भारत एवं विश्व की महिला पशु चिकित्सकों की सफलता की कहानियां
डॉ. वंदना भगत, डॉ श्रद्धा नेटी एवं डॉ दीप्ति किरन बरवा
पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, अंजोरा, डीएसवीसीकेवी, दुर्ग, छत्तीसगढ़
भारत में महिलाएं जीवन के हर क्षेत्र में विजेता के रूप में उभर रही हैं, जिसमें नेतृत्व, चिकित्सा, राजनीतिक भागीदारी और हर वह चीज शामिल है जिसकी समाज ने कभी कल्पना भी नहीं की थी । इस क्रम में पशु चिकित्सा का क्षेत्र भी शामिल है । भारत में महिलाओं को यह अवसर 1948 में प्राप्त हुआ जब, मद्रास वेटरनरी कॉलेज, चेन्नई ने बैचलर ऑफ वेटरनरी साइंस पाठ्यक्रम में लड़कियों के प्रवेश के लिए अपना पहला पोर्टल शुरू किया । आज महिला पशुचिकित्सकों के लिए असीमित अवसर हैं व राष्ट्रीय – अंतररास्ट्रीय संघ हैं । इन वर्षों में, कई दिग्गज महिला पशु चिकित्सकों ने भारत और विदेशों में पशु चिकित्सा क्षेत्र में महत्वपूर्ण जगह बनाई है, जिसके परिणामस्वरूप युवा लड़कियों के लिए मार्ग प्रशस्त हुआ है एवं इस नेक पेशे को पसंद करने वाली लड़कियों में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है । ऐसा अनुमान है कि हजारों महिला पशुचिकित्सक विभिन्न राज्य पशुचिकित्सा परिषदों और भारतीय पशुचिकित्सा परिषद के साथ पंजीकृत हैं। इसी क्रम में भारतीय पशु चिकित्सा संघ के लेडी वेट विन्ग का पहला आयोजन 13-14 नवंबर 2021 को भोपाल में सफलतापूर्वक किया गया । इस सम्मलेन में देश के कोने कोने से महिला पशुचिकित्सकों की भागीदारी देखने को मिली । इस प्रकार का सम्मलेन पसुचिकित्स्कों को मंच प्रदान करता है । पहले भारत में महिला पशुचिकित्सकों के लिए बहुत कम मौके थे वर्तमान में महिला पशुचिकित्सकों के पास अब वस्तुतः असीमित क्षमताएं और उपयुक्त मंच हैं, जिसमें महिला पशु चिकित्सक, कार्यस्थल व अन्य क्षेत्रों में आने वाले विभिन्न मुद्दों और चुनौतियों पर चर्चा और समाधान भी प्राप्त कर सकती हैं। इस आलेख में भारत और विश्व के ख्यति प्राप्त महिला पशु चिकित्सकों की सफलता की कहानियां उल्लेखित है।
भारतीय महिला पशु चिकित्सकों की सफलता की कहानियां
डॉ. सक्कुभाई रामचंद्रन – डॉ. सक्कुभाई रामचंद्रन, भारत की पहली महिला पशुचिकित्सक जिन्होंने पशु चिकित्सा विज्ञान और पशुपालन के ऐसे अपरंपरागत क्षेत्र को चुनकर देश भर में महिलाओं के लिए एक अनोखा रास्ता बनाया । उन्होंने 1948 में मद्रास वेटरनरी कॉलेज, चेन्नई में प्रवेश लिया एवं 1952 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की , और बाद में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया और 1971 में आईवीआरआई, बैंगलोर से एक वैज्ञानिक के रूप में सेवानिवृत्त हुईं ।
डॉ. पुष्पा राणापारखे – इन्होंने 1962 में पशु चिकित्सा विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की । पहले महिला पशु चिकित्सकों का कोई राष्ट्रीय संघ नहीं था, डॉ. पुष्पा राणापारखे ने इस आंदोलन का नेतृत्व कर अखिल भारतीय महिला पशुचिकित्सक संघ (एआईएलवी) की स्थापना की और सभी राज्यों में स्थानीय अध्याय स्थापित किए । यह संस्था समय समय पर सम्मलेन आयोजित करती रहती है । यह संस्था विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत सभी महिला पशुचिकित्सकों व उनके विचारों को एक मंच पर लाने और विचारों को आदान प्रदान करने के इरादे से साझा मंच के रूप में कार्य करती है ।
