शीत ऋतु में पशुधन का रखरखाव एवं प्रबंधन

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शीत ऋतु में पशुधन का रखरखाव एवं प्रबंधन

डॉ. मनीष जाटव *, डॉ. प्रीति वर्मा

पशु चिकित्सा सहायक शल्यज्ञ

पशु पालन एवं डेयरी विभाग म. प्र. 

सर्दी कई आवारा जानवरों के साथ साथ पशुधन के लिए भी घातक मौसम होता है क्योंकि कई बार अच्छे रखरखाव एवं प्रबंधन की कमी की वजह से पशुधन में सर्दी मौत का कारण बनती है कई पैमानों पर किसानों को पशुओं के लिए सर्दियों में तनाव का प्रबंधन बहुत आवश्यक है बहुत सारे लोग जो कि जीवाणु, विषाणु एवं परजीवी जनित होते हैं जिन का प्रकोप सर्दियों के तनाव की वजह से बढ़ जाता है सामान्यता सभी जानवर ठंडी जलवायु की परिस्थिति में प्रभावित होते हैं परंतु कुछ जानवर मोटी खाल एवं ऊन की वजह से खुद का बचाव करने में सक्षम होते हैं किंतु कुछ जानवर सर्दियों में अत्यधिक प्रभावित होते हैं और इस तनाव ठंड के कारण निम्नलिखित हैं

  • नवजात पशु बेहद संवेदनशील होते हैं एवं सर्दी मौसम और ठंडी हवा कई बार मृत्यु का कारण बन जाती है
  • ठंडी मौसम की वजह से निमोनिया या सांस की बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है \
  • पशुओं के शेड में साफ सफाई ना होने की वजह से वाहय एवं अतः परजीवी के होने की स्थिति होती है
  • अतः परजीवी संक्रमण एवं उनका उचित प्रबंधन ना होना
  • आवारा जानवरों के पास इस मौसम में कोई आश्रय ना होना भी कारण होता है
  • कम प्रतीक्षा वाले जानवर इस मौसम में जल्दी हाइपोथर्मिया से प्रभावित हो जाते हैं
  • इस मौसम में गेस्ट्रो इंटेन्सटीनल रोग भी अत्यधिक होते हैं
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सर्दी के मौसम में रोगों का प्रकोप :-

जीवाणु जनित रोग जैसे कि बोटुलिजीम, काला पैर, टिटनेस आदि

विषाणु जनित रोग :-

रोग जैसे की एफ एम डी, पी पी आर, बी वी डी,लम्पी स्किन बीमारी आदि

परजीवी रोग :-

इस मौसम के दौरान पशुओं मे बाल खुरदरे दस्त खुजली आदि लक्षण दिखाई देते हैं अतः परजीवी जैसे कि पेट के कीड़े हुकवर्म टोकसोकेरा लँगफ्लूक लिवरफ्लूक  ओर हेमचेनस होते है

वाहय परजीवी संक्रमण मैं जू, टिक, मक्खियां और मच्छरों इन सभी का प्रजनन सामान्यता सर्दियों के मौसम में ही होता है जिसके कारण कई नुकसान पहुंचाने वाले प्रोटोजोआ रोगों का कारण बनते हैं

निमोनिया एवं श्वसन रोग :-

  • उचित रखरखाव एवं बेंटीलेसन ना होने की वजह से अधिकांश बार जानवर निमोनिया एवं साँस संबंधी रोगों के शिकार होते हैं
  • मौसम में तनाव के कारण रोगों के प्रकोप का खतरा बढ़ जाता है
  • श्वसन संबंधी रोग जैसे रेल्स नाक से गाढ़ा श्लेष्मा खांसी छीकना उच्च तापमान के लक्षण दिखाई देते है

हाइपोथर्मिया :-

  • कम प्रतिरोधक क्षमता वाले जानवर जैसे रोगी जानवर, नवजात, बूढ़े जानवर, आवारा जानवर सर्दी के मौसम में अधिक प्रभावित होते हैं
  • सर्दी की वजह से कापना, असामान्य तापमान और पीली श्लेष्मा झिल्ली के साथ नीचे गिरना और रक्त संचार ना होना
  • शरीर ठंडा पड़ जाना, सिकुड़ा हुआ नेत्र गोलक, स्वशन एवं नाड़ी की दर अत्यधिक कम होने के साथ-साथ पशु की मृत्यु हो जाती है

उपचार :-

  • सर्दी में ग्रसित पशु को बाहरी एवं आंतरिक ऊर्जा प्रदान करने हेतु रगड़ना चाहिए जिससे शरीर गर्म हो जाए
  • पशुओं को मालिश हेतु गर्म पानी का उपयोग कर सकते हैं
  • पशु को शॉक से बचाने हेतु तरल पदार्थ जैसे कैल्शियम लिवर टॉनिक को सहायक चिकित्सा के रूप में देना चाहिए
  • निमोनिया से बचाने हेतु उचित एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग करना आवश्यक है
  • आवश्यकता पड़ने पर नेबूलाइजेसन का उपयोग कर सकते हैं
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पशुधन को सर्दियों से बचाने हेतु प्रबंधन :-

  • पशुओं को उचित रखरखाव एवं वेरीकेतन के साथ-साथ आश्रय उपलब्ध कराना
  • आश्रय हवादार होना चाहिए जिससे अमोनिया एवं नाइट्रोजन गैस इकट्ठे ना हो सके जोकि निमोनिया एवं अन्य बीमारी का कारण हो सकती है
  • आश्रय के आसपास के क्षेत्र की साफ सफाई होनी चाहिए जिससे मच्छर मक्खी के होने की संभावना कम हो
  • पशुओं को सामान्य तापमान का स्वच्छ पानी उपलब्ध कराना चाहिए एवं ठंडे पानी से बचाना चाहिए
  • भोजन की उचित व्यवस्था कराना चाहिए जो कि सर्दियों के मौसम में तापमान कम होने की वजह से भोजन की आवश्यकता बढ़ जाती है
  • नवजात बछड़ों में कठोर ठंडी जलवायु परिस्थितियों से बचाने एवं शरीर के तापमान को बनाए रखने के लिए उच्च गुणवत्ता और दूध की उचित मात्रा देनी चाहिए
  • मक्का जाई गेहूं जैसे अनाज खिलाना चाहिए
  • छोटे जानवरों जैसे छोटे बछड़ों बकरिया भेड़ आदि को रेत के थेलों बोरियों और कंबलों से ढकना चाहिए ताकि शरीर गरम बना रहे
  • फर्स साफ सुथरा होना चाहिए
  • सभी जानवरों का नियमित रूप से डिवार्मिंग किया जाना चाहिए
  • सर्दी के मौसम में भेड़ के बाल नहीं काटना चाहिए
  • उचित रखरखाव एवं प्रबंधन ही पशुओं को होने वाले प्रकोप एवं पशुओं की हानि से बचाव का एकमात्र उपाय है

https://www.pashudhanpraharee.com/care-management-of-pregnant-dairy-cattle-2/

https://hi.vikaspedia.in/agriculture/animal-husbandry/92a936941913902-92e947902-93094b917/%E0%A4%AA%E0%A4%B6%E0%A5%81%E0%A4%93%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%A8-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%95-%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%95%E0%A4%A5%E0%A4%BE%E0%A4%AE

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