प्रमुख कृषि संस्थानों से खत्म होगा डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा, नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए कमेटी का गठन

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प्रमुख कृषि संस्थानों से खत्म होगा डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा, नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए कमेटी का गठन
30 अक्टूबर 2021

नई दिल्ली, पशुधन प्रहरी।

कृषि शिक्षा में सुधार के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) अपने चार प्रमुख संस्थानों से डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा वापस लेगी। इस क्षेत्र में अन्य सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए छठे डीन कमेटी का गठन किया गया है। इन सभी संस्थानों को पूर्ण विश्वविद्यालय के शैक्षणिक कार्यक्रमों की तर्ज पर काम करना होगा, ग्रेजुएट कक्षाएं शुरू करनी होंगी और दूसरे विषयों से संबद्ध कालेजों को भी जोड़ना होगा।

छात्रों का नामांकन बढ़ाने को उच्च प्राथमिकता देनी होगी ताकि कृषि क्षेत्र में मानव संसाधनों की भारी कमी को पूरा किया जा सके। नई शिक्षा नीति के तहत कृषि शिक्षा को वैज्ञानिक तरीके से विस्तार देने के लिए डीन कमेटी की सिफारिशों पर तत्काल अमल करना होगा। कृषि विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में बदलते जमाने के हिसाब से शैक्षणिक पाठ्यक्रम तैयार करने और अन्य बदलावों के लिए इस कमेटी का गठन प्रत्येक 10 साल बाद किया जाता है। परंतु नई शिक्षा नीति की मंशा के अनुरूप कृषि शिक्षा में संशोधन के लिए कमेटी का गठन समय से पहले कर दिया गया है।

12 सदस्यीय इस डीन कमेटी का चेयरमैन पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. तेज प्रताप को नियुक्त किया गया है। कृषि क्षेत्र में आधुनिक टेक्नोलाजी के उपयोग, कृषि उपज के कारोबार के बदलते तौर तरीके, घरेलू व वैश्विक मांग और कृषि क्षेत्र के डिजीटलीकरण आदि विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल कर उसके लिए मानव संसाधन तैयार करने की जरूरत पर बल दिया जाएगा।डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा जिन चार प्रमुख कृषि संस्थानों को प्राप्त है, उनमें दिल्ली के पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, हरियाणा के करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, बरेली के इज्जत नगर स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान और मुंबई का केंद्रीय मात्सि्यकी शिक्षा संस्थान शामिल हैं।

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डीम्ड यूनिवर्सिटी वाले इन अनुसंधान संस्थानों में ग्रेजुएट स्तर की कक्षाएं नहीं लगती हैं। यहां गिनती के ही छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त होती है। अब इनसे डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा वापस लेकर उन्हें पूर्ण विश्वविद्यालय की मान्यता दी जाएगी, लेकिन इसके लिए उन्हें वित्तीय संसाधन मुहैया नहीं कराया जाएगा। इन्हें ग्रेजुएट कक्षाओं वाले अन्य संस्थाओं और महाविद्यालयों को जोड़ना होगा।

इन कृषि विश्वविद्यालयों में इंटेसिव रिसर्च के साथ यहां सभी ब्रांच की पढ़ाई कराई जाएगी। कृषि शिक्षा क्षेत्र में प्रत्येक छात्र को आवासीय सुविधा मुहैया कराई जाती है। अब इस अनिवार्यता को समाप्त किया जाएगा, ताकि छात्रों की संख्या को बढ़ाया जा सके। कैंपस बाहर रहने की सुविधा के साथ स्थानीय छात्रों को इसका ज्यादा लाभ मिलेगा। स्ट्यूडेंट्स एक्सचेंज प्रोग्राम को प्रोत्साहित किया जाएगा। अगले शिक्षा सत्र से इसे पूरी तरह से लागू कर दिया जाएगा।
Source:Dainik Jagran

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