पशुओं में ताप घात के लक्षण एवं निवारण
डॉ. रोहित जुनेजा1, डॉ. अर्पिता सेन2, डॉ. अकलेश कटारा2, डॉ. ईश्वर मल हरिजन2,
1 राजकीय पशु चिकित्सालय, पुंदलौता, नागौर
2 पशु चिकित्सा एंव पशु विज्ञान महाविद्यालय, नवानिया, उदयपुर ।
सामान्य नाम :-
पशुओं में लू लगना, हीट स्ट्रोक ,हाइपरथर्मीया, ग्रीष्म तनाव गर्मियों में पशुओंं के स्वास्थय का विशिष्ट ध्यान रखना पडता है क्योंकि पशुओं को गर्मियों में अपने शरीर का तापमान सामान्य बनाये रखने में बहुत परेशानी आती है जब शरीर का तापमान 101.5°थ् से बढ़कर (सामान्य तापमान) 104°थ् या उससे भी अधिक हो जाता है। तो उसे लू के लक्षण माने जाते है एवं इसके कारण केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र मे परेशानिया देखने को मिलती है ।
ताप घात क्या है :-
हीट स्ट्रोक एक गर्मियों से संबधित आपात समस्या है, जो तत्रिका तंत्र में परिवर्तन सहित भौतिक लक्षणों विशिष्टया निर्जलीकरण के साथ शरीर का तापमान से असामान्य रूप से होने वाली वृद्वि है जो मुख्यतया स्वीकृत सामान्य सीमा से ऊपर होती है ।
तापघात (लू) के कारणः-
रेगिस्तान की अधिकता, पानी की कमी व अन्य जलवायवीय व भौगिलिक परिस्थितियों के कारण राजस्थान में अधिक गर्मी देखने को मिलती है। जिसके कारण दुधारू पशुओं में दूध की कमी हो जाती है ।
तापघात के लक्षण :-
(1) पशुओं में सामान्यतः एक मिनट में 15 से 30 बार सांस लेने की प्रवृति होती है। अगर पशुओं में सांस लेने की रफतार 50 से अधिक हो जाये; तो हीट स्ट्रोक के लक्षण माने जाते है ।
(2) उच्च तापमान
(3) अत्याधिक लाट का स्त्रावण
(4) दूध उत्पादन में गिरावट
(5) पशुओं का वजन कम होना
(6) मुंह खोलकर सांस लेना
(7) पशुओं को छाव से अधिक लगाव
(8) पशुओं के द्वारा चारे का सेवन कम करना व अत्याधिक मात्रा में पानी का सेवन करना।
(9) दस्त व उल्टी व बैचेनी
(10) मुह के चारे तरफ छाग का उपस्थित रहना
(11) अत्याधिक मात्रा में पसीना आना ।
तापघात का उपचार व रोकधाम :-
(1) अत्याधिक मात्रा में ठण्डे़ पानी पिलाये
(2) पशुओं को बर्फ के टुकड़े चाटने के लिये दे ।
(3) पशुओं को इस मौसम में भूसे की मात्रा कम कर दे तथा हो सके तो उन्हे हरा चारा दे ।
(4) पशुशाला में गर्मी के बचाव के पर्याप्त इंतजाम करे जैसे पंखे की व्यवस्था ।
(5) पशुओं को ज्यादा देर तक घूप में ना रखे ।
(6) गर्मियों के मौसम में पशुओं में चारा का सेवन कम हो जाता है,इसलिये रातिब मिश्रण का सेवन करवाये ताकि उससे पर्याप्त मात्रा में उर्जा व प्रोटिन की पूर्ति हो सके।
(रातिब मिश्रण- कोई भी एक अनाज (40 किलो) ़ चोकर /चूरी (37 किलो) ़ खली (20 किलो) ़ सादा नमक (1 किलो) ़ मिनरल मिकसर (2 किलो)
(7) अगर कोई भी पशुओं तापघात या लू से ग्रसित दिखे तो तुरन्त पशु चिकित्सक की सलाह ले ।
निष्कर्णः-
जलवायीय व भौगिलिक कारणों से पशुओं में तापघात की समस्या गर्मियों में बुहत देखने को मिलती है । जिसके कारण पशुओं के स्वास्थय व उत्पादन पर प्रभाव पड़ता है इसलिये उचित बेहतर भोजन की व्यवस्था, पशुओं के बाड़े में ठंडक की व्यवस्था , बेहतर पशु प्रबधन से तापघाट से बचने में मदद मिल सकती है ।
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