इंसान और पालतू जानवरों का आज का काला सच

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 इंसान और पालतू जानवरों का आज का काला सच

डॉ. घनश्याम साहू*, डॉली सार्वा1

*पी.एच.डी. स्कॉलर – पशु जैव रसायन विभाग भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान इज़्ज़तनगर, बरेली-243122 (ghanshyamsahuvet@gmail.com)

      1एम.एफ.. (पेंटिंग)-इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़, छत्तीसगढ़-491881

इंसान और पालतू जानवरों के रिश्ते का आज का काला सच यह है कि कई लोग जानवरों को केवल अस्थायी खुशी के लए अपनाते हैं और जब असली जिम्मेदारियों का सामना करते हैं, तो उन्हें छोड़ देते हैं। इसके अलावा, पालतू जानवरों की ब्रीडिंग अक्सर व्यावसायिक लाभ के लिए होती है, जहां उनकी सेहत और भलाई की अनदेखी की जाती है। इन जानवरों को शारीरिक और भावनात्मक दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है, और उचित चिकित्सा सुविधाओं की कमी उनकी सेहत को और बिगाड़ती है। पर्यावरण पर भी इनका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जैसे कि प्लास्टिक कचरा और वन्यजीवों पर खतरा, जो दर्शाता है कि इन समस्याओं को हल करने के लिए गंभीर और जिम्मेदार दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

  1. लापरवाहीऔर परित्याग:
    • अस्थायीशौक: पालतू जानवरों को अपनाने का निर्णय कई बार सिर्फ एक ट्रेंड या अस्थायी जोश के कारण लिया जाता है। उदाहरण के लिए, किसी फिल्म या सोशल मीडिया पर पॉपुलर हुए पालतू जानवरों की नस्ल को लोग अपनाते हैं। जब यह जोश ठंडा पड़ता है, तो वही लोग इन जानवरों की देखभाल करने में असमर्थ होते हैं।
    • देखभालकी जिम्मेदारी: पालतू जानवरों की देखभाल करना एक बड़ी जिम्मेदारी है। इसमें नियमित भोजन, सफाई, चिकित्सकीय देखभाल और व्यायाम शामिल है। बहुत से लोग इन आवश्यकताओं को समझ नहीं पाते और जानवरों को उपेक्षित छोड़ देते हैं।उदाहरण के तौर पर, किसी ने एक कुत्ते को अपनाया, लेकिन काम की व्यस्तता के चलते उसे समय पर भोजन और देखभाल नहीं दे पाता।
    • सड़कपर छोड़ना: जब लोग पालतू जानवरों की जिम्मेदारी निभाने में असमर्थ हो जाते हैं,तो वे अक्सर उन्हें सड़क पर छोड़ देते हैं। यह जानवरों के लिए खतरनाक होता है, क्योंकि वे अनजान और क्रूर परिस्थितियों का सामना करते हैं। उदाहरण के लिए, एक बिल्ला जो कभी घर के अंदर ही रहा हो, उसे सड़क पर छोड़ देने से वह भूख और दुर्घटनाओं का शिकार हो सकता है।
  2. व्यापारिकरणऔर व्यापार:
    • अनैतिकब्रीडिंग: कई ब्रीडर्स केवल मुनाफे के लिए जानवरों का ब्रीडिंग करते हैं वे जानवरों की स्वास्थ्य स्थिति को नजरअंदाज करते हुए अधिक से अधिक प्रजनन करने पर ध्यान देते हैं। उदाहरण के लिए, एक कुत्ते को बार-बार प्रजनन के लिए इस्तेमाल करना, जिससे उसकी स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ जाती है।
    • अमानवीयपरिस्थितियां: पालतू जानवरों की दुकानों और ब्रीडिंग सुविधाओं में जानवरों को तंग और अस्वच्छ परिस्थितियों में रखा जाता है। यह उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। उदाहरण के लिए, एक पालतू जानवर की दुकान में छोटे-छोटे पिंजरों में बंद जानवरों को देखकर यह साफ हो जाता है।
    • प्रजननका दुरुपयोग: जानवरों का बार-बार प्रजनन कराना, विशेष रूप से बिना उचित देखभाल के, उनके स्वास्थ्य पर गंभीर असर डालता है। इससे माताएं और बच्चे दोनों कमजोर हो जाते हैं। उदाहरण के लिए, बिल्लियों को बार-बार प्रजनन के लिए इस्तेमाल करना, जिससे उनकी जीवन प्रत्याशा कम हो जाती है।
  3. दुर्व्यवहारऔर शारीरिक यातना:
    • शारीरिकहिंसा: कुछ लोग अपने पालतू जानवरों के साथ हिंसक व्यवहार करते हैं, उन्हें मारते-पीटते हैं या भूखा रखते हैं। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो गुस्से में अपने कुत्ते को मारता-पीटता है।
    • मनोरंजनके लिए क्रूरता: डॉग फाइटिंग, कॉकफाइटिंग और अन्य क्रूर खेलों में जानवरों का उपयोग किया जाता है,जहां उन्हें शारीरिक यातनाओं का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए, अवैध डॉग फाइटिंग के दौरान कुत्तों को लड़ाया जाता है, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं।
    • भावनात्मकयातना: जानवरों को लंबे समय तक अकेले छोड़ना, उन्हें उचित समाजीकरण से वंचित रखना, उनकी मानसिक स्थिति को भी प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए, एक कुत्ता जिसे दिनभर अकेला छोड़ दिया जाता है, वह अवसाद और चिंता का शिकार हो सकता है।
  4. चिकित्साऔर सुविधाओं की कमी:
    • उचितचिकित्सा सुविधाओं की कमी: कई स्थानों पर पालतू जानवरों के लिए उचित चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं होतीं,जिससे वे बीमारियों और चोटों का शिकार होते हैं। उदाहरण के लिए, एक ग्रामीण क्षेत्र जहां पालतू जानवरों के लिए कोई पशु चिकित्सक उपलब्ध नहीं है।
    • टीकाकरणकी कमी: बहुत से लोग अपने पालतू जानवरों को नियमित टीकाकरण नहीं करवाते,जिससे वे विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, एक कुत्ते को रेबीज़ का टीका न लगवाना, जिससे वह गंभीर बीमारी का शिकार हो सकता है।
    • आहारकी उपेक्षा: पालतू जानवरों को सही पोषण नहीं मिलना उनकी सेहत को प्रभावित करता है सस्ता और अस्वस्थ भोजन देना उनकी जीवन की गुणवत्ता को कम करता है। उदाहरण के लिए, एक बिल्ली को केवल सस्ता और कम पोषण वाला भोजन देना, जिससे उसकी सेहत खराब हो जाती है।
  5. पर्यावरणपर प्रभाव:
    • प्लास्टिकप्रदूषण: पालतू जानवरों के उत्पादों, जैसे कि खिलौने, भोजन की पैकेजिंग,आदि से प्लास्टिक का कचरा बढ़ता है, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। उदाहरण के लिए, पालतू जानवरों के लिए इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक के खिलौने और बर्तन, जो बाद में कचरे में बदल जाते हैं।
    • मलमूत्रसे प्रदूषण: पालतू जानवरों का मलमूत्र, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में,पर्यावरण प्रदूषण का एक बड़ा कारण हो सकता है। उचित निस्तारण की कमी से जल और भूमि प्रदूषित होते हैं। उदाहरण के लिए, शहरों में कुत्तों के मल का उचित निस्तारण न होना, जिससे सड़कों और पार्कों में गंदगी फैल जाती है।
    • वन्यजीवोंपर प्रभाव: पालतू जानवरों, विशेषकर बिल्लियों और कुत्तों,का स्वतंत्र घूमना वन्यजीवों को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र असंतुलित हो जाता है। उदाहरण के लिए, बिल्लियों द्वारा पक्षियों का शिकार करना, जिससे पक्षियों की प्रजातियों पर खतरा बढ़ जाता है।
  6. पशुधन (गाय) के मुद्दे:
  • अनैतिक ब्रीडिंग और प्रजनन: व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए मवेशियों का अनैतिक प्रजनन उनके स्वास्थ्य और कल्याण को प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए, दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए गायों का बार-बार प्रजनन कराया जाता है।
  • अस्वास्थ्यकर जीवन स्थितियां: कई बार मवेशियों को तंग और गंदे बाड़ों में रखा जाता है, जो बीमारियों और संक्रमणों को बढ़ावा देते हैं। उदाहरण के लिए, बड़े पशु फार्मों में गायों को अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों में रखा जाता है।
  • मवेशियोंके पालन के लिए प्राकृतिक संसाधनों की खपत: वास्तव में बहुत अधिक होती है ,गायों के चारे के उत्पादन के लिए भूमि, जल, और ऊर्जा की महत्वपूर्ण मात्रा की आवश्यकता होती है। यह संसाधनों की खपत न केवल पर्यावरण पर दबाव डालती है, बल्कि अन्य खेती योग्य भूमि और जल संसाधनों को भी प्रभावित करती है।
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दूसरी ओर, प्लास्टिक के पाउच में खाना फेंकना भी एक गंभीर समस्या है।जानवर अक्सर इस तरह के प्लास्टिक को खा लेते हैं, जिससे उनकी सेहत पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है, और कई बार उनकी जान भी जा सकती है। प्लास्टिक पचने योग्य नहीं होता, और यह जानवरों के आंतरिक अंगों में रुकावट पैदा कर सकता है, जिससे उनकी मौत हो सकती है।

इन दोनों मुद्दों का समाधान करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं:

  1. स्थायीकृषि प्रथाओं को अपनाना: अधिक स्थायी और पर्यावरण अनुकूल कृषि पद्धतियों का उपयोग करना, जैसे कि जैविक खेती, जिससे भूमि और जल का कुशलता से उपयोग हो सके।
  2. प्लास्टिककचरे का प्रबंधन: प्लास्टिक कचरे को उचित तरीके से प्रबंधित करना और पुनःचक्रण के माध्यम से इसका पुनः उपयोग करना। प्लास्टिक कचरे को खुले में नहीं फेंकना चाहिए।
  3. प्राकृतिकचारे का उपयोग: मवेशियों के लिए प्राकृतिक और स्थानीय रूप से उपलब्ध चारे का उपयोग करना, जिससे भूमि और जल की खपत कम हो सके।
  4. सामुदायिकजागरूकता: समुदायों को इन समस्याओं के प्रति जागरूक करना और उन्हें सही तरीके से कचरा प्रबंधन के लिए प्रोत्साहित करना।

ये पहलू इस बात को दर्शाते हैं कि इंसान और पालतू जानवरों के बीच का रिश्ता कभी-कभी एक अंधेरा पक्ष भी रखता है। पालतू जानवरों की उचित देखभाल और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जागरूकता और जिम्मेदारी आवश्यक है। यदि लोग जिम्मेदारी से पालतू जानवरों का पालन न करें,तो इससे जानवरों का जीवन और पर्यावरण दोनों को नुकसान हो सकता है। इसलिए, पालतू जानवरों के पालन-पोषण के प्रति जागरूकता बढ़ाना और उनकी देखभाल के लिए सही तरीके अपनाना आवश्यक है।

 

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