वर्ष २०४७ तक विकसित भारत बनाने में पशु चिकित्सकों और पशुधन की भूमिका

0
327

वर्ष २०४७ तक विकसित भारत बनाने में पशु चिकित्सकों और पशुधन की भूमिका

डॉ. जयंत भारद्वाज, सहायक प्राध्यापक,

पशु विकृति विज्ञान विभाग, महात्मा गाँधी वेटनरी कॉलेज, भरतपुर (राज.) I

हर्षित चौधरी, द्वितीय वर्ष छात्र, महात्मा गाँधी वेटनरी कॉलेज, भरतपुर (राज.) I

सारांश : वर्ष २०४७ तक विकसित भारत बनाने में पशु चिकित्सकों और पशुधन की भूमिका अहम रहेगी I आज जब धरती का दामन सिमट रहा है और जनसंख्या बेलगाम बढ़ती जा रही है, ऐसे में पशुधन के पास ही वह क्षमता है कि वो इस जनसँख्या की क्षुधा मिटा सके I भारत में किसान आत्महत्या, बेरोजगारी, रासायनिक खेती इत्यादि समस्याओं का निराकरण पशुपालन से ही संभव है I पशु चिकित्सक पशुओं के रोगों की रोकथाम, बेहतर नस्ल विकास, ज़मीनी स्तर पर सरकार की लाभकारी योजनाओं को लागू करना, पशुपालकों को वैज्ञानिक पद्धति से पशुपालन करना सीखना इत्यादि कार्य कर विकसित भारत बनाने में सहयोग कर सकते हैं I

 मुख्य शब्द : पशुचिकित्सक, पशुधन, कृषि, तकनीक, भारत, आर्थिक, जनसँख्या I

भारत का आम जन-मानस और भारत की सरकार दोनों ही आज के विकासशील भारत को वर्ष २०४७ तक विकसित भारत बनाने का स्वप्न देख चुके हैं। इस स्वप्न को साकार करने के लिए हर क्षेत्र और उससे जुड़े लोग अपना सर्वस्व देने को तत्पर हैं। ऐसे में पशुचिकित्सक और पशुधन क्षेत्र से जुड़े लोग भी किसी से पीछे नहीं है। आज की इस दौडती हुई दुनिया में जहाँ कंक्रीट के ऊंचे-ऊंचे जंगल, प्रदूषण, बढ़ती जनसंख्या और भी न जाने कितनी समस्याओं से भारत जूझ रहा है, वहाँ पशुधन क्षेत्र एक अद्वितीय आर्थिक क्षेत्र के रूप में उभर रहा है।

भारत आज भी कृषि प्रधान देश है। इसकी अधिकतर आबादी ग्रामीण अंचलों में बसती है। इसलिए भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का स्वप्न तब तक पूरा नहीं हो सकता जब तक भारत के किसान और ग्रामीण विकसित न हो जायें I किसान आय के लिए मुख्यतः कृषि पर आधारित रहते हैं और साथ ही कुछ किसान पशुपालन भी करते हैं, वहीं कुछ ग्रामीण ऐसे भी हैं जिनके पास खेती की ज़मीन नहीं है और वे आय के लिए पशुओं को पालते हैं I गांव की दो तिहाई जनता पशुपालन कर रही है I भारत में कुछ पशुपालक तो ऐसे भी हैं जो पशुपालन के सहारे अपने परिवार को दो जून की रोटी खिला रहे हैं। वे अपने परिवार को अच्छा जीवन, अच्छा स्वास्थ्य, बच्चों को अच्छी शिक्षा देने का स्वप्न पशुपालन के कारण ही देख पा रहे हैं। जब भी उन्हें पैसे की अचानक से आवश्यकता आ जाती है, तो वे पशु उत्पाद जैसे कि दुग्ध, मांस, ऊन इत्यादि और पशु को बेचकर अपनी आवश्यकता को पूरी कर लेते हैं। अब पशुधन का विकास होगा, तो ऐसे पशुपालकों का भी विकास होगा।

READ MORE :  Genomic selection and Genome editing in animal breeding

आज के समय में भारत में जनसंख्या विस्फोट देखने को मिल रहा है। इस बढ़ती आबादी के कारण शहरों की सीमाएं बढ़ती जा रहीं है। खेती योग्य जमीन और जंगल कम होते जा रहे हैं। भारत में प्रतिवर्ष लगभग तीस हज़ार हेक्टेयर खेती योग्य ज़मीन घट रही है I एक सर्वे के अनुसार वर्ष २०२१-२२ में ०.९५% की दर से भारत की जनसँख्या बढ़ी है I इतनी जनसंख्या के भरण पोषण का भार घटती जमीन उठाने में अक्षम है। ऐसे में पशुधन ही है जो इस आबादी का पेट भरने में सहायक होगा। पशुधन से सिर्फ भोजन ही नहीं मिलेगा, अपितु उच्च गुणवत्ता वाला भोजन मिलेगा जो भारत की जनता को स्वस्थ रखने में सहयोगी होगा । स्वस्थ नागरिक ही विकसित भारत में भूमिका निभा सकते हैं।

भारत में बेरोजगारी भी एक ज्वलनशील समस्या बनी हुई है। पशुपालन से ८.८% लोगों को रोजगार मिलता है I लगभग २०.५ मिलियन लोग रोजी रोटी के लिए पशुओं पर निर्भर हैं I अगर पशुधन क्षेत्र का अभूतपूर्व विकास होता है, तो यह न जाने कितने ही लोगों को रोजगार देगा। अक्सर किसान आत्महत्या के मामले सामने आते रहते हैं। ये भी देखा गया है कि अधिकतर वे ही किसान आत्महत्या करते है जो कि आय के लिए सिर्फ और सिर्फ कृषि पर आधारित होते हैं, और हम जानते हैं कि भारत में कृषि मानसून आधारित है। कृषि से किसानो को वर्ष भर में अधिकाधिक १८० दिवस का ही रोजगार मिल पाता है I यदि समय से बारिश न हो या गैर – समय पर बारिश हो जाए तो फसल नष्ट हो जाती है। ऐसे में किसान अगर कृषि के साथ-साथ आय के लिए पशु भी पालता है, तो कृषि पर उसकी पूर्ण रूप से निर्भरता खत्म हो जाएगी और उसकी आय भी वर्ष भर बनी रहेगी।

विकास नहीं हमें सतत् विकास पर ध्यान देना होगा जो कि पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ता ही जाए I कृषि उत्पादों का उपयोग पशुओं के लिए एवं पशु उत्पादों का उपयोग कृषि के लिए किया जाये तो ये बेहद ही लाभकारी होगा I कृषि के सुचारू रूप से होने में भी पशुपालन की भूमिका है। जैविक खेती अर्थात आर्गेनिक खेती बिना पशुधन के संभव नहीं है। क्योंकि इस खेती में किसी भी रसायन का उपयोग नहीं किया जाता ऐसे में गोबर खाद एक बेहतर विकल्प है।

READ MORE :  The Role of Veterinarians & the Livestock Sector for Viksit Bharat@2047

पशु उत्पादों और पशुओं को विदेशों में बेचने से विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है जो कि भारत को आर्थिक रूप से मजबूत करने में सहायक होती है। वर्ष २०२३-२४ में भारत की जीडीपी में कृषि का १८ .२% योगदान रहा I साथ ही पशुधन का जीडीपी में ५.५% तथा कृषि जीडीपी में ३०.२३% योगदान रहा I ग्रामीण इलाकों में किसान घर से बाहर खेती का कार्य करते हैं, जबकि महिलाएं घर में रहकर पशुपालन करती हैं I अमूल नामक संस्था से लगभग ३६ लाख महिलाएं जुडी हुई हैं I महिलाएं कुक्कुट पालन, बकरी पालन इत्यादि भी कर रही हैं I ऐसा करके वे अपने परिवार को आर्थिक सम्बल देती हैं I इससे अच्छा नारी सशक्तिकरण का उदाहरण और क्या ही होगा I

पशुधन क्षेत्र में पशुचिकित्सकों की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। पशुधन के स्वास्थ्य के लिए पशुचिकित्सक सदैव तत्पर रहता है। पशुचिकित्सक एक पुल के समान है जो कि एक ओर पशुधन के विकास के लिए भारत सरकार की योजना बनाने में सहायता करता है, वहीं दूसरी ओर वह पशुपालकों के सीधे संपर्क में रहकर उन तक इन योजनाओं के लाभ को पहुंचाता है। आज भारत सरकार और विभिन्न प्रदेश सरकारें न जाने कितनी ही योजनाएँ पशुधन के विकास के लिए चला रही है। ये सारी योजनाएं सफल हो पा रही हैं क्योंकि पशु चिकित्सक क्षेत्र में दिन-रात मेहनत कर रहा है। पशुचिकित्सक न दिन देखता है और न ही रात। वह तो लगा हुआ है पशु सेवा में, पशुधन को स्वस्थ बनाने में, पशुधन से अधिक से अधिक लाभ पशुपालक को दिलाने में, सरकार की योजनाओं से पशुपालकों को लाभान्वित कराने में और २०४७ तक विकसित भारत बनाने में।

प्राणीजन्य रोग और ऐसे रोग जो कि आर्थिक नुकसान पहुंचाते हैं उन्हें रोकने के लिए प्रयत्न करने होंगे, जिससे पशु और उनके उत्पादों का व्यापार बढ़ सके I इसके लिए स्वदेशी टीकों का विकास एवं दवाओं का निर्माण करना होगा I आज सरकार किसानों की आय को दोगुनी करने के लिए प्रयासरत है और ये प्रयास सफल हो पा रहे हैं पशु चिकित्सक की वजह से I खाद्य सुरक्षा एवं वित्तीय सुरक्षा को सुनिश्चित करना, पशु प्रजनन की मदद से पशुओं की नस्ल सुधार करना, ऐसी नस्ल विकसित करना जिसमें मनवांछित योग्यताएं शामिल हों जैसे कि अधिक दुग्ध उत्पादन, तीव्र वृद्धि दर इत्यादि कार्य पशु चिकित्सक के सहयोग से पूर्ण करने होंगे I पशु चिकित्सक यह सुनिश्चित करें कि पशु को जिस पोषक तत्त्व की जितनी आवश्यकता है वह उन्हें उतनी ही मात्रा में उपलब्ध हों ऐसा करके पशु का उत्पादन बढ़ेगा, दाना चारा व्यर्थ नहीं जायेगा I साथ ही भोजन को कैसे अधिक स्वादु और सुपाच्य बनाएं ये भी ध्यान रखना होगा I वर्तमान में जैव विविधता के  संरक्षण का भार भी पशु चिकित्सक को उठाना होगा I परिरक्षण और पैकिंग की नवीनतम तकनीकों पर कार्य करना होगा, पशुपालन वैज्ञानिक पद्धति से करना होगा, ऐसे तौर तरीके अपनाने होंगे जिनसे पशु उत्पादों की मात्रा एवं गुणवत्ता दोनों में ही वृद्धि होवे, ऐसी नवीन तकनीकों का विकास करना होगा जिनसे पशुधन की क्षमता का अधिकाधिक लाभ उस पशुपालक तक पहुंचे जो कि देश के सबसे पिछड़े इलाके से सम्बन्ध रखता हो, हमें कृत्रिम गर्भाधान, भ्रूण प्रत्यारोपण इत्यादि पर जोर देना होगा जिससे हमें भविष्य में अच्छी नस्ल के पशु प्राप्त होवें, वैज्ञानिक तरीकों से पशुओं का दाना – पानी, उनके रहने की व्यवस्था इत्यादि को भी सुनिश्चित करना होगा जिससे हमें पशुओं से उत्पाद अधिकाधिक मात्रा में प्राप्त हो सकें I

READ MORE :  STEP BY STEP PROCEDURE FOR HYDROPONIC FODDER PRODUCTION

जिस दिन भारत में कोई भूखा नहीं सोयेगा, सब साक्षर होंगे, सब के पास रोजगार होगा, सबको स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध होगी, सबके सिर पर छत होगी, तब हम कह सकेंगें कि हां आज भारत विकसित हो चुका है। ऐसा विकसित भारत बिना पशुचिकित्सक और पशुधन क्षेत्र के सहयोग के बिना बना पाना पूर्णतः असंभव है I भारत के पशुचिकित्सक और पशुपालक लगातार अपनी उत्कृष्ट कार्य से भारत को विकास की नयी ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं I इसे देखकर यह कहना बहुत ही आसान है कि हाँ २०४७ तक भारत विकसित राष्ट्र बन जायेगा I

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON