मुख्यतया जंतुओं द्वारा ग्रहण किये जाने वाले आहार में पौधों तथा पौधों से प्राप्त उपउत्पाद ही होते हैं। बहुत ही कम मात्रा में जंतुओं के आहार में जंतुओं या उनके उपउत्पाद का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे – F।sh meal, Blood meal, Bone Meal इत्यादि।
इसलिए यह कह सकते हैं कि जंतुओं का सम्पूर्ण या अधिकाँश भोजन पौधों से प्राप्त होता है तथा इस आहार में मुख्यतया छः पोषक तत्व होते हैं।
जल
कार्बोहाइड्रेट
प्रोटीन
वसा
खनिज लवण
विटामिन
पशु की आवश्यकता जैसे निर्वाह राशन, उत्पादन राशन, पशु की उम्र, पशु की जाति तथा पशु के कार्य करने की क्षमता के अनुरूप पशु की पोषक तत्व की आवश्यकता भी बदलती रहती है|
जैसे पशु को ऊर्जा के लिए कार्बोहाइड्रेट तथा पशु को अपनी शारीरिक वृद्धि के लिए प्रोटीन की आवश्यकता होती है।
जल: सबसे पहले वैज्ञानिक Rubner ने शरीर में जल की जेविक महत्ता के बारे में बताया। पशु या पादप शरीर का लगभग 50 प्रतिशत भाग जल का बना रहता है।
Rubner के मुताबिक़ यदि पशु के शरीर से सम्पूर्ण वसा और आधी प्रोटीन भी हटा दी जाये तो भी पशु जिंदा रह सकता हैं, परन्तु उसके शरीर के 1/10वें हिस्से से कम पानी रह जाये तो पशु की मृत्यु हो सकती है।
जल के कार्य:
यह एक सर्वोत्तम विलायक का कार्य करता है जो की विसरण प्रवृति के कारण सम्पूर्ण शरीर में पोषक तत्वों का वितरण करते हैं।
यह शरीर के ताप को भी बनाये रखता है।
यह शरीर में अम्ल क्षार संतुलन को भी बनाये रखते है।
यह शरीर में पोषक तत्वों के वितरण के साथ-साथ शरीर से विषेले तथा अपशिष्ट पदार्थों को भी शरीर से बाहर निकालने में मदद करते हैं।
यह दूध निर्माण तथा शरीर में उपस्थित विभिन्न द्रव्यों जैसे साइनोवियल द्रव्य के निर्माण में भी सहायक है।
ये भोजन को सुपाच्य तथा आँतों में पोषक तत्वों के अवशोषण में भी सहायता करते हैं।
कार्बोहाइड्रेट: यह कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन से मिलकर बने उत्पाद हैं। ये पादप और जंतु शरीर में ऊर्जा का उच्च श्रोत है। पशुओं में संचित भोजन ‘ग्लाइकोजन’ तथा पौधों में संचित भोजन ‘स्टार्च’ के रूप में रहता है तथा ये दोनों ही कार्बोहाइड्रेट है। कार्बोहाइड्रेट को दो भागों में बांटा गया है :
घुलनशील या N।trogen Free Extract कार्बोहाइड्रेट: ये कार्बोहाइड्रेट घुलनशील हैं तथा शरीर में ज़्यादातर ऊर्जा के श्रोत के रूप में इस्तेमाल होते हैं:
जैसे: मोनोसेकेराइड जैसे – ग्लूकोस, फ्रक्टोज
डाईसेकेराइड जैसे – सुक्रोस तथा माल्टोज़, लेक्टोज़
पालीसेकेराइड जैसे – स्टार्च, ग्लाइकोजन
अघुलनशील या Crude F।bre कार्बोहाइड्रेट: ये आहार में आसानी से नहीं पच पाने के कारण आहार में भारीपन लाने के लिए उपयोग में ली जाती है।
जैसे – सेलुलोज, हेमीसेलुलोज, लिग्निन (यह लिग्निन सत्य कार्बोहाइड्रेट नहीं है)
कार्य:
कार्बोहाइड्रेट के दहन होने से शरीर को ऊर्जा मिलती है।
आवश्यकता से अधिक कार्बोहाइड्रेट खाने से पशु शरीर इसे वसा में रूपांतरित करके संचय भोजन के रूप में इकठ्ठा कर लेते हैं।
ये D.N.A. तथा R.N.A. में भी ऊर्जा के श्रोत क्रमशः डीऑक्सोराउबोज़ तथा राइबोज़ शर्करा के रूप में उपस्थित रहती हैं।
प्रोटीन: प्रोटीन का निर्माण कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और सल्फर खनिज लवण से होता है।
प्रोटीन के कार्य:
पशुओं की शारीरिक वृद्धि करने, शरीर में होने वाली टूट फूट की मरम्मत में तथा नए उत्तकों के निर्माण में।
प्रोटीन शरीर में हार्मोन निर्माण में मदद करते हैं।
यह शरीर में ऊन, बाल, खुर, अंडे एवं दुग्ध उत्पादन के लिए भी बहुत आवश्यक होते हैं।
शरीर में प्रतिरक्षा तंत्र भी प्रोटीन का ही बना होता हैं।
ये जैव उत्प्रेरक का कार्य भी करते हैं।
वसा: वसा का मुख्य कारण पशुओं में संचित भोजन के रूप में शरीर में विद्यमान होने में है। तथा साथ ही ये शरीर की बाहरी आघातों से शरीर की सुरक्षा भी करती है। वसा का निर्माण भी कार्बन, हाइड्रोजन व ऑक्सीजन से ही मिलकर होता हैं।
वसा के कार्य:
वसा शरीर में संचित भोजन के रूप में विद्यमान रहती है।
ये शरीर की बाहरी आघातों से भी रक्षा करती है।
ये दूध का मुख्य संघटक बनाने का कार्य करती है।
यह वसा में घुलनशील विटामिन A, D, E और K के अवशोषण में भी मदद करती है।
खनिज लवण : ये अकार्बनिक तत्व होते हैं जिनकी अतिसूक्ष्म मात्रा शरीर की सामान्य क्रियाविधि के लिए आवश्यक होती है।
खनिज लवण के कार्य :
ये शरीर में विभिन्न क्रियाओं के लिए सह-एंजाइम या उत्प्रेरक का कार्य करते हैं।
ये पशुओं की शारीरिक वृद्धि जैसे Ca & P तथा रक्त के परिवहन में Fe, Cu, और Co तथा तंत्रिका की चालकता में Na, K, Cl तथा Ca खनिज तत्वों की आवश्यकता होती है।
विटामिन: ये कार्बनिक योगिक होते हैं जिनकी सूक्ष्म मात्रा शरीर की सामान्य क्रिया विधि के लिए आवश्यक होती है। ये ज़्यादातर पेड़ पौधों से ही पशु को प्राप्त होते हैं
विटामिन के कार्य :
शरीर में दृष्टि, शरीर की वृद्धि, प्रजनन तथा शरीर में रोगों से बचाव के लिए आवश्यक होते हैं।
रक्त का थक्का बनने के लिए बनने वाली प्रोटीन के निर्माण के लिए आवश्यक।
शरीर के उपापचय को नियंत्रित करने में भी विटामिन का अहम् योगदान होता है।
लेखक -डॉ राजेश कुमार ,डॉ दीपिका जैन