विभिन्न वर्ग के पषुओं के लिए आहार
डॉ. संजय कुमार1, डॉ. रजनी कुमारी2, डॉ. दीपक कुमार3़, डॉ. सविता कुमारी4 एवं डॉ. प्रमोद कुमार5
1सहायक प्राध्यापक, पशु-पोषण विभाग
2वैज्ञानिक आर.सी.ई.आर-आई.सी.ए.आर, पटना
3सहायक प्राध्यापक, पशु व्याधि विभाग
4सहायक प्राध्यापक, सुक्ष्म जीवी विभाग
5सहायक प्राध्यापक, पशु प्रक्षेत्र विभाग
बिहार पषुचिकित्सा महाविद्यालय, पटना
बिहार पषुविज्ञान विष्वविद्यालय, पटना-800014 (बिहार)
पाचन तंत्र के आधर पर पशुओं को दो भाग में बॉंटा जाता है –
1. छवद.तनउपदंदज -इन पशुओं में समान्य आमाषय रहात है एवं पाचन म्द्रलउम के द्वारा होता है। इसके चलते पोषक तत्वों के पाचन की म्िपिबपमदबल अधिक रहती है परन्तु ये रेषे को अपेक्षाकृत कम पचा सकते हैं। उदाहरण कुक्कुट, सूकर, कुत्ता आदि
2. त्नउपदंदज – इन पशुओं में आमाषय चार खं डमें विभक्त रहता है (1) रेटिकुलम (2) रूमेन (3) ओमेजम एवं (4) एबोमेजम पाचन क्रिया किण्वण आधारित है। किण्वण की प्रक्रिया रूमेन में होती है। किण्वण सूक्ष्मजीवीयों के चलते होता है। इसका सबसे ज्यादा लाभ रेषे के पाचन में होता है। प्रकृति के इस देन के कारण हमलोग घास/भूसा/कृषि ूंजम (खल्ली/चोकर) से अमृत रूपी दूध प्राप्त करते हैं। उदाहरण गाय, भैंस, भेड़, एवं बकरी।
संतुलित आहार किसी भी पषु वर्ग के लिए वह आहार है, जिसमें पषुओं में सामान्य शारीरिक क्रियाओं के निष्पादन के लिए आवष्यक सभी खाद्य पदार्थ उचित मात्रा में उपलब्ध हो। अर्थात पषुओं को उनके शरीर के पोषण तथा उत्पादन के लिए जो पौष्टिक तत्व उन्हें जितनी मात्रा में चाहिए, वह उन्हें आहार से उपलब्ध हो।
दूध उत्पादन के लिए दूधारू पषुओं को संतुलित आहार की आवष्यकता एक निर्विवाद सत्य है। किसी भी गव्य इकाई में आहार के मद में खर्च भी सबसे ज्यादा होता है, जो कि 60-70 प्रतिषत के बीच में आता है। अतः एक गव्य इकाई को आर्थिक रूप से सफल संचालन हेतु भी पषुओं को संतुलित आहार खिलाने की आवष्यकता है।
दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए आजकल संकर प्रजनन कार्यक्रम राज्य में तेजी से चल रहा है। उत्पादन क्षमता को बनाए रखने के लिए संतुलित पौष्टिक आहार की आवष्यकता होती है।
संतुलित पौष्टिक आहार से पषुओं को निम्नलिखित पोषक तत्व शरीर में मिलता है।
1. कार्बोहाइड्रेट/षर्करा : यह उर्जा का प्रमुख स्रात है।
2. प्रोटीन : यह शरीर की कोषिकाएॅ एवं उत्तकों के टूट फूट को बनाता है एवं उनके बुद्धि में सहायक होता है।
3. वसा/फैट : यह भी उर्जा का स्रोत है। इसके अतिरिक्त कोषिकाएॅ की स्वास्थ्य में सहायक है।
4. विटामिन : शरीर को अनेकों प्रकार के विटामिन जैसे ‘ए’, ‘डी’, ‘इ’, ‘के’, एवं ‘बी’ कम्पलेक्स एवं ‘सी’ की आवष्यकता विभिन्न कार्यों के लिए पड़ती है।
5. खनिज एवं लवण : इनके भी बहुमुखी आवष्यकता शरीर को पड़ती है। इनमें प्रमुख कैल्षियम, फॉस्फोरस, लौह तत्व, कॉपर इत्यादि है।
6. जल : यह शरीर में चयापचय में सहायक है, जिसके चलते टॉक्सिन का भी उत्सर्जन होता है। साथ ही, शरीर के तापमान को भी संतुलित रखता है।
इन सभी पोषक तत्वों को शारीरिक आवष्यकता के अनुसार संतुलित करके देना बहुत जरूरी है।
पषुओं के लिए पोषक तत्वों की आवष्यकता के तीन प्रमुख कारण है –
1. जीवन निर्वहन पोषण के लिए आवष्यकता
2. उत्पादन के लिए आवष्यकता
3. प्रजनन के लिए आवष्यकता
नवजात बछड़ों का भोजन :
नवजात बछड़ों को 4 से 12 घंटे के अन्दर प्रथम बार फेनस (कोलोस्ट्रम) देना आवष्यक है। फिर तीन दिनों तक दिन में दो बार देना चाहिए। यह बछड़ों के वजन के करीब 1/10वाँ भाग देना चाहिए। फेनुस शरीर को प्रतिरोधक शक्ति देती है। पहली बार फेनुस देने से नवजात के पेट से मल निकालने में भी मदद करता है। तीन रोज के बाद उबले दूध की आवष्यक मात्रा गुनगुना कर दिन में दो बार देना चाहिए। 3-5 सप्ताह एवं 5-8 सप्ताह तक शरीर के वजन के 1/15वाँ भाग एवं 1/20वाँ भाग क्रमषः देना चाहिए।
बछड़े को 10-15 दिनों के अन्दर से दूध के साथ-साथ हरा चारा या अच्छी सूखी घास और बछड़े का दाना आवष्यकतानुसार देना चाहिए। बछड़े को दाना का उदाहरण तालिका-1 में देंखे।
छह माह तक के बछड़े का भोजन :
यह विकास का उम्र है। अतः इस उम्र में समुचित रूप से संतुलित पौष्टिक आहार खिलाने से उस पषु से हम अधिकतम उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। व्यावहारिक ज्ञान के आधार पर इनके आहार में एक से डेढ़ किलो तक दाने का मिश्रण और सूखा एवं हरा चारा भरपूर दें।
छह माह से प्रौढ़ होने तक का आहार :
इस आयु वर्ग को दाना का मिश्रण तालिका-2 के अनुसार खिलाना चाहिए। प्रत्येक बछड़े को प्रतिदिन दो किलो दाने का मिश्रण देना चाहिए। मक्का, ज्वार आदि के हरा चारे, सूखी घास अथवा साइलेज के रूप में जितना हो पषु चारे खिलाना चाहिए। परन्तु छः माह के उम्र के बाद जैसा चारा खिलाएँ उसके अनुसार दाना मिश्रण की मात्रा कम की जा सकती है। अच्छे दलहनीय घास जैसे बरसीम, लोबिया आदि भर पेट खिलाने पर आधा किलो से एक किलो तक दाना का मिश्रण काफी है, जबकि मक्का, जौ आदि चारे के साथ एक से डेढ़ किलो दाना मिश्रण प्रतिदिन देना चाहिए। यदि पषु केवल भूसा पर है तो प्रति पषु दो किलो दाना मिश्रण प्रतिदिन देना चाहिए।
यदि बाछियों को उपर्युक्त तालिका के अनुसार खिलाया जाय तो वह अपनी जाति के अनुसार ढ़ाई से तीन साल की उम्र में पहला बच्चा देगी, जिससे गव्य इकाई को आर्थिक लाभ होगा। इसी प्रकार बछड़ों को संतुलित पौष्टिक आहार देकर उनकी जाति के अनुसार ठीक समय पर कार्य करने के लिए तैयार किया जा सकता है।
दुधारू गायों एवं भैसों की आहार तालिका :
दूघारू पषुओं की उत्पादन क्षमता का पूर्ण आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिए यह आवष्यक है कि उन्हें संतुलित पौष्टिक आहार उचित मात्रा में दिया जाय। जैसा कि हम जानते है कि पषुओं को आहार दो प्रमुख कार्य के लिए जरूरी है – (1) जीवन निर्वाह के लिए एवं (2) उत्पादन के लिए – इसमें दूध उत्पादन, कार्य करने की आवष्यकता, वृद्धि आदि सभी आते हैं। (3) गर्भावस्था के लिए।
