गौधाम डेयरी फार्म
ग्राम- समसेरा पंचायत सोनाजोड़ी, जिला पाकुड़ (झारखंड )
गोपालन कर बेरोजगार व ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनी इंजीनियर श्रीमती अंशु सिंह
रोजगार की तलाश में एक ओर जहां गांव के युवाओं का पलायन बड़े शहरों की ओर थमने का नाम नहीं ले रहा है वही नई पीढ़ी के कुछ युवा अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़कर गांव की ओर रुख कर रहे हैं ।यह लोग ना सिर्फ गांव की दशा और दिशा बदल रहे हैं बल्कि अपने प्रयास से ग्रामीण युवाओं को गांव में ही रोजगार के अवसर प्रदान कर रहे हैं ।अपने गांव की काया पलट करने की ललक से सुख सुविधाओं से परिपूर्ण शहरी जीवन का परित्याग करने वाले इन ही युवाओं में असल मायने में भारत को महाशक्ति बनाने की ताकत है ।प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी के स्टार्टअप इंडिया का जीता जागता सबूत है यह युवा दंपत्ति श्रीमती अंशु सिंह एवं अभिनव किशोर। अपने 6 साल के सफल कारपोरेट करियर को अलविदा कह अपने गांव में किसानों की स्थिति सुधारने में जुटे हैं ।
30 वर्षीय श्रीमती अंशु सिंह विभिन्न इलेक्ट्रिकल कंपनियों में बतौर सीनियर इंजीनियर अपनी मोटी तनख्वाह की नौकरी छोड़ कर अपने गांव पहुंची तो सबको आश्चर्यचकित कर दिया ।गौरतलब है कि जब श्रीमती सिंह अपनी नौकरी के दौरान भारत के विभिन्न इलाकों में काम करने पहुंची तो पाया कि ग्रामीणों को गरीबी से बाहर निकाल पाने के लिए गो पालन और दुग्ध व्यवसाय से अच्छा रास्ता कोई हो नहीं सकता फिर उन्होंने निश्चय किया कि ग्रामीण इलाकों में ही अपना तथा साथ साथ अन्य किसानों को भी दुग्ध उत्पादन से जोड़कर उनकी आय को बढ़ाया जा सकता है ।
इसी सोच के साथ श्रीमती अंशु सिंह ने अपने परिवार की सहमति हासिल की और अपने आइडिया को डेयरी फॉर्म उद्योग की शक्ल देने में जी जान से जुट गई ।साल 2014 में अपने आइडिया को धरातल पर लाते हुए पाकुड़ शहर से 6 किलोमीटर दूर ग्राम समसेरा पंचायत सोनाजोड़ी में तकरीबन 5 एकड़ में डेयरी उद्योग की स्थापना की इस कारोबार के पीछे उनका एकमात्र मकसद था लोगों को शुद्ध एवं ताजा दूध उपलब्ध कराना ।
शुरुआत में श्रीमती सिंह को इस क्षेत्र में कोई खास अनुभव नहीं था लेकिन वह अपनी मेहनत और लगन के बल पर उन्होंने काम की शुरुआत की सबसे पहले उन्होंने एक अत्याधुनिक पशु शेड का निर्माण कराया और चार गायों के साथ काम की शुरुआत की। कुछ सालों तक गोपालन करने के बाद श्रीमती सिंह की रुचि बढ़ती चली गई इनकी लगन और मेहनत से प्रभावित होकर गव्य विकास विभाग ने भी इनकी भरपूर मदद की l इसी क्रम में इनकी मुलाकात सहायक गव्य निदेशक, श्री मुकुल प्रसाद सिंह से हुई जो झारखंड में डेयरी को नए आयाम दिए जाने के लिए जाने जाते हैं l श्री सिंह के निर्देश व अनुभव ने इनकी सफलता में उत्प्रेरक का काम किया और उन्होंने जिला गव्य विकास विभाग की सहायता से बड़े स्तर पर इस कारोबार को आगे बढ़ाने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया। श्रीमती सिंह के आत्मविश्वास को मजबूती उस वक्त मिली जब इलाहाबाद बैंक पाकुड़ ने प्रोजेक्ट में दिलचस्पी दिखाते हुए निवेश करने का फैसला किया करीब 2000000 रुपए के निवेश से उनके काम में तेजी आई और उन्होंने आधारभूत ढांचे पर काम करना शुरू किया और गायों की संख्या बढ़ाकर दूध के उत्पादन को भी बढ़ाया। लेकिन इसी दौरान सबसे बड़ी बाधा उस वक्त उत्पन्न हुई जब उनके डेयरी फार्म में एफ एम डी टीकाकरण करने के बावजूद गायों को खुर पका मुंह पका बीमारी का अटैक आया और अचानक इनके जानवरों के स्वास्थ्य में गिरावट आई , दूध के उत्पादन पर भी इसका असर पड़ा लेकिन इन्हें स्वरोजगार खड़ा करने के साथ ही करीब 15 लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाने का सुकून उत्साहित करता गया फलस्वरुप
श्रीमती सिंह ने हिम्मत नहीं हारी और अपनी गायों की सेवा में जी जान से जुट कर उन्हें दोबारा स्वस्थ बनाया और अपने फॉर्म को पुनः पुरानी स्थिति में लेकर आई। श्रीमती सिंह आज हमारे सामने एक सफल गोपालक के रूप में खड़ी है जिनकी आमदनी कई लाखों रुपयों में है ।गौधाम डेयरी फार्म आज झारखंड के सफल कृषि स्टार्ट अप में से एक है जिसका सालाना टर्नओवर कई लाखों रुपयों में है। चंद गायों से शुरू हुआ गौधाम डेयरी फार्म में आज तकरीबन 40 गाय व 10 भैंस का दूध पाकुड़ के ढाई सौ से ज्यादा घरों में पहुंच रही है ।श्रीमती सिंह ने ना सिर्फ डेयरी फार्म का निर्माण किया बल्कि अपनी सफलताओं का उदाहरण देते हुए अपने आसपास के 10 किसानों का दूध उत्पादन के लिए प्रेरित कर उनका दूध भी खरीद रही है और उसे बाजार तक पहुंचाने का काम कर रही हैं ।गौधाम डेयरी फार्म में आज दूध देने वाली 30 गाय हैं और दूध का उत्पादन हर दिन लगभग 300 लीटर होता है उच्च तकनीकी शिक्षा प्राप्त इस दंपति ने हर एक अत्याधुनिक तौर-तरीकों एवं उपकरणों का बखूबी उपयोग अपने फॉर्म में किया है।
संप्रति बिजली ,पानी, अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी से लैस कैटल शेड,
मिल्किंग मशीन, जनरेटर आदि सुविधाओं से युक्त इनके गौधाम डेयरी में गायों के साथ साथ बछिया पालन पर भी फोकस
किया गया है। अभी तक इनकी 4 बछिया गाय बनकर दूध दे रही है और साथ-साथ 12 बछिया तैयार होने की स्थिति में पहुंच चुकी है ।इसके अलावा इनके फॉर्म पर उन्नत नस्ल का सांड भी मौजूद है जो इनकी उपलब्धियों व सफलता को बयां कर रहे हैं। इसके अलावा इन्होने देसी नस्ल की गायों के संरक्षण एवं संवर्धन का भी काम की शुरुआत की है ।अब इन्होंने अपनी गायों में देसी नस्ल गिर, रेड सिंधी, थारपारकर जैसे सांड का सीमेन दिलवाना शुरू कर दिया है इसके साथ-साथ गायों को हरा चारा खिलाने के लिए 3 एकड़ में मकई लगा रखा है ।अब इनकी कोशिश है कि आने वाले कुछ दिनों में हरा चारा से साइलेज का निर्माण कर लंबे समय तक अपने पशुओं को हरा चारा खिलाने की व्यवस्था को सुनिश्चित कर सकें। श्रीमती सिंह अपने फॉर्म पर अजोला का भी उत्पादन कर रही है और अपनी गायों को खिला कर लाभान्वित हो रही है इन्होंने दुग्ध उत्पादन के साथ ही वर्मी कंपोस्ट बनाना व इंटीग्रेटेड फार्मिंग का भी काम बखूबी शुरू कर रखा है साथ ही साथ गौधाम डेयरी में मशरूम की खेती कर भी उत्पादन ले रही हैं।
https://www.pashudhanpraharee.com/a-success-story-of-pantja-goats/
26 जनवरी 2018 गणतंत्र दिवस के अवसर पर उपायुक्त पाकुड़ श्री दिलीप कुमार झा के हाथों इन्हें जिला का सर्वश्रेष्ठ पशुपालक का पुरस्कार मिला यह दंपति के लिए बड़े गौरव का विषय है I
गव्य विकास विभाग ने इनकी लगन और मेहनत के बल पर प्राप्त उपलब्धियों के मद्देनजर इन्हें विभागीय तौर पर परिदर्शन एवं परिभ्रमण के लिए उड़ीसा, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में भेज चुका है जिसका इन्होंने भरपूर फायदा उठाया आज स्थिति यह है कि पशुपालन व जिला गव्य विकास विभाग पशुपालन से संबंधित जिला स्तर पर होने वाले प्रशिक्षण वर्गों को संबोधित करने के लिए ना सिर्फ इन्हें आमंत्रित किया जाता है बल्कि अधिकांश प्रशिक्षण वर्गों का आयोजन इनके गौधाम डेअरी फार्म में होता है। आगे चलकर 2017 में श्री सिंह की प्रेरणा से सब ने मिलकर झारखंड प्रोग्रेसिव डेहरी फार्मर एसोसिएशन की स्थापना की I इसका मकसद राज्य के सब्जी छोटे बड़े किसानों को एक मंच पर लाकर एक दूसरे के अनुभवों का लाभ लेते हुए साथ सबका विकास करना हैI
अभिनव को 25 अगस्त 2018 को झारखंड सरकार के द्वारा शेती व पशुपालन के गुर सीखने के लिए इजरायल जाने का भी मौका मिला वहां से लौटकर इन्होंने अपने फार्म को लूज हाउस फॉरमैट पर किया जिस में गायों को खुले में रखा जाता हैI वह आस-पास के किसानों को भी ऑर्गेनिक खेती व आधुनिक पशुपालन के तरीकों की जानकारी दे कर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे है I
https://www.manage.gov.in/publications/Success%20Stories%20-%20Farmers%20.pdf