डॉ. प्रगति पांडा – डॉ. प्रगति पांडा ओडिशा की पहली महिला पशुचिकित्सक एवं ओडिशा कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की पूर्व प्रोफेसर थीं।
डॉ. अमृता पटेल – डॉ. अमृता पटेल गुजरात की पहली महिला पशुचिकित्सक हैं। इन्होने पशु चिकित्सा विज्ञान और पशुपालन स्नातक की उपाधि बॉम्बे वेटरनरी कॉलेज से प्राप्त की। 1965 में, वह एक डेयरी सहकारी संस्था अमूल से जुड़ गईं और वर्गीस कुरियन से प्रशिक्षण प्राप्त किया। 1998 से 2014 तक, उन्होंने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की अध्यक्षता की एवं कई अतिरिक्त संस्थानों की अध्यक्षता की और बैंक बोर्डों में कार्य किया। उन्हें 2001 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था ।
डॉ. सोसम्मा इयपे – डॉ. सोसम्मा इयपे पशु आनुवंशिकी और प्रजनन विभाग , पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, कृषि विश्वविद्यालय, केरल की पूर्व प्रोफेसर हैं , इन्हें “वेचुर की अम्मा” के नाम से जाना जाता है । डॉ. सोसम्मा इयपे को पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है । यह पुरस्कार उन्हें वेचूर गाय, कासरगोड व चेरुवली मवेशियों और अट्टापडी बकरियों की स्वदेशी नस्लों को विलुप्त होने के कगार से बचाने के लिए मिला है।
डॉ.गीता शर्मा – डॉ.गीता शर्मा ने 2003 में हिसार विश्वविद्यालय अपनी स्नातक की उपाधि प्राप्त की । वर्तमान में पशु चिकित्सा अधिकारी के पद पर दिल्ली सरकार में कार्यरत है । डॉ. शर्मा ने बिना किसी सहायक के सबसे कम समय (7.8 मिनट) में मादा कुत्ते की ओवेरियोहिस्ट्रेक्टोमी करने वाली सबसे कम उम्र की महिला पशुचिकित्सक के रूप में ख्याति अर्जित की है, इस उत्कृष्ठ कार्य की वजह से इनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स एवं एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है । उन्होंने चार पुस्तकें लिखी है एवं बच्चों की टीवी श्रृंखला “गली गली सिम सिम” में एक पशुचिकित्सक की भूमिका निभाई। उन्हें हिंदुस्तान टाइम्स और इंडिया टुडे-एस्पायर में चित्रित किया गया है।
डॉ. परविंदर कौर लुबाना – डॉ. परविंदर कौर लुबाना ने लुधियाना वेटरनरी कॉलेज, पंजाब से 1991 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। वर्तमान में पशुपालन विभाग, पंजाब की पशु चिकित्सा अधिकारी के रूप में पदस्थ है एवं पिछले 9-10 वर्षों से उत्तर क्षेत्रीय रोग निदान प्रयोगशाला, जालंधर में पशु चिकित्सा पैरासिटोलॉजिस्ट के रूप में पीपीआर और लेप्टोस्पायरोसिस रोग की निगरानी का कार्य कर रही हैं । इससे पहले उन्होंने 15 साल तक सरकारी सुअर पालन फार्म में और 3 साल तक पोल्ट्री फार्म में काम किया। अपने कार्यस्थल के दायित्वों के अलावा उन्होंने किसानों के लाभ के लिए पशु प्रबंधन और बीमारियों के नियंत्रण से संबंधित विभिन्न विषयों पर पंजाबी और हिंदी में लगभग 30 वीडियो बनाए हैं। उन्होंने वर्तमान शोध के अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में पशुओं के हेमोप्रोटोज़ोअन रोगों पर शोध लेखों में योगदान दिया है और पशुधन पंजाब (किसानों के लाभ के लिए पंजाबी भाषा में पत्रिका) के लिए 25 से अधिक लेख और झारखंड राज्य के पशुधन परिहारी में कई लेख दिए हैं साथ ही दूरदर्शन जालंधर की पत्रिका “डीडी नेशनल” में भी लेखों का योगदान दिया ।
डॉ. पी. पीनिलुफ़र – लक्षद्वीप के उष्णकटिबंधीय केंद्र शासित प्रदेश से पहली महिला पशुचिकित्सक के रूप में प्रसिद्ध है । डॉ. निलुफ़र पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, मनुथी, केरल से 2016 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की एवं अप्रैल 2017 में डेयरी फार्म कावारत्ती, लक्षद्वीप में पहली महिला पशुचिकित्सक के रूप में कार्यभार संभाल कर इतिहास रचा । अपने मेहनत, लगन व काबिलियत से वहा अपनी पहचान बनाई और डेयरी फार्म का उत्पादन दुगुना कर दिया । दूध उत्पादन इस फार्म का प्रमुख कार्य है और उत्पादित दूध का वितरण अस्पताल के रोगियों एवं गर्भवती महिलाओं को वितरित किया जाता है। अस्पताल में दूध आपूर्ति के बाद इसे उचित मूल्य पर जन सामान्य को दिया जाता है । डेरी फार्म के उचित देखरेख एवं दूध उत्पादन में वृद्धि को देखते हुए लक्षदीप प्रशासन ने डॉ पी. पीनिलुफ़र की प्रसंशा एवं सम्मानित किया है।
विदेशी महिला पशुचिकित्सकों की सफलता की कहानियां
सुजैन मॉरो – सुज़ैन मॉरो एक प्रसिद्ध फ़िगर स्केटर, पशुचिकित्सक और ऑल-ब्रीड डॉग शो जज के रूप में प्रसिद्ध हैं । उन्होंने 1952 में पशु चिकित्सा स्कूल से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 43 साल बाद अपनी सेवानिवृत्ति तक एक डॉक्टर के रूप में सेवाएँ दी, साथ ही वह किसी अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में आधुनिक समय के ‘डेथ स्पाइरल’ का प्रदर्शन करने वाली पहली स्केटर एवं विश्व पदक जीतने वाली पहली कनाडाई फिगर स्केटिंग जोड़ी का हिस्सा भी थीं ।
डॉ. एलिनोर मैकग्राथ – डॉ मैकग्राथ को अमेरिका में पहली महिला पशुचिकित्सक के रूप में याद किया जाता है। 1888 के आसपास जन्मी डॉ. एलिनोर मैकग्राथ में पशुओं के प्रति लगाव विकसित हो गया और उन्होंने पुरुष-प्रधान क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए बाधाओं को दूर करने के लिए दृढ़ संकल्प कर लिया था। वह इस प्रयास में सफल रहीं और 1907 में वह शिकागो वेटरनरी कॉलेज में दाखिला लेने वाली पहली महिला बनीं एवं 1910 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की, डॉ मैकग्राथ ने 37 वर्षों तक पशु चिकित्सक के रूप में कार्य किया, और उन्होंने मानव-पशु बंधन की ताकत और महत्व को पहचानते हुए शिकागो के पहले पालतू कब्रिस्तान की स्थापना भी की।
