भेडों की शियरिंग अति महत्वपूर्ण विषय

0
409

भेडों की शियरिंग अति महत्वपूर्ण विषय
डा0 अमित कुमार
1. पशुचिकित्साधिकारी, राजकीय पशुचिकित्सालय, श्यामपुर देहरादून-उत्तराखण्ड।

Mobile No. 9411501832 Email- amitbhojiyan@gmail.com

उत्तराखण्ड उत्तर भारत में स्थित एक बहुत ही खुबसुरत पर्वतीय राज्य हैं। यह मुख्यत गढ़वाल और कुमाऊं में बटां है। यहां की 90 प्रतिशत आबादी कृषि व पशुपालन पर आधारित है। पशुपालन में एक बडा हिस्सा भेड़ व बकरीयों को पालने वाला है। कुछ पशुपालक माईग्रेशन में रहता है। उत्तराखण्ड में राजकीय भेड़ प्रक्षेत्रों पर ऊन शियरिंग मशीनों द्वारा की जाती है। साथ ही साथ पशुपालको को शियरिंग कैम्प के माध्यम से मशीन शियरिंग के बारे में जानकारी देने के साथ साथ उनकी भेड़ों की मशीन शियरिंग की जाती है। मशीन शियरिंग करते समय आवश्यक बातें जो ध्यान देने योग्य है-
1. शियरिंग से पूर्व शियरिंग सीजर्स को सान से धार दिलवाकर सही हालत में होने पर ही प्रयोग में लाना चाहिए। जंग लगे औजार प्रयोग में नही लाने चाहिए।
2. भेड़ों की शियरिंग अनुभवी अनुवालों या शियरिंग ट्रेन्ड शियररों द्वारा सम्पन्न कराना चाहिए। ताकि पशुधन को कम से कम कट व चोट लगें।
3. यदि पशुधन को शियरिंग करते समय कट व चोट आदि गलती से लग जाये तो कट व जख्म के स्थान पर बिटाडीन लगाना चाहिए।
4. भेडों की शियरिंग मशीन से करनी चाहिए जिससे एक समान ऊन प्राप्त होने के साथ साथ समय की भी बचत होती है।
5. शियरिंग करते समय यह विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि भेड़ की ऊन स्वछ स्थान पर ही उतारी जाये। जिससे बाहरी गंदगी से ऊन को बचाया जा सके।
6. फाइन तथा सुपर फाइन रैम्बुले/मरिनों तथा का्रस ब्रिड भेड़ों की ऊन की शियरिंग के समय शियरर को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ऊन के स्टेप्लस को 2.5 इंच लम्बाई से अधिक आनी चाहिए अतः उसी प्रकार शियरिंग की जाये कि डबल क्टस ना होने पाये तथा ऊन को इस ढंग से शियर किया जाये कि उपयुक्त लम्बाई में कमी ना आने पाये। जिससे ऊन को गुणवत्ता बनी रहेगी और मार्केट में उच्च मूल्य पर विक्रय होगी।
7. शियरिंग के पश्चात यदि ऊन को सुखना हो तो किसी बडे़ कमरे में अथवा बाडे़ में ऐसा फैलाया जाये कि जहाँ पर ऊन में धूप की गर्मी तो आये किन्तु ऊन पर ध्ूप ना लगने पाये। जब ऐसी दशा में ऊन सुख जाये तब ही ऊन को बोरों में भरा जाये। सीधे धुप में ऊन सुखने से गी्रस जल्दी ही समाप्त हो जाती है। जिससे ऊन डिसकलर्ड ओर टेन्डर तो होगा ही ऊन में यदि धुप से हीट मौजूद है तो बोरो में प्रेसर के कारण फेल्ट भी हो जाता है। और ग्रीस खतम होने से ऊन के भार पर व गुणवत्ता पर कुप्रभाव पडता है।
8. यदि ऊन को धूप में सुखाना आवश्यक हो तो ऐसे ऊन को बडे कमरे में रात भर या बाड़े में रात भर फैलाकर छोड देना चाहिए तत्पश्चात दुसरे दिन धूप निकलने के पश्चात ही ठंडे व सूखे हुये ऊन को बोरो में भरना चाहिए।
9. वर्षा ऋतु में ऊन श्रणीकरण का कार्य तभी करवाया जाये जबकि ऊन को खुले रूप में ही शरद ऋतु तक रखने को काफी जगह उपलब्ध हो अन्यथा उसी समय ऊन बोरो में भरने और तोल करने से ऊन का सही सही तौल नही हो पाता है तथा ऊन में नमी के कारण बोरे के भीतर सड़ जाता है।

READ MORE :  भेड़ प्रबंधन में शेयरिंग कब और कैसे करे ।

उपरोक्त सभी बिन्दुओं को ध्यान में रखकर यदि भेड़ों की शियरिंग करने से हमारे पशुधन को शियरिंग में कट व जख्म होने से बचाया जा सकता है व ऊन की गुणवत्ता अच्छी प्राप्त होगी। इन सब के साथ साथ पशुधन के शरीर पर नयी ऊन एक समान आयेगी।

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON