मुर्गीपालन व्यवसाय
डॉ रूही मीना
पी एच डी छात्रा, भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान कॉलेज, इज्जतनगर, बैरेली (उत्तरप्रदेश)
सीमांत व छोटे किसानो के लिए मुर्गीपालन उनकी आजीविका की दृष्टि से महत्वपूर्ण साधन है। परन्तु मुर्गीपालन के व्यवसाय में लागत के समानुपातिक लाभ नहीं मिलने के कारण परंपरागत मुर्गीपालन इससे दूर होता जा रहा है। 20वीं पशुगणना के अनुसार वर्ष 2020 में कुल 851.81 मिलियन मुर्गिया थी। 19वीं पशुगणना की तुलना में 20वीं पशुगणना में लगभग 16.81% की वृद्धि आई है। अंडे और मांस का वार्षिक उत्पादन लगभग 122.49 बिलियन और 8.80 मिलियन टन है, जिसमे पिछले वर्ष की तुलना में अंडे के उत्पादन में वृद्धि हुई है।
मुर्गीपालको को बेहतर लाभ प्रदान करने के लिए मुर्गीपालन की लागत में कमी और उत्पादन में वृद्धि की आवश्यकता है। मुर्गीपालन में उत्पादकता को बढाने के लिए आपको उच्चगुणवत्ता के मुर्गीनसल की भी जरूरत पड़ेगी। मुर्गी की नसल का चयन उनके उत्पादन की क्षमता पर निर्भर करता है, साथ ही इस बात पर भी निर्भर करता है की आप किसलिए मुर्गीपालन कर रहे हैं। जेसे लेयर नसल की मुर्गी को अंडे उत्पादन के लिए और ब्रॉयलर नसल का चयन मीट उत्पादन के लिए करते हैं। इस व्यवसाय में आपको हैचरी से लेकर मुर्गी का 18-20 हफ्ते तक ध्यान रखना होगा तभी वह अंडे देने लायक होगी। मुर्गीपालन को अलग-अलग उद्देश्यो के आधार पर अलग-अलग बाटा गया है जेसे की अंडा उत्पादन, मीट उत्पादन, चुजे उत्पादन से अच्छी कमाई की जा सकती है। वर्तमान में चुजे उत्पादन का काम सब से बड़े पेमाने पर किया जा रहा है, क्युकी दोनो के उत्पादन के लिए चुजे की आवश्यकता होती है, एक चुजा लगभग एक महिने में तेयार होता है। चुजे का व्यापार सबसे ज्यादा मुनाफा देने वाला होता है।
मुर्गीपालन के व्यवसाय में चूजों की देखभाल करना सबसे जरूरी होता है। यह इसलिए जरूरी होता है क्योंकि चूजों के बेहतर विकास पर ही मुर्गीपालन का पूरा व्यवसाय निर्भर करता है। चूजों बहुत नाजुक होते हैं इसलिए उनकी देखभाल करना बहुत मुश्किल होता है हर चीज पर सही से ध्यान देना पड़ता है।
अंडे से निकलने के बाद चूजोंको सीधे मुर्गीपालन करने वाले व्यापारियों के पास ऑर्डर के अनुसार डिलीवरी दिया जाता है। मुर्गीफार्म तक चूजे पहुंचने से पहले और बाद में कुछ महत्वपूर्ण चीजों का है ध्यान देना चाहिए जिनके विषय में आज हमने भी आर्टिकल में बताया है।
मुर्गी फार्म में चूजों का प्रबंधन:- मुर्गीपालन में चूजों का प्रबंधन सबसे महत्वपूर्ण होता है –
- चूज़े आने से 7-8 दिन पहले ही शेड को अच्छे से साफ़ करें। सबसे पहले मकड़ी के जालों को अच्छे से हटा दें उसके बाद ही नीचे की सफाई करें। उसके बाद फर्श को पानी से धोएं और उसके बाद उसमे फोर्मलिन और चूना मिलाकर लगायें।
- हमेशा याद रखें जितनी जल्दी हो सके चूजों की डिलीवरी लें। चूजों की डिलीवरी में देरी होने पर उन्हें डिहाइड्रेशन हो सकता है जिसके कारण मृत्युदर में वृद्धि हो सकती है या बाद में उनके विकास में कमी आ सकती है। ऐसा होने पर व्यापार में पानी का खतरा बनता है।
- चूजों की संख्याओं की गणना की सटीकता की जांच के लिए बक्सों को ठीक से गिना जाना चाहिए।
- इसके बाद शेड के बाहर और अंदर 3% फॉर्मलिन के साथ स्प्रे करें। अगर आपने पहले से ही फोर्मलिन को चुन के साथ मिलाकर दिया है तो आपको इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी।
- अपने फार्म में चूजों के आने से 1 से 2 दिन पहले, 3-4 इंच लिटर फैला दें।
- चूजों के आने के 24 घंटों से पहले चूजों के लिए गोल चादर की मदद से छोटा गोलबोर्डिंगसेट बनाते हैं। प्रत्येक ब्रूडिंग सेट में 250 चूजों को विभाजित करें और कूड़े के ऊपर कागज के टुकड़े रखें और उसके ऊपर दाना को छिड़कें और छोटे ड्रिंकर में पानी पीने को दें।
- ब्रूडर के पास पानी और फीडर कंटेनर रखें।
- चूजों के आते ही उन्हें जल्द से जल्द गोलाकार बनाये हुए घर में स्थानान्तरण कर दें। सबसे पहले 6-7 घंटों के लिए मकई पाउडर या सूजी खाने को दे।
- कमजोर चूजों को स्वस्थ से दूर या अलग रखें। चूजों की उचित वृद्धि के लिए आपको सही दवाएं और पूर्ण टीकाकरण की आवश्यकता होती है।
- गर्मी के मौसम में गर्मी तनाव समस्या को कम करने के लिए मल्टीविटामिन, विटामिन सी और लाइसिन को चूजों को दिया जाना चाहिए।
ग्रामीण इलाको में मुर्गी पालन से अतिरिक्त आय प्राप्त होती है और उसके मल का उपयोग खाद के रूप में खेतो में करने से फसल की उत्पादन की क्षमता बढ़ती है। गांव में छोटे स्तर पर मुर्गीपालन के लिये केंद्रीय पक्षी अनुसन्धान संस्थान, इज्ज़तनगर बरेली से विकसित उन्नत प्रजाति निर्भीक, उपकारी, हितकारी तथा श्यामा का उपयोग करते हैं। इसके पालन से आने वाले व्यय की भरपाई पांचवे महीने में मुर्गा बेचकर हो जाती है और इसके अलावा मुर्गी से १२-१५ माह तक अंडा उत्पादन से अच्छी कमाई होती है। वर्मीकम्पोस्ट बनाते समय प्राप्त हुए अधिक केचुओं को मुर्गो को खाने को देने से अधिक उत्पादन प्राप्त होता है। इसीप्रकार एजोला भी मुर्गों द्वारा उपयोग में लिया जाता है। करीब ४० मुर्गियों के विष्ठा से उतना ही पोषक तत्त्व प्राप्त होता है जितना कि एक गाय के गोबर से प्राप्त होता है।