प्रैस नोट-लुवास
लाला लाजपत राय पशुचिकित्सा एवं पशुविज्ञान विश्वविद्यालय, हिसार में कोविड-19 कोरोना महामारी के कारण हुए देशभर में लोकडाउन के दौरान कुलपति डॉ. गुरदियाल सिंह के निर्देशानुसार और डॉ. वी॰के॰ जैन की अध्यक्षता में पशु चिकित्सा निदान विभाग और क्लीनिकल विभागों (सर्जरी, गायनकॉलजी और मेडिसिन) द्वारा 24×7 इमर्जेन्सी सेवाएँ लगातार दी जा रही हैं और इन विभागों से संबंधित महिला वैज्ञानिक भी लगातार ड्यूटी दे रही है। पशुओं के इलाज के साथ-साथ पशुपालकों को सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में भी बताया जा रहा है। विश्वविद्यालय में इलाज के लिए आए पशुओं में बीमारियों का पता लगाने के साथ लैब द्वारा खून, पेशाब, गोबर की जाँच और एक्स-रे भी किया जा रहा है।
विभागाध्यक्ष डॉ. वी.के. जैन ने सभी पशुपालकों को गुज़ारिश की है कि इस महामारी के समय में सिर्फ़ अत्यंत इमर्जेन्सी केस ही विभाग में लाए जाएँ। सामान्य केस अपने नज़दीकी पशु चिकित्सक को ज़रूर दिखाएँ। अगर पशु चिकित्सक को वह केस इमर्जेन्सी लगे तो वह विश्वविद्यालय के किसी भी सेंटर पर रेफ़र कर सकते है। पशुपालक अपने पशु को विश्वविद्यालय के सेंटर पर लाते हुए सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करने के प्रशासन के आदेश को माने।
आज भी पशुचिकित्सालय में शल्यचिकित्सकों द्वारा एक दिन के बछड़े में सिर की रसोली का सफल ओपरेशन किया गया | पशुपालक इस बछड़े को लुवास पशुचिकित्सालय में लेकर आए थे। बछड़े में रसोली एक जन्मजात विकार होती है जिससे इस बीमारी के अंदर बछड़े के सिर पर एक बड़ी सूजन होती है जिसमें मस्तिष्क में फ्लूयड भर जाता है। इस स्थिति को गंभीरता से देखते हुए पशु-चिकित्सकों ने तुरंत एक्सरे एवं अन्य जाँच कर बछड़े की तत्काल सफलतापूर्वक सर्जरी की। ओपरेशन के बाद बछड़ा स्वस्थ है और इस ओपरेशन में शल्यचिकित्सा टीम के सदस्यों में डॉ. सतबीर शर्मा, डॉ. नीरज अरोड़ा, डॉ दीपक तिवारी तथा श्री विनोद कुमार वी.एल.डी.ए. उपस्थित रहे। पशुपालक ने पशु चिकित्सकों की प्रशंसा करते हुए उनके कार्य की सराहना की। इस लोकडाउन की स्थिति के दौरान भी विश्वविद्यालय के उचानी व महेन्द्रगढ़ में स्थित रीजनल सेंटर में भी पशुपालकों के लिए आपत्कालीन सेवाएं प्रदानकी जा रही है। इसी कड़ी में विश्वविद्यालय के उचानी के निदेशक डॉ. आर.एस. बिसला और महेन्द्रगढ़ के निदेशक डॉ. के॰ के ज़ाखड ने बताया की क्लिनिकस आपातकालीन पशुओं के लिए सुबह 10 से 2 बजे तक खुला होता है|
लुवास कुलपति डॉ. गुरदियाल सिंह व पशुचिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. दिवाकर शर्मा ने क्लिनिक्स के सभी शिक्षकों व अन्य स्टाफ़ की इस मुश्किल दौर में भी पूरी निष्ठा से काम करने के लिए सराहा एवं धन्यवाद दिया और आगे भी पशुपालक की मदद करने के लिए प्रेरणा दी और इस दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन सभी पशुपालकों से यह अनुरोध करता हैं की वों गेहूं की जो नई तूड़ी है वो अभी अपनें पशुओं को ना खिलाएं जिससे की पशुओं के पेट में बंधा लगने की समस्या हो जाती है|