प्रसव के बाद मादा पशुओं एवं नवजात बछड़े की देखभाल

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प्रसव के बाद मादा पशुओं एवं नवजात बछड़े की देखभाल

डॉ. आशुतोष मिश्रा, डॉ.आनंद कुमार जैन, डॉ. आनंद कुमार यादव, डॉ. सृष्टि सिंह, डॉ. एस ऍन शुक्ला, डॉ. नितिन बजाज एवं डॉ. रूचि सिंह

पशु चिकित्सा एवं  पशु पालन महाविध्यालय जबलपुर

 

प्रसव के बाद मादा  पशुओं की देखभाल  जरूरी हो जाती है क्योंकि प्रसव के बाद मादा  पशुओ मे कई  तरह की समस्याए होती है जिसका समय रहते ध्यान देना  जरूरी हो जाता है |

जन्म देने के तुरंत बाद

प्रसव के बाद पशुओं को अपने  बछड़ा को चाटने दे और प्रसव के 1-2 घंटे में  बछड़े को मां का दूध पिलाए ऐसा करने से पशुओं के शरीर में ऑक्सीटोसिन का स्राव होता जिससे जेर जल्दी गिरने में सहायता मिलती है। यह गाय-बछड़े के बंधन में मदद करता है| नवजात फिर खड़े होने का प्रयास करता है। बछड़ा अपने चेहरे के किनारे को छूने वाले एक थन को सहज रूप से “अपना मुंह ऊपर रखेगा|  प्रसव के बाद मादा पशु को गुड़ अजवाइन का काढ़ा पिलाए एवम थोड़ी भूसी थोड़ा गुड़ भी दे सकते हैं ये पशु को ऊर्जा प्रदान करते हैं, साथ ही साथ थोड़ा दलिया एवं मेथी उबाल कर दे सकते हैं।

अपने बच्चों को दूध पिलाने के लिए गायों को प्रचुर मात्रा में आहार की आवश्यकता होती है। एक बार दूध छुड़ाने के बाद उसके बच्चों के लिए पर्याप्त चारा होना चाहिए। बछड़े सभी मोनोगैस्ट्रिक के रूप में पैदा होते हैं जो उन्हें दूध के आहार को पचाने में सक्षम बनाता है। प्रसव के बाद मादा पशु में मिल्क फीवर होने की संभावना होती है इससे बचने के लिए पशु का पूरा दूध एक साथ नहीं निकालें अगले 2-3 दिन तक थोड़ा-थोड़ा दूध उसकी लेवटी में छोड़े।

READ MORE :  मिल्क फीवर

जेर नहीं गिरने पर क्या करें

सामान्यतया जेर लगभग प्रसव के 5-6 घंटे में गिर जाती हैं अगर जेर 8-12 घंटे तक भी नहीं गिरती है तो नजदीकी पशु चिकित्सक से संपर्क करें। प्लेसेंटा के नहीं गिरने की समस्या से बचने के लिए पशुपालक अपनी गाय भैंस को बाजार में कुछ युटेरोंटॉनिक आयुर्वेदिक दवाइयां मिलती है वो हल्के निवाया पानी में 250 मिली तक पीला सकते है।प्लेसेंटा 5-6 घंटे के भीतर बाहर निकल  जाता है। सामान्य स्थिति में, ब्याने के बाद, यदि 6-7 घंटे के भीतर प्लेसेंटा बाहर नहीं  आता है तब एक पशु चिकित्सक की सहायता लें और आवश्यकतानुसार इलाज करें।गाय को गुनगुना पानी पिलाना चाहिए।नाल को बाहर निकालने के बाद गाय को खाने से रोकें।नाल को जमीन में गाड़कर उसका उचित ढंग से निस्तारण किया जाना चाहिए।गाय के शरीर को एंटीसेप्टिक युक्त साफ, गर्म पानी से साफ करें।चोकर को कच्ची चीनी या गुड़ से गीला करें।

 

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