बटेर पालन: एक लाभकारी उद्यम
बटेर पालन का व्यवसाय मूर्गी पालन से मिलता जुलता है। लेकिन मूर्गी पालन से कम खर्च वाला और ज्यादा मुनाफा देनेवाला है। बटेर भोजन के रुप में प्राचिन काल से प्रचलित है। अपने स्वादिष्ट मांस और पौष्टिकता के मामले में बटेर मांसाहारी लोगों की पहली पसंद है। बटेर 5 हफ्ते में परिपक्व हो जाते है और बाजार में आसानी से बेचे जा सकता है। बटेर में रोग या बीमारी न के बराबर होती है। जिसकी वजह से बटेर पालनेवालों को इसका फायदा मिलता है। बटेर को कोई टीका या दवा देने की जरुरत नही है जिससे पालनेवालों के पैसे बचते है।
बटेर को बेचने की उम्र लगभग पांच सप्ताह बटेर को बाजार में बेचने की उम्र लगभग पांच सप्ताह की होती है साथ ही जितने क्षेत्र में एक मुर्गी-मुर्गे को रखा जाताहै। उतने ही क्षेत्र में 8-10 बटेर को पाला जा सकताहै। एक बटेर लगभग दो से ढाई किलो दाना खाकर 300 ग्राम मांस देता है जो कि स्वादिष्ट होताहै। साथ ही इसका मांस मुर्गे की अपेक्षा महंगा भी बिकताहै। एक बटेर छह-सात सप्ताह में अंडे देने शुरू कर देती है। वर्ष भर में बटेर का पांच से छह बार पालन कर उत्पादन प्राप्त किया जा सकताहै। बटेर के अंडे का वजन उसके वजन का आठ प्रतिशत होता है जबकि मुरगी का तीन प्रतिशत ही होताहै। बटेर में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होने के कारण इसमें बीमारियों का प्रकोप न के बराबर होताहै। फिर भी समय-समय पर चिकित्सक की सलाह के साथ बटेर पालन घर की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना जरूरी होताहै। जापानी बटेर को 70 के दशक में अमेरिका से भारत लाया गया था जो अब केंद्रीय पक्षी अनुसंधान केंद्र, इज्जत नगर, बरेली के सहयोग से व्यावसायिक रूप ले चुकाहै।
हेचरी में 35 से 40 दिनों में बटेर खाने लायक हो जाता है। एक अंडा पांच रुपए में बिकता है। बटेर तीन-चार सौ ग्राम का हो जाता है तो 120 रुपए जोड़ा बिकता है। प्रति बटेर 15 से 20 रुपए बचत होती है। एक मादा बटेर साल में 250 तक अंडे देती है।
अच्छी गुणवत्ता वाले प्रोटीन की अपनी उच्च सामग्री के कारण, बटेर का मांस उन सभी लोगों के लिए एक आदर्श भोजन है, जो अपनी मांसपेशियों को विकसित करना चाहते हैं (उदाहरण के लिए, जो आमतौर पर खुद को एक खेल दिनचर्या और शारीरिक व्यायाम के बाद पाते हैं)।
यह बच्चों के लिए एक आदर्श भोजन है, ठीक इसकी प्रोटीन समृद्धि और वसा, कैलोरी और कोलेस्ट्रॉल की कम सामग्री के कारण। इन कारणों से गर्भावस्था के आहार में भी इसका सेवन पर्याप्त है।
सोडियम की कम मात्रा के कारण, उच्च रक्तचाप वाले लोगों में इसकी खपत की सिफारिश की जाती है। इसके अलावा, विटामिन बी 6 में समृद्ध होने के लिए यह अवसाद, अस्थमा और मधुमेह वाले लोगों में एक अनुशंसित भोजन है।
प्रवीण श्रीवास्तव, लाइवस्टोक इंस्टिट्यूट ऑफ ट्रेनिंग एंड डेवलपमेंट, जमशेदपुर