औसतन एक वयस्क पशु (गाय/भैंस) को 4-6 किलोग्राम सूखा चारा एवं 1.2-2.0 किलोग्राम दाना का मिश्रण जीवन निर्वाह के लिए आवष्यक है। 1.0 किलोग्राम दाना मिश्रण प्रति 2.5 किलोग्राम दूध उत्पादन के लिए निर्वहन आवष्यकता के अतिरिक्त देना चाहिए। इसके अतिरिक्त गर्भावस्था के अंतिम तीन माह में 1.5 किलोग्राम दाना मिश्रण देना पड़ता है। इससे नवजात बाछी स्वस्थ एवं गाय का दूध उत्पादन भी अधिक रहता है।
सुविधा के लिए दूधारू पषुओं के जीवन निर्वाह हेतू कुछ पौष्टिक आहार प्रमांक एक औसत 400 कि॰ग्रा॰ वजन की गाय या भैंस के लिए नीचे दी जाती है।
1. केवल 25 कि॰ग्रा॰ हरा चारा
2. 10 कि॰ग्रा॰ हरा चारा तथा 5 कि॰ ग्रा॰ गेहूँ का भूसा
3. करीब 7 कि॰ग्रा॰ गेहूँ का भूसा और पौन किलो मुँगफली का खल्ली या एक किलो तीसी की खल्ली।
इसके अतिरिक्त पषुओं की दूध उत्पादन क्षमता के अनुसार उसे उत्पादन आहार भी देना जरूरी है। उस हेतू प्रति ढाई किलो दूध उत्पादन पर एक किलो दाने का मिश्रण एंव संकर नस्ल के गायों एवं भैंसों के लिए प्रति दो किलो दूध उत्पादन पर एक किलो दाने का मिश्रण खिलाना चाहिए।
इसके साथ ही पषुओं को यथासंभव पूरे वर्ष भर इसे चारा मिलना चाहिए ताकि उनकी विटामिन ए की आवष्यकता पूरी होती रहे। गायों के गर्भावस्था के आखिरी तीन महीनों में लगभग सवा किलो एवं संकर नस्ल के गायों को पौने दो किलो दाना मिश्रण अतिरिक्त देना चाहिए।
सांढ़ के लिए आहार : एक गव्य इकाई के लिए सॉढ की आवष्यकता भी है। उन्हीं पर भविष्य के पषु निर्भर करते हैं। सॉढ़ों को संतुलित पौष्टिक आहार खिलाना उनके प्रजनन शक्ति को बनाए रखने के लिए जरूरी हैं। इन्हें भर पेट सूखा तथा हरा चारा के साथ दो से ढाई किलो दाने का मिश्रण प्रतिदिन खिलाना चाहिए। हरा चारा अधिक से अधिक खिलाए।
बैंलों के लिए आहार : हमारे कृषि प्रधान देष में बैलों की आर्थिक भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण है। अतः उनसे अधिकतम कार्य लेने के लिए भरपेट हरा चारा तथा सूखा चारा खिलाने के साथ कम से कम डेढ़ से दो किलो दाने का मिश्रण प्रतिदिन खिलाना चाहिए।
इसके साथ-साथ कम से कम एक मुठ्ठी नमक प्रतिदिन गाय, भैंस, सॉढ़, बैल को देना चाहिए और पेय जल की उपलब्धि होना चाहिए।
तालिका-1
बछड़ों के लिए दाना का मिश्रण
(अ)
मूँगफली की खल्ली – 30 भाग
मछली का चूर्ण – 10 भाग
मकई चूर्ण – 50 भाग
चावल का खुदी – 10 भाग
(ब)
तीसी की खल्ली – 30 भाग
स्कीम मिल्क पाउडर – 20 भाग
बारली का चूर्ण – 50 भाग
(स)
बारली का चूर्ण – 50 भाग
मॅूगफली खल्ली – 30 भाग
गेहूँ की चोकर – 8 भाग
मछली चूर्ण/स्कीम दूध पाउडर – 10 भाग
खनिज मिश्रण – 2 भाग
तालिका-2
वयस्क पशु के लिए दाने का मिश्रण का उदाहरण
(1)
गेहूँ का चोकर – 50 भाग
रेपसीड/सरसों का खल्ली – 30 भाग
चना का चुन्नी – 50 भाग
(2)
तीसी की खल्ली – 35 भाग
चना का चून्नी – 40 भाग
गेहूँ का चोकर – 25 भाग
(3)
तिल खल्ली – 20 भाग
कुनथी – 40 भाग
ज्वार – 20 भाग
चावल का चोकर – 10 भाग
चना का भॅूंसी – 10 भाग
(4)
मूॅगफली की खल्ली – 15 भाग
चना – 40 भाग
मकई – 40 भाग
चना का भूंसी – 5 भाग
(5)
मकई/गेहूँ चोकर – 1 भाग
चोकर – 1 भाग
मूॅगफली/तीसी खल्ली – 1 भाग
(इस मिश्रण का आधा अर्थात् 1.5 किलो गाय को खिलाए )