दुधारू पशुओं में थनैला रोग का बचाव एवं रोकथाम : एक गौशाला का सफल केस स्टडी

0
1138

दुधारू पशुओं में थनैला रोग का बचाव एवं रोकथाम : एक गौशाला का सफल केस स्टडी

हम वायरस द्वारा हमारी बायोसेक्योरिटी सेफ्टी में सेंध लगाने के प्रकोप से लड रहे हैं। स्वत्व जागरण सेवा नर्सिंग से पंजाब के मेहनतकश पशुपालकों नें लडाई लडी है। साधुवाद। अब ऐसे में बैक्टीरिया थनैला न कर दे।मुझे देसी गौ की डेयरी को चलाते 2.5 साल शुद्ध हो गए…. पहले 6 महीने थानेला की समस्या बहुत झेली….उसके बाद कुछ एहतियाती अभ्यास के बाद थानेला नहीं हुआ… थानेला (मास्टिटिस) से बचने के सर्वोत्तम उपाय

* गायों को दूध पिलाने के बाद या दूध देते समय खिलाएं.. यह सुनिश्चित करने के लिए कि गायें कम से कम 20 मिनट तक न बैठें…

* दूध देने के बाद 0.1% KMNO4 घोल का छिड़काव करें ।

तकनीकी सिफारिश टीट डिप्स हैं

  1. आयोडीन (0.5%) घोल 6 भाग + ग्लिसरीन 1 भाग
  2. क्लोरहेक्सिडिन (0.5%) घोल 1 लीटर + ग्लिसरीन 60 मिली

आयोडीन टीट डिप सबसे अच्छा है क्योंकि यह विभिन्न प्रकार के टीट घावों और चोटों का भी इलाज करता है .

* हर हफ्ते सभी टीट्स के दूध की जांच करें नमकीन टेस्स के कोई लक्षण मिले

* बछड़े को अंत में दूध पिलाएं ताकि वह थन और आँतों को खाली कर दे

* गाय के बैठने की जगह को सूखा रखें और हर हफ्ते चूना पत्थर का चूर्ण लगाएं

*गायों के आहार में बायपास प्रोटीन बायपास फैट यीस्ट मिनरलमिक्सचर शामिल करें

* रुमेन पीएच को सामान्य रखने के लिए आहार में पीएच बैलेंसर्स को शामिल करें

*कर्मचारियों को अंगुलियों से दूध निकालने की अनुमति न दें। हाथ सैनीटाइज करवाइऐ, हर पशु के दोहन से पहले।

* बड़े बछड़ों को ज्यादा देर तक दूध न चूसने दें, नहीं तो उनके दांत खराब हो सकते हैं

यदि आप मास्टिटिस के शुरुआती लक्षणों को पकड़ते हैं, तो इसका इलाज जल्दी और आसानी से हो जाता है।

बोवाइन मास्टिटिस को सूजन की डिग्री के आधार पर 3 वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है, अर्थात् नैदानिक क्लिनीकल, उप-नैदानिक ​​​​सबक्लिनीकल और पुरानी क्रौनिक मास्टिटिस।

एक क्लिनीकल नैदानिक ​​​​गोजातीय स्तनदाह स्पष्ट दिखता है और आसानी से दिखाई देने वाली असामान्यताओं, जैसे कि लाल और सूजे हुए थन, और डेयरी गाय में बुखार से पता चलता है।

बोवाइन टॉक्सिक मास्टिटिस एक तीव्र नैदानिक क्लिनीकल  ​​​​सिंड्रोम है जो स्तन ग्रंथि की तीव्र सूजन और गंभीर सामान्यीकृत विषाक्तता टौक्सीमिया से प्रकट होता है। इसे आंशिक पैरेसिस, तीव्र पेरिटोनिटिस, एबोमासम या सीकुम का मरोड़, और विषाक्त मेट्राइटिस जैसी बीमारियों से अलग किया जाना चाहिए।

नैदानिक क्लिनीकल ​​मास्टिटिस का निदान पहचान असामान्य रूप से दिखने वाले दूध की उपस्थिति पर आधारित है। दूध रंगहीन, पानीदार, खूनी या सीरम जैसा हो सकता है। असामान्य दूध में अलग-अलग मात्रा में पस और थक्के भी हो सकते हैं।

सबसे आम मास्टिटिस पैदा करने वाले जीवाणु रोगजनकों में स्टैफिलोकोकस ऑरियस, एस्चेरिचिया कोलाई, कोगुलेज़-नेगेटिव स्टैफिलोकोसी (सीएनएस), स्ट्रेप्टोकोकस डिस्गैलेक्टिया, स्ट्रेप्टोकोकस यूबेरिस और स्ट्रेप्टोकोकस एग्लैक्टिया हैं।

  1. इसके कारक क्या हैं= ईंफैक्शन कारण है।

दो टाईप से ईंफैक्शन आएगी। संक्रामक तरीके से, संक्रमण का तात्पर्य ऐसे रोगों से है जो एक इंसान या जीव से दूसरे इंसान या जीव में फैलते हैं. दूसरा तरीका ईंफैक्शन आने का है, पर्यावरण,वातावरण से।

  1. इन दोनो टाईप के मैस्टाइटिस थनैला रोग को काबू कैसे करें?

संक्रामक मास्टिटिस को सख्त, सतत् और सुसंगत, दूध देने की अच्छी प्रथाओं और दूध देने के क्रम का पालन करके नियंत्रित किया जा सकता है। पर्यावरणीय मास्टिटिस को नियंत्रित करने में स्वच्छ और शुष्क वातावरण और स्वच्छ और शुष्क गायों को बनाए रखने के साथ-साथ उचित दूध देने वाले प्रोटोकॉल का पालन करना शामिल है।

 थनैला ईंफैक्शन किससे होती है?

थैनैला मास्टिटिस के लिए जिम्मेदार लगभग 100 तरह के  बैक्टीरिया के इलावा फंगस – एस्परजिलस फ्यूमिगेटस; ए मिडुलस; कैंडिडा ; ट्राइकोस्पोरन , आदि हैं। लेवटी के स्तन क्षेत्र में शारीरिक चोट, खराब स्वच्छता और/या आघात भी इस स्थिति का कारण बनते हैं।

  1. थनैला के लक्षण क्या हैं?

मास्टिटिस का स्पष्ट संकेत थन की सूजन है जो लाल और कठोर गांठील द्रव्यमान में बदल जाती है। दूध में थक्के या लालिमा दिखेगी। नमकीन टेस्ट दूध का। पिछले ब्यांत में 13 किलो देती थी, अब ब्याही तो 2 किलो ही है। ऐसी कहानी सुनने पर ड्राई पीरियड में ईफेक्शन होने कि संभावना हो सकती है।

  1. टेस्ट कैसे करेंगे दूध को?

टेसट नमकीन होगा। थक्के दिखेंगे। लिक्विड साबुन के घोल से कैलिफोर्निया टेस्ट।  4 नयी सीरींज में 4 थनों का दूध लीजिए।  दो तीन धार। अगला,पिछला, दांया,बांया अपने तरीके से पहचान लिख कर, लैब में बैक्टीरिया कांउट टैस्ट करवाइए।

  1. क्यों होता है मैस्टाईटिस?
READ MORE :  Integrated Disease Management under Livestock Farming System

ईंफैक्शन आयी है, थन लेवटी में

इसका मतलब, फर्श गंदा है , दूध निकालने वाले व्यक्ति के हाथ गंदे हैं। या मक्खी मच्छर है, बर्तन गंदे हैं। पानी का इस्तेमाल कर रहे हो। खड़ा पानी, फर्श पर, नाली में। लेवटी, थन, पूंछ, टांग, पेट गीले हैं।

उबले पानी साबुन से बर्तनों को धोया नहीं जाता है। मतलब कहीं से बैक्टीरिया थन के अंदर घुसा। दूध निकालने के 20 मिनट के अंदर पशु बैठ गया, लेट गया और फर्श साफ नहीं था। थन की नाली खुली थी। बैक्टीरिया घुस पाया।

गोबर पेशाब खाद फर्श पर पड़ा रहता है। तीन बार हटाइए और दूर फैंकिए, रात को भी हटाइए, एक बार।

समस्या बनने से पहले मास्टिटिस को रोकना बेहतर है।

  1. करें तो क्या करें?

यह बदइंतजामी का रिजल्ट है। निम्नलिखित उपाय रोकथाम में काफी मददगार हो सकते हैं:

मास्टिटिस मानों तो स्तनदाह है। मैं 60 साल का हो गया, मुझे ठीक होता नहीं दिखा। दुबारा आ जाता है, इसमें नहीं तो उसमें। इस के खिलाफ अधिकांश निवारक उपायों को शुष्क अवधि, जब काऊ बफैलो ड्राई किया, आपनें ब्याहने से पहले के कालखंड में शुरू करने की आवश्यकता है।अपनी ताजा ब्याही डेयरी गायों में स्तनदाह थनैला को कम करने के तरीके पर विचार करने के लिए यहां कुछ प्रमुख बिंदु दिए गए हैं:

🌋माइक्रोऐन्वायरमेंट पर 6 महिनें  मैंनें आपको लैक्चर सुनाया, पढाया, अवलोकन आकलन के लिए कहा। साधो इसे अवलोकन आकलन से। सारा खेल आपकी गोसदन में हाजरी का है। खुलीआंख, खुले कान और सोचता दिमाग, प्यारा मन चाहिए, इस रोग को मिटाने के लिए तबेले से।

मन है तो थनैला भागेगा। मैंनें भगवाया है। दिवार फर्श जला दो, आग से, हर दस दिन मेंँ । पोल्ट्री फार्म के सामान की दुकान से बर्नर खरीदिए।

🌋पर्यावरण की जांच कीजिए: एक स्वच्छ वातावरण ही पर्यावरणीय मास्टिटिस के रोगजनक बैक्टीरिया फंगस की रोकथाम करेगा, काबू करेगा। चरागाह पर रहने वाली सूखी गायों के लिए छाया प्रदान करें जो फार्म की छत और/या पेड़ों के बीच संभव है।

खलिहान गोसदन डेयरी फार्म में रखी सूखी गायों के लिए, स्वच्छ आरामदायक बिस्तर मास्टिटिस की रोकथाम में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। मैट गीला है, तो मैस्टाइटिस शर्तिया होगा।

🌋पोषण: अपनी गायों के चारे में सुझाई गई मात्रा और खनिजों और विटामिनों के प्रकार को शामिल करने से उनकी ईंम्युनीटी, रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने और उनके शरीर को रोगजनक मास्टिटिस से लड़ने में मदद मिल सकती है। एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली ईंम्युनीटी के लिए उचित मात्रा में ऊर्जा और प्रोटीन की भी आवश्यकता होती है। भूसा, रातिब, बांट, (एक तिहाई अनाज, एक तिहाई कल, एक तिहाई दाल की चुन्नी, अनाज की चोकर) हरा चारा, सायलेज, किसी भी तरह के पते, यूरिया स्नान करवाया तूड़ा या पराली, खमीर प्रोबायोटिक्स, बफर साल्ट, नमक, मिनरल मिक्सचर परोसीए रोज़।

🌋मेटाबोलिक विकारों को रोकें: मेटाबोलिक विकार, जैसे किटोसिस, तब उत्पन्न होते हैं जब गाय नकारात्मक ऊर्जा संतुलन में चली जाती है; वह अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं कर रही है। इस दौरान अपनी ताजी गायों को खाते रहना महत्वपूर्ण है। भूख मर जाती है, जापे में। ताज़ा भोजन, भोज्यपदार्थ बदल बदल कर परोसें, कब्ज़ न होने दीजिए।   हालांकि, यह भी बहुत महत्वपूर्ण है कि सूखी गायों को, जिन्हें ब्याहने से पहले डराई करा है, उन्हें अधिक ऊर्जा न खिलाएं। पिछले ब्यांत में तेरह किलो था इस के दो किलो। दूध इस बार पाडी को पूरा नहीं पड़ता। इस कंप्लेंट के पीछे मैस्टाइटिस या किटोसिस जिम्मेदार है।

🌋 टीकाकरण: सूखी और ताजी गायों के लिए वैक्सीन टीकाकरण प्रोटोकॉल स्थापित करने से आपके झुंड में मास्टिटिस को काफी कम किया जा सकता है। आपको अपने और अपने डेयरी फार्म के लिए काम करने वाले टीकाकरण कार्यक्रम को खोजने के लिए अपने पशु चिकित्सक के साथ काम करना चाहिए। स्तनपान कराने वाली गायों का बैक्टीरिन-टॉक्सोइड टीकों के साथ टीकाकरण, थन के जीवाणु आक्रमण के लिए गाय के प्रतिरोध को बढ़ाने का एक संभावित तरीका है।

🌋सूखी गाय उपचार: सूखी गाय जब ड्राई करते हो तब एंटीबायोटिक ट्यूब से चिकित्सा और आंतरिक टीट सीलेंट का उपयोग पिछले संक्रमणों को ठीक करने में मदद करते हुए ताजा ब्याही गाय के मास्टिटिस को रोकने में मदद करता है, साथ ही मदद करता है नए ईंफैक्शन रूके।

READ MORE :  BOWED FRONT LEGS DEFORMITY IN PUPPY: CARE MANAGEMENT & TREATMENT

▫️वर्तमान मास्टिटिस नियंत्रण उपाय दूध देने के समय की अच्छी स्वच्छता पर आधारित हैं;

▫️ठीक से काम करने वाले दूध निकालने वाले नौकर का उपयोग; कैमरा लगवा उसकी जासूसी करवाइए।

▫️आवास क्षेत्रों को स्वच्छ, शुष्क, आरामदायक  बनाए रखना;

▫️लगातार संक्रमित जानवरों को अलग करना और हटाना, नहीं तो वह अन्य  बच्चों को, हीफर को, भैंसों को थनैला कर  देंगे; ▫️डराई गाय की एंटीबायोटिक ट्यूब चिकित्सा;

▫️मैस्टाईटिस हो जाए तो पूरा पांच दिन इलाज।

▫️दूध दोहन के दौरान नैदानिक ​​मास्टिटिस वाली गायों की उचित पहचान और उपचार;

▫️लेवटी उदर स्वास्थ्य लक्ष्यों की स्थापना; इनके बारे में नौकर, भय्ये को पढ़ाना।

▫️ अच्छा रिकॉर्ड रखना;

▫️ थन स्वास्थ्य की स्थिति की नियमित निगरानी और

▫️मास्टिटिस नियंत्रण कार्यक्रम की आवधिक समीक्षा, टोली में और डाक्टर से।

मैं तो केवल बता सकता हूं। यह डिर्ल करवाना आपको है, गोसदन में। हर दिन, हर मौसम में।

इन नियंत्रण उपायों के महत्वपूर्ण प्रभाव के बावजूद, विशेष रूप से संक्रामक मास्टिटिस रोगजनक बैक्टीरिया फंगस  पर, इन उपायों को सभी किसानों द्वारा समान रूप से नहीं अपनाया जाता है, और मास्टिटिस दुनिया भर में डेयरी मवेशियों की सबसे आम और महंगी बीमारी बनी हुई है।

🔹गायों को  लेटने के लिए साफ, सूखा और पर्याप्त बिस्तर उपलब्ध कराएं।

🔹70%बिस्तर की गंदगी से आदमी नौकर के निक्कमेंपन से ईंफैक्शन थन में जाता है, बैक्टीरिया या फंगस। बाकी नौकर के हाथ से, पानी से।

🔹दूध देने वाले क्षेत्र में प्रवेश करते समय गायों को साफ-सुथरा होना चाहिए

🔹 प्रत्येक गाय के थनों को साफ करने के लिए अलग कपड़े या कागज़ के तौलिये का उपयोग करें।

🔹पानी नहीं इस्तेमाल करना दूध निकालने से पहले। ।

🔹बांधने और दूध नीकालने की जगह अलग अलग हो। सूखी रहेगी, खाद कम गिरेगी।

🔹तौलिया उबालें, धूप में सुखाऐं, प्रैस करें, बदबु न हो।

🔹 दूध देने से पहले थन पूरी तरह से सूखा और साफ होना चाहिए। गीला नहीं, बिल्कुल नहीं। वहीं से घुसता है बैक्टीरिया।

🔹दूध देने के बाद कीटाणुनाशक टीट डिप्स का उपयोग करें। 0.5% क्लोरहैक्सीडीन, एक लीटर बना लीजिए पानी में।  6% ग्लीसरीन में, यानी 60 मिली डालीए। लाल दवा नहीं।  0.5% आयोडीन भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

🔹 दूध देने के बाद गायों को खिलाएं, परोसें ताकि वे तुरंत फर्श पर बैठ या लेट न जाएं। यह सूक्ष्मजीवों के प्रवेश को टीट कैनाल नलिका में जानें से रोकता है जो अभी भी दूध देने के बाद खुली हैं।

मतलब किसी भी कारण से बैक्टीरिया थन में घुसा। फर्श पर खाद, कूडा, खड़ा पानी पेशाब, अडंगा न हो, कभी भी। फर्श और पशु सूखा, पानी का काम दूर बहुत दूर। पानी दुश्मन न. 1 है, मैसटाईटिस लानें को। 🔸आंचल लेवटी थन से बाल हटाना, क्लिपर्स, ठंडी आंच से।

🔸झाड़ना, सफाई, चूनें का प्रयोग, मक्खी मच्छर के पैदा होने की जगह और कारण पहचान कर, उन्हें हटाना।

🔸 लिक्विड सोप टेस्ट खुद कीजिए, कैलिफोर्निया मैस्टाइटिस टेस्ट, हर हफ्ते। दस पंद्रह पैसे खर्चा है।

  1. अगर हो जाए तो क्या करना है?

बैक्टीरिया सौ तरह के हैं। पूछताछ से दवा मत कीजिएगा। अब दूध सैंपल लीजिए, चारों थन का अलग अलग सीरींजों में सैनीटाइज तरीके से। उसका 72 घंटे का, एंटीबायोटिक सेंसटिविटी टेस्ट करवाइए। टेस्ट में जो अचूक दवा मिले, ++++ वाली, उसके 5 दिन टीके लगाकर, और सैनेटाइज करके ट्यूब चढ़ा कर, ,  थन के अंदर पल रहे बैक्टीरिया को, लेवटी में पल रहे बैक्टीरिया को मारिए। शुरुआती मैस्टाइटिस में विटामिन डी का टिका देते हैं।

🔘 बछडी में भी घुस जाता है।

🔘 प्रौढ गां भैंस को  दूध सुखानें से पहले, डराई करनें से पहले टयूब चढाइऐ।

🔘डराई प्रौड जानवर और बच्छीया को बैक्टीरिया से बचाइऐ।

🔘बैक्टीरिया के थनों में, थनैला करनें को, घुसनें के तरीके को अवलोकन आकलन कर पहचानीए और अपनें पशुशाला से हराओ। सारा खेल आपका वंहा रह कर, सजगता से बैक्टीरिया की चतुरता को फेल करनें का है। अपने दिमाग से यह लड़ाई लड़नी होगी आपको।

🌋 उच्च क्वालिटी वाले दूध की ज्यादा से ज्यादा मात्रा का उत्पादन प्रत्येक डेयरी संचालन का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है।

दूसरी ओर,  दूध की गुणवत्ता खराब डेयरी उद्योग के सभी क्षेत्रों को प्रभावित करती है, जिसके परिणामस्वरूप दूध से मिठाई, पनीर, घी, चाकलेट, आइसक्रीम बनाने के गुण कम हो जाते हैं और डेयरी उत्पाद कम शेल्फ-लाइफ वाले होते हैं।

READ MORE :  गायों में गाँठदार त्वचा रोग

आइए समझें कि दूध की गुणवत्ता कैसे निर्धारित की जाती है?

दूध की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए कई अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। कुछ तरीके जैसे सोमैटिक सेल काउंट (एससीसी) और स्टैंडर्ड प्लेट काउंट (एसपीसी) दूध की क्वालिटी कंर्टोल व्यवस्था द्वारा अनिवार्य हैं।

मास्टिटिस वाली गायों के दूध में दैहिक कोशिकाओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि होती है। बिना ईंन्फैक्शन वाली लेवटी स्तन ग्रंथियों के दूध में प्रति एमएल 1,00,000 से कम दैहिक कोशिकाएं होती हैं। 2,00,000 प्रति एमएल से अधिक के दूध एससीसी SCC test से पता चलता है कि एक आंचल लेवटी अड्डर में सोजिश या ईंफैक्शन की प्रतिक्रिया हुई है, वह स्तन ग्रंथि ईन्फैकश्न से संक्रमित हुआ है या एक स्तन संक्रमण से ठीक हो रहा है।टेस्ट रिज़ल्ट से आप जान पाएंगे कि इसनें उस दूध से उत्पाद बनने के गुणों को कम कर दिया है। दूध के एससीसी में वृद्धि मास्टिटिस या थन में सूजन का एक अच्छा संकेतक है।

मैस्टाईटिस में बैक्टीरिया जैसे रोगजनकों द्वारा थन के संक्रमण से दूध की संरचना बदल जाती है और दूध की उपज कम हो जाती है। अगली ब्यांत में दूध बहुत कम मिलता है। घाटा ही घाटा। डाक्टर का खर्चा अलग।

  1. मिल्क क्वालिटी टेस्ट कौन कौन से हैं? आप ने सब काम धाम किया पर पता कैसे लगे कि खतरा टल गया है?

🌋 स्टैंडर्ड प्लेट कांउट  (एसपीसी) टेस्ट: एसपीसी कच्चे दूध में मौजूद व्यवहार्य जीवित एरोबिक बैक्टीरिया की कुल संख्या का अनुमान है। यह टेस्ट लैब में गोल प्लेट में  एक ठोस अगार पर दूध सैंपल चढ़ाकर, 32 डिग्री सेल्सियस (90 डिग्री फारेनहाइट) पर 48 घंटे के लिए  प्लेटों की इनक्यूबेटिंग द्वारा किया जाता है, इसके बाद प्लेटों पर उगने वाले बैक्टीरिया की गिनती की जाती है।

एसपीसी टेस्ट का उपयोग डेयरियों के कामकाज की निगरानी के लिए किया जाता है।

क्योंकि

➡️उचित दुग्ध उत्पादन प्रणाली,

➡️सफाई प्रथाओं,

➡️उचित दूध देने की प्रथाओं,

➡️सूखा पशु, सूखी जगह

➡️ नौकर भय्ये की पढ़ाई, सिधाई

➡️थन स्वच्छता

➡️अच्छी मैस्टाईटिस रोकथाम और

➡️नियंत्रण प्रथाओं के लगातार लागू करनें से डेयरी उत्पादकों को कम एसपीसी के साथ दूध का उत्पादन करने की काबलियत मिलनी चाहिए, जो कि 5,000  (सीएफयू) कॉलोनी बनाने वाली बैक्टीरिया प्रति मिलीलीटर इकाइयों से कम है ।

दूध देने की उचित प्रथाओं, थन स्वच्छता और मैस्टाईटिस के अच्छे रोकथाम और नियंत्रण प्रथाओं के लगातार उपयोग से डेयरी उत्पादकों को 5,000 cfu/mL के SPC के साथ दूध का उत्पादन करने की सफलता मिलनी चाहिए, जबकि अधिकांश फ़ार्म 10,000 cfu/mL से कम की मात्रा वाले दूध का उत्पादन कर सकते हैं।

बैक्टीरिया की उच्च संख्या (10,000 cfu/mL से अधिक) बताती है कि बैक्टीरिया विभिन्न संभावित स्रोतों से दूध में प्रवेश कर रहे हैं।

उच्च एसपीसी का सबसे आम कारण दुग्ध प्रणाली की खराब सफाई है। बर्तनों या उपकरण सतहों पर दूध के अवशेष, बैक्टीरिया के विकास और गुणन के लिए पोषक तत्व प्रदान करते हैं जो बाद में होनें वाली मिल्किंग से लिए दूध को दूषित करते हैं।

मैस्टाईटिस  (स्ट्रेप्टोकोकल और कोलीफॉर्म), गंदी गायों, अस्वच्छ दूध देने की प्रथा, दूध को तेजी से <4.4 डिग्री सेल्सियस (40 डिग्री फारेनहाइट) तक ठंडा करने में विफलता, वॉटर हीटर की विफलता, और अत्यधिक गीला और आर्द्र मौसम भी उच्च एसपीसी में योगदान कर सकते हैं, कच्चे दूध में।

🌋 विकासशील देशों में छोटे पैमाने के डेयरी उत्पादकों और प्रोसेसर के लिए उपयुक्त सरल दूध परीक्षण विधियों के उदाहरणों मेंः

स्वाद,गंध औरआंख से दृश्य अवलोकन (ऑर्गोलेप्टिक परीक्षण) शामिल हैं;दूध के विशिष्ट घनत्व (सपैस्फिक डैनसिटी) को मापने के लिए डैनसिटी मीटर या लैक्टोमीटर परीक्षण;दूध खट्टा है या असामान्य यह निर्धारित करने के लिए –उबलनें पर थक्का टेस्ट;दूध में लैक्टिक एसिड को मापने के लिए ऐसिडिटी टेस्ट; कैलिफोर्निया टेस्ट और ज़रबर टेस्ट दूध में वसा की मात्रा को मापने के लिए करीऐ।हर तीसरे सप्ताह।

नुक्सान नहीं होगा।

नुक्सान नहीं करवाना है तो, जो कारण है नुक्सान का, उसे इन टेस्ट से पहचानना होगा।

मैस्टाइटिस से लडने में छह चीज़ त्यागनी होंगी।

षड् दोषा: पुरूषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता।

निंद्रा तंद्रा भयम् क्रोध: आलस्यम् दीर्घसूत्रता।।

अर्थ : मनुष्य के विनाश का कारण 6 अवगुण हैं.. नींद, तंद्रा, भय, क्रोध, आलस्य और काम चोरी की आदत वालें ।

~ प्रशांत दर्शी,डेयरी उद्यमी

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON