पशुओं मे रिपीट ब्रीडिंग की समस्या व घरेलु उपचार

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पशुओं मे रिपीट ब्रीडिंग की समस्या व घरेलु उपचार

’डॉ ज्ञानसागर कुशवाहा ’डॉ गायत्री सिंह ’डॉ चेतना शर्मा ’’डॉ विजय कुमार गोंड एवं ’’’डॉ. दीपिका डी. सीज़र
’स्नातकोत्तर छात्र, फार्माकोलॉजी एंड टॉक्सिकोलॉजी, पशुचिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन महाविद्यालय ,जबलपुर ;म प्र
’’सहायक प्राध्यापक .सह . वैज्ञानिक पशुउत्पादन शोध संस्थान ,डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा ;विहार
’’’ सहायक प्राध्यापक पशु शरीर क्रिया विज्ञान एवं जैव रसायन विभाग, पशुचिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन महाविद्यालय, जबलपुर ;म प्र

 

रिपीट ब्रीडिंगए सामान्य भाषा में जिसे मादा पशु का फिरना भीं कहते है जब गायए भैंस आदि पालतू पशु तीन या तीन से अधिक बार प्राकृतिक या कृत्रिम गर्भाधान कराने के बाद भी पशु गर्भधारण करने में असफल रहता हैए या जब मद चक्र सामान्य हो लेकिन प्रजनन मार्ग में किसी भी प्रकार की रूकावट हो या इस प्रकार के पशुओं को दो से तीन बार गर्भाधान कराने पर भी वह गर्भधारण करने में असफल हो। तब इसे रिपीट ब्रीडिंग या मादा पशु का फिरना कहते है। पशुओं में रिपीट ब्रीडिंग ;फिरनेद्ध की समस्या प्रजनन में बड़ी बाधा है।
पशुओं में फिरने की समस्या का प्रमुख कारण रोगजनक माना जाता है। रोगजनक कारकों में कुछ संक्रामक कारक जैसे कि जीवाणुए विषाणुए कवक एवं कुछ परजीवी भी होते है। पशु फिरने के कुछ अन्य कारण जैसे डिंबवाही नलिका में अवरोधए कभी.कभी आनुवंशिक कारक भी शामिल हो सकते हैए पोषण संबंन्धि कारक भी जवाबदार होते है। कुछ प्रजनन प्रबंधन तकनीक भी हो सकती है। किसान के द्वारा पशु के गर्मी में आने को समय पर नहीं देख पाना और सही समय पर प्राकृतिक या कृत्रिम गर्भाधान न करना सभी प्रमुख कारण है।
कृत्रिम गर्भाधान में वीर्य की गुणवक्ता का सही न होना या तो निषेचन का विफल होना या भ्रूण की प्रारंभिक अवस्था में मृत्यु होना आदि समस्याएं भी फिरना का कारण बनती है। प्रजनन में भाग लेने वाले या सहायता करने वाले हॉर्मोन की कमी या उनकी अधिकता से भी फिरना की समस्याएं होती है। जैसे कि पशु जब गर्मी में आता है तब अंडोत्सर्ज होता हैए अंडोत्सर्ज के लिए लूटिनीज़िंग हॉर्मोन का स्तर बढ़ना जरूरी होता है यदि ऐसा नहीं होता है तो अंडोत्सर्ज की प्रक्रिया सफल नहीं हो पाती । अण्डोत्सर्ग के बादए यदि शुक्राणु डिंबवाहिनी में रहते है तो निषेचन की प्रक्रिया होती हैए उसके बाद भ्रूण का बनना प्रारंभ होता है जिसे ही सफल गर्भाधान कहते है। सफल गर्भाधान के लिए प्रोजेस्ट्रोन हॉर्मोन का एक निश्चित स्तर होना आवश्यक है यदि प्रोजेस्ट्रोन हॉर्मोन का स्तर कम होता है तो गर्भाधान ज्यादा समय तक नहीं रह पता और गर्भपात हो जाता है। और यह भी पशु के दोहराव का एक प्रमुख कारण है।
प्रसव के बाद गर्भाशय की गुहा का वातावरण वायुवीय और अवायुवीय जीवाणु के विकास में समर्थन करता है जैसे. एस्चेरिचिया कोलाईए आर्कनोबैक्टीरियम पाइोजेन्सए फ्युजोबैक्टीरियम नेक्रोफोरम और प्रीवोटेला प्रजातियां। गर्भाशय का रक्षा तंत्र इन जीवाणु संदूषकों को खत्म करने में मदद करता हैं। लेकिन ये रोगजनक जीवाणु गर्भाशय की म्यूकोसा भेद कर अंदर प्रवेश कर सकते हैए और उपकला में प्रवेश करते हैं वहां पर ये जीवाणु विषाक्त पदार्थों को छोड़ते हैं ये विषाक्त पदार्थ गर्भाशय रोग के लिए जबावदार होते है। गर्भाशय में संक्रमण की स्थिति में पशु के गर्भधारण करने की संभावना कम होती जाती है और पशु बार.बार गर्मी में आता रहता है। लेकिन पशु गर्भधान करने में असफल रहता है। प्रसवोत्तर की प्रारंभिक अवधि में संक्रमित गायों में आमतौर पर प्रजनन की दर कम हो जाती है।
गाय या अन्य पशुओं में की प्रजनन वाहिका. ऊसाइट की वृद्धिए शुक्राणु परिवहनए निषेचन और आरोपण के लिए एक अनुकूल वातावरण प्रदान करती है। इन अंगों के शारीरिक या कार्यात्मक दोष होने पर गर्भावधि विफलता और बार.बार प्रजनन का कारण बनते है। पशुओं में अक्सर देखा गया है की डिम्बग्रंथि में सिस्ट विकसित होने लगता हैं यह सिस्ट भी प्रजनन विफलता का कारण होते हैं। पशुओं की प्रजनन क्षमता में उम्र की एक निश्चित भूमिका होती है। अधिक उम्र वाली गायों में बार.बार प्रजनन की घटनाएं अधिक देखने को मिलती है।
गायों या अन्य पशुओं के गर्भाधान में पशुओं के शारीरिक वजन की मत्वपूर्ण भूमिका होती है। प्रजनन से पहले पशुओं को अनिवार्य वजन को हासिल करना चाहिए। कम वजन वाले जानवर गर्भाधान की खराब दर दिखाते हैं। यदि वजन कम रहता है तोए संतुलित आहार ;ऊर्जाए वसाए प्रोटीनए विटामिन और खनिजद्ध इसका समाधान है। स्टेरॉइडो बनाने के लिए सूक्ष्म खनिजए विशेष रूप से कॉपर ए कोबाल्टए लोहा आदि आवश्यक हैं। ये सूक्ष्म खनिजए विटामिन एए डी3 और इ के पूरक है। इसलिए पशुओं को ऐसा संतुलित आहार खिलाना चाहिए जिसमे सभी आवश्यक पोषक तत्व एक निश्चित मात्रा में उपस्थित हो।
प्रायः देखा गया हैए प्रजनन सम्बंधित सभी कारणों में से पशु का फिरना ए दूध देने वाली गायों में बांझपन के प्रमुख कारणों में से एक है। यह गाय और भैंस के प्रजनन में बड़ी समस्या हैए जिसके कारण दुग्ध उत्पादकों को बड़ा आर्थिक नुकसान होता है।

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उपचार

पशुओं में रिपीट ब्रीडिंग की समस्या के निवारण हेतु निम्नं खाद्य पदार्थो को प्रतिदिन गुड़ या नमक के साथ पशु के गर्मी में आने के पहले या दूसरे दिन से खिलाएं
* एक सफ़ेद मूली रोजाना ५ दिनों के लिए
* ग्वारपाठे ;एलोवेरा द्ध की एक पत्ति रोजाना ४ दिनों के लिए
* ४ मुट्ठियां सहजने की पत्तियां चार दिनों के लिए
* ४ मुट्ठियां कढ़ी पत्तियां हल्दी के साथ ४ दिनों के लिए
* ४ मुट्ठियां हड़जोड़ या श्अस्थिसंधानकश् की डंडियाँ ४ दिनों के लिए
इस उपचार को दोबारा दोहराये यदि पशु गर्भधारण नहीं कर रहा है। अंकुरित चना दाल ;बंगाल चनाद्ध या अंकुरित बाजरा या अंकुरित गेहूं 200 ग्राम प्रतिदिन 15 दिनों के लिए मौखिक रूप से दे सकते है। गर्भाधान के बाद कमजोर पशुओं को प्रतिदिन लगभग 2 मुट्ठी कढ़ी पत्ते खिलाएं। पशु के परीक्षण व उपचार पशु चिकत्सक से कराना चाहिए ताकि इसके कारण का सही पता लगा सकें।

https://m.dailyhunt.in/news/india/hindi/krishifyhindi-epaper-dh7209555fd8b84c6cbf58fa465aec089e/pashuo+ki+ripit+briding+ka+gharelu+upachar-newsid-n252112150

https://www.pashudhanpraharee.com/%E0%A4%AA%E0%A4%B6%E0%A5%81%E0%A4%93%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%9D%E0%A4%AA%E0%A4%A8-%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%97-%E0%A4%A4%E0%A4%A5%E0%A4%BE-%E0%A4%89%E0%A4%A8-2/

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