पशुशाला में खोर (चारे की नांद) की विशेताएं:

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पशुशाला में खोर (चारे की नांद) की विशेताएं:
1. पशुपालक भाई सीमेंट की पक्की, लकड़ी की उठाऊ, टायर या कनस्तर की कामचलाउ खोर का उपयोग करते हैं। खोर के प्रयोग के समय हमें अपनी थाली के बारे में सोचना चाहिए।
2. पक्की खोर की नाप संलग्न चित्र में दी गई हैं। सभी पशुओं को उचित स्थान मिलना चाहिए।
3. खोर की तली अर्ध चंद्राकर होनी चाहिए ताकि किनारे न होने के कारण पुराना चारा दाना इकट्ठा न होवे और उसमें कीड़े भी न पड़ें।
4. खोर में चारे या दाने के साथ पानी मिलाकर नहीं देना चाहिए।
5. खोर में एक से दूसरी तरफ तक 1:40 का ढलान होना चाहिए ताकि वह आसानी से साफ हो सके। एक समय अंतराल पर इसकी सफाई की आवश्यकता होती है।
6. यदि पशु को खोर में खड़े होकर गंदा करने की आदत हो तो खोर के ऊपर गोल पाइप की रेलिंग लगाई जा सकती है।
7. ध्यान रहे कि खोर में चारे के साथ कोई पन्नी या नुकीली चीज आदि न चली जाए अन्यथा पशु को काफी नुकसान हो सकता है।
संकलन -डॉ अजयवीर सिंह सिरोही
प्रधान वैज्ञानिक
केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ

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