बाल शूकर अरक्तता ( पिगलेट एनीमिया)
डॉ. ज्योत्सना शक्करपुडे, डॉ. अर्चना जैन, डॉ. आम्रपाली भिमटे
डॉ. रंजीत आइच, डॉ. श्वेता रजोरिया
पशु शरीर क्रिया एवं रसायन विज्ञान विभाग,पशुचिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, महू
बाल शूकर अरक्तता (हाइपोक्रोमिक-माइक्रोसाइटिक एनीमिया) आयरन की कमी से होता है। जन्म के समय पिगलेट के रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर 12-13g / 100ml होता है और यह 10-14 दिन की आयु मे तेजी से घटकर 6-7g / 100ml तक कम हो जाता है। लोहे की कमी से लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो जाता है, जिसे एनीमिया कहते हैं। इसके कारण शरीर मे चारों ओर ऑक्सीजन को पहुंचाने की क्षमता कम हो जाती है और रोगों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है।आयरन हीमोग्लोबिन बनाने में एक महत्वपूर्ण घटक है, लाल रक्त कोशिका के भीतर हीमोग्लोबिन का कार्य है- सेलुलर चयापचय के समर्थन में शरीर के ऊतकों तक फेफड़ों से ऑक्सीजन ले जाना और सेलुलर चयापचय के परिणामस्वरूप कार्बन डाइऑक्साइड को फेफड़ों के द्वारा शरीर से बाहर निकालना। शरीर मे लोहे की कमी के कारण, बाल सुअर हीमोग्लोबिन की पर्याप्त मात्रा को संश्लेषित नहीं कर सकता है। बाल शूकर अरक्तता रक्त की एक स्थिति है जिसमें शरीर की ऑक्सीजन-वहन क्षमता बहुत कम हो जाती है। पिगलेट लोहे की सीमित आपूर्ति के साथ पैदा होते है और प्राकृतिक परिस्थितियों में पैदा हुये बाल शूकर लोहे की आपूर्ति के लिए मिट्टी पर निर्भर रहते है। शूकर गृह मे रहने वाले बाल शूकर लोहे की आपूर्ति के लिए मादा सूअरों के दुध पर निर्भर करते है। मादा सूअर के दुध मे भी लोहे की कमी होती है, जिसके कारण बाल शूकर पिगलेट एनीमिया से ग्रसित हो जाता है।
बाल शूकर अरक्तता होने के कारण
1. नवजात सुअर में लोहे का कम भंडारण
शिशु सुअर अपने शरीर में लगभग 40mg लोहे के साथ पैदा होता है। सामान्य
रूप से बढ़ने वाले बाल सुअर मे रक्त हीमोग्लोबिन स्तर को बनाए रखने के लिए
प्रतिदिन लगभग 7mg लोहे की आवश्यकता होती है।
2. मादा सूअर के दुध और कोलस्ट्रम मे भी लोहे की कमी
मादा सुअर के कोलोस्ट्रम में लोहे की सांद्रता 2ppm से अधिक नहीं होती है, और दुध में
केवल 1ppm होती है। दूध में लोहे की कम सांद्रता के कारण, बाल सुअर इस स्रोत से
प्रतिदिन लगभग 1mg से अधिक आयरन प्राप्त नहीं कर पाता है। प्राकृतिक परिस्थितियों
में बाल सुअर अपना लोहा मिट्टी से प्राप्त कर सकता है। जब सुअर को कंक्रीट पर
रखा जाता है तो वह इस अवसर से वंचित रह जाता है।
3. मिट्टी से लोहे के साथ संपर्क का उन्मूलन
4. नर्सिंग सुअर की तीव्र वृद्धि दर।
अन्य घरेलू स्तनधारियों की तुलना में, बाल शूकर में बढ़ने की जबरदस्त क्षमता होती
है। बाल सुअर की तेजी से वृद्धि के लिए प्रतिदिन 7 से 11 mg लोहा उनके आहार मे देना
चाहिए, ताकि पर्याप्त हीमोग्लोबिन शरीर मे बना रहे।
पिगलेट एनीमिया को इंगित करने के लिए सबसे आम पैरामीटर हीमोग्लोबिन है।
(i) एचबी का स्तर 10 g/dl या उससे अधिक वाले सूअर सामान्य हैं।
