पशुओं में सर्रा रोग :लक्षण , उपचार एवं बचाव

0
4971

पशुओं में सर्रा रोग :लक्षण , उपचार एवं बचाव

Surra Disease in Animals

परिचय :  यह रोग पालतू जानवरों जैसे कि  गाय, भैंस, घोड़ा, ऊँट, भेड़, बकरी, कुत्ता, बिल्ली, हाथी और अन्य जंगली जानवर (बाघ, लोमड़ी, सियार), कृंतक, खरगोश और गिनी सुअर में पाया जाता हैं। यह रोग ऊष्णकटिबंधीय जलवायु वाले प्रदेशों में मिलता है, क्योंकि यह जलवायु टैबेनस वंश की मक्खियों के पनपने के लिए अच्छी है

सर्रा रोग का कारण :

यह रोग  ट्रिपैनोसोमा  ईवांसाइ  प्रोटोजोआ  के कारण होता है, जो पशुओं के  रक्त में पाया  जाता है। इसे ऊँटो  में टीबरसा कहा जाता है।

 

सर्रा रोग के संकेत और लक्षण :

  • पशु में रुक रुक कर बुखार आना और खून की कमी मुख्य लक्षण है।
  • रोगी पशु के निचले हिस्सों तथा पैरो में पानी भर जाता है, जिसे एडीमा कहते है।
  • पशु की मांसपेशियां कमजोर हो जाती है, जिसकी वजह से चलने में परेशानी आती है।
  • अधिक घातक स्थिति में प्रभावित पशु अपने बंधे हुए स्थान पर चक्कर काटने लगता है और दीवारों पर या खूंटे से सिर मारने लगता है।
  • गर्भवती मादा पशु में गर्भपात हो सकता है।
  • पशु की आँखों से पानी आने लगता है।
  • कुछ पशुओं की आँख में सफेदी (कॉर्नियल ओपेसिटी )आ जाती है।

 

बिमारी का ईलाज :

क्विनपाइरामाइंस सल्फेट @ 3 मिलीग्राम / किलोग्राम S/C और क्विनपाइरामाइन क्लोराइड

आईसोमैटामीडीयम क्लोराइड – 0.5 मिलीग्राम / किलोग्राम शारीरिक भार के अनुसार ।

 

पशुओं में सर्रा रोग एवं इसके रोकथाम

पशुओं-में-ट्रीपेनोसोमियोसिस

 

डॉक्टर कौशलेंद्र पाठक, पशुधन विशेषज्ञ, लखनऊ

 

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON
READ MORE :  PROSTATE DISORDERS IN DOGS: SOME OVERLOOKED FACTS