अंडा किस श्रेणी में आता है शाकाहारी या मांसाहारी?
डॉ संजय कुमार मिश्र
पशु चिकित्सा अधिकारी चौमुंहा मथुरा
एक पशु चिकित्सक होने के नाते मैं इस प्रश्न का उत्तर निम्न प्रकार दे सकता हूं। अंडे को शाकाहारी और मांसाहारी के रूप में देखने के कई नजरिए हो सकते हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो अंडे दो प्रकार के होते हैं। एक अंडे जो मुर्गियां बिना मुर्गों के संपर्क में आए देती हैं और एक जोकि मुर्गों से मिलन के पश्चात मुर्गियां अंडे देती है। मुर्गो से मिलन के पश्चात जो अंडे प्राप्त होते हैं उनमें जीव या प्राण होते हैं इन्हें उर्वरक अंडे कहते हैं और 21 दिन तक जब मुर्गियां यह अंडे सेती हैं तो उसमें से , चूजे निकल आते हैं। क्योंकि ऐसे अंडो में जीव या प्राण होते हैं इसलिए हम इन्हें मांसाहारी की श्रेणी में रख सकते हैं या जीव हत्या से परहेज रखने वाले लोग भी इसे खाना पसंद नहीं करते हैं।
दूसरी तरह के अंडे ऐसी मुर्गियां देती हैं जो कभी मुर्गों के संपर्क में नहीं आई होती हैं। फार्म में अंडे देने वाली मुर्गी या ऐसी ही होती हैं। ऐसे अंडों में जीव या प्राण नहीं होता है अर्थात यह अंडे अनुउर्वरक होते हैं और इनमें से कभी चूजे नहीं निकलेंगे। आम धारणा के विरुद्ध अंडे देने के लिए किसी भी मुर्गी को मुर्गो से मिलन की आवश्यकता नहीं होती और वह एक निश्चित समय पर अंडे देने लगती हैं चाहे वह मुर्गे के संपर्क में आए या नहीं। ऐसे अंडे को शाकाहारी की श्रेणी में रखा जा सकता है और उनको खाने से हम एक पैदा होने वाले संभावित चूजे की जान नहीं ले रहे होते हैं। बाजार में बिकने वाले सभी फार्म के अंडे इसी श्रेणी में आएंगे।
अंडो से जुड़ा एक वैज्ञानिक पहलू यह भी है की अंडों के बनने के दौरान टूटी कोशिकाएं इसमें नहीं आती जबकि दूध में टूटी हुई कोशिकाएं पाई जाती हैं। इन्हीं सब को ध्यान में रखते हुए गांधी जी ने अनुउर्वरक अंडे को राम लड्डू की संज्ञा दी थी। अब आप खुद विश्लेषण कर सकते हैं कि अंडो को शाकाहारी माना जाए या मांसाहारी।
विश्व में तीन प्रकार के शाकाहारी व्यक्ति होते हैं-
१. शुद्ध शाकाहारी या वेजिटेरियन
२. लेक्टोवेजीटेरियन– जो शाकाहारी होने के साथ-साथ दूध का भी सेवन करते हैं।
३.ओवो वेजिटेरियन – जो शाकाहारी होने के साथ-साथ अनु उर्वरक अंडों का भी सेवन करते हैं।
४.ओवो लेक्टो वेजीटेरियन – जो शाकाहारी होने के साथ-साथ अनुउर्वरक अंडो एवं दूध का भी सेवन करते हैं।