(ii) एचबी का स्तर 9 g/dl उत्तम प्रदर्शन के लिए न्यूनतम स्तर है।
(iii) एचबी का स्तर 8 g/dl एक सीमावर्ती एनीमिया को इंगित करता है।
(iv) एचबी का स्तर 7 g/dl वह स्तर है जिसमें एनीमिया का विकास होता है।
(v) एचबी का स्तर 6 g/dl को गंभीर एनीमिया और 4 g/dl को मृत्यु दर में वृद्धि के साथ गंभीर एनीमिया माना जाता है।
आयरन की कमी के लक्षण
बाल शूकर अरक्तता को अधिकतर थमप्स के नाम से जाना जाता है क्योंकि सश्रम एवम आकर्षी श्वसन इस रोग की विशेषता है। यह रोग जन्म के 2 से 4 सप्ताहों के अंदर ही विकसित हो जाता है। बड़ी संख्या मे प्रभावित बाल शूकर मृत्यु का ग्रास बन जाते है तथा बचे हुये बच्चे 6-7 सप्ताह की आयु होने पर धीरे –धीरे ठीक होने लगते है, क्योंकि इस आयु तक बच्चे अपने माँ के आहार मे से पर्याप्त आहार खाने लगते है ।बाल शूकर अरक्तता का पहला संकेत बाल कोट का खुरदरापन और बलगम झिल्ली की रंजकता का खो जाना है, त्वचा झुर्रीदार तथा खाल रुखी तथा अस्वस्थ हो जाती है, बाल सूअरों का वजन कम हो जाता हैं। गंभीर मामलों में बाल सूअरों की पहचान सश्रम श्वसन, हृदय और श्वसन दर में वृद्धि, उपस्थित पशु द्वारा की जा सकती है।ऑक्सिजन की कमी के कारण बाल सूअर की अचानक मौत हो जाती है। प्रभावित बाल सूअर के गर्दन और कंधे के आसपास सूजा हुआ शोफीय स्वरूप विकसित हो जाता है। रक्तहीनता से पीड़ित सूअर संक्रामक रोगों (जैसे निमोनिया, इन्फ्लूएंजा और जीआईटी विकारों)) के लिए उच्च संवेदनशीलता दिखाते हैं।
बाल शूकर अरक्तता का उपचार और रोकथाम
(1) संपूरक लोहे का मौखिक मिश्रण उपयोग किया जा सकता है और जीभ के पीछे रखा जाता है और जन्म होने के 36 घंटे के भीतर दिया जाता है। लोहे को
पीने के पानी के साथ (1.8% फेरस सल्फेट @4ml /day) जन्म से लेकर सात दिनों के
लिए दिया जाता है। इसके अलावा लोहयुक्त पेस्ट्रो का शूकरी के थनों पर लेपन करके या फेरस
सल्फेट के सन्त्र्प्त विलयन की फुरेरी लगाकर, जिससे स्तनपान करते समय बाल शूकर लोहे की इस
अतिरिक्त मात्रा को प्राप्त कर सके।
(2) स्तनपान कराने वाली शूकर की डाइट में आयरन का स्तर बढ़ाएं ताकि बाल शूकर को अधिक आयरन मिले।
(3) फैरिंग पेन में लोहे के यौगिक या बिना पकी मिट्टी का छिड़काव करें।
(4) सबसे आसान तरीका यह है कि बाल शूकर को आयरन डेक्सट्रान का 150- 200 मिलीग्राम का एक इंजेक्शन दिया जाए @ 1 या 2 मिली। आयरन को 3 से 5 दिन की उम्र से दिया जाता है और जन्म के समय नहीं दिया जाता।क्योंकि जन्म के समय 2ml की खुराक मांसपेशियों को काफी आघात पहुंचाती है और 14 वें दिन इंजेक्शन फिर दोहराएँ ।
(5) लोहे के यौगिक इंजेक्शन स्थल पर मांसपेशियों को धुंधला कर सकते हैं जो ठीक से ठीक नहीं होते हैं और उनका पता लगाना मुश्किल होता है। अक्सर वे केवल उपभोक्ताओं द्वारा पता लगाए जाते हैं, एक अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पाद की छवि को कम करते हैं।
(6) इंजेक्शन स्थल पर कभी-कभी संक्रमण या फोड़े हो सकते हैं।
(7) लंगड़ापन, धुंधलापन और संक्रमण कम करने के लिए पैर के बजाय कान के पीछे गर्दन में इंजेक्शन लगाएं।