डॉ. सोफिया यिन – डॉ. सोफिया यिन का जन्म 1966 में कैलिफोर्निया में हुआ था और उन्होंने 1993 में कैलिफोर्निया डेविस विश्वविद्यालय से पशु चिकित्सा में डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की थी। वह पशुओं के व्यवहार का अध्ययन करने के लिए स्कूल लौट आई और 2001 में पशु विज्ञान में मास्टर डिग्री हासिल की। विश्वविद्यालय में उन्होंने कुत्तों, घोड़ों, जिराफों, शुतुरमुर्गों और मुर्गियों पर काम किया। वे एक सफल लेखक और प्रवक्ता थी, उन्होंने “ट्रीट एंड ट्रेन” पुरस्कार-आधारित प्रशिक्षण प्रणाली भी बनाई, जिससे पालतू पशुओं के मालिकों के लिए अपने पालतू पशुओं की देखभाल और प्रशिक्षण करना आसान हो गया।
डॉ. कैथी राइट – डॉ. कैथी राइट ने मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी से पशु चिकित्सा में डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की । वह अमेरिका और कनाडा में आंतरिक चिकित्सा और कार्डियोलॉजी दोनों में बोर्ड-प्रमाणित कुछ पशुचिकित्सकों में से एक है। वह कई पशु चिकित्सा पाठ्यपुस्तकों की लेखिका के साथ साथ कई वेटरनरी जर्नल की समीक्षक हैं। उनका आविष्कार, रेडियोफ्रीक्वेंसी कैथेटर एब्लेशन (आरएफसीए) उपचार है, इसकी सफलता दर 95 प्रतिशत है।
डॉ. जेन हिंटन – डॉ जेन हिंटन, संयुक्त राज्य अमेरिका में डॉक्टर ऑफ वेटरनरी मेडिसिन की उपाधि अर्जित करने वाली पहली अश्वेत महिला एवं एक अत्यधिक कुशल वैज्ञानिक थीं । डॉ. जेन हिंटन का जन्म 1919 में मैसाचुसेट्स में हुआ था उनके पिता, विलियम ऑगस्ट हिंटन, एक जीवाणुविज्ञानी और अपने समय के सबसे प्रमुख अफ्रीकी अमेरिकी चिकित्सा शोधकर्ताओं में से एक थे । इन शोधकर्ताओं ने मिल्कर म्यूएलर-हिंटन एगर विकसित किया, जो अब एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति जीवाणु प्रतिरोध का परीक्षण करने के मानक विधियों में से एक है। डॉ. हिंटन ने 1949 में पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सा स्कूल से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और देश की पहली महिला अफ्रीकी अमेरिकी पशुचिकित्सकों में से एक बन गईं। डॉ. हिंटन ने 1955 तक अपने गृहनगर कैंटन, मैसाचुसेट्स में एक पशुचिकित्सक के रूप में काम किया एवं पशुधन में बीमारी के प्रकोप पर शोध करने और प्रतिक्रिया देने के लिए एक संघीय सरकार निरीक्षक के रूप में कृषि विभाग में शामिल हुईं।
डॉ. हीदर एनफाउलर – डॉ. हीदर एनफाउलर ने 2010 में पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ वेटरनरी मेडिसिन से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और येल विश्वविद्यालय से एप्लाइड बायोस्टैटिस्टिक्स और महामारी विज्ञान में सार्वजनिक स्वास्थ्य में मास्टर डिग्री और विश्वविद्यालय से पर्यावरण और व्यावसायिक स्वच्छता में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की । डॉ. हीदर एनफाउलर ज़ूनोटिक रोग, सार्वजनिक स्वास्थ्य, कर्मचारी सुरक्षा और स्वास्थ्य और वन हेल्थ में विशेषज्ञता के साथ एक बोर्ड-प्रमाणित निवारक दवा पशुचिकित्सक है। वह 2017 में नेशनल पोर्क बोर्ड में शामिल हुईं, जहां वह सार्वजनिक स्वास्थ्य, कार्यस्थल सुरक्षा और सूअर कृषि से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी विषयों को संभालती हैं।
डॉ. डेनिएल स्पेंसर – बचपन से ही डॉ. डेनिएल पशुओं के साथ काम करना चाहती थी। डेनिएल ने पशु चिकित्सा में अपनी डिग्री प्राप्त करने के लिए टस्केगी विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया और 1993 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। अपने पूरे करियर में डेनिएल ने पालतू पशुओं की घरेलू देखभाल के बारे में किताबें लिखी हैं एवं दक्षिणी कैलिफोर्निया के कई अस्पतालों में काम करती रही ।
डॉ. मैरी गार्डनर – अपने पालतू श्वान की मृत्यु ने डॉ. गार्डनर को पशु चिकित्सक बनने को प्रेरित किया। उन्होंने 30 की उम्र में फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सा विद्यालय में दाखिला लिया और स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद दक्षिण फ्लोरिडा क्लिनिक में काम किया। वह एक चर्चित व्याख्याता और वक्ता हैं, जिन्होंने कई लेखों के साथ-साथ वृद्धावस्था चिकित्सा पर एक पाठ्यपुस्तक भी लिखी है। जानवरों के प्रति उनके प्रेम ने मोनार्क पेट सर्विसेज के निर्माण को भी प्रेरित किया।
डॉ. एलेनोर एमग्रीन – डॉ. एलेनोर एमग्रीन ने ऑबर्न यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ वेटरनरी मेडिसिन से अपना उपाधि प्राप्त किया और आंतरिक चिकित्सा (इक्विन) में प्रमाणपत्र प्राप्त किया। अकादमिक नेतृत्व, परामर्श, अभ्यास स्वामित्व और शिक्षण में काम किया है। वे 2009 में टेक्सास ए एंड एम यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ वेटरनरी मेडिसिन एंड बायोमेडिकल साइंसेज के कार्ल बी किंग के पशु चिकित्सा के डीन बन गए, और वह 2020 तक उस भूमिका में रहीं । उन्होंने अध्यक्ष के रूप में चार प्रमुख अमेरिकी संगठनों की अध्यक्षता की। उनमें से तीन में, वह पहली महिला राष्ट्रपति थीं । उन्हें विशिष्ट सेवा के लिए हूपर पुरस्कार और 2020 वीएमएक्स आइकन पुरस्कार सहित विभिन्न सम्मान मिली है ।
डॉ. फीलिस लूज़ –15 साल की उम्र में डॉ. फ़िलिस लूज़ ने ट्रैक पर रेस हॉर्स की अभ्यास कराना शुरू कर दिया, और 19 साल की उम्र में, वह पूरे देश में रेस हॉर्स को प्रशिक्षित करने वाली केवल तीन महिलाओं में से एक थीं। उन्होंने 1957 में पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सा स्कूल से स्नातक की उपाधि प्राप्त की एवं खतरनाक घोड़ों का इलाज करने का काम किया, जिनके पास कोई अन्य पशुचिकित्सक नहीं आता। उन्होंने धीरे-धीरे अश्व पशु चिकित्सा समुदाय में सम्मान प्राप्त किया और पहली महिला-स्वामित्व वाली अश्व शल्य चिकित्सा पद्धति का निर्माण किया। डॉ. लूज़ फिलाडेल्फिया माउंटेड पुलिस और कैनाइन यूनिट के प्राथमिक देखभाल पशुचिकित्सक के साथ-साथ फिलाडेल्फिया पार्क के ट्रैक पशुचिकित्सक भी थे। इसके अलावा, वह अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ इक्विन प्रैक्टिशनर्स की पहली महिला सदस्य थीं और उन्होंने विभिन्न पशु चिकित्सा पत्रिकाओं में प्रकाशित सात अभूतपूर्व अध्ययन लिखे।
डॉ. जेनिफर हॉकिन्स – डॉ. हॉकिन्स ने 2000 में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, डेविस के पशु चिकित्सा स्कूल से स्नातक होने के बाद एक छोटे पशु चिकित्सक, पशु चिकित्सा तकनीशियन शिक्षक और पशु चिकित्सा पालतू पशु बीमा के लिए ऑनलाइन कॉपीराइटर के रूप में काम किया । वह ओसी एनिमल केयर की प्रमुख पशुचिकित्सक थीं और बाद में दक्षिणी कैलिफोर्निया पशु चिकित्सा मेडिकल एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक बनी ।
डॉ. डैनी मैकवेटी – डॉ. डैनी मैकवेटी ने 2008 में यूनिवर्सिटी ऑफ़ फ्लोरिडा कॉलेज ऑफ़ वेटरनरी मेडिसिन से स्नातक की उपाधि प्राप्त की । 2009 में, डॉमैकवेटी ने पालतू पशुओं के लिए लैप ऑफ लव की नमक संस्था की स्थापना की। तब से, यह संस्था देश भर में 225 से अधिक पशु चिकित्सकों तक पहुंच गई है, प्रति वर्ष 100,000 परिवारों को मदद करती है । साथ ही डॉ. मैकवेटी अच्छे वक्ता हैं और हर साल कई सम्मेलनों में अन्य पशु चिकित्सकों को पशु चिकित्सा के बारे में अपने व्यापक ज्ञान का योगदान देते हैं।
डॉ. लिंडा बी – डॉ. लिंडा बी, ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ वेटरनरी मेडिसिन से स्नातक करने के बाद रोटेटिंग इंटर्नशिप और कार्डियोलॉजी रेजीडेंसी को पूरा करने के लिए लेहमकुहल कोलंबस में रही। उन्होंने चिकित्सा, शिक्षण और अनुसन्धान के क्षेत्र में कार्य किया। जनवरी 2000 में, उन्होंने वर्थिंगटन, ओहियो में मेडवेट में हृदय रोग विशेषज्ञ के रूप में एक पद स्वीकार किया एवं अंततः मेडवेट के सीईओ बनी। मेडवेट के पास अब 31 विशेष/ईआर अस्पतालों में, 600 से अधिक डॉक्टर और 3,000 टीम सदस्य हैं।
डॉ. व्हिटनी मिलर – डॉ. व्हिटनी मिलर पशु देखभाल और कल्याण मानकों पर पेटको के अग्रणी पशुचिकित्सक विशेषज्ञ हैं। वह पशुचिकित्सा सेवाओं में पेटको के विस्तार के लिए रणनीतिक नेतृत्व और चिकित्सा प्रबंधन के साथ-साथ पालतू जानवरों की सेवाओं में सहायता व पेटको मेडिकल टीम की भी देखरेख करती हैं, जो दुनिया भर में 1,000 से अधिक पालतू जानवरों की देखभाल केंद्र, अस्पतालों और मोबाइल टीकाकरण क्लीनिकों की सहायता करती है। अपने पशु चिकित्सा करियर के दौरान, उन्होंने अमेरिकी पशु चिकित्सा मेडिकल एसोसिएशन के लिए संघीय सरकार के संबंधों में काम करते हुए पशु कल्याण समस्याओं की समर्थन की।
डॉ. एंजेला बील – डॉ. एंजेला बील ने पशु चिकित्सकों के जीवन को अधिक कुशल और कम तनावपूर्ण बनाने में मदद करने के लिए अपने लेखन का उपयोग किया एवं कई महत्वपूर्ण लेख व किताबें लिखी । एंजेला की निजी प्रैक्टिस और अकादमिक पृष्ठभूमि है, और 2020 से, उन्होंने रम्पस राइटिंग एंड एडिटिंग, एक पशु चिकित्सा-विशिष्ट लेखन और संपादन कंपनी के साथ पूर्णकालिक काम किया है। रम्पस के ग्राहकों में पशु चिकित्सा पद्धतियाँ और उद्योग भागीदार शामिल हैं, जिनमें विपणन कंपनियाँ, राष्ट्रीय निगम, सलाहकार और कई अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय शामिल हैं।
भारत और विश्व की इन सभी महिला पशु चिकित्सकों ने सभी बाधाओं, अनिश्चितताओं एवं चुनौतिओं का सामना करते हुए महत्वपूर्ण उपलब्धियां एवं सफलता अर्जित की है । इन महिला पशु चिकित्सिकों की संघर्ष और सफलता की कहानियाँ निश्चित ही युवा लड़कियों को इस क्षेत्र में कदम रखने हेतु प्रोत्साहित एवं मार्ग प्रशस्त करेगी ।