद्र सिंह1 डॉ दिनेश कुमार यादव2, डॉ विभा यादव3

  1. एम.वी.एससी स्कॉलर पशु शरीर रचना एवं उत्तक विज्ञान विभाग
  2. पी.एचडी स्कॉलर पशु औषधि विज्ञान विभाग
  3. सहायक प्राध्यापक पशु सूक्ष्मजीव विज्ञान विभाग

पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या उत्तरप्रदेश|

पशुपालक का 70 प्रतिशत व्यय पशुओं के आहार पर खर्च होता हैं। पशुओं के स्वास्थ्य और उत्पादन के लिए एक अच्छे पशु आहार और हरे चारे की आवश्यकता पड़ती हैं, लेकिन हरा चारा पूरे वर्ष उपलब्ध नहीं होता है परन्तु पशुओं के आहार में प्रोटीन की प्रर्याप्त मात्रा उपलब्ध करायी जा सकती है अतः पशुओं को सूखे चारे के साथ प्रोटीन स्रोत भी देने चाहिए जो मुख्यतः चुरी, चोकर, खलिया और यूरिया स्रोतों द्वारा मिलते हैं। यूरिया गैर-प्रोटीन नाइट्रोजन यौगिक है। यूरिया शुष्क पदार्थ के उपयोग के लिए आवश्यक अतिरिक्त नाइट्रोजन प्रदान करता है। पर्याप्त मात्रा में अमोनिया को रुमेन में बनाए रखने के लिए नाइट्रोजन होना चाहिए। यूरिया में लगभग 46 प्रतिशत नाइट्रोजन नाइट्रोजन होता है। एक किलोग्राम यूरिया में 7-8 किलोग्राम खली के बराबर नाइट्रोजन होती है। मवेशी और अन्य जुगाली करने वाले पशुओं में अमोनिया और कार्बन डाइऑक्साइड के उत्पादन के माध्यम से यूरिया को प्रोटीन में परिवर्तित करते हैं यूरिया भूसे की पौष्टिकता, स्वाद और पाचनशक्ति को बढ़ाता है।

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पशुओं को यूरिया खिलाने की विधियों:-

  1. दाने के साथ यूरिया खिलाना- इस विधि में 100 किलोग्राम दाने के साथ 1 किलोग्राम यूरिया खिलाते हैं। पशुओं को खिलाने से पहले दाना और यूरिया को भिगो कर खिलाना चाहिए। यूरिया की अधिकतम मात्रा पशुओं को दाने का 2 प्रतिशत तक खिला सकते हैं।
  2. यूरिया और गुड़ का घोल बना कर इस विधि में 150 से 250 ग्राम यूरिया और 250 ग्राम गुड़ दोनों को पानी में अच्छी तरह मिला कर चारे को उपचारित करते हैं। यह घोल 10 किलो चारे के लिए उपयोगी हैं।
  3. यूरिया द्वारा चारे को उपचारित करना- इस विधि में 4 किलोग्राम यूरिया 50 लीटर पानी में घोल बना कर 100 किलोग्राम चारे को उपचारित करते हैं तथा यूरिया घोल का चारे पर अच्छी तरह छिड़काव कर के उस के ऊपर वापिस 100 किलो चारे की सतह बना कर उस के ऊपर वापिस 4 किलो यूरिया का घोल का छिड़काव करते हैं, फिर इस उपचारित चारे के ढेर को प्लास्टिक की चदर ढक देते हैं, यह उपचारित चारा 20-25 दिन में पशुओं के खाने के लिए काम आने लग जाता हैं। यह उपचारित चारा खिलाने से पहले चारे को खुली हवा में फैलाना चाहिए जिससे यूरिया की गंध निकल जाये।
  4. 4. यूरिया – शीरा तरल मिश्रण- इस विधि में 2.5 भाग यूरिया, 25 भाग पानी, 1 भाग नमक, 2 भाग खनिज लवण 92 भाग शीरा इन सब को मिला कर एक घोल बनाया जाता है जो चारे को उपचारित करने के काम आता हैं। इस विधि से उपचारित किया गया चारा पशुओं को 1 किलोग्राम प्रति 100 किलोग्राम शरीर भार के अनुसार दिया जाता हैं।
  5. यूरिया-शीरा खनिज लवण ब्लॉक- ब्लॉक बनाने के लिए 40 प्रतिशत शीरा 12 प्रतिशत यूरिया, 5 प्रतिशत नमक, 6 प्रतिशत खनिज लवण 4 प्रतिशत कैल्सियम आक्साइड के सब मिश्रण को धीरे-धीरे मिलाया जाता हैं। फिर इस को लकड़ी या धातु से बने साँचो में प्लास्टिक बिछाकर उसमें मिश्रण डाल कर ईंट का रूप दिया जाता हैं। यह ईंटे 24 घंटे में तैयार हो जाती हैं जो पशुओं को खिलाने के काम आती
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विभिन्न पशुओं को यूरिया की मात्रा:-

  • भेड़ और बकरियों को यूरिया की मात्रा सूखा चारे का एक प्रतिशत देना चाहिए। • गाय और भैंस को कुल प्रोटीन का 1 बटा 3 भाग यूरिया के रूप में देना चाहिए।
  • दुधारू गाय यदि 20 लीटर से कम दूध दे रही हैं तो उस को यूरिया कुल दाने का 2 प्रतिशत देते हैं। यदि दुधारू गाय 20 लीटर से अधिक दूध दे रही हैं तो उस को यूरिया नहीं खिलाना चाहिए क्योंकि यूरिया का सिन्धिसिस क्रिया नहीं होती है।
  • हीफर, बुल और कम उत्पादन वाले पशुओं को यूरिया दाने का 1.5 से 20 प्रतिशत खिलाना चाहिए।

यूरिया खिलाने के दौरान सावधानियाँ:-

  • यूरिया को अच्छी तरह मिला कर खिलाना चाहिए।
  • यूरिया हमेशा प्रोढ पशुओं को खिलाना चाहिए, छोटे पशुओं को नही
  • यूरिया की सिफारिश मात्रा से अधिक कभी नहीं खिलानी चाहिए।
  • छः महीने से कम बछड़े व बछड़ियों को यूरिया नहीं खिलाना चाहिए।
  • बीमार पशुओं को भी यूरिया नहीं खिलाना चाहिए।
  • यूरिया का घोल हमेशा प्रयोग के समय ही बनाये। पहले बना कर नहीं रखना चाहिए क्योंकि पहले बनाया गया यूरिया के घोल में विषाक्त गुण आ जाते जो पशुओं को नुकसानदायक होते हैं।
  • गर्भित पशुओं को यूरिया नहीं खिलाना चाहिए।
  • यूरिया खिलाए हुये पशुओं को पानी की उचित मात्रा समय पर उपलब्ध करानी चाहिए क्योंकि यूरिया जल उपयोग क्षमता को बढ़ाता हैं।
  • https://hi.vikaspedia.in/agriculture/animal-husbandry/92a936941913902-91593e-91a93e93093e/92a936941913902-915947-93293f90f-92f94293093f92f93e-93694093093e-91692893f91c-92a93f92394d921903-90f915-92a94c93794d91f93f915-90693993e930
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