आधुनिक पशु आहार में अजोला का योगदान
डॉ रोहिणी गुप्ता1, डॉ प्रतिभा शर्मा2, डॉ आदित्य अग्रवाल3, डॉ शैलेश कुमार पटेल3, डॉ देवेंद्र कुमार गुप्ता1
- पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, जबलपुर, (म. प्र.)
- पशुपालन विभाग, (म. प्र.)
- पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, रीवा, (म. प्र.)
अजोला को कृषि और पशुपालन के लिए अमृत कहा जाता है। पशुपालन कृषि का एक महत्वपूर्ण भाग है पशुपालन किसानों को विभिन्न प्रकार के रोजगार के अवसर प्रदान करता है जिससे किसानों की आय में वृद्धि होती है एवं उनकी अर्थव्यवस्था में भी सुधार होता है।
अजोला एक प्रकार की पानी में तैरती हुई हरे रंग की काई जैसी एक प्रकार की फर्न है। पानी में तेजी से वृद्धि करती है। अजोला का उपयोग पशु आहार में प्रोटीन स्रोत के रूप में किया जाता है। इसमें विटामिन ए, बी 12 तथा बीटा कैरोटीन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त कैल्शियम, फास्फोरस, पोटेशियम फेरस, कॉपर, मैग्नीशियम, मिनरल्स भी अधिकता में पाए जाते हैं। शुष्क भार के आधार पर 40 से 60 प्रतिशत प्रोटीन, 10 से 15 प्रतिशत मिनरल्स तथा 7 से 10 प्रतिशत अमीनो एसिड, जैव सक्रिय पदार्थ तथा बायो पॉलीमर्स पाए जाते हैं। अजोला में प्रोटीन की अधिकता एवं लिगनेन की मात्रा होने के कारण यह पशुओं के लिए अधिक पाचक होती है। इसे भूसे के साथ या सीधे भी खिलाया जा सकता है। दुधारू पशुओं के अतिरिक्त इसे मुर्गी, भेड़, शूकर तथा खरगोश पालन में भी आहार के रूप में उपयोग किया जाता है।
- दुधारू पशुओं पर किए गए प्रयोगों से पाया गया है कि जब पशुओं को उनके दैनिक आहार के साथ5 से 2 किलोग्राम अजोला प्रतिदिन दिया जाता है तो दुग्ध उत्पादन में 15 से 20 प्रतिशत वृद्धि होती है।
- अजोला की मात्रा के बराबर मात्रा में पशु का दाना कम कर दिया जाता है जिससे दाने की बचत होती है तथा पशु आहार का खर्च कम होता है।
- अजोला में उत्तम गुणवत्ता युक्त प्रोटीन एवं उपरोक्त तत्व होने के कारण पशु इसे आसानी से पचा लेते हैं जिसके कारण दुधारू पशुओं के उत्पादन में वृद्धि होती है तथा बछड़े एवं बछिया उचित समय पर परिपक्व हो जाते हैं।
पशुपालन के लिए कैसे करें अजोला का उत्पादन
- जो किसान पशुपालन के लिए अजोला का उत्पादन करना चाहते हैं, वह ईट से घेरकर प्लास्टिक के इस्तेमाल से इसकी क्यारी बना सकते हैं या फिर हौज बनाकर अजोला का उत्पादन कर सकते हैं। वैसे अजोला नम जमीन पर भी जिंदा रहता है पर यही पौष्टिक तत्वों से भरपूर अजोला के लिए जमीन की सतह से ऊपर 5 से 10 सेंटीमीटर जल स्तर की आवश्यकता होती है इसके लिए तापमान 25 से 30 डिग्री होना चाहिए। अजोला उत्पादन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मिट्टी और पानी का पीएच मान 5 से 7 के बीच रहना चाहिए।
- गड्ढे में 10 सेंटीमीटर तक पानी भरकर उसमें 500 ग्राम अजोला कल्चर डालें तथा साथ में 10 से 20 ग्राम सुपर फास्फेट एवं 2 किलो गोबर घोलकर पानी में डालें।
- 2 सप्ताह में पूरा गड्ढा अजोला से भर जाएगा। उसके पश्चात प्रतिदिन 500 ग्राम अजोला प्रतिदिन निकाले।
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