दुधारू पशुओं के लिए आवास व्यवस्था
डॉ संजय कुमार मिश्र
पशु चिकित्सा अधिकारी चौमुंहा मथुरा
पशुओं के विकास एवं उनसे अधिकतम उत्पादन लेने के लिए उनके स्वच्छ एवं आराम देह आवास का प्रबंध अत्यंत महत्वपूर्ण है। दुधारू पशुओं को ऐसे स्थान में रखना चाहिए जहां उन पर गर्मी और सर्दी का प्रभाव कम हो तथा पशुओं को सूरज की सीधी किरणों और हवा के थपेड़ों से बचाया जा सके।
ग्रीष्म काल में गर्मी बढ़ने पर पशुओं को बहुत कष्ट होता है। गर्मी के कारण पशु बेहाल हो जाते हैं और वे पसीना बहाकर और हांफ हांफ कर अपने शरीर को किसी प्रकार से ठंडा रखने की कोशिश करते हैं। पशु चारा दाना नहीं खा पाते हैं और उनका दूध धीरे धीरे कम हो जाता है। अतः पशुओं के रहने के लिए उपयुक्त स्थान होना चाहिए।
पशुशाला में प्रत्येक गाय या भैंस के लिए कम से कम 5.5 फीट चौड़ी और 10 फीट लंबी पक्की जगह होनी चाहिए। पशुशाला का फर्श खुरदरा किंतु कांक्रीट का होना चाहिए। नाली की ओर 1.5 फीट ढलान होनी चाहिए। नाली 8 इंच चौड़ी और 3 इंच गहरी होनी चाहिए ताकि पशु के रखने का स्थान स्वच्छ रह सके और वहां कीटाणुओं का प्रकोप न हो सके।
पशु घर की छत कम से कम 10 फीट ऊंची होनी चाहिए भले ही वह फूस की शीट की या पक्की ईंटों की हो। पशुघर तीन तरफ से खुला होना चाहिए। केवल पश्चिम दिशा में दीवार होनी चाहिए। हर पशु के लिए छत की ऊंचाई पर 3 फीट 4.5 फीट के खुले रोशनदान होने चाहिए। सर्दी में टाट द्वारा तीनों खुली दिशाओं में ढक देना चाहिए।
पशु घर की पश्चिमी दीवार पर 2 फीट चौड़ी और 1.5 फीट गहरी चरही या नांद बनानी चाहिए। चरही या नांद का आधार भूमि तल से 1 फीट ऊपर होना चाहिए। नांद के साथ स्वच्छ जल की व्यवस्था होना भी आवश्यक है।
पशु घर की पूर्वी दिशा में पशुओं के घूमने का क्षेत्र होना चाहिए। पशुओं को वृक्षों की छाया में सबसे अधिक आराम मिलता है। घूमने के क्षेत्र में नीम जैसे छायादार वृक्ष लगाने चाहिए।
ग्रीष्म काल में पशुओं के शरीर पर 15 से 20 मिनट के अंतराल पर पानी छिड़कने से उन्हें गर्मी से राहत मिलती है क्योंकि वाष्पीकरण से उन्हें ठंडक पहुंचती है।
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड ने छोटे किसानों के लिए एनिमल कूलिंग सिस्टम विकसित किया है। यह कूलिंग सिस्टम 4 से 10 पशुओं के लिए पर्याप्त है।
एनिमल कूलिंग सिस्टम अपनाओ ,
डेयरी पशुओं को गर्मी से बचाओ