स्वाईन फलू से सम्बन्धित विशेष जानकारी और उस पर विचार विर्मश

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स्वाईन फलू से सम्बन्धित विशेष जानकारी और उस पर विचार विर्मश

डाॅ.निश्चल दत्ता, डाॅ.जैस्मीन बांगा, डाॅ.सिद्धार्थ देशमुख,डाॅ. एच.एस. बांगा
पशु विकृति विज्ञान विभाग, गढवासु, लुधियाना

स्वाईन फलू विषाणु एक अत्ंयत सूक्ष्म संक्रामक जीव, जो चारों ओर से वसा सम्बन्धित परत से डके होते हुए कर्णकुण्डलिनी आकार का होता हैं। यह विषाणु आॅर्थोमिक्सोविरिडि वर्ग में शामिल किए गए हैं। यह विषाणु सभी प्रजाति के पशु पक्षियों अथवा मनुष्यों में रोग पैदा करने सक्षम हैं।
इस वर्ग के विषाणु इस तरह निम्नलिखित हैः-
1. आॅर्थोमिक्सोवाइरस – ए 2.आॅर्थोमिक्सोवाइरस – बी 3. आॅर्थोमिक्सोवाइरस – सी

मुख्यतः रूप से स्वाईन फलू विषाणु को आॅर्थोमिक्सोवाइरस – ए वर्ग में प्रस्तावित किया गया हैं। यह विषाणु आज की परिस्थिति में सम्पूर्ण संसार पर अत्यंत संभावित संकट उत्पन्न कर, मनुष्य में भय तथा बुरा होने की आशंका उत्पन्न कर बैठा हैं। सुअरों में यह रोग प्रायः तीव्र गति से ज्वर उत्पन्न कर श्वसन नली को प्रभावित करता है, जिसके फलस्वरूप सुअरों में अत्याधिक रोग पीड़ित अनुपात तथा मृत्यु दर में बढ़ोतरी देखने का मिलते है।
संसार में आमतौर पर यह रोग तीन नाम से जाने जाते हैः-
1. स्वाईन फलू 2. होग फलू 3. पीग फलू

इसके अतिरिक्त कई अलग नामाकरण भी इस रोग से जुड़े हुए है जैसे ‘वल्र्ड आॅर्गेनाइजेशन फाॅर अनीमल हैल्थ‘ के अनुसार, ‘नार्थ अमेरिकन इन्फल्युएंजा‘ तथा ठीक उसी तरह ‘युरोपियन कमीशन‘ के द्वारा ‘नावेल फलू वाइरस‘ का नाम नये तौर से प्रस्तावित किया गया हैं। इस नये नामांकरण का उद्येश्य मनुष्य में रोग के प्रति जागरूप कर भूल विचारा से उनको वंछित करना हैं। स्वाईन फलू नामन से मनुष्यों में सुअरों के प्रति विद्वेष उत्पन्न हो गई है जिस कारण संसार के कुछ क्षेत्र में मनुष्यों ने सुअरों के माँस के प्रति घृणा पैदा कर दी। वास्तविक चिकित्सा शास्त्र से सबंद्ध परिभाषा के अन्र्तगत इस रोग का नामन ‘इन्फल्युएंजा – ए (एच 1 एन1) वाइरस हयूमन‘ रखा गया है।
वर्तमान वर्ष 2009 में सुअरों ने महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान करते हुए जीनी ;ळमदमजपबद्ध के द्वारा विभिन्न प्रकारों के जीन ;ळमदमद्ध का संकलन करते हुए इस नई विषाणु के उत्पन्न में सहायता की हैं। यह विषाणु (वाइरस) विभिन्न पशु-पक्षियों जैसे सुअर, मुर्गीयाँ, जंगली पक्षियाँ तथा मनुष्य में पाये जाने वाले इन्फल्युएंजा विषाणु के जीन संकलित कर उत्पति हुई हैं। यह अब तक की सबसे घातक विषाणुओं में एक विषाणु है। यह रोग सम्पूर्ण विश्व में फैलने में सक्षम रहा हैं। इस वर्ष में प्रथम इस रोग की जानकारी मैक्सिको ;डमगपबवद्ध नामक देश में हुई हैं, जहाँ इसने लोगों को प्रभावित करते हुए, मुत्यु दर में परिवर्तन किए।
यह रोग बिलकुल नये प्रकार से उत्पन्न होकर पूरे विश्व में एक जनपदिक रोग में बदल गया हैं, जिसके फलस्वरूप वल्र्ड हैल्थ आर्गेनाइजेशन (डब्ल्यू. एच. ओ.) ने इसका स्तर फेस-6 विश्वमारी में प्रस्तावित किया है, इस रोग की रोकथाम अथवा निरोध के लिए डब्ल्यू. एच. ओ. ने कई निर्देश दिए है, जो इस विचार विमर्श के माध्यम से प्रस्तुत किए गए हैः-

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प्र. मनुष्य में स्वाईन फ्लू सम्बन्धित कौन-कौन से लक्षण देखने को मिलते है तथा यह अन्य फ्लू से किस प्रकार भिन्न है ?

उ. इस रोग में ज्वर, खाँसी, वेदनायुक्त ग्रसनीशोथ, स्वरयन्त्रशोथ तथा गलतुण्डिकाशोथ जैसे लक्षण अंत्यत प्रभावशाली होते हैं। इसके अतिरिक्त शरीर में कँपकँपी का होना, सम्पूर्ण शरीर में दर्द, सिर दर्द तथा थकावट जैसे आदि लक्षण पूर्ण तौर पर ऊपर किए गए लक्षणों के साथ जड़ित होते हैं। कुछ संख्या लोगों में दस्त या अतिसार तथा वमन (उल्टी) जैसे लक्षण देखने को मिलते है। इस रोग के लक्षण प्रायः अन्य फ्लू के लक्षणों के सामान होते हैं।
प्र.ः क्या यह रोग पूर्ण तौर पर सुअरों के सम्पर्क में आने से फैलता है ?

उ.ः नही, यह संकलित विषाणु (वाइरस) केवल मनुष्य से मनुष्य में फैलने में सक्षम रहा है।

प्र.ः क्या इस रोग से पीड़ित मनुष्य की मृत्यु की संभावना होती हैं ?

उ.ः वर्तमान परिस्थ्तिि में मैक्सिको में लगभग 150 परिणामों में मृत्यु की पुष्टि की गई है। जबकि संयुक्त राष्ट्र अमेरिका मंे इस रोग को सामान्य तौर पर माना गया हैं। किन्तु यह रोग आम फ्लू की तरह संकट या हानि पहुँचानें में संभाव्य रकता हैं।

प्र.ः क्या इस रोग के प्रति कोई औषधि, वर्तमान परिस्थिति में उपलब्ध हैं ?

उ.ः हाँ, टाॅमीफ्लू तथा रेलेंजा नामक औषधि वर्तमान वर्ग के विषाणु को नष्ट करने में प्रभावशाली साबित हुए हैं। इसके अतिरिक्त अन्य चार औषधि भी उपलब्ध हैं। औषधि का सेवन केवल चिकित्सक के निर्देश पर करें।

प्र.ः क्या मनुष्य में रोग क्षमता को उत्पन्न करने के लिए कोई टीका उपलब्ध हैं?

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उ.ः अभी तक नहीं, किन्तु सेंटर फाॅर डिज़ीज़ कंट्रोल, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने पुष्टि की है कि वह वर्तमान वर्ग के विषाणु को पृथकभूत करने में सफल रहे हैं और इस विषाणु को अगले वर्ष के टीका उत्पादन के दौरान, प्रयोग में लाएगें।

प्र.ः क्या यह रोग सुअरों के माँस के सेवन करने पर फैल सकता है ?
उ.ः बिल्कुल नहीं। यह रोग खाद्य पदार्थ जैसे कि सुअरों के माँस या माँस से तैयार किया हुआ किसी पदार्थ से संचारण नहीं होती हैं। 1600 ऊष्णता से तैयार किया गया कोई भी खाद्य पदार्थ किसी भी विषाणु अथवा जीवाणु को नष्ट करने में सक्षम रहता हैं। आमतौर पर स्वाईन फलू छींख, खाँसी अथवा किसी संक्रमित सतह के स्पर्श होने पर फैलता हैं।

प्र.ः क्या सुअरों के माँस का सेवन वर्तमान रोग की परिस्थिति में कर सकते हैं?

उ.ः जी हाँ। माँस के सेवन करने पर आप रोग के सम्पर्क में नही आते हैं यह रोग प्राय मनुष्य के द्वारा प्रभावित मनुष्य के सम्पर्क मे आने से फैलता हैं।

प्र.ः किस प्रकार से हम अपने परिवार को इस घातक रोग से दूर रख सकते हैं?

उ.ः कुछ महत्वपूर्ण सावधानी के अनुसरण करने पर इस घातक रोग से हम अपने आपको तथा अपने परिवार को सुरक्षित रख सकते हैं, जैसेः
– खाँसते समय अपने मुँह पर तौलिया या कपड़ा लपेट कर अथवा अपने बाहों के नीचे मुँह रख कर खाँसें।
– संदिग्ध परिस्थिति या प्रमाणित परिस्थिति में हम अपने हाथ को साबुन अथवा हैण्डजैल से धोये।
– किसी संदिग्ध सतह पर स्पर्श न करें।
– घर से बाहर ना जाये। तथा बच्चों को प्रमाणित परिस्थिति में स्कूल ना भेजें।

प्र. क्या स्वाईन फलू से पीड़ित मनुष्य की चिकित्सा उपलब्ध हैं ?
उ. जी हाँ, टाॅमीफ्लू तथा रेलेंजा नामक औषधि वर्तमान वर्ग के विषाणु को नष्ट करने में प्रभावशाली साबित हुए हैं। इन औषधियों को आप रोगनिरोधक तौर पर अत्यधिक प्रयोग न करें। औषधि का सेवन केवल चिकित्सक के निर्देश पर करें अन्यथा इस रोग पर रोकथाम कर पाना अत्यधिक कठिन हो जाएगा।

प्र.क्या वर्तमान परिस्थिति में हम किसी प्रकार के विदेश यात्रा पर रोक लगायें तथा कौन-कौन से अनुसरणों का पालन कर हम अपने देश में इस रोग के फैलाव पर रोक लगा पाँएगें?

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उ. हाल ही में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने सुझाव में पुष्टि की है कि हम कोई भी ऐसे देशों में यात्रा न करे जहाँ रोग अधिक संक्रामित है। जो भी व्यक्ति भारत आना चाहता है वह कृपा अनुसार विदेश मंत्रालय के सुझाव के सख्ती से पालन कर परीक्षण में सहायता प्रदान करें तथा हवाई अड्डे से अपने घर प्रस्थान करते समय स्वास्थ अधिकारी से अपने छूटने की अनुमति पत्र लें।

प्र. हमें कैसे पता चलें कि हमें किस समय चिकित्सक से अपने आप को जाँच करायें ?

उ. स्वास्थ अधिकारी के अनुसार अत्यधिक संक्रमित वाले क्षेत्र में संदिग्ध प्रवासी या रोगी अपने निकटतम चिकित्सक से तुरंत अपने आप की जाँच करवायें। याद रखे एलर्जी के दौरान ज्वर जैसे लक्षणों की उत्पति नहीं होती।

प्र. किस प्रकार से इस रोग की विसंक्रमण तथा रूकावट कर सकते है ?

उ. स्वाईन फ्लू विषाणु की संक्रामण छीख्ंा अथवा खाँसी से एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में फैलती है। इसके विसंक्रमण तथा रूकावट से सम्बन्धित कुछ निर्देशन का पालन करें:-

1. किसी सार्वजनिक क्षेत्र से लौटने पर कृपा करके अपने हाथ को साबुन अथवा हैण्डजैल से 25 सैकेण्ड तक डुबो कर रखें। अपने साथ हमेशा एल्कोहाल की छोटी शीशी रखे, जिसका प्रयोग आप विसंक्रमण में कर सकते है।
2. घर के हर सामान को आप ब्लीच करायें।
3. लाइसोल स्प्रे या क्लोरास्क्राब स्वाब का प्रयोग कर अपने सेलफोन अथवा फोन इत्यादि को विषाणु से विसंक्रमित रखें।

प्र. क्या सुअरों के विनाश से वर्तमान रोग के फैलाव में रूकावट लायी जा सकती है?

उ. बिल्कुल नहीं। दा आॅफिस डेस इंटरनेशनल्स ऐपीजुटिक्स के अनुसार, वर्तमान स्वाईन फ्लू का संक्रमण मनुष्य के बीच हुआ हैं। सुअरों में वर्तमान रोग की पुष्टि नही की जा रही हैं। यह एक जीनी संकलित विषाणु है जिसने विभिन्न जीवों से जीनी प्रकारों को एकत्रित कर अपने आप की उत्पति की है। यह रोग सुअरों के माँस से तैयार किया हुआ पदार्थ से संचारण नही होता है।

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