*परिचय*– ब्याने के बाद ज़ेर का रुक जाना पशुओं की आम बीमारी है । ज़ेर के रुकने से गर्भाशय में इन्फेक्शन हो सकता है जिससे ऋतू चक्र को दुबारा शुरू होने में देर लगती है। इसका इलाज समय से नहीं करवाने पर यह गर्भाशय में संक्रमण पैदा कर पशु को रिपीट ब्रीडर या बाँझ बना सकता है। अतः इन रोगों को तुरंत चिकित्सक परामर्श ले कर ठीक करवा लें।
*कारण*
• समय पूर्व प्रसव
• कष्टप्रसव/ कठिन प्रसव
• अगर पशु में प्रसव पूर्व कोई हार्मोनल दवा लगानी पड़ी हो
• गर्भाशय में पहले से ही कीटाणु-जनित संक्रमण
• गर्भाशय की मांसपेशियों में शिथिलता आने पर
• पशु के इम्यून सिस्टम कमज़ोर होने पर
• आहार में पोषण तत्वों की कमी
• होर्मोंस में असंतुलन
• कुप्रबंध: रख-रखाव में कमी
• खनिज लवण या विटामिन्स की कमी
*निवारण*
• पशु चिकित्सक द्वारा उचित जांच व परामर्श लें।
• गर्भावस्था के अंतिम तिमाही माह में पशु को संतुलित आहार दें।
• आहार में खनिज मिश्रण (कैल्सियम, फास्फोरस, ज़िंक) व नमक मिलाएं।
• *जेर के रुकने पर बच्चे को दूध पिलाएं*। यह जेर को *उतरने में* मदद करता है।
• २४ घंटे बाद ही ज़ेर को निकलवाने के लिए हाथ डलवाएं।
• ज़ेर निकलवाने के बाद गर्भाशय में एंटीबायोटिक्स की २+२ गोली डलवाएं।
• गर्भाशय संकुचन के लिए टॉनिक्स (इनवोलोन/युटरोटोन) पिलाएं।
*अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें*:
लेखक-
डॉ मेघा पांडे*,वैज्ञानिक (पशु पुनरुत्पादन)
भाकृअनुप – केंद्रीय गोवंश अनुसन्धान संस्थान
मेरठ छावनी- 250001 (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल: 